बहुत ही गजब की बात बताइआपने भारतीय संविधान में कबीर का जिक्र है और कबीर में ही संविधान है आपके विचार को सुनने के लिए हम बहुत आतुर रहते हैं जल्दी से जल्दी वीडियो अपलोड किया करो साहब जी साहिब बंदगी साहिब आपका अपना आनंद दास मानिकपुरी ग्राम दरगाहन पोस्ट डोमा जिला धमतरी छत्तीसगढ़
वाह इसे कहते हैं सत्संग सुनना... एक-एक शब्द पर जिसकी नजर रहती है वही सही तरीके से भाव को समझ पाता है और अपनी सुंदर अनुभूति की शानदार अभिव्यक्ति कर पता है। बिल्कुल आपकी बातों को हम याद रखेंगे और जो भी हमसे बेहतरीन समझ हो सकती है उसे बताते रहेंगे... ऐसे ही लगातार सुनते रहिए, दूसरों को सुनाते रहिए और वीडियो को शेयर करते रहिए... आपके साथ पूरे परिवार को खूब खूब प्रेम और अनंत साधुवाद!
कबीर दास जी का एक छत्तीसगढ़ी गीत है बुझो बुझो गोरखनाथ अमृतवाणी बरसे कमरा भीगी ला छानी जी यह भजन का पूरा व्याख्या करके बताने का प्रयास करें यह भजन कबीर दास के उल्टी वाणी के ऊपर आधारित है
कबीर साहेब का मतलब होता है सत्य... सत्य को ठीक से सुनने, समझने और जानने के लिए बहुत बड़ा कलेजा चाहिए यानी विशाल दृष्टिकोण जो बहुत कम लोगों के पास है..... उनमें से आप एक हैं। सही तरीके समझिए जानिए और खूब खूब वीडियो देखते हुए इस वीडियो को शेयर करते रहिए... पूरे परिवार के साथ खूब प्रेम और अनंत साधुवाद!
पोप पादरी कहने के बाद इन्होंने माफ़ कीजिए क्यों कहा? चलिए ये पहले कबीर पंथी हैं, जिन्होंने कबीर जी के जन्म की सच्चाई को स्वीकार किया, जन्म पर कबीर साहेब की तो कोई तो कोई ग़लती नहीं, चमत्कार को तो ये लोग नहीं मानते, ये चमत्कार को नमस्कार करने वाले लोग नहीं हैं , क्योंकि ये हर बार कहते हैं। बिना मां बाप के कोई पैदा हो ही नहीं सकता तो फिर कबीर साहेब के जन्म दाता माता पिता कोई न कोई तो होंगे ही?
बहुत खूब.... जब हमने पोप पादरी के बाद माफ कीजिए कहा तो वहां पर पोप पादरी कहने का कोई तुक ही नहीं था। इसे समझने के लिए आप उसे फिर से कई बार सुन सकते हैं। रही बात सतगुरु कबीर साहेब के मां-बाप की तो जरूर कोई ना कोई मां-बाप था लेकिन उसका पता नहीं चला जैसे सीता माता का पता नहीं चला।
यही कारण यही बात आप रमाशंकर साहेब जैसे कबीर पंथियों को समझाइए जो कहते हैं, ब्रह्मा जी के मुख पर कौन संभोग करने गया था, भगवान होते नहीं है, वेद वेद नहीं भेद है,बाम्हन से गदहा भला ,आन देव ते कुत्ता, मुलना से मुलना भला शहर जगावे सुत्ता ,। आप ऐसी भाषा का प्रयोग करेंगे तो क्या देवों की पूजा करने वाले लोग आपका सम्मान करेंगे क्या ब्राह्मण आपका आदर करेंगे, जिनको आप गदहा कह रहे हैं, सम्मान पाने के लिए दूसरों को सम्मान देना पड़ता है भाई साहब आपने सीता को मां नहीं कहा? मां तो मां है चाहे किसी की हो हमें तो केवल यही चीज खटकता है आप अपने आप को सर्वोपरि बताने के लिए किसी और धर्म को या देवी देवताओं के अपमान का सहारा लेते हैं , हमें कबीर साहेब को सर्वश्रेष्ठ मानने से कोई इनकार नहीं पर आप हमारे देवी देवताओं को तो अपमानित करके हमारी भावनाओं को आहत ना करें साहेब बंदगी साहेब ।
दुश्मन देश यही चाहता है कि हम वैचारिक और जातिगत भेदभाव में बंटे रहें और एक दूसरे के खिलाफ लड़ते रहे और एक न हो ताकि उनका उल्लू सीधा हो महमूद गजनवी १७ बार हारा फिर भी आक्रमण किया क्योंकि वह जानता था कि यहां के लोग तो एक रसोई पर भोजन बनाना पसंद नहीं करते साथ खाना पसंद नहीं करते, चढ़ाई करने से पहले उसने अपने गुप्तचर को दिल्ली खबर लेने भेजा गुप्तचर ने सूचना दी कि सैनिक लोग अपनी अपनी रसोई अलग अलग बना रहे हैं, तभी वह समझ गया कि इस बार सफलता अवश्य मिलेगी और हुआ वहीं जो साथ खा नहीं सकते उनमें मतैक्य कहां होगा हम एक बनकर सोचे मैं समझता हूं कबीर जी का सिद्धांत भी यही रहा होगा ।
बहुत सुंदर अति सुंदर जानकारी दी आपने साहेब जी❤🙏♥️
कोई नहीं बता सकता कबीर साहेब के माता पिता का नाम क्योंकि वह स्वयं ही सबके पिता है सतलोक से आकर कमल के फूल पर प्रकट हुए थे
कैसी बात कर रहे हो कबीर साहेब साक्षात भगवान हैं।क्या भगवान की मां होती है नही।
Bahut achcha vichar saheb bandagi
बहुत ही गजब की बात बताइआपने भारतीय संविधान में कबीर का जिक्र है और कबीर में ही संविधान है आपके विचार को सुनने के लिए हम बहुत आतुर रहते हैं जल्दी से जल्दी वीडियो अपलोड किया करो साहब जी साहिब बंदगी साहिब आपका अपना आनंद दास मानिकपुरी ग्राम दरगाहन पोस्ट डोमा जिला धमतरी छत्तीसगढ़
वाह इसे कहते हैं सत्संग सुनना...
एक-एक शब्द पर जिसकी नजर रहती है वही सही तरीके से भाव को समझ पाता है और अपनी सुंदर अनुभूति की शानदार अभिव्यक्ति कर पता है।
बिल्कुल आपकी बातों को हम याद रखेंगे और जो भी हमसे बेहतरीन समझ हो सकती है उसे बताते रहेंगे...
ऐसे ही लगातार सुनते रहिए, दूसरों को सुनाते रहिए और वीडियो को शेयर करते रहिए...
आपके साथ पूरे परिवार को खूब खूब प्रेम और अनंत साधुवाद!
कबीर दास जी का एक छत्तीसगढ़ी गीत है बुझो बुझो गोरखनाथ अमृतवाणी बरसे कमरा भीगी ला छानी जी यह भजन का पूरा व्याख्या करके बताने का प्रयास करें यह भजन कबीर दास के उल्टी वाणी के ऊपर आधारित है
त्रय बार साहेब बंदगी साहेब जी
कबीर साहेब का मतलब होता है सत्य...
सत्य को ठीक से सुनने, समझने और जानने के लिए बहुत बड़ा कलेजा चाहिए यानी विशाल दृष्टिकोण जो बहुत कम लोगों के पास है.....
उनमें से आप एक हैं। सही तरीके समझिए जानिए और खूब खूब वीडियो देखते हुए इस वीडियो को शेयर करते रहिए...
पूरे परिवार के साथ खूब प्रेम और अनंत साधुवाद!
Pargat, divas kya h pargat singh kon h
पोप पादरी कहने के बाद इन्होंने माफ़ कीजिए क्यों कहा? चलिए ये पहले कबीर पंथी हैं, जिन्होंने कबीर जी के जन्म की सच्चाई को स्वीकार किया, जन्म पर कबीर साहेब की तो कोई तो कोई ग़लती नहीं, चमत्कार को तो ये लोग नहीं मानते, ये चमत्कार को नमस्कार करने वाले लोग नहीं हैं , क्योंकि ये हर बार कहते हैं। बिना मां बाप के कोई पैदा हो ही नहीं सकता तो फिर कबीर साहेब के जन्म दाता माता पिता कोई न कोई तो होंगे ही?
बहुत खूब....
जब हमने पोप पादरी के बाद माफ कीजिए कहा तो वहां पर पोप पादरी कहने का कोई तुक ही नहीं था। इसे समझने के लिए आप उसे फिर से कई बार सुन सकते हैं।
रही बात सतगुरु कबीर साहेब के मां-बाप की तो जरूर कोई ना कोई मां-बाप था लेकिन उसका पता नहीं चला जैसे सीता माता का पता नहीं चला।
यही कारण यही बात आप रमाशंकर साहेब जैसे कबीर पंथियों को समझाइए जो कहते हैं, ब्रह्मा जी के मुख पर कौन संभोग करने गया था, भगवान होते नहीं है, वेद वेद नहीं भेद है,बाम्हन से गदहा भला ,आन देव ते कुत्ता, मुलना से मुलना भला शहर जगावे सुत्ता ,। आप ऐसी भाषा का प्रयोग करेंगे तो क्या देवों की पूजा करने वाले लोग आपका सम्मान करेंगे क्या ब्राह्मण आपका आदर करेंगे, जिनको आप गदहा कह रहे हैं, सम्मान पाने के लिए दूसरों को सम्मान देना पड़ता है भाई साहब आपने सीता को मां नहीं कहा? मां तो मां है चाहे किसी की हो हमें तो केवल यही चीज खटकता है आप अपने आप को सर्वोपरि बताने के लिए किसी और धर्म को या देवी देवताओं के अपमान का सहारा लेते हैं , हमें कबीर साहेब को सर्वश्रेष्ठ मानने से कोई इनकार नहीं पर आप हमारे देवी देवताओं को तो अपमानित करके हमारी भावनाओं को आहत ना करें साहेब बंदगी साहेब ।
दुश्मन देश यही चाहता है कि हम वैचारिक और जातिगत भेदभाव में बंटे रहें और एक दूसरे के खिलाफ लड़ते रहे और एक न हो ताकि उनका उल्लू सीधा हो महमूद गजनवी १७ बार हारा फिर भी आक्रमण किया क्योंकि वह जानता था कि यहां के लोग तो एक रसोई पर भोजन बनाना पसंद नहीं करते साथ खाना पसंद नहीं करते, चढ़ाई करने से पहले उसने अपने गुप्तचर को दिल्ली खबर लेने भेजा गुप्तचर ने सूचना दी कि सैनिक लोग अपनी अपनी रसोई अलग अलग बना रहे हैं, तभी वह समझ गया कि इस बार सफलता अवश्य मिलेगी और हुआ वहीं जो साथ खा नहीं सकते उनमें मतैक्य कहां होगा हम एक बनकर सोचे मैं समझता हूं कबीर जी का सिद्धांत भी यही रहा होगा ।
तुम्हारे लिए कबीर साहेब के विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है फालतू क्यों बकवासकरते हो कबीर सागर पड़ा है क्या तुमने