|| परमात्मा क्या है?: सद्गुरु सिद्धार्थ औलिया ||
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- Опубликовано: 20 окт 2024
- परमात्मा क्या है?: सद्गुरु सिद्धार्थ औलिया
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Ref: DC-233
नमन् गुरुदेव❤❤❤🙏🙏🙏🙏💚💓💙💖💕💜🧡💚💙💙
JAI SAMRATHGURU JI🙏
AHOBHAAV SAMRATHGURU JI🙏
🙌
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समर्थगुरूदेव के चरणो में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🌹🌹
ओम् श्री गुरुवे नम:🙏🌹🙏
Ahobhav Samarthguru 🙇 🙇 🙇 ❤️
Ahobhav Samarthguru ❤❤❤
Jai 🌹 🌷 🌹 🌷 🌹 🌷 🌹 🌷 🌹 🌷 🌹 Sadgurudev Ji
जय समर्थ गुरु देव जय ओशो 🎉🎉❤❤
Gratitude beloved Samarthgurudev🌹🙏
प्यारे समर्थगुरु बाबा के श्री चरण कमलों में अनंत अनंत प्रणाम अहोभाव 💐💐💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏🙏🛐🛐🛐🛐🛐🛐🛐☘️🌺🍀🌻🌹☘️🌺🍀🌻🌹🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Pranam Naman Ahobhav Samarthguruji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🕉️ अहोभाव बाबा🙇🕉️🌹🙏
समर्थगुरूदेव के चरणो में प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🌹🌹
🙏💓🧡💚👑💚🧡💓🙏
Jay guru dev ❤
❤❤❤🙏🙏🙏❤️❤️❤️
❤❤❤❤
Jay ho satguru ji ki
Very Divine explanation. 🕉 SAIRAM 🙏
ओहो भाव गुरूदेव 🙏🙏💐💐
Naman Sadguru ji 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
♥️🥀🌼🌺Naman sadgurudev ji🌺🌼🥀♥️
🙏🙏🙇♀️🙏🙏
🌼🙏🌹
Thanks & Gratitude Respected Beloved Sadgurudev for Nice Guidance 🙏🌹
🙏🏼🙏🏼🌹❤️💜❤️🌹🙏🏼🙏🏼
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।।मुक्तक छंद कविता।।सतधाम की स्वानुभूति पर आधारित छंद रचना।।,,गगन गरजि बरसै अमी, बादल गहर गम्भीर। चहुँ दिस दमके दामिनी, भीजै दास कबीर।।गगन मंडल के बीच मे, झलके सत का नूर। निगुरा गम पावे नही, पहुंचे गुरु मुख सूर।।01।।गगन मंडल के बीच मे, महल पडा एक चीन्ह। कहे कबीर सो पावही, जिहि गुरु परिचय दीन्ह।।गगन मंडल के बीच मे, बिना कलम की छाप। पुरुष तहाँ एक रमि रहा, नही मंत्र नही जाप।।02।।गगन मंडल के बीच मे,तुरी तत्व एक गाँव। लच्छ निशाना रुप का, परखि दिखाया ठांव।।गगन मंडल के बीच मे, जहाँ सोहंगम डोर। शब्द अनासत होत है, सुरति लगी तहं मोर।।03।।गरजै गगन अमी चुवै, कदली कमल प्रकाश। तहाँ कबीरा संत जन, सत पुरुष के पास।।गरजै गगन अमी चुवै, कदली कमल प्रकाश। तहाँ कबीरा बंदगी, कर कोई निज दास।।04।।दीपक जोया ज्ञान का, देखा अपरम देव। चार वेद की गम नही, तहाँ कबीरा सेव।।मान सरोवर सुगम जल, हंसा केलि कराय। मुक्ताहल चुगै, अब उडि अंत ना जाय।।05।।सुन्न महल मे घर किया, बाजे शब्द रसाल। रोम रोम दीपक भया, प्रगटे दीन दयाल।।पूरे से परिचय भया, दुख सुख मेला दूर। जम सो बाकी कटि गयी, साँई मिला हजूर।।06।।सुरति उडानी गगन को, चरन बिलंबी जाय। सुख पाया साहेब मिला, आनंद उर ना समाय।।निर्गुण राम निरंजन राया, जिसने सकल सृष्टी उपजाया। निर्गुण सगुण दोऊ से न्यारा, कहे साँई अरुण जी महाराज सो राम हमारा।।07।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
at 3:39...only advaita vedanta accepts God as Nirguna...
एक बात जो इश्वर को जानने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है वो ये है इश्वर जीव की कोटि में नहीं आता l बाकी सारे देवी देवता और सभी जीव जंतु, मनुष्य आदि सब जीव की कोटि में आते है l जीव की भी 33 कोटि है l इसीलिए इश्वर के समकक्ष किसी को नहीं मानना चाहिए ये सबसे बड़ी गलती है l इसको इस्लाम में शिर्क कहते है यानी इश्वर के समकक्ष किसी को मानना या उसका पार्टनर मानना इसी को व्याभिचार कहते है जिस प्रकार व्यभिचार एक अत्यन्त बुरा और निंदनीय कार्य माना जाता है l उसी प्रकार इश्वर के साथ किसी को सम्मलित करना भी अत्यंत निंदनीय माना गया है l इसको इस तरह समझे पूरे ब्रह्माण्ड में देवता भी अनेक है, मनुष्य भी अनेक है जीव जन्तु भी अनेक है कोई इस बात का दावा नहीं कर सकता कि मेरे जैसा कोई और नहीं, केवल इश्वर ही ऐसा है जिसके जैसा दूसरा कोई नहीं l
Jai Samrathguru ji 🙏
Ahobhav Samrathguru ji 🙏
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