निपजे निपजे र बीरा* निपजे निपजे र बीरा म्हारे रे साध के ए ऊन्यालो स्यालो नीफ्जे-२॥ मनवो हाली चल्यो खेत में काँधे ज्ञान कुँहाड़ी। भरे खेत में दो दो काटे, पाप, कुबद की डाली ॥ १ ॥ मनवो हाली, मनस्या हालन, छक सुँवारी ल्याये । पैली तो या साथ जिमाये, पाछे काम कराव- खेती ॥२॥ चन्दन चौकी चढ्यो हूँचवें, खेत चिड़कली खावै। ज्ञान का गोफिया लिया रे हाथ में कुबद चिड़कली उड़ावे क खेती नीपजै ॥ ३॥ पचलंग पाल मेढ़ कर मन की पाँच बलदिया जागी ॐ सोह का देकर पलटा कुरक कुरक बरसाये ॥ ४ ॥ धोला सा दोय बैल हमारे रास पुराणी सेती। कहत कबीर सुनो भाई साधो या साधों की खेती खेती ॥ ५ ॥ मुझसे अगर इस भजन मे त्रुटि हुई हो तो क्षमाप्रार्थी! जय श्री नाथजी की
निपजै निपजै रे बीरा-म्हारे रे साधा के।ऐ उनाल्यों, स्यालो निपजै रे॥टेर॥ मनवो हाली चल्यो खेत मे, काँधे ज्ञान कुवाड़ी।भरे खेत में दो दो काटे, पाप कुबद की डाली॥1॥ मनवो हाली, मनसा हालन, छाक सुवारी ल्याव।पहली तो या साध जीमाव, पाछे काम करावै॥2॥ चन्दन चौकी चढ़यो डूचँव, खेत चिडकलि खावे।ज्ञान का गोफिल लिया है हाथ में, कुबद चिडकलि उड़ावे॥3॥ पचलँग पाल मेढ कर मनकी, पाँच बलदियां जोती।ओम् सोह का पलटा देकर, कुरक कुरक बरसाव॥4॥ धोला सा दोय बैल हमारा, रास पुरानी सेती।कहत कबीर सुनो भाई साधो, या साधा की खेती॥5॥
😊😊😊 bol nath ji maharaj ki jai ❤❤
जय श्री नाथ जी
हर हर महादेव
jay nath ji
निपजे निपजे र बीरा*
निपजे निपजे र बीरा म्हारे रे साध के ए ऊन्यालो स्यालो नीफ्जे-२॥ मनवो हाली चल्यो खेत में काँधे ज्ञान कुँहाड़ी। भरे खेत में दो दो काटे, पाप, कुबद की डाली ॥ १ ॥ मनवो हाली, मनस्या हालन, छक सुँवारी ल्याये । पैली तो या साथ जिमाये, पाछे काम कराव- खेती ॥२॥ चन्दन चौकी चढ्यो हूँचवें, खेत चिड़कली खावै। ज्ञान का गोफिया लिया रे हाथ में कुबद चिड़कली उड़ावे
क खेती नीपजै ॥ ३॥
पचलंग पाल मेढ़ कर मन की पाँच बलदिया जागी ॐ सोह का देकर पलटा कुरक कुरक बरसाये ॥ ४ ॥ धोला सा दोय बैल हमारे रास पुराणी सेती। कहत कबीर सुनो भाई साधो या साधों की खेती खेती ॥ ५ ॥
मुझसे अगर इस भजन मे त्रुटि हुई हो तो क्षमाप्रार्थी! जय श्री नाथजी की
भजन में त्रुटि नहीं भजन को समझना चाहिए
जय श्री नाथजी महाराज🙏🙏🙏
🎉🎉😢
😢🎉🎉😢🎉🎉😢🎉🎉55🎉🎉🎉🎉🎉5😢🎉🎉😂🎉🎉🎉4454🎉🎉🎉
Shankar pujan Chali gourja ratinathji maharaj k bol likh de humble request
Sadguru Kabeer Saheb ki jai
निपज निपज रे बिरा भजन लिखीत भेजने की क्रपा करे
निपजै निपजै रे बीरा-म्हारे रे साधा के।ऐ उनाल्यों, स्यालो निपजै रे॥टेर॥
मनवो हाली चल्यो खेत मे, काँधे ज्ञान कुवाड़ी।भरे खेत में दो दो काटे, पाप कुबद की डाली॥1॥
मनवो हाली, मनसा हालन, छाक सुवारी ल्याव।पहली तो या साध जीमाव, पाछे काम करावै॥2॥
चन्दन चौकी चढ़यो डूचँव, खेत चिडकलि खावे।ज्ञान का गोफिल लिया है हाथ में, कुबद चिडकलि उड़ावे॥3॥
पचलँग पाल मेढ कर मनकी, पाँच बलदियां जोती।ओम् सोह का पलटा देकर, कुरक कुरक बरसाव॥4॥
धोला सा दोय बैल हमारा, रास पुरानी सेती।कहत कबीर सुनो भाई साधो, या साधा की खेती॥5॥
जय श्री नवा नाथ जी महाराज की जय हो
जय श्री रतिनाथ जी महाराज की जय हो
Jai shire nath ji ki 🙏
Jai shree Ram