आदिवासी कला के संरक्षक: पद्मश्री रमेश परमार की प्रेरणादायक यात्रा

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  • Опубликовано: 8 сен 2024
  • अपनी कला और पेन्टिंग से जनजातीय संस्कृति और परंपरा को घर-घर तक पहुंचाने वाले आदिवासी शिल्पकार रमेश परमार मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के रहने वाले हैं। वर्षों पहले रमेश के दादा और परदादा लेदर शिल्प का कार्य करते थे।
    लेकिन वर्ष 1986 में उनकी पत्नी शांति परमार ने आदिवासी गुड़िया का प्रशिक्षण लेकर अपनी कला को और अधिक मजबूत बनाया। पारंपरिक जनजातीय पोशाक से जनजातीय गुड़िया बनाने वाले रमेश और शांति को 5 अप्रैल 2023 को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आज रमेश परमार अपने परिवार के साथ ही स्कूली बच्चों और महिलाओं को प्रशिक्षण देकर इस लुप्त होती आदिवासी कला को एक नई पहचान दे रहे हैं।
    कला की इस यात्रा को तेजी से आगे बढ़ाने में रमेश एनएसडीसी का हार्दिक धन्यवाद करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
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