| Shahi Hammam | नहाते समय इन मटकों में उतारती थी रानियाँ अपने जेवरात, राजाओं के शाही बाथरूम! देख लो

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  • Опубликовано: 9 сен 2024
  • | Shahi Hammam | Orchha | नहाते समय इन मटकों में उतारती थी रानियाँ अपने जेवरात, राजा-महाराजाओं के बाथरूम कितने शाही होते थे!
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    नमस्कार दोस्तों मैं हूं विक्रम और आज आपको मैं बुंदेलखंड ओरछा की कुछ ऐसी ऐतिहासिक इमारतों के बारे में बताने जा रहा हूं। जिनका संबंध जहां के राजा रुद्र प्रताप से शुरू होता है।
    शाही हमाम की विशेषताएं:--
    1.शाही हमाम का आर्किटेक्चर आज से 400 वर्ष पुराना है जो बुंदेलखंड के राजा वीर सिंह जूदेव ने अपने समकालीन यानी कि अपने शासन में बनवाया था।
    2. बुंदेलखंड का इतिहास महाभारत शासन कालीन समय में चेदि महाजनपद के नाम से भी जाना जाता था। और उस समय भगवान कृष्ण के कजन शिशुपाल यहां के राजा हुआ करते थे।
    3. सोहनपाल बुंदेला ने खेत सिंह खंगार को हराकर बुंदेलखंड की नींव रखी थी लेकिन करण सिंह पंचम बुंदेलखंड के पहले राजा माने जाते हैं
    4.शाही हमाम की वास्तुकला भारत में प्रसिद्ध मुगल और हिंदू स्थापत्य कला के ऊपर आधारित है
    5.शाही हमाम के अंदर बने हुए कक्ष एक वक्त पहले काफी ज्यादा सुंदर और आकर्षित रहते होंगे क्योंकि 400 वर्ष बीतने के बाद भी इनकी वह चमक आज बेशक से धुंधली हो गई है लेकिन अपने उस डिजाइन को और वास्तुकला को आज पेश कर रही है
    6. यहां पर रानियों राजाओं राजकुमार और राजकुमारियों व अतिथियों के नहाने के लिए शाही बंदोबस्त देखने को मिलता है जिसमें से काफी सारे ऐसे कुंड बने हुए हैं जहां पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि शायद यहां पर गरम पानी ठंडे पानी वह गुलाब वाले पानी की व्यवस्था उस वक्त में रही होगी।
    7.दीवार के अंदर बने हुए घडे जिनको देखकर एक बार हम भी काफी ज्यादा चकित और हैरान हो गए थे शायद इन घरों के अंदर रानियां नहाते वक्त अपने कीमती आभूषण व जेवरातओं को यहां पर सुरक्षा दृष्टि के उद्देश्य से छुपा कर रखती होंगी।
    8. शाही हमाम की छत के ऊपर से आसानी से यह देखा जा सकता है कि अंदर वाले कक्षाओं में रोशनी के लिए यहां पर कितने बड़े-बड़े होल बनाए गए थे।
    9. शाही हमाम के सामने घोड़ों को संभालने के सेनापति यानी कि ओझा के मकान के कुछ अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।
    10. राजघराने के मुख्य सदस्यों को बाहर जाने के लिए जिस दरवाजे का प्रयोग किया जाता था। उसे आज के समय हम शाही दरवाजे के नाम से जानते हैं और इसी दरवाजे के माध्यम से सभी बुंदेली फैमिली के राजा महाराजा, रानियां परिवार के अन्य सदस्य व आने वाले सभी अतिथि गण यहीं से बाहर जाते थे और आते थे।

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