बहुत अच्छी जानकारी दी गई है किन्तु पाश्चात्य भूमि संबंधों का आधार स्पष्ट नहीं किया गया।एक एक पीढ़ी कहीं ग ई पुत्र पौत्र प्रपौत्र सभी को भार्गव वंशी कहा गया है। धन्यवाद
यह ज्ञान आज कल मिलता कहा है इसी से तो पता चलता है कि हमारी संस्कृति कहा तक फैली हुई थीं जो आज कल कितने छोटे छोटे हिस्सों में बांट कर झगड़ों का कारण बन गये
महर्षि भृगु के भी दो विवाह हुए,इनकी पहली पत्नी दैत्यराज हिरण्यकश्यप की पुत्री दिव्या थी।दूसरी पत्नी दानवराज पुलोम की पुत्री पौलमी थी। पहली पत्नी दैत्यराज हिरण्यकश्यप की पुत्री दिव्या देवी से भृगु मुनि के दो पुत्र हुए,जिनके नाम शुक्र और त्वष्टा रखे गए। भार्गवों में आगे चलकर आचार्य बनने के बाद शुक्र को शुक्राचार्य के नाम से और त्वष्टा को शिल्पकार बनने के बाद विश्वकर्मा के नाम से जाना गया। इन्ही भृगु मुनि के पुत्रों को उनके मातृवंश अर्थात दैत्यकुल में शुक्र को काव्य एवं त्वष्टा को मय के नाम से जाना गया है। Sir, as per your statement, Bhrigu Rishi got married to Divya and gave birth to two sons, one is Shukra Charya, and the other is Tavasta / Vishwakarma, that means, as of now Vishwakarma people or Shilpkaar community are all descendants of rishi bhrigu and brahmins, whereas as per the social systems, they are covered under the shudra community. Please clear?
इस समय की जो सामाजिक स्थिति है उसकी बात करें तो विश्वकर्मा जी के वंशज शुद्र हैं क्योंकि उस काल मे जन्म से कोई ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र नहीं होता था वे कर्म से होते थे हमारे हर एक ग्रन्थ में कर्म को प्रधान कहा गया है क्षत्रिय कुल में जन्मे राजा कौशिक कर्म के बल पर ब्राह्मण बने व महर्षि विश्वामित्र कहलाये, रावण ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भी राक्षस कहलाया ऐसे और भी बहुत उदाहरण हैं
@@ReetKnowledgeTV , Ravan was Rakaksha, but still, he was a Brahmin, everyone knows why he did not convert shudra, Vishwakarma was involved in intellectual work and originated shilpa shastra, has knowledge of all technologies and sciences and engineering works and needed an especial knowledge for perform of such task, like ayurveda, medical science, jyotish shastra, etc., who have involved brahmins and still called brahmins, then how Vishwakarma ji become shudra form brahmins. Please clear?
श्री वि श्वकर्मा भगवा न (Atul jangid bhraman jai rishi aangera jai vihwakarma) हम अपने प्रा ची न ग्रंथो उपनि षद एवं पुरा ण आदि का अवलो कन करें तो पा येगें कि आदि का ल से ही भगवा न वि श्वकर्मा शि ल्पी अपने वि शि ष्ट ज्ञा न एवं वि ज्ञा न के का रण ही न मा त्र मा नवों अपि तु देवगणों द्वा रा भी पूजि त और वंदि त है। भगवा न वि श्वकर्मा के आवि ष्का र एवं नि र्मा ण को र्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी , यमपुरी , वरुणपुरी , कुबेरपुरी , पा ण्डवपुरी , सुदा मा पुरी , शि वमण्डलपुरी आदि का नि र्मा ण इनके द्वा रा कि या गया है। पुष्पक वि मा न का नि र्मा ण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनि क उपयो गी हो नेवा ले वस्तुएं भी इनके द्वा रा ही बना या गया है। कर्ण का कुण्डल, वि ष्णु भगवा न का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवा न का त्रि शुल और यमरा ज का का लदण्ड इत्या दि वस्तुओं का नि र्मा ण भगवा न वि श्वकर्मा ने ही कि या है। भगवा न वि श्वकर्मा ने ब्रम्हा जी की उत्पत्ति करके उन्हे प्रा णी मा त्र का सृजन करने का वरदा न दि या और उनके द्वा रा 84 ला ख यो नि यों को उत्पन्न कि या । श्री वि ष्णु भगवा न की उत्पत्ति कर उन्हे जगत में उत्पन्न सभी प्रा णि यों की रक्षा और भगण- पो षण का का र्य सौ प दि या । प्रजा का ठी क सुचा रु रूप से पा लन और हुकुमत करने के लि ये एक अत्यंत शक्ति शा ली ति व्रगा मी सुदर्शन चक्र प्रदा न कि या । बा द में संसा र के प्रलय के लि ये एक अत्यंत दया लु बा बा भो लेना थ श्री शंकर भगवा न की उत्पत्ति की । उन्हे डमरु, कमण्डल, त्रि शुल आदि प्रदा न कर उनके लला ट पर प्रलयका री ति सरा नेत्र भी प्रदा न कर उन्हे प्रलय की शक्ति देकर शक्ति शा ली बना या । यथा नुसा र इनके सा थ इनकी देवि यां खजा ने की अधि पति माँ लक्ष्मी , रा ग-रा गि नी वा ली वी णा वा दि नी माँ सरस्वती और माँ गौ री को देकर देंवों को सुशो भि त कि या । हमा रे धर्मशा स्त्रो और ग्रथों में वि श्वकर्मा के पाँ च स्वरुपों और अवता रों का वर्णन प्रा प्त हो ता है। वि रा ट वि श्वकर्मा - सृष्टि के रचेता धर्मवंशी वि श्वकर्मा - महा न शि ल्प वि ज्ञा न वि धा ता प्रभा त पुत्र अंगि रा वंशी वि श्वकर्मा - आदि वि ज्ञा न वि धा ता वसु पुत्र सुधन्वा वि श्वकर्म - महा न शि ल्पा चा र्य वि ज्ञा न जन्मदा ता ऋशि अथवी के पा त्र भृंगुवंगुवंशी वि श्वकर्मा - उत्कृष्ट शि ल्प वि ज्ञा ना चा र्य (शुक्रा चा र्य के पौ त्र)
Can you please share historical reference for proto Elamite connections, Hufu Africans n Mayans ? Proto Elamite ka varnan itihas Ya puranon mein Kahan milta hai krupaya share kijiye 🙏
हमरा बताने का मतलब है , कि लोग सनातन धर्म को कमजोर कर रहे है उसको ताकत मिले बहुत हिन्दू धर्म परिवर्तन कर रहे है बहुत नास्तिक हो गए है उनलोगो को भी अपने धर्म के बारे मैं ज्ञान हो और वो इधर उधर भटके न पहले मै भी सोचती थी कि सब इन चार युगो मैं हुआ है , लेकिन भागवत पुराण पढने के बाद पता चला कि चतुर युग किया होता हे मन्मन्तर किया होता है और किस मन्मन्तर किया किया हुआ है ।
@@seemasah289 आपके विचार उत्तम हैं, आप भगवद प्रेमी हो, हम भी सनातन धर्म, हिन्दू धर्म, चारों वर्णों और सभी हिन्दू जातियों के प्रचार की एक छोटी सी कोशिश कर रहे हैं। आशा है कि आपको हमारे विडीओ पसंद आते होंगे। सभी वीडियो ज्ञान वर्धक हैं कुछ वीडियो भारत की सभ्यता को दर्शाने के उद्देश्य से भी बनाई गई हैं।
Atul indoriya jangid bhraman( bhadoria hamare mummy ka goot hai aap ka sasan to bhadoria hai pr goot bhardwaj hai mera pass ek book hai us me sabhi goot sasan hai श्री वि श्वकर्मा भगवा न हम अपने प्रा ची न ग्रंथो उपनि षद एवं पुरा ण आदि का अवलो कन करें तो पा येगें कि आदि का ल से ही भगवा न वि श्वकर्मा शि ल्पी अपने वि शि ष्ट ज्ञा न एवं वि ज्ञा न के का रण ही न मा त्र मा नवों अपि तु देवगणों द्वा रा भी पूजि त और वंदि त है। भगवा न वि श्वकर्मा के आवि ष्का र एवं नि र्मा ण को र्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी , यमपुरी , वरुणपुरी , कुबेरपुरी , पा ण्डवपुरी , सुदा मा पुरी , शि वमण्डलपुरी आदि का नि र्मा ण इनके द्वा रा कि या गया है। पुष्पक वि मा न का नि र्मा ण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनि क उपयो गी हो नेवा ले वस्तुएं भी इनके द्वा रा ही बना या गया है। कर्ण का कुण्डल, वि ष्णु भगवा न का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवा न का त्रि शुल और यमरा ज का का लदण्ड इत्या दि वस्तुओं का नि र्मा ण भगवा न वि श्वकर्मा ने ही कि या है। भगवा न वि श्वकर्मा ने ब्रम्हा जी की उत्पत्ति करके उन्हे प्रा णी मा त्र का सृजन करने का वरदा न दि या और उनके द्वा रा 84 ला ख यो नि यों को उत्पन्न कि या । श्री वि ष्णु भगवा न की उत्पत्ति कर उन्हे जगत में उत्पन्न सभी प्रा णि यों की रक्षा और भगण- पो षण का का र्य सौ प दि या । प्रजा का ठी क सुचा रु रूप से पा लन और हुकुमत करने के लि ये एक अत्यंत शक्ति शा ली ति व्रगा मी सुदर्शन चक्र प्रदा न कि या । बा द में संसा र के प्रलय के लि ये एक अत्यंत दया लु बा बा भो लेना थ श्री शंकर भगवा न की उत्पत्ति की । उन्हे डमरु, कमण्डल, त्रि शुल आदि प्रदा न कर उनके लला ट पर प्रलयका री ति सरा नेत्र भी प्रदा न कर उन्हे प्रलय की शक्ति देकर शक्ति शा ली बना या । यथा नुसा र इनके सा थ इनकी देवि यां खजा ने की अधि पति माँ लक्ष्मी , रा ग-रा गि नी वा ली वी णा वा दि नी माँ सरस्वती और माँ गौ री को देकर देंवों को सुशो भि त कि या । हमा रे धर्मशा स्त्रो और ग्रथों में वि श्वकर्मा के पाँ च स्वरुपों और अवता रों का वर्णन प्रा प्त हो ता है। वि रा ट वि श्वकर्मा - सृष्टि के रचेता धर्मवंशी वि श्वकर्मा - महा न शि ल्प वि ज्ञा न वि धा ता प्रभा त पुत्र अंगि रा वंशी वि श्वकर्मा - आदि वि ज्ञा न वि धा ता वसु पुत्र सुधन्वा वि श्वकर्म - महा न शि ल्पा चा र्य वि ज्ञा न जन्मदा ता ऋशि अथवी के पा त्र भृंगुवंगुवंशी वि श्वकर्मा - उत्कृष्ट शि ल्प वि ज्ञा ना चा र्य (शुक्रा चा र्य के पौ त्र)
aare bhai hum aangera vanshi hai bhaegov nhai jai vishwakarma हमा रे धर्मशा स्त्रो और ग्रथों में वि श्वकर्मा के पाँ च स्वरुपों और अवता रों का वर्णन प्रा प्त हो ता है। वि रा ट वि श्वकर्मा - सृष्टि के रचेता धर्मवंशी वि श्वकर्मा - महा न शि ल्प वि ज्ञा न वि धा ता प्रभा त पुत्र अंगि रा वंशी वि श्वकर्मा - आदि वि ज्ञा न वि धा ता वसु पुत्र सुधन्वा वि श्वकर्म - महा न शि ल्पा चा र्य वि ज्ञा न जन्मदा ता ऋशि अथवी के पा त्र भृंगुवंगुवंशी वि श्वकर्मा - उत्कृष्ट शि ल्प वि ज्ञा ना चा र्य (शुक्रा चा र्य के पौ त्र)
श्री वि श्वकर्मा भगवा न हम अपने प्रा ची न ग्रंथो उपनि षद एवं पुरा ण आदि का अवलो कन करें तो पा येगें कि आदि का ल से ही भगवा न वि श्वकर्मा शि ल्पी अपने वि शि ष्ट ज्ञा न एवं वि ज्ञा न के का रण ही न मा त्र मा नवों अपि तु देवगणों द्वा रा भी पूजि त और वंदि त है। भगवा न वि श्वकर्मा के आवि ष्का र एवं नि र्मा ण को र्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी , यमपुरी , वरुणपुरी , कुबेरपुरी , पा ण्डवपुरी , सुदा मा पुरी , शि वमण्डलपुरी आदि का नि र्मा ण इनके द्वा रा कि या गया है। पुष्पक वि मा न का नि र्मा ण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनि क उपयो गी हो नेवा ले वस्तुएं भी इनके द्वा रा ही बना या गया है। कर्ण का कुण्डल, वि ष्णु भगवा न का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवा न का त्रि शुल और यमरा ज का का लदण्ड इत्या दि वस्तुओं का नि र्मा ण भगवा न वि श्वकर्मा ने ही कि या है। भगवा न वि श्वकर्मा ने ब्रम्हा जी की उत्पत्ति करके उन्हे प्रा णी मा त्र का सृजन करने का वरदा न दि या और उनके द्वा रा 84 ला ख यो नि यों को उत्पन्न कि या । श्री वि ष्णु भगवा न की उत्पत्ति कर उन्हे जगत में उत्पन्न सभी प्रा णि यों की रक्षा और भगण- पो षण का का र्य सौ प दि या । प्रजा का ठी क सुचा रु रूप से पा लन और हुकुमत करने के लि ये एक अत्यंत शक्ति शा ली ति व्रगा मी सुदर्शन चक्र प्रदा न कि या । बा द में संसा र के प्रलय के लि ये एक अत्यंत दया लु बा बा भो लेना थ श्री शंकर भगवा न की उत्पत्ति की । उन्हे डमरु, कमण्डल, त्रि शुल आदि प्रदा न कर उनके लला ट पर प्रलयका री ति सरा नेत्र भी प्रदा न कर उन्हे प्रलय की शक्ति देकर शक्ति शा ली बना या । यथा नुसा र इनके सा थ इनकी देवि यां खजा ने की अधि पति माँ लक्ष्मी , रा ग-रा गि नी वा ली वी णा वा दि नी माँ सरस्वती और माँ गौ री को देकर देंवों को सुशो भि त कि या । हमा रे धर्मशा स्त्रो और ग्रथों में वि श्वकर्मा के पाँ च स्वरुपों और अवता रों का वर्णन प्रा प्त हो ता है। वि रा ट वि श्वकर्मा - सृष्टि के रचेता धर्मवंशी वि श्वकर्मा - महा न शि ल्प वि ज्ञा न वि धा ता प्रभा त पुत्र अंगि रा वंशी वि श्वकर्मा - आदि वि ज्ञा न वि धा ता वसु पुत्र सुधन्वा वि श्वकर्म - महा न शि ल्पा चा र्य वि ज्ञा न जन्मदा ता ऋशि अथवी के पा त्र भृंगुवंगुवंशी वि श्वकर्मा - उत्कृष्ट शि ल्प वि ज्ञा ना चा र्य (शुक्रा चा र्य के पौ त्र)
मेरे सभी भार्गव भाई बहन आप इस समय कहा रहते हैं??🙏🙏
Yahi hai bhai
All over world...
Yahi rehte hai
Rajasthan
Chamba
जय जय भृगु मुनि जी की जय
कितना knowledge हे इस वीडियो में जय शुक्र देव ।।
bahut important jankari dhanyvad sabhi Bhargav ko Mera pranam❤❤
Thanks, I'm proud that I'm Bhargavavanshi
I am also bhriguvanshi Rajput
बहुत अच्छी जानकारी दी गई है किन्तु पाश्चात्य भूमि संबंधों का आधार स्पष्ट नहीं किया गया।एक एक पीढ़ी कहीं ग ई पुत्र पौत्र प्रपौत्र सभी को भार्गव वंशी कहा गया है। धन्यवाद
Very nice information and history. Many Bhargava also do not know this. Thanks for sharing
Me bhi bhargav hu mujhe hmare baare me information Dena ke liye thank very much mujhe mere itihas jankr Khushi Hui ♥️♥️♥️
Ultimate Gyan and Ultimate Knowledge Excellent 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
बहुत अच्छा लगा जय श्री राम
आपने जो वीडियो बनाया है जो बातें बताई है सब सही धन्यवाद
Excellent For very informative Video
यह ज्ञान आज कल मिलता कहा है इसी से तो पता चलता है कि हमारी संस्कृति कहा तक फैली हुई थीं जो आज कल कितने छोटे छोटे हिस्सों में बांट कर झगड़ों का कारण बन गये
जय विश्कर्मा भृगु
I am from Ballia Jai bhirgu baba ki
Maharishi Bhrigu ki jai ho
जय श्री परशुराम
Jai ho brighuvanshi
बहुत सुंदर जानकारी धन्यवाद
Nice information
जय भृगु ऋषी जय
Baho accha laga video! Dhanyavad.
Bahut sundar varnan..
बोले बोले भृगु बाबा की जय
Jay 🙏 parshuram
जानकारी के लिये धन्यवाद ! शादी,रुतबा,जंग, नाराज आदि शब्दों के स्थान पर अच्छी हिन्दी का प्रयोग अति उत्तम होगा।
जी अवश्य
Thank you for bringing out this well researched information
Proud to be bhargava
Kha se ho
Bhirguasram से हूं बलिआ .. से.
आचार्य भृगऋशी महाराज समाधी मठ भुईंज 🚩
महर्षि भृगु के भी दो विवाह हुए,इनकी पहली पत्नी
दैत्यराज हिरण्यकश्यप की पुत्री दिव्या थी।दूसरी पत्नी
दानवराज पुलोम की पुत्री पौलमी थी।
पहली पत्नी दैत्यराज हिरण्यकश्यप की पुत्री दिव्या देवी से
भृगु मुनि के दो पुत्र हुए,जिनके नाम शुक्र और त्वष्टा रखे
गए। भार्गवों में आगे चलकर आचार्य बनने के बाद शुक्र को
शुक्राचार्य के नाम से और त्वष्टा को शिल्पकार बनने के बाद
विश्वकर्मा के नाम से जाना गया। इन्ही भृगु मुनि के पुत्रों को
उनके मातृवंश अर्थात दैत्यकुल में शुक्र को काव्य एवं त्वष्टा
को मय के नाम से जाना गया है।
Sir, as per your statement, Bhrigu Rishi got married to Divya and gave birth to two sons, one is Shukra Charya, and the other is Tavasta / Vishwakarma, that means, as of now Vishwakarma people or Shilpkaar community are all descendants of rishi bhrigu and brahmins, whereas as per the social systems, they are covered under the shudra community. Please clear?
इस समय की जो सामाजिक स्थिति है उसकी बात करें तो विश्वकर्मा जी के वंशज शुद्र हैं क्योंकि उस काल मे जन्म से कोई ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र नहीं होता था वे कर्म से होते थे हमारे हर एक ग्रन्थ में कर्म को प्रधान कहा गया है क्षत्रिय कुल में जन्मे राजा कौशिक कर्म के बल पर ब्राह्मण बने व महर्षि विश्वामित्र कहलाये, रावण ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भी राक्षस कहलाया ऐसे और भी बहुत उदाहरण हैं
@@ReetKnowledgeTV , Ravan was Rakaksha, but still, he was a Brahmin, everyone knows why he did not convert shudra, Vishwakarma was involved in intellectual work and originated shilpa shastra, has knowledge of all technologies and sciences and engineering works and needed an especial knowledge for perform of such task, like ayurveda, medical science, jyotish shastra, etc., who have involved brahmins and still called brahmins, then how Vishwakarma ji become shudra form brahmins. Please clear?
Nice video
श्री वि श्वकर्मा भगवा न (Atul jangid bhraman jai rishi aangera jai vihwakarma)
हम अपने प्रा ची न ग्रंथो उपनि षद एवं पुरा ण आदि का अवलो कन करें तो पा येगें कि आदि का ल से ही भगवा न वि श्वकर्मा
शि ल्पी अपने वि शि ष्ट ज्ञा न एवं वि ज्ञा न के का रण ही न मा त्र मा नवों अपि तु देवगणों द्वा रा भी पूजि त और वंदि त है। भगवा न
वि श्वकर्मा के आवि ष्का र एवं नि र्मा ण को र्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी , यमपुरी , वरुणपुरी , कुबेरपुरी , पा ण्डवपुरी , सुदा मा पुरी ,
शि वमण्डलपुरी आदि का नि र्मा ण इनके द्वा रा कि या गया है। पुष्पक वि मा न का नि र्मा ण तथा सभी देवों के भवन और उनके
दैनि क उपयो गी हो नेवा ले वस्तुएं भी इनके द्वा रा ही बना या गया है। कर्ण का कुण्डल, वि ष्णु भगवा न का सुदर्शन चक्र, शंकर
भगवा न का त्रि शुल और यमरा ज का का लदण्ड इत्या दि वस्तुओं का नि र्मा ण भगवा न वि श्वकर्मा ने ही कि या है।
भगवा न वि श्वकर्मा ने ब्रम्हा जी की उत्पत्ति करके उन्हे प्रा णी मा त्र का सृजन करने का वरदा न दि या और उनके द्वा रा 84
ला ख यो नि यों को उत्पन्न कि या । श्री वि ष्णु भगवा न की उत्पत्ति कर उन्हे जगत में उत्पन्न सभी प्रा णि यों की रक्षा और भगण-
पो षण का का र्य सौ प दि या । प्रजा का ठी क सुचा रु रूप से पा लन और हुकुमत करने के लि ये एक अत्यंत शक्ति शा ली
ति व्रगा मी सुदर्शन चक्र प्रदा न कि या । बा द में संसा र के प्रलय के लि ये एक अत्यंत दया लु बा बा भो लेना थ श्री शंकर भगवा न
की उत्पत्ति की । उन्हे डमरु, कमण्डल, त्रि शुल आदि प्रदा न कर उनके लला ट पर प्रलयका री ति सरा नेत्र भी प्रदा न कर उन्हे
प्रलय की शक्ति देकर शक्ति शा ली बना या । यथा नुसा र इनके सा थ इनकी देवि यां खजा ने की अधि पति माँ लक्ष्मी , रा ग-रा गि नी
वा ली वी णा वा दि नी माँ सरस्वती और माँ गौ री को देकर देंवों को सुशो भि त कि या ।
हमा रे धर्मशा स्त्रो और ग्रथों में वि श्वकर्मा के पाँ च स्वरुपों और अवता रों का वर्णन प्रा प्त हो ता है।
वि रा ट वि श्वकर्मा - सृष्टि के रचेता
धर्मवंशी वि श्वकर्मा - महा न शि ल्प वि ज्ञा न वि धा ता प्रभा त पुत्र
अंगि रा वंशी वि श्वकर्मा - आदि वि ज्ञा न वि धा ता वसु पुत्र
सुधन्वा वि श्वकर्म - महा न शि ल्पा चा र्य वि ज्ञा न जन्मदा ता ऋशि अथवी के पा त्र
भृंगुवंगुवंशी वि श्वकर्मा - उत्कृष्ट शि ल्प वि ज्ञा ना चा र्य (शुक्रा चा र्य के पौ त्र)
वीडियो बड़ा लोकप्रिय और ज्ञानवर्धक है वंदे मातरम जय श्री राम
My gotra rishi bhrigu ✊
Jay Ho Bhagwan Vishwakarma angira Bansi
Pranam sarw bramhan samaj ko
मैं उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले में रहता हूं और भार्गव ब्राह्मण हूं
Jay Mata Di Jay Shri Mahakal Jay baghuvanshi Jay Guru shukracharya main Rajasthan se Bhargav
Jay ho
NYC described 👌👌👌
Jai shukracharya
जय श्री भृगुजी महाराज।
हम कानपुर में रहते हैं।❤❤
।
Bahut achha
Bhargav...... ❤
Thanks i.m proud that' i.m bhargavanshi
Jai siya ram❤❤❤❤❤❤❤❤ ji ki om Shri brigu namha om shri Guru va namha om
Jay Shree Krishna 🙏
Bahut sundar. Itne विस्तार से jankari pakr bahut achha lga
Thank you sir
@@ReetKnowledgeTV Aapse aagrah hai ki Bhagwan Vishnu ko dharti par avatar lene ka shrap kisne aur kyun diya tha, iss par kripya jankari de 🙏
@@BabuNilu जी अवश्य ही इस टॉपिक पर वीडियो बनाएंगे।
V. Good
Thanks guruji
Aap se ham janana chahte hain ki jeevan mai jab koi great Nakshatra sahi na hon tab unko kaise sahi karen iss par video jarur bnayen
Jai ho maharshi bhrigu jai baba parshuram
Very interesting video
Thanks....
Jai bhergu Rishi
अच्छी जानकारी है, धन्यवाद !
Thank you sir
Good message
🙏🙏 Jai Shree Ram 🙏🙏
जय श्री राम
Superb
Great
Jay bhrigu baba 🙏🙏
Ji jai ho 🎉🎉🎉🎉🎉
Bahut Sundar
OM. . Paleg, karpa kar ky Chuncat rise ka noleg d givan k baray may batay
Can you please share historical reference for proto Elamite connections, Hufu Africans n Mayans ? Proto Elamite ka varnan itihas Ya puranon mein Kahan milta hai krupaya share kijiye 🙏
Bharuch,, jai bhrugu
Share Bhargav vansajo ko ek hi video me banana karo jai Shree ram
Jai Jai ....
धन्यवाद जी
जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यावाद , अगर आप किस मन्मन्तर किस ऋषि का जन्म हुआ उसके साथ बताते तो अच्छा रहता , ऐसे लगता है कि इन चार युग का सच्चाई है
जी क्षमा चाहेंगे। आपका सुझाव बहुत ही सुंदर है, हमारे आने वाले विडिओ में कोशिश अवश्य करेंगे। हमारे साथ बने रहें।
धन्यवाद।
हमरा बताने का मतलब है , कि लोग सनातन धर्म को कमजोर कर रहे है उसको ताकत मिले बहुत हिन्दू धर्म परिवर्तन कर रहे है बहुत नास्तिक हो गए है उनलोगो को भी अपने धर्म के बारे मैं ज्ञान हो और वो इधर उधर भटके न पहले मै भी सोचती थी कि सब इन चार युगो मैं हुआ है , लेकिन भागवत पुराण पढने के बाद पता चला कि चतुर युग किया होता हे मन्मन्तर किया होता है और किस मन्मन्तर किया किया हुआ है ।
@@seemasah289 आपके विचार उत्तम हैं, आप भगवद प्रेमी हो, हम भी सनातन धर्म, हिन्दू धर्म, चारों वर्णों और सभी हिन्दू जातियों के प्रचार की एक छोटी सी कोशिश कर रहे हैं।
आशा है कि आपको हमारे विडीओ पसंद आते होंगे। सभी वीडियो ज्ञान वर्धक हैं कुछ वीडियो भारत की सभ्यता को दर्शाने के उद्देश्य से भी बनाई गई हैं।
Jai ho mraghu viswakarma risi
भार्गव गोत्र 🙏
भार्गव गोत्र🚩
Vinay goswami .. baghpat u.p..jai Baba ki
Jai bhrgu
Bahut badhiya jankari hai. Dhanyanad.........from Kathmandu
आपका धन्यवाद आप नेपाल से हमारे चैनल से जुड़े। जय पशुपतिनाथ
Good afternoon Ji Om namah shivaya Ji
ॐ नमः शिवाय जी
What is basis of this information. From which books you have quoted this information. Please tell!!
ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण, तैत्तिरीय आरण्यक, ऐतरेय ब्राह्मण
Atul indoriya jangid bhraman(
bhadoria hamare mummy ka goot hai aap ka sasan to bhadoria hai pr goot bhardwaj hai mera pass ek book hai us me sabhi goot sasan hai
श्री वि श्वकर्मा भगवा न
हम अपने प्रा ची न ग्रंथो उपनि षद एवं पुरा ण आदि का अवलो कन करें तो पा येगें कि आदि का ल से ही भगवा न वि श्वकर्मा
शि ल्पी अपने वि शि ष्ट ज्ञा न एवं वि ज्ञा न के का रण ही न मा त्र मा नवों अपि तु देवगणों द्वा रा भी पूजि त और वंदि त है। भगवा न
वि श्वकर्मा के आवि ष्का र एवं नि र्मा ण को र्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी , यमपुरी , वरुणपुरी , कुबेरपुरी , पा ण्डवपुरी , सुदा मा पुरी ,
शि वमण्डलपुरी आदि का नि र्मा ण इनके द्वा रा कि या गया है। पुष्पक वि मा न का नि र्मा ण तथा सभी देवों के भवन और उनके
दैनि क उपयो गी हो नेवा ले वस्तुएं भी इनके द्वा रा ही बना या गया है। कर्ण का कुण्डल, वि ष्णु भगवा न का सुदर्शन चक्र, शंकर
भगवा न का त्रि शुल और यमरा ज का का लदण्ड इत्या दि वस्तुओं का नि र्मा ण भगवा न वि श्वकर्मा ने ही कि या है।
भगवा न वि श्वकर्मा ने ब्रम्हा जी की उत्पत्ति करके उन्हे प्रा णी मा त्र का सृजन करने का वरदा न दि या और उनके द्वा रा 84
ला ख यो नि यों को उत्पन्न कि या । श्री वि ष्णु भगवा न की उत्पत्ति कर उन्हे जगत में उत्पन्न सभी प्रा णि यों की रक्षा और भगण-
पो षण का का र्य सौ प दि या । प्रजा का ठी क सुचा रु रूप से पा लन और हुकुमत करने के लि ये एक अत्यंत शक्ति शा ली
ति व्रगा मी सुदर्शन चक्र प्रदा न कि या । बा द में संसा र के प्रलय के लि ये एक अत्यंत दया लु बा बा भो लेना थ श्री शंकर भगवा न
की उत्पत्ति की । उन्हे डमरु, कमण्डल, त्रि शुल आदि प्रदा न कर उनके लला ट पर प्रलयका री ति सरा नेत्र भी प्रदा न कर उन्हे
प्रलय की शक्ति देकर शक्ति शा ली बना या । यथा नुसा र इनके सा थ इनकी देवि यां खजा ने की अधि पति माँ लक्ष्मी , रा ग-रा गि नी
वा ली वी णा वा दि नी माँ सरस्वती और माँ गौ री को देकर देंवों को सुशो भि त कि या ।
हमा रे धर्मशा स्त्रो और ग्रथों में वि श्वकर्मा के पाँ च स्वरुपों और अवता रों का वर्णन प्रा प्त हो ता है।
वि रा ट वि श्वकर्मा - सृष्टि के रचेता
धर्मवंशी वि श्वकर्मा - महा न शि ल्प वि ज्ञा न वि धा ता प्रभा त पुत्र
अंगि रा वंशी वि श्वकर्मा - आदि वि ज्ञा न वि धा ता वसु पुत्र
सुधन्वा वि श्वकर्म - महा न शि ल्पा चा र्य वि ज्ञा न जन्मदा ता ऋशि अथवी के पा त्र
भृंगुवंगुवंशी वि श्वकर्मा - उत्कृष्ट शि ल्प वि ज्ञा ना चा र्य (शुक्रा चा र्य के पौ त्र)
Pranam Bhagban
🙏🙏
Jai bhrigu rishi ki jai jamdagney rama
कृपा सुदामा की प्रणाली के बारे में बताए
सुदामा से लेकर भृगु तक प्रणाली क्या है
Sir bhrigvansh kiske vansensej h
Jay shree twashta vishwakarma ji 👑🚩🕉️
बहुत ही जानकारी
Vanshaj ke bare me kaha bataya???
Sroth kya h is jankari ka....puran yveda..ya upnisad...
How some rajputs gotra are vats, bhrigu , Bhardwaj, Kashyap. They all are Brahmins (brahmrishi) ? Isn't they're kshatriya only by karma ?
Hum bhi Bhargav ha❤️❤️
Good bhai
Savarn gotra ke bare me bataye
Jai dada parsuram ki 🙏🚩
M jagadhri ynr Haryana gotr parposia h kay jati prmaanpatr bnvate smay sharma lgate h
Sir is per koi 🙏🙏🙏🙏 documentary banaen bahut acchi
Jai bhagwan vishwakarma Jai bhagwan brighu
Good
Nice
आपसे निवेदन है आप हमेशा इस तरह का वीडियो बनाते रहिए और ब्राह्मणों के बारे में बताते रहिए हर हर महादेव जय जय भृगु मुनि जय वशिष्ठ मुनि🙏🙏
जी अवश्य कोशिश तो यही है
a हुन बाह
हर हर महादेव
हर हर महादेव
वैदिक सनातनी वचन से सिर्फ भारतीय संष्कृती हि परिपूर्ण हे तो ठिकी हि है...!
बिल्कुल ठीक कहा आपने
kripya bhrigu vishvkarma ke bare me bataye
number batao mai bata dunga ek pdf send kr dunga number pr send
भाई जोशी भी भृगुवंशी हैं क्या जानकारी दिजिए
Yes
Om Bhagwan ke 108 Naam ka arth bataen Kripa Hogi
jai vishvkarma jai bhargo vanshi
aare bhai hum aangera vanshi hai bhaegov nhai jai vishwakarma
हमा रे धर्मशा स्त्रो और ग्रथों में वि श्वकर्मा के पाँ च स्वरुपों और अवता रों का वर्णन प्रा प्त हो ता है।
वि रा ट वि श्वकर्मा - सृष्टि के रचेता
धर्मवंशी वि श्वकर्मा - महा न शि ल्प वि ज्ञा न वि धा ता प्रभा त पुत्र
अंगि रा वंशी वि श्वकर्मा - आदि वि ज्ञा न वि धा ता वसु पुत्र
सुधन्वा वि श्वकर्म - महा न शि ल्पा चा र्य वि ज्ञा न जन्मदा ता ऋशि अथवी के पा त्र
भृंगुवंगुवंशी वि श्वकर्मा - उत्कृष्ट शि ल्प वि ज्ञा ना चा र्य (शुक्रा चा र्य के पौ त्र)
श्री वि श्वकर्मा भगवा न
हम अपने प्रा ची न ग्रंथो उपनि षद एवं पुरा ण आदि का अवलो कन करें तो पा येगें कि आदि का ल से ही भगवा न वि श्वकर्मा
शि ल्पी अपने वि शि ष्ट ज्ञा न एवं वि ज्ञा न के का रण ही न मा त्र मा नवों अपि तु देवगणों द्वा रा भी पूजि त और वंदि त है। भगवा न
वि श्वकर्मा के आवि ष्का र एवं नि र्मा ण को र्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी , यमपुरी , वरुणपुरी , कुबेरपुरी , पा ण्डवपुरी , सुदा मा पुरी ,
शि वमण्डलपुरी आदि का नि र्मा ण इनके द्वा रा कि या गया है। पुष्पक वि मा न का नि र्मा ण तथा सभी देवों के भवन और उनके
दैनि क उपयो गी हो नेवा ले वस्तुएं भी इनके द्वा रा ही बना या गया है। कर्ण का कुण्डल, वि ष्णु भगवा न का सुदर्शन चक्र, शंकर
भगवा न का त्रि शुल और यमरा ज का का लदण्ड इत्या दि वस्तुओं का नि र्मा ण भगवा न वि श्वकर्मा ने ही कि या है।
भगवा न वि श्वकर्मा ने ब्रम्हा जी की उत्पत्ति करके उन्हे प्रा णी मा त्र का सृजन करने का वरदा न दि या और उनके द्वा रा 84
ला ख यो नि यों को उत्पन्न कि या । श्री वि ष्णु भगवा न की उत्पत्ति कर उन्हे जगत में उत्पन्न सभी प्रा णि यों की रक्षा और भगण-
पो षण का का र्य सौ प दि या । प्रजा का ठी क सुचा रु रूप से पा लन और हुकुमत करने के लि ये एक अत्यंत शक्ति शा ली
ति व्रगा मी सुदर्शन चक्र प्रदा न कि या । बा द में संसा र के प्रलय के लि ये एक अत्यंत दया लु बा बा भो लेना थ श्री शंकर भगवा न
की उत्पत्ति की । उन्हे डमरु, कमण्डल, त्रि शुल आदि प्रदा न कर उनके लला ट पर प्रलयका री ति सरा नेत्र भी प्रदा न कर उन्हे
प्रलय की शक्ति देकर शक्ति शा ली बना या । यथा नुसा र इनके सा थ इनकी देवि यां खजा ने की अधि पति माँ लक्ष्मी , रा ग-रा गि नी
वा ली वी णा वा दि नी माँ सरस्वती और माँ गौ री को देकर देंवों को सुशो भि त कि या ।
हमा रे धर्मशा स्त्रो और ग्रथों में वि श्वकर्मा के पाँ च स्वरुपों और अवता रों का वर्णन प्रा प्त हो ता है।
वि रा ट वि श्वकर्मा - सृष्टि के रचेता
धर्मवंशी वि श्वकर्मा - महा न शि ल्प वि ज्ञा न वि धा ता प्रभा त पुत्र
अंगि रा वंशी वि श्वकर्मा - आदि वि ज्ञा न वि धा ता वसु पुत्र
सुधन्वा वि श्वकर्म - महा न शि ल्पा चा र्य वि ज्ञा न जन्मदा ता ऋशि अथवी के पा त्र
भृंगुवंगुवंशी वि श्वकर्मा - उत्कृष्ट शि ल्प वि ज्ञा ना चा र्य (शुक्रा चा र्य के पौ त्र)