मिले सच्चा गुरु तो जीवन हो शुरू। गुरु पूर्णिमा महोत्सव। रायपुर चातुर्मास प्रवचन 2022 - ललितप्रभ जी।
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- Опубликовано: 23 сен 2024
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प्रस्तुति : अंतर्राष्ट्रीय साधना तीर्थ, संबोधि धाम, जोधपुर (राजस्थान)
गुरु पूर्णिमा का आज पावन पर्व है। शब्द ही कितना प्यारा है- ‘गुरु पूर्णिमा’ यानि ‘गुरु पूर्ण माँ।’ गुरु पूर्णिमा का मतलब है जिंदगी में अगर किसी की पूर्ण माँ होती है, जिंदगी में अगर सबसे ज्यादा भरोसा किसी पर किया जा सकता है तो वह गुरु होता है। तभी तो कहा जाता है पूरी दुनिया में जिसके जीवन में गुरु नहीं होता, उसका जीवन कभी शुरू नहीं होता। जीवन को शुरू करने के लिए गुरु की जरूरत होती है। सच्चाई तो ये है कि माँ के पेट से जिसका निर्माण होता है उसका नाम शरीर होता है, पर गुरु के द्वारा जिसका निर्माण किया जाता है, उसी का नाम एक महान जीवन होता है। दुनिया में चाहे जो कोई महापुरुष क्यों न रहे हों, उन महापुरुषों के निर्माण में कहीं न कहीं उसके गुरु का हाथ रहा है। गुरु वो है जो जीवन के अंधकार को दूर करता है। गुरु वो है जो पत्थर में से प्रतिमा को पैदा करता है, गुरु वो है जो मिट्टी में से मंगल कलश को पैदा करता है, गुरु वो है जो हमारे जीवन को धन्य और पावन कर देता है।
हर किसी व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी किसी न किसी गुरु का सानिध्य रहा है। आदमी जब जन्मता है तो सबसे पहले उसकी माँ गुरु बनती है। जो अंगुली पकड़कर उसे जीवन में चलना सिखाती है। माँ वो गुरु बनती है जो उसे जीना सिखाती है। और अगले चरण में उसका गुरु बनता है उसका अपना पिता, जो परम पिता परमेश्वर की भूमिका अदा करते हुए न केवल इंसान का संवाहक होता है अपितु उसके सुख-दुख का वाहक होकर उसे जीवन को ऊंचाइयों की ओर कैसे ले जाया जा सके, इसमें पिता गुरु की भूमिका अदा करता है। और जिंदगी में तीसरे वे सद्गुरु होतें हैं, जो हमारे जीवन को सामान्य जीवन से ऊपर उठाकर ऊंचाइयों की ओर लेकर जाते हैं।
गुरु हमारे भ्रम को दूर करते हैं इसीलिए वे ब्रह्मा है
हर आदमी के जीवन में कहीं न कहीं गुरु की भूमिका जरूर होती है। गुरु हमारे जीवन का निर्माण करता है, गुरु हमारे जीवन को मूल्यवान बनाता है। गुरु हमारे भ्रम को दूर करता है, इसीलिए ब्रह्मा है। गुरू शंकाओं का समाधान करता है इसीलिए शंकर है। गुरू हमारे जीवन के विभ्रम को खत्म करता है, इसीलिए गुरू विष्णु है। गुरू हमारे जीवन में लक्ष्य को प्रदान करता है, इसीलिए वह हमारे जीवन में लक्ष्मी है। गुरू हमें दुर्गति से दूर करता है इसीलिए गुरू दुर्गा है। गुरू से ही जीवन शुरू होता है, इसीलिए जीवन का मूल आधार हमारा गुरू है। आज हम गुरू पूर्णिमा के अवसर पर अपने-अपने सद्गुरू को वंदन कर रहे हैं, तो इस संकल्प के साथ गुरू चरणों में वंदन करेंगे कि हे गुरूदेव मैं पूरी कोशिश करूंगा, जिन सिद्धांतों को आपने जिया, उनका मैं पूर्ण अनुकरण करूंगा। जीवन का उद्धार केवल गुरू बनाने से ही नहीं अपितु गुरू के दिए हुए संदेशों को जीवन में उतारने से होता है। क्योंकि गुरू का जीवन ही पल-प्रतिपल बोलता हुआ जीवन है। गुरू का कार्य यही है मनुष्य की चेतना को जगाना और वक्त आने पर हथौड़ा मारना। इसलिए हम बचपन से दोहा बोलते आए हैं- गुरू गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरूदेव की गोविंद दियो बताए। यह तन विष की बेल है, गुरू अमृत की खान, शीश कटे और गुरू मिले, तब भी सस्ता जान। शिष्य सच्चे भाव से, सद्भाव से पैदा होता है। सच्चे शिष्य को गुरू का सानिध्य एक पल के लिए भी मिल जाए तो वह तर जाता है। जब अर्जुन जैसा शिष्य पैदा होता है तो गीता पैदा होती है, जब गुरू का सानिध्य मिले तो कोई सांप भी श्रावक बन जाता है।
पलभर का गुरू सानिध्य कायाकल्प कर देता है
शास्त्र भी वह कार्य नहीं कर पाते, जो गुरू का पलभर का सानिध्य कर लेता है। गुरू का सानिध्य आदमी के जीवन को रूपांतरित कर देता है। गुरू वह ज्ञान गंगा है जो खुद भी निर्मलता-पवित्रता से जीकर औरों को भी निर्मल-पवित्र कर देता है। गुरूजनों का सानिध्य सीप की तरह होता है, जिसके संसर्ग में आकर अज्ञानी शिष्य भी ज्ञानवान मोती बन जाता है। हम गुरूजनों की आज्ञाओं को हमेशा शिरोधार्य कर, अर्थात् जीवन में उतारने की कोशिश करें। गुरूजनों ने हमें ज्ञान दिया है, उसे बांटने की कोशिश करें, क्योंकि अच्छे विचार जितना बांटोगे, उतना ही कल्याण होगा।
जीवन में हर दिन तीन को करें घुटने टेक कर प्रणाम
जीवन में हमेशा प्रतिदिन प्रातःकाल अपने माता-पिता, गुरू और श्रीप्रभु को पंचांग प्रणाम अर्थात् घुटने टेक कर प्रणाम करना चाहिए। जो इन तत्वों के सामने घुटने टेकता है, उसे किसी के सामने घुटने टेकने की नौबत नहीं आती। व्यक्ति के जीवन में पहला कर्ज उसके माता-पिता का होता है, जिसे उतारा नहीं जा सकता। दुनिया में स्वर्ग और कहीं नहीं होता, अगर होता है तो वह माता-पिता के चरणों में होता है। माता-पिता भले इस दुनिया से चले गए हों तो भी उनकी तस्वीर के सामने जाकर शीष झुकाएं। प्रणाम करने से एक साथ तीन परिणाम मिलते हैं- पहला विनम्रता, दूसरा मुस्कान और तीसरा दुआ।
अपने साथ हमेशा यह 4जी नेटवर्क लेकर चलें
अपने साथ हमेशा 4जी नेटवर्क लेकर चलें, उस नेटवर्क का पहला जी है- माताजी, दूसरा पिताजी, तीसरा- गुरूजी और चैथा श्रीप्रभुजी। जिसके साथ यह 4जी का नेटवर्क है, दुनिया में कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता।
प्रेरक गीत ‘कोई शिष्य गुरु चरणों में जब शीष झुकाता है, परमात्मा खुद आकर आशीष लुटाता है...’ से की।
Namostu Namostu Namostu Jai Gurudev
प्रणाम नमस्ते
🙏🏻😊💐पूज्य राष्ट्र संत😇Respected Gurudev ji..Naman ji,Narayan Narayan ji आपके श्री कमल चरणों में कोटी कोटी नमन वंदन प्रणाम 🙏🏻🙌 you are very great... God bless you always... thank you so much 🙏🏻😊🎧
😢
guruvar prabhu ke charan kamlo me charan vandna jai guruvar prabhu jai ho - jai ho - jai - ho
🙏🌺🌺🌺🌺🌺🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jay Sheri gurudav
Bhav bhini vandana gurudev shri Lalit parbhuji ko om
Sadguru bhagwan ji ke charno main dandvat pranam
Jai shri krishna guruji
Pranam guruji
Good
🙏🙏🙏
Bihar. जिला बाॅंका बिहार
सिर्फ और सिर्फ मानवीय संवेदनाओं को पूरी तरह जगाकर ,दीन-दुखियों के प्रति समर्पित हो और समस्त ईश्वरीय गुणों को आत्मसात कर जीवन जीने की सम्यक राह पर चलना सीख ले तो ऐसे-ऐसों को गुरु खुद भी ढूंढता रहता है।
हमारे यहाँ अनवरत प्रवचन चलता रहता है और अनगढ़ लोग क्षणभंगुर आनंद ले पाता और फिर ढाक के तीन पात,,, !!!
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Namostu Namostu Namostu Jai Gurudev
Namostu Namostu Namostu Jai Gurudev