मनुष्य जब तक ज्ञान क्या है, यह नहीं जान लेता और ना ही वह उसे अनुभव के द्वारा खुद को ही अनुभव करने की योग्य बन जाता। तब तक मनुष्य इस पूरे संसार में जितने भी शास्त्र लिखी गई है, वह सब अज्ञानता पूर्ण आज्ञा भाव से ही उसको पड़ता है। उसके विषय में वो कुछ भी समझा या कुछ अनुभव भी नहीं कर पता है। बस वह केवल उसे विषय को पढ़ता रहता है। यह सभी कम ध्यान, तपस्या नाम, जप सहित सभी कर्म मनुष्य जन्म से मृत्यु तक निरंतर करते रहने से भीउसे कोई वास्तविक लाभ नहीं होता है। मनुष्य केवल ज्ञान के द्वारा ही मुक्ति पा सकता है। ज्ञान प्राप्त करो फिर ध्यान तपस्या नाम जब सहित संसार में सभी विद्या का अध्ययन करो। सभी मनुष्य को इस समय की जीवन में उसे लाभ होगा। इस पूरे संसार में जितने भी ज्ञान विद्या प्रौद्योगी और सभी वैज्ञानिक कम सहित जितने भी हम देखते हैं और नहीं देखते हैं, वह सब इंद्रियों को प्रयुक्त करने वाला इंद्रिय भोगी अज्ञानता का ज्ञान है। ज्ञान इन सभी से जो तीनों गुण से परे चौथ गुण जो मनुष्य का कर्म विचार ज्ञान से ही उत्पन्न होता है, वही मनुष्य ही परमात्मा है। वह जानने योग्य है। मैं स्वयं परमात्मा हूं। इसका कहने का अर्थ के अज्ञान से यह कथन या वाक्य कभी उत्पन्न नहीं होता है। मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण ज्ञान को वो कभी अनुभव भी नहीं कर पता है।मैं स्वयं ज्ञान हूं और मैं ज्ञान से परे हूं। मैं तीनों गुण से परे चौथ गुण जो कर्मों के ज्ञान के माध्यम से इस संसार में रहते हुए संसार में अभी इसी समय पर रह रहा हूं। आप मुझसे जो भी जानना चाहते हैं, प्रश्न करें, मैं स्वयं मुक्त हूं। मैं अपना परिचय आपको इस प्रकार दे रहा हूँ। इस सम्पूर्ण संसार में मैं ही तीन गुण कर्म, भावना, विचार हूँ, जिन्हें हम देखते और अनुभव करते हैं। मैं उन सभी कर्म, भावना, विचार गुणों से परे चौथे गुण वाला मनुष्य हूँ। क्या आप मेरे बारे में जानना चाहेंगे कि मैं किस प्रकार का मनुष्य हूँ? सबके प्रति मेरी सोच क्या है और मैं किस प्रकार कार्य करता हूँ? मैं भारत के ओडिशा राज्य के ढेंकनाल जिले से हूँ और एक गाँव में रहता हूँ। इस संसार में भी मैं अपने परिवार के साथ रहता हूँ और बहुत खुश और आनंदित हूँ। जन्म से लेकर अब तक मेरे अंदर कभी भी किसी भी भावना या विचार को लेकर कोई अहंकार, भावना, विचार, ज्ञान, क्रिया उत्पन्न नहीं हुई। मैं एक ऐसा मनुष्य हूँ जो सभी के साथ बहुत ही सरलता और प्रेम से रहता हूँ।
Thank you for nice video 🙏🏻
Sri radhe krishna ji balasore odisha
Thank you for everything universe and for 25crore money
Hare kisna
बहुत बहुत धन्यवाद साहेब जी कोटी कोटी बंदगी
👍
धन्यवाद
Omshriparmatmanenamah.
Jai shree Rama❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Jai shree Ram 🙏
मनुष्य जब तक ज्ञान क्या है, यह नहीं जान लेता और ना ही वह उसे अनुभव के द्वारा खुद को ही अनुभव करने की योग्य बन जाता। तब तक मनुष्य इस पूरे संसार में जितने भी शास्त्र लिखी गई है, वह सब अज्ञानता पूर्ण आज्ञा भाव से ही उसको पड़ता है। उसके विषय में वो कुछ भी समझा या कुछ अनुभव भी नहीं कर पता है। बस वह केवल उसे विषय को पढ़ता रहता है। यह सभी कम ध्यान, तपस्या नाम, जप सहित सभी कर्म मनुष्य जन्म से मृत्यु तक निरंतर करते रहने से भीउसे कोई वास्तविक लाभ नहीं होता है। मनुष्य केवल ज्ञान के द्वारा ही मुक्ति पा सकता है। ज्ञान प्राप्त करो फिर ध्यान तपस्या नाम जब सहित संसार में सभी विद्या का अध्ययन करो। सभी मनुष्य को इस समय की जीवन में उसे लाभ होगा।
इस पूरे संसार में जितने भी ज्ञान विद्या प्रौद्योगी और सभी वैज्ञानिक कम सहित जितने भी हम देखते हैं और नहीं देखते हैं, वह सब इंद्रियों को प्रयुक्त करने वाला इंद्रिय भोगी अज्ञानता का ज्ञान है। ज्ञान इन सभी से जो तीनों गुण से परे चौथ गुण जो मनुष्य का कर्म विचार ज्ञान से ही उत्पन्न होता है, वही मनुष्य ही परमात्मा है। वह जानने योग्य है। मैं स्वयं परमात्मा हूं। इसका कहने का अर्थ के अज्ञान से यह कथन या वाक्य कभी उत्पन्न नहीं होता है। मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण ज्ञान को वो कभी अनुभव भी नहीं कर पता है।मैं स्वयं ज्ञान हूं और मैं ज्ञान से परे हूं। मैं तीनों गुण से परे चौथ गुण जो कर्मों के ज्ञान के माध्यम से इस संसार में रहते हुए संसार में अभी इसी समय पर रह रहा हूं। आप मुझसे जो भी जानना चाहते हैं, प्रश्न करें, मैं स्वयं मुक्त हूं।
मैं अपना परिचय आपको इस प्रकार दे रहा हूँ। इस सम्पूर्ण संसार में मैं ही तीन गुण कर्म, भावना, विचार हूँ, जिन्हें हम देखते और अनुभव करते हैं। मैं उन सभी कर्म, भावना, विचार गुणों से परे चौथे गुण वाला मनुष्य हूँ। क्या आप मेरे बारे में जानना चाहेंगे कि मैं किस प्रकार का मनुष्य हूँ? सबके प्रति मेरी सोच क्या है और मैं किस प्रकार कार्य करता हूँ? मैं भारत के ओडिशा राज्य के ढेंकनाल जिले से हूँ और एक गाँव में रहता हूँ। इस संसार में भी मैं अपने परिवार के साथ रहता हूँ और बहुत खुश और आनंदित हूँ। जन्म से लेकर अब तक मेरे अंदर कभी भी किसी भी भावना या विचार को लेकर कोई अहंकार, भावना, विचार, ज्ञान, क्रिया उत्पन्न नहीं हुई। मैं एक ऐसा मनुष्य हूँ जो सभी के साथ बहुत ही सरलता और प्रेम से रहता हूँ।
Ponam
Ab.to Apne hath mein to nahin Hai jab Bhagwan bulao.aaye. Koi nahin jaanta hai mirtu.aapni.hath.me.nahi.hai