Mahabharat kalin Lohargal Dham।। पांडवों के हथियार गलाने वाला एकमात्र जलकुंड।।

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  • Опубликовано: 7 фев 2025
  • Mahabharat kalin Lohargal Dham।। पांडवों के हथियार गलाने वाला एकमात्र जलकुंड
    लोहार्गल धाम -
    लोहार्गल भारत के राजस्थान राज्य में शेखावाटी इलाके के झुन्झुनू जिले से 70 कि॰मी॰ दूर आड़ावल पर्वत की घाटी में बसे उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। लोहार्गल का अर्थ है- वह स्थान जहाँ लोहा गल जाए। पुराणों में भी इस स्थान का जिक्र मिलता है। नवलगढ़ तहसील में स्थित इस तीर्थ 'लोहार्गल जी' को स्थानीय अपभ्रंश भाषा में लुहागरजी कहा जाता है। झुन्झुनू जिले में अरावली पर्वत की शाखायें उदयपुरवाटी तहसील से प्रवेश कर खेतड़ी, सिंघाना तक निकलती हैं, जिसकी सबसे ऊँची चोटी 1051 मीटर लोहार्गल में है।
    तीर्थराज लोहार्गल में अनेक मंदिर है, और अपने आप में हर मंदिर की अपनी महिमा है, कोई मंदिर विशेष नहीं है और ना ही कोई मंदिर आम है,इन सब मंदिरों व गौमुख तथा वादियों को मिलाकर ही संपूर्ण लोहार्गल बनता है। आम श्रद्धालुओं के लिए सभी मंदिर प्रमुख है।
    बाबा मालकेतु की परिक्रमा जब 24 कोस ( 72 km ) में लगती है तो फिर ये कैसे किसी का निजी क्षेत्र हो सकता है।
    भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को गोगा नवमी मनाई जाती है, इसी दिन से परिक्रमा प्रारंभ हो कर अमावस्या को सम्पूर्ण होती है,
    पांडवों की प्रायश्चित स्थली
    महाभारत युद्ध समाप्ति के पश्चात पाण्डव जब आपने भाई बंधुओं और अन्य स्वजनों की हत्या करने के पाप से अत्यंत दुःखी थे, तब भगवान श्रीकृष्ण की सलाह पर वे पाप मुक्ति के लिए विभिन्न तीर्थ स्थलों के दर्शन करने के लिए गए। श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया था कि जिस तीर्थ में तुम्हारे हथियार पानी में गल जाए वहीं तुम्हारा पाप मुक्ति का मनोरथ पूर्ण होगा। घूमते-घूमते पाण्डव लोहार्गल आ पहुँचे तथा जैसे ही उन्होंने यहाँ के सूर्यकुण्ड में स्नान किया, उनके सारे हथियार गल गये। उन्होंने इस स्थान की महिमा को समझ इसे तीर्थ राज की उपाधि से विभूषित किया। लोहार्गल से भगवान परशुराम का भी नाम जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस जगह पर परशुराम जी ने भी पश्चाताप के लिए यज्ञ किया तथा पाप मुक्ति पाई थी। विष्णु के छठें अंशअवतार ने भगवान परशुराम ने क्रोध में क्षत्रियों का संहार कर दिया था, लेकिन शान्त होने पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। यहाँ एक विशाल बावड़ी भी है जिसका निर्माण महात्मा चेतनदास जी ने करवाया था। यह राजस्थान की बड़ी बावड़ियों में से एक है। पास ही पहाड़ी पर एक प्राचीन सूर्य मन्दिर बना हुआ है। इसके साथ ही वनखण्डी जी का मन्दिर है। कुण्ड के पास ही प्राचीन शिव मन्दिर, हनुमान मन्दिर तथा पाण्डव गुफा स्थित है। इनके अलावा चार सौ सीढ़ियाँ चढने पर मालकेतु जी के दर्शन किए जा सकते हैं।
    सूर्यकुंड व सूर्य मंदिर की कहानी
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    यहां प्राचीन काल से निर्मित सूर्य मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके पीछे भी एक अनोखी कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में काशी में सूर्यभान नामक राजा हुए थे, जिन्हें वृद्धावस्था में अपंग लड़की के रूप में एक संतान हुई। राजा ने भूत-भविष्य के ज्ञाताओं को बुलाकर उसके पिछले जन्म के बारे में पूछा। तब विद्वानों ने बताया कि पूर्व के जन्म में वह लड़की मर्कटी अर्थात बंदरिया थी, जो शिकारी के हाथों मारी गई थी। शिकारी उस मृत बंदरिया को एक बरगद के पेड़ पर लटका कर चला गया, क्योंकि बंदरिया का मांस अभक्ष्य होता है। हवा और धूप के कारण वह सूख कर लोहार्गल धाम के जलकुंड में गिर गई किंतु उसका एक हाथ पेड़ पर रह गया। बाकी शरीर पवित्र जल में गिरने से वह कन्या के रूप में आपके यहाँ उत्पन्न हुई है। विद्वानों ने राजा से कहा, आप वहां पर जाकर उस हाथ को भी पवित्र जल में डाल दें तो इस बच्ची का अंपगत्व समाप्त हो जाएगा। राजा तुरंत लोहार्गल आए तथा उस बरगद की शाखा से बंदरिया के हाथ को जलकुंड में डाल दिया। जिससे उनकी पुत्री का हाथ स्वतः ही ठीक हो गया। राजा इस चमत्कार से अति प्रसन्न हुए। विद्वानों ने राजा को बताया कि यह क्षेत्र भगवान सूर्यदेव का स्थान है। उनकी सलाह पर ही राजा ने हजारों वर्ष पूर्व यहां पर सूर्य मंदिर व सूर्यकुंड का निर्माण करवा कर इस तीर्थ को भव्य रूप दिया।
    लोहार्गल से भगवान परशुराम (Lord Parshuram) का भी नाम जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस जगह पर परशुराम जी ने भी पश्चाताप के लिए यज्ञ किया तथा पाप मुक्ति पाई थी। विष्णु के छठें अंश अवतार ने भगवान परशुराम ने क्रोध में क्षत्रियों का संहार कर दिया था, लेकिन शान्त होने पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ।
    यहाँ एक विशाल बावड़ी भी है जिसका निर्माण महात्मा चेतनदास जी ने करवाया था। यह राजस्थान की बड़ी बावड़ियों में से एक है।
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Комментарии • 15

  • @ShankarLal-vy1sb
    @ShankarLal-vy1sb 11 месяцев назад +4

    अति सुंदर वीडियो लोहा गर्ल के माहात्म्य के लिए

  • @Neelukumawat-s3y
    @Neelukumawat-s3y 8 месяцев назад +1

    7:00 se 16:30 tk Bhaiya ne bhot achhi jankari di, video banane me bhot mehnat ki,, Dhanywad aise sunder videos hum tk pahuchane k liye🙏

  • @ArjunSingh-lb3do
    @ArjunSingh-lb3do 11 месяцев назад +2

    बहुत सुंदर

  • @ramlohar7758
    @ramlohar7758 11 месяцев назад +2

    Wah bhai

  • @AkRana-qw9xh
    @AkRana-qw9xh 9 месяцев назад +1

    जय लोहार्गल 🙏

  • @Neelukumawat-s3y
    @Neelukumawat-s3y 8 месяцев назад +1

    2:23 pr wo lady kaise bhag rhi hai😂

  • @PushpaMalhotra-j5x
    @PushpaMalhotra-j5x 11 месяцев назад +1

    Loha garl kaha hy .ye video hame bahut achi lagi

    • @ArunKumar-he5to
      @ArunKumar-he5to  11 месяцев назад

      हार्दिक आभार... लोहार्गल राजस्थान में शेखावाटी इलाके के झुंझुनूं जिले में है और झुंझुनूं जिले से इसकी दूरी 70 कि.मी. एवं सीकर से 31 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।🙏

  • @AnilSharma-d6u
    @AnilSharma-d6u 11 месяцев назад +1

    Kaise jaate hai luhagarl ji kaha par hai

    • @ArunKumar-he5to
      @ArunKumar-he5to  11 месяцев назад

      यह राजस्थान में शेखावाटी इलाके के झुंझुनूं जिले में है... झुंझुनूं से लोहार्गल 70 कि.मी. और सीकर से 31 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।🙏🙏🙏

  • @PadmakarChaudhary-w4i
    @PadmakarChaudhary-w4i 11 месяцев назад +1

    Dwapar ki. Annt