मखाना की खेती | Dr Gajendra Chandrakar | IGKV Raipur | Fox Nut Farming
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- Опубликовано: 10 фев 2025
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Video Editing Credit :- Mr. Anshuman Panda
मखाना की खेती | Dr Gajendra Chandrakar | IGKV Raipur | Fox Nut Farming #makhana #foxnuts #foxnut
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खेती की प्रणाली 👇
मखाना की खेती 1 फीट तक पानी से भरे कृषि भूमि में की जाती है। इस विधि के द्वारा मखाना की खेती का समय घटकर मात्र चार महीने रह जाता है।
नर्सरी
धान की नर्सरी के तर्ज पर मखाना की नर्सरी तैयार की जाती है। 45 से 60 दिन की नर्सरी (थरहा) रोपाई योग्य हो जाता है।
रोपाई
धान की तरह मंखाना फसल की रोपाई पौधा से पौधा एवं कतार से कतार 1 मीटर की दूरी पर करते हैं। इस तरह प्रति एकड़ 4000 पौधे की रोपाई की जाती है।
जल प्रबंधन
जलीय पौधा होने की वजह से मखाना की खेती के लिए निरंतर जल की व्यवस्था अति आवश्यक है। नर्सरी में एवं खेत में मखाना के पौधे को तैयार होने की अवधि तक खेतों में 1 फीट पानी भरा रहना आवश्यक है।
खरपतवार नियंत्रण
मखाना की खेती में अन्य फसलों की तुलना में खरपतवार की समस्या नही के बराबर होती है पर समय-समय पर जलीय खरपतवार, हाईड्रीला एवं अजोला को निकालते रहना चाहिए जिसे मछलियों के आहार के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।
पौधे में कीट एवं व्याधि
अन्य फसलों की भांति मखाना की फसल में कोई विशेष कीट एवं रोगों का प्रकोप नहीं देखा गया है। इस फसल में मुख्यतः एफिड, केसवर्म, जड़ भेदक एवं बिमारियों में पत्तियों में रोग देखा गया है जिसका प्रबंधन आसानी से हो जाता है।
फसल की कटाई एवं बीज निकासी
जून जुलाई माह में फसल की कटाई के पश्चात गाजा की सहायता से मजदूरों के द्वारा बीज की निकासी की जाती है। 1 मजदूर औसतन 15 से 20 किलो मखाना बीज की निकासी आसानी से कर लेता है।
उत्पादन
लगभग 2.5 से 3 टन बीज प्रति हेक्ट. या 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़।
प्रसंस्करण
हमारा उद्देश्य केवल किसानों को मखाने की खेती के प्रेरित करना नहीं है बल्कि बीज से बाजार तक का समाधान प्रदान करना है। इसी उद्देश्य से ओजस फार्म, लिंगाडीह में मखाना प्रसंस्करण यूनिट स्थापित किया गया है। बाजार की मांग के अनुरूप सादे, रोस्टड, फ्लेवर्ड मखाना यहां प्रसंस्करित किए जाते हैं। हमारे कृषि उद्यमियों की टीम मखाने की खेती से लेकर प्रसंस्करण तक वैज्ञानिक पद्धति अपनाती है, निरीक्षण करती है और उच्चतम मानकों का ध्यान रखती है, जो इसके टैगलाईन है ‘‘साइंटिफिटकली मॉनिटर्ड‘‘ को यथार्थ बनाती है।
विपणन
प्रसंस्करण के बाद सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है विपणन की। ओजस फार्म लिंगाडीह में उत्कृष्ट पैकेजिंग की व्यवस्था है। पर्यावरण का ध्यान रखते हुए बायोडिग्रेडेबल व रिसायकलेबल प्लास्टिक में ही यहां पैकेजिंग की जाती है। धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किए जाने वाले मखाने का विशेष ध्यान रखकर प्रसंस्करण व पैकेजिंग किया जाता है। ऑनलाईन, ऑफलाईन व डायरेक्ट मार्केटिंग के जरिए हमारे उत्पाद ग्राहकों तक उपलब्ध कराए जाएंगे।
Very nice presentation
Thank You 😊
Bahut jabardast jankari
@@RIDER_AZAD89 Thank You
Makhana is the best snack I ever had! A great source of protein which improves digestion, and handfuls of it are a must have in evening.❤
Yes
Bahot badhiya 👏
Thank You
Very informative indeed.
Thank You 😊
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी मिली, इतनी मेहनत लगती है मखाने को बनाने में बहुत अच्छा लगा देखके 👌🏻👍
धन्यवाद आपका 😊
👌👌👌
Thank You 😊
Thanks AKHIL
Welcome Sir 😊🙏💐
Training kaha sa milaga