#मोकामा_डायरी यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है। इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है। ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं। भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है। यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया। वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए। शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में। उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे। अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती। अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है। #Always_stand_with_the_poor
#मोकामा_डायरी यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है। इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है। ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं। भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है। यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया। वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए। शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में। उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे। अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती। अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है। #Always_stand_with_the_poor
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छोटे सरकार जिंदाबादजिंदाबाद अनंत बाबू जिंदाबाद जिंदाबाद गरीब का मसीहा आनंद बाबूहै छोटे सरकार के साथ भूमिहार ब्राह्मण पूरे बिहार का साथ है साथरहेगा अनंत बाबू जिंदाबाद जिंदाबाद आनंद बाबू के साथ है साथ रहेंगे जय परशुराम बाबा की जय
#मोकामा_डायरी यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है। इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है। ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं। भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है। यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया। वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए। शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में। उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे। अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती। अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है। #Always_stand_with_the_poor
#मोकामा_डायरी यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है। इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है। ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं। भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है। यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया। वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए। शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में। उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे। अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती। अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है। #Always_stand_with_the_poor
#मोकामा_डायरी यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है। इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है। ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं। भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है। यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया। वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए। शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में। उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे। अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती। अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है। #Always_stand_with_the_poor
योगी माडल लागू करो बिहार में, up पूर्वांचल जैसा दबंग जिला के बाहुबली कहे जाने वाले लोग नहीं बचे तो बिहार के गुंडे किस खेत की मूली हैं.. Sab chor chai sidha ho jayega..
ये बोलता है पाच सात मिनट लगता है चार किलोमीटर है मतलब इनकी दौड़ने की रफ़्तार 7 मिनट में 4 किलोमीटर है जो आज तक कोई नहीं कर पाया है इनहे तो ओलंपिक में जाना चाहिए एक गोल्ड मेडल भारत को मिला जाता
#मोकामा_डायरी यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है। इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है। ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं। भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है। यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया। वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए। शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में। उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे। अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती। अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है। #Always_stand_with_the_poor
इतना न सोनू मोनू का न्यूज न बनाओ कि निपट ही जाए । सही पूछते हो तो इसका नाम पहली बार सुन रहा हूं । इसको सिर्फ अपने क्षेत्र में ही लोग जानता होगा बाकी जगह शून्य है । अनंत सिंग को पूरे बिहार और बिहार से बाहर बच्चा बच्चा जनता है ।
In news valo ke pas har topic pe coverage banane ka time h pr berozgar ki bat sunne ka nhi h or na hi sarkar se sawal puchne ka hai in sab news wala ka bahishkar karo me hath jodke nivedan karta hu Jab tak ye news wale students logo ki maang sarkar tak nhi pahuchate inka bahishkar karo
#मोकामा_डायरी यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है। इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है। ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं। भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है। यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया। वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए। शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में। उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे। अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती। अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है। #Always_stand_with_the_poor
#मोकामा_डायरी यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है। इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है। ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं। भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है। जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है। यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया। वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए। शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में। उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे। अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती। अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है। #Always_stand_with_the_poor
दोनों पक्ष का वीडियो देखने से पता चलता है कि दोनों की नज़र विधायक वाली कुर्सी पर है चुनाव नज़दीक है
जनता तय करेगी
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
Sahi bola bhai
Bud mein mila dega e log ekdusre ko
Sonu bhaiya jindabad
चुनाव आ गया है मेन मुद्दे से भटकने का प्रयास किया जा रहा है
अबकी बार बिहार की जनता शिक्षा स्वास्थ्य पर वोट देगी
4 km ,5-7minute me😂😂😂😂😂😂
E sala khud jhuth bol raha hai court lapet lega iski
Hm bhi yhi notice Kiya hu ,isse olympics me bhejo koi,
Isko olampic me bhejo
ओ भी दौर के आया 😂😂😂😂😂
😂😂😂
साठ लाख रूपया एक मुंशी चुरा ले यह विश्वास करने लायक बात नहीं है।झूठा आरोप लगा देने से खुद फंस जाओगे ।
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
Ye sach baat hai
Jhota he
Bhai ... Tumhare janne wale me koi hoga bhatta chalane wala ..to pata karna kamayi kaise hota hai...aur kaise staff chori karta hai .
@@MrPawan315To paisa kaha rakha bhai uska ghar dekhkar to nhi lagta ki 60 lakh ka kamai hai uske pass
हमारे तरफ से माला फेरने वाले लोग हैं 😂😂😂😂
😂😂😂
❤❤❤❤
😂😂
200 rounds गोली चली एक भी विकेट नही गिरा
मुंगेर वाला नकली बंदूक बेच रहे हैं 😂😂😂
Katano ahir pingal padhihe ik bat jungal ke kahihe 😂😂
@SudhanshuChoudhary-rd7gs बिहार में जंगल राज चल रहा है
अन्त सिंह को encounter कर देना चाहिए 😂
@@SudhanshuChoudhary-rd7gsahir tohar baap tha..hai ..aur rahega beta 😂
😂😂😂
😂😂😂❤😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
सोनू भाई बोलते अच्छा हैं ।। बहुत शालीन तरीके से अपनी बात रखी। ।
😢मुकेश जो चिमनी में मुंशी था , उसके घर में प्लास्टर तक नही हुआ है,
और 60 लाख का इल्जाम लगाना कहा तक सही है, ना ही प्रशासन जेल में डाल रहा ,
Lekin jis makaan me taala laga hai wo badhiya dikh raha
पूरी बात सुनिए, सोनू मोनू अपना नया ताला लेकर आया था ,
👌👌सोनू मोनू सिंह का मीडिया के सामने आना बहुत अच्छा निर्णय है किसी भी गुण्डा और बाहुबली नेता के खिलाफ जनता तक अपनी बात पहुंचाएं🚩
सोनू बोलता अच्छा है😮😮😮
Bahut Shuddh Hindi Hai Taklu Bhai ka...😁😁
कांभिक्तेड हैं 😂
60 लाख चूरा के भागा तो बेटा तुम टेक्स किउ नही दे रहा था रे बेटा 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
क्योंकि ईडी इसका जीजा बना हुआ तब न tax नहीं देता था
Anant gwar apradhi sirf tum log ke liy bahubali hoga ham log to usko kuchh nahi bujhte shonu monu bilkul shahi kiya
@@AJITKUMAR-ru2oj तुम्हारे भाषा से ये तो पता चल रहा है तुम भी अनपढ़ ही हो
इसका आवाज में ही शातिरपन छुपा है
मुझे लगता है कि यह भूमिहारों के बीच क्षेत्रीय स्तर पर वर्चस्व की लड़ाई है।
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
Criminal से media भी डरती है क्या? तो ये छोड़ कर कोई अलग काम करना चाहिए।
4km दूर से 5 7 मिनट में दौर कर आए इसका तो बात में ही झूठ है और बेचारा खुद बोल दिया कि हम रंगदारी करते है
अनंत सिंह का कोई गलती नही है, ये आदमी अनंत सिंह के जैसा ही नेता बनना चाहता है 😂😂😂
4 km sirf 7-8min me run karte aage itna fast 😂😂😂😂😂
😅😅
Bike se aaya hoga
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
@VimalRay-m1i sune nahi daur k aaya hai bol raha hai
60 लाख😂😂 इसका हुलिया और ये माहौल देख के तो नही लग रहा 60 लाख लिये होगा😂😂😂
Bihar ke log aise hi hote h
Ye gaaru hai 😅
samajh n paoge bhai bihari ko
ईटा भट्ठा से 7 लाख रुपया कमा के कहां से रख लिए रे इनकम टैक्स को जवाबदेना
7 nai 60 bola hai
60 lakh bola h bhai
Garib ko sata rha hai our kuchch nhi hai
60 lakh bol rha hai 😂😂
इन अपराधीयो को इतना महत्त्व देने से ही ये नये युवा के रोल माडल बन जाते हैं।
Ye media wale enko neta bana denge
ए तो देखने से ही सातीर् लगता हैं श्री अनंत कुमार सिंह उर्फ़ छोटे सरकार गरीबो के मसीहा हैं छोटे सरकार जिंदाबाद❤❤❤❤
Sonu bhai apka hindi bada strong hai 😅😅😅
Bihar me hindi acha hota h
छोटे सरकार जिंदाबादजिंदाबाद अनंत बाबू जिंदाबाद जिंदाबाद गरीब का मसीहा आनंद बाबूहै छोटे सरकार के साथ भूमिहार ब्राह्मण पूरे बिहार का साथ है साथरहेगा अनंत बाबू जिंदाबाद जिंदाबाद आनंद बाबू के साथ है साथ रहेंगे जय परशुराम बाबा की जय
ग्रामीण कह रहे गोली अनंत सिंह चलाया और न्यूज दिखा रहा अनंत सिंह पर हमला
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
All is well
ये झूठ बोल रहा है। बाप बेटा। किसी गरीब को परेशान करोगे तो कोई भी आवाज उठाएगा
एक गरिब भूमिहार के घर में ताला लगाकर गलत किया शर्म आनी चाहिए
@@Rajeshkumar-z3r1s मुझे लगा 52 बीघा का जमीदार होगा भूमिहार ये तो गरीब निकला 😂
Bhai sahi bol rha hai
अपराध दंगा फसाद एक दम नहीं होना चाहिए
Anant babu jindabad 😊
गरीब आदमी एक क्रिमिनल का पैसा चुरा लेगा शर्म करो।
सोनू monu झूठ बोल रहा है। मुकेश की aakaud 60000/ का नहीं फिर 60 लाख(? सोनुमा को जात से बाहर करो
Yhi karke to itna jati bana diye dada ji apne jati ko jati se alag 😅
अनंत सिंह द ग्रेट ❤
अबे अपराधी है । 17 मर्डर के केस चल रहे है । वो ग्रेट है 😂😂😂😂😂😂
Takla bolne me bahut satir hai😮😮
ये भाई साहब अच्छा बोलने वाले हैं, पड़े लिखे है ❤❤❤
जब गांव वालों ने घर के दरवाजे खिड़की बंद कर लिए तो फिर अनंत सिंह को दोबारा फिर घर से निकले..तो पहले दरवाजे क्यों बंद कर लिए..
दोनों लोग फरिया ले
हम जनता RUclips पर न्यूज देख लेंगे
Sonu Bhai ki bhasha gajab
सारे किरदार फुलेरा पंचायत के है
Very good bhaiya ji 🎉
4km 5,7 minute mai bhagh k aa jate hai.😂😊😂
Hahahah😂😂😂😂hahaha
Bahut bahut dhanyvad
Bhaiya ji.aap.jaise boli.rajniti.me.kam.aanyengi aap.to.aane wala rajniti ke sansaha hai.thanks bro
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
इनके पास इंडि या सीबीआई भेजा जाए जब मुंशी 6000000 चुरा सकता है तो उनके पास कितना पैसा होगा काला धन का अच्छे तरीके से इनका जांच होना चाहिए
Bhai ye banda 4 minute me 5 km bhag sakta hai😂
Anant singh best leader hai bhai.
दोनों के बीच में बेचारी जनता लाचार है इन दोनों व्यक्ति को जेल में ही रहना उचित है
Monu ko Olympic me bejo bhai gold medal fix h 4000m me
😂😂😂😂😂😂😂jahahahahhahahahahahaha
❤😂
Monu ka khal khatam
मिडिया वाला ऐसे पुछ रहा है जैसे अनन्त सिंह देश के भगवान है।समय परिवर्तनशील है।एक दिन सबका हिसाब होना तय है।
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
Ye sahi bol rahe h bhaiya
I support sonu bhai 🎉
Bhai bilkul sahi bat kah rahe sata ka hank
Ye to Patna Wale raushan anand sir jaisa bol rha h😂
😂
Sahi bole
Bilkul😂sahi bhai😂
योगी माडल लागू करो बिहार में, up पूर्वांचल जैसा दबंग जिला के बाहुबली कहे जाने वाले लोग नहीं बचे तो बिहार के गुंडे किस खेत की मूली हैं.. Sab chor chai sidha ho jayega..
A to dabang admi hai bhai sonu😊😊
Ye bhai bhut vidhvan lag rahe hai bahut achha bol rhe hai
Behtreen bolta hai bhai
5-4 किमी ,5-7मिनिट में आ गए मोनू। बेस्ट एथलीट
Wah Sonu Bhai , Kya sandar bola Aap Ne👍 Sb maala ferne wala hai mere pas😅
Maar anantwa ke sonu singh dikha de bhumihar ke power.Humar Laura hai अनंत सिंह😎😎😎
Tor mami se saath oola beli khele gaa anant singh
Anant Singh bhumihar nhi hai kya? Kuch bhi😂
सोनू और मोनू सिंह से भूमिहारों का सीना चौड़ा हो गया है, चोर चूहार , कुकर्मी अनंत को धूल चटा दिया,
अबकी बार सोनू मोनू विधायक बनेगा मोकामा से।
Anant Singh ke samne aa gaye to tuhar Ghar me sab ka tatti hui jaibe
Are yaar anant singh chamar nahi h wo bhi Bhumihar hi h
चार किलोमीटर 05-07 मिनट मे कोई कैसे आ सकता है
बाइक से
सोनू भईया जी आप ठीक बोल रहे हैं 🎉❤
4 km 5 se 7 minutes me complete kiye .Edhar sipahi bahali me logo ko 1.6km 5 se 6 minutes me daura nhi ja rha hai😂😂...
Daur karke aaye Matlab kisi chij se jaldbaji mai aaye
ये बोलता है पाच सात मिनट लगता है चार किलोमीटर है मतलब इनकी दौड़ने की रफ़्तार 7 मिनट में 4 किलोमीटर है जो आज तक कोई नहीं कर पाया है इनहे तो ओलंपिक में जाना चाहिए एक गोल्ड मेडल भारत को मिला जाता
😂😂😂
हिंदी इतनी शानदार ऐसी है
Sahi bat bola hai
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
झूठा ब्यान सोनू दे दिया आखिर कभी साठ लाख कभी तिरेसठ लाख इसी में फेल हैं
Don hai bhai
4 km 7 minutes me wah bhai aap mairathan me medal la sakte hai.
Bahut samajhdar hai monu g batchit se lagta hai
सोनू के पिता बोले कि 20-22 लाख, सोनू बाबु 60 लाख बोल रहे हैं
दम है बन्दा में नेता जरूर बनेगा
Gunda ban kar ruclips.net/video/nBOnLcuCU_8/видео.htmlsi=oqeolX9h6V52NSYR
King 👑 of bihar , anant singh ❤, pith piche pm ko bhe gali deta hai sab
Sonu bhai jeetega is baar vidhayak banega Sabko hara ke
Sudh hindi hai bhai itna toh mere hindi teacher bhi na bole hai 😂😅😊
4 km 5/7 मिनिट में इस इस बार ओलंपिक में भेज दो बिहार सरकार से अनुरोध है मेरा😂😂😂😂😂
आप ने सही बोले भाई
इतना न सोनू मोनू का न्यूज न बनाओ कि निपट ही जाए । सही पूछते हो तो इसका नाम पहली बार सुन रहा हूं । इसको सिर्फ अपने क्षेत्र में ही लोग जानता होगा बाकी जगह शून्य है । अनंत सिंग को पूरे बिहार और बिहार से बाहर बच्चा बच्चा जनता है ।
Bhai all india
सोनू तोरा पे भरोसा नइखे 😅
2:54 sasura 1600meter 6minute me nahi daur paye bihar police constable me ee sasura 5,7 minute me 4km daur gaya😂😂
Anant singh fan cote sarkar💞👍
In news valo ke pas har topic pe coverage banane ka time h pr berozgar ki bat sunne ka nhi h or na hi sarkar se sawal puchne ka hai in sab news wala ka bahishkar karo me hath jodke nivedan karta hu
Jab tak ye news wale students logo ki maang sarkar tak nhi pahuchate inka bahishkar karo
5 मिनिट में 4,5 किलोमीटर क्या बात है 😅
अगर ये बात up का होती तो सोनू मोनू ,, पेले जाते
Sonu Monu v bhumiyaar h .koi aira gaira nhi .
Kuch na hota bhumihar hai
@@alokkr2921 kya bhumihar hai kisi ko kuch kar denge,,vihar,,sabse ghtiya rajy hai,,shasan,
@@Ismaily2003dono paksha Pele jate up me
सोनू मोनू को भी बाहुबली बनना है। बाहुबली बनने के बाद विधायक बनना है। अनंत सिँह बाहुबली है लेकिन जनता को खुश रखता है।
King of mokama ❤
Anant singh king ❤
Donu😮Ek😮hi😮Esakul😮me😮padhe😮Likhe😮h😮janta😮dhyan😮Rakhe
बिहार में लगभग सभी क्रिमनल नेता बना हुआ है
4 km 7 minute me daud gye Sonu bhai 😂 army ki daur ghoda wala
सबको नेता बनना है😅😅😅😅😅
Aap 4 Kimi Kya chij Se Aaye the bullet train ya chal
As a Bhumihar we support sonu monu
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor
हग देगा तुम ,,कौन पहचानता है तुमको सोनू मोनू,,,,अंदर हो जाओ
अब ayga मज़ा शेर को मिला सवा शेर 😂😂😂
4 km 5 min meai dor kar chale aaye waah 😂
Cameraman bhi Gajab
Koi on camera kahega ki hum goli chalwaye...
Kahani sabki alag-alag hai or sach alag hota hai
भाई ये भाई भी बाहुबली हैं
ASLI HERO🎉🎉🎉🎉
Bihar UP k rajput ka na to koi history hai bas gunda raaz kr rakha h. Jab Yadav pel dete h tab jungal raaz ka chhaati peetne lagte h😂😂
Sachachai ki jeet ho .bhay dahashat ka mahoul banane ke khilf kanooni karywahi ho.samaj me shanti tatha shohard ka mahol bane. ❤❤❤. ..
मुकेश जी के पास 60 लाख आप कैसे छोड़ दिए
#मोकामा_डायरी
यह बेहद शर्मनाक है कि एक भूमिहीन भूमिहार मुकेश सिंह(गांव...हेमजा) को बंदूक के बल पर प्रताड़ित किया जाता है, औरतों का दांत तोड़ दिया जाता है,बेटी को अपमानित किया जाता है,घर के बेटा को मौत के डर से घर छोड़ना पड़ता है,कमाने खाने का प्रतिबंध लगा दिया जाता है, गांव में मदद करने पर रोक लगा दी जाती है।
इस भूमिहीन भूमिहार परिवार पर जुल्म ढाने वाला कोई नक्सली नहीं है, आर्थिक नाकेबंदी लगाने वाला कोई माओवादी नहीं है और ना ही कोई कश्मीर का आतंकी संगठन है।
ऐसा क्रुर वारदात का आरोपी(गांव....नौरंगा, जलालपुर) एक मजबुत भूमिहार है जो एक मजबूर भूमिहार को बंधुवा मजदूर बनाकर पिंजरे में कैद कर लेना चाहता है, जिसने क्रुरता की हदों को पार करते हुए कश्मीरी आतंकियों की तरह घर में ताला लगा देता है और यह बात स्थानीय पुलिस को पता थी फिर भी 5-5 फीट के पुलिसवाले गैंग के सामने समर्पण कर जाते हैं।
भूमिहार गांवों में गरीबि बेतहाशा बढ़ी है और पलायन सर्वाधिक हुआ है जिसका मुख्य वजह यही गैंग व गैंगवार है जिसने मासूम व निर्दोष का जीना मुश्किल कर दिया है, घर की बेटियों का इज्जत बचाना मुश्किल हो गया है, अपने पुरखों की जमीन बचाना मुश्किल हो गया है।
जब स्वामी सहजानंद सरस्वती बनारस से निकलकर मगध में घुम रहे थे तो देखा कि बड़े बड़े जमिंदारों ने छोटे छोटे रैयत भूमिहारों को पालतु बना रखा है, शोषण कर रखा है व ज्ञान की दुनिया से दूर कर दिया है।
यही कारण है कि स्वामीजी ने जमिंदारी उन्मूलन के खिलाफ किसान की आजादी व सशक्तीकरण पर जोर दिया।
वर्तमान घटनाक्रम पर आते हैं कि एक गरीब के घर में ताला जड़ दिया जाता है जिस पर सुशासन की पुलिस मौन रहती है जैसे कश्मीर में पुलिस मुकदर्शक रहती थी 1990 के दौर में, मजबुरन पीड़ित मुकेश सिंह परिवार को स्थानीय विधायक से गुहार लगानी पड़ती है तो एक संवैधानिक पद पर रह चुका व जन प्रतिनिधि रह चुका विधायक का दायित्व बनता था कि घर से भगा दिए गये मुकेश सिंह को घर में वापसी करायी जाए।
शर्मनाक पहलू तो यह है कि एक गरीब का चीरहरण होता रहा फिर भी गांव डर कर चुप रहा, समाज तमाशे में विडियो देखता रहा और नेता मगन रहे अपने अपने सता के नशा में।
उपमुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, एक केंद्रीय मंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं और बाहुबलियों की बड़ी बड़ी शोहरतें भी वहां है पर एक मजबूर के हरण व निर्वासन पर सभी चुप रहे।
अगर मंत्री-उपमुख्यमंत्री थोड़ा भी पीड़ित के पक्ष में खड़ा होते तो शायद 68 साल के स्थानीय विधायक को यंग गैंग का सामने न जाना पड़ता और ना ही गोली चलती।
अन्याय के खिलाफ चुप रहकर दोषी होने का पाप हम सबने किया है, एक गरीब का तमाशा बनता रहा फिर भी वोट लेने वाले सौदागर चुप हैं तो यह पाप उन्होंने भी किया है।
#Always_stand_with_the_poor