आखिर पांचवा वेद सूक्ष्म वेद कौन- सा है? Sant Rampal Ji Maharaj|| Soul of God||

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  • Опубликовано: 5 сен 2024
  • आखिर पांचवा वेद "सूक्ष्म वेद" कौन-सा है? Sant Rampal Ji Maharaj|| Soul of God||
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    🙏🏻नमस्कार दोस्तों, हमारे RUclips Channel पर आप देख रहे हैं जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का विशेष प्रसारण।
    सूक्ष्म वेद सच्चिदानंदघनब्रह्म की अमृतवाणी है। अर्थात सृष्टि रचयिता परमेश्वर कबीर साहेब की अमरवाणी है। अपने बच्चों (आत्माओं) को कसाई/शैतान/ ब्रह्म-काल के जाल से छुड़ाने के लिए, भगवान स्वयं इस नश्वर संसार में प्रत्येक युग में अवतरित होते हैं और पुण्य आत्माओं को मिलते हैं। वे अपनी पुण्य आत्माओं को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और सच्चा मोक्ष मंत्र (सतनाम और सारनाम) प्रदान करते हैं जिसका प्रमाण पवित्र ग्रंथों में वर्णित है। कबीर सागर जिसे पांचवा वेद या "सूक्ष्मवेद" भी कहते हैं इस पवित्र वेद की रचना भक्त धर्मदास साहेब जी द्वारा की गई थी, जो सर्व जगत रचनहार कबीर साहेब जी के सबसे प्रिय शिष्य थे। धर्मदास साहेब जी बांधवगढ़, मध्य प्रदेश के रहने वाले थे।
    परमेश्वर कबीर साहेब ने चारों वेदों को प्रारंभ में ब्रह्म-काल में प्रवेश किया तथा जो निश्चित समय पर उसके शरीर से बाहर निकल आए। काल ने जब वेदों को पढ़ा तो जाना की वेद परम अक्षर पुरुष यानी कबीर साहेब की महिमा बता रहे हैं और भगवान को प्राप्त करने के लिए पूजा की सच्ची विधि के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं, इसलिए काल ने वेदों के प्रासंगिक हिस्सों को नष्ट कर दिया जिसमें भगवान के बारे में जानकारी थी और बाद में बाकी के हिस्से को समुद्र में छिपा दिया इसलिए सूक्ष्मवेद के निर्माण की आवश्यकता पड़ी जिसमें परम ईश्वर और उसे प्राप्त करने की विधि के बारे में संपूर्ण जानकारी लिखित है। वर्तमान में उपलब्ध सूक्ष्मवेद में कुल 40 अध्याय हैं। पवित्र कबीर सागर में परमेश्वर कबीर साहेब की अमृतवाणी शामिल है जो सच्चे मोक्ष मंत्र सतनाम के बारे में जानकारी प्रदान करती है। यह ज्ञान कबीर साहेब जी द्वारा कुछेक पुण्य आत्माओं को प्रदान किया गया था जो परमेश्वर कबीर साहेब के प्रत्यक्षदर्शी थे।
    धर्मदास जी ईश्वर-प्रेमी धर्मात्मा थे और भगवान विष्णु के उपासक थे। कबीर साहेब जी मथुरा में धर्म दास जी को मिले और उन्हें सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान समझाया। कबीर साहेब जी और धर्म दास जी की वार्ता और कबीर जी द्वारा उच्चारित पवित्र वाणियों का उल्लेख सूक्ष्मवेद में किया गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि ईश्वर प्राप्ति के लिए साधक के पास सतनाम मंत्र होना बेहद जरूरी है।
    एक तत्वदर्शी संत तीन चरणों में सच्चा मोक्ष मंत्र प्रदान करता है। पहला मंत्र, दूसरा सतनाम (ओम-तत्) और तीसरा सारनाम। पवित्र श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में कहा गया है कि 'ओम्-तत्-सत्' (सांकेतिक गुप्त मंत्र) मुक्ति की प्राप्ति के लिए है। सूक्ष्मवेद में परमेश्वर कबीर साहेब की पवित्र वाणी है जहां उन्होंने भक्त धर्मदास जी को बताया है कि उन्होंने पूरे ब्रह्मांड की रचना कैसे की? जानने के लिए नीचे दी गई वीडियो को जरूरी देखें:👇🏻
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