हालातों की वेबसी
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- Опубликовано: 7 окт 2024
- हालातों ने जिंदगी बना थी मायूस, अब दिन बदल गए
मुम्बई सटे नगर कल्याण पूर्व स्थित कैलासनगर के बजरंग काँलोनी में रहनेवाले भूषण शिंदे का गायन में सुर, ताल, लय एवं धुनो आदि पर उम्दा पकङ रहने के बावजूद भी पारिवारिक कलह ने उनके जिन्दगी को निरस बना दिया था।
बता दें कि गायिका लता मंगेशकर के गानो को सुन सुन कर श्री शिंदे पर गायकी और वादन का ऐसा भूत सवार हुआ कि तकरीबन बाईस,तेईस वर्ष के उम्र में ही वाँसुरी, हारमोनियम और तबला वाद्य का एक बेहतर कलाकार बन गये।
बतातें चलें कि पच्चीस वर्ष के उम्र पार करते ही वह मुंबई के रेस्टॉरंट एवं बार में अपनी गायकी के सुर विखेरने लगें जिसमें रफी और पंचम दा के गाने पर कुछ कठिनाईयाँ महशूश होने लगी तभी अपने मित्र धोत्रे के सहयोग से सुर, ताल और अलाप के भी गुङ सीखें।
परंतु इसी बीच पारिवारिक कलह ने गायक भूषण के गायकी को खाक में मिलानेवाला ही था कि संयोगवश मुलाकात हो गयी मानस मंडल के गायक दिनेश मिश्रा, कवि खूँटातोङ,गायक संदीपलाल यादव एवं वाँसुरी वादक सूर्य प्रकाश शुक्ला आदि कलाकारो से जो एक कार्यक्रम में अपनी गायन, भजन और पाठ आदि की सेवांए देने जा रहे थे जिन सबके साथ श्री शिंदे भी हो लिए।
फिर वही से चल पङा भूषण के गायकी का जादू, जिस कारण आदरणीय श्री श्री राहुल जी महाराज के रामकथा में गायकी के भी आँफर आने लगे। हलाँकि उस नौदिवसीय रामकथा में इस गायक ने अधिकतर दिनो तक कैमरामैन बनकर फोटोग्राफी का ही काम किए परंतु उसी कार्यक्रम में अंतिम दिन के सिर्फ गायन कार्यक्रम में भूषण ने अपनी गायकी एवं वाँसुरीवादन से धमाल ही मचा दी।
फिर भगवान श्री रामकथा के पाठो के श्रवण का भी इस कदर लाभ मिला कि धीरे धीरे पारिवारिक कलह भी शांत हो गया जिसमें तनिक उनके मित्र संतोष एवं अमित का भी सांत्वाना एवं ढाँढस भी काम आया जिस कारण पुनः श्री शिंदे की चल पङी है।
खबर लिखे जाने के एक सप्ताह के भीतर ही नवीं मुंबईत के नजदीक उरण एवं न्वाहा शेवा के तरफ अनेको स्टेज शो में इस गायक को न सिर्फ वाद्य यंत्रो पर सुर विखेरने को मौके मिले है बल्कि गायकी के भी मौके मिले है जबकि इससे पहले ही दो महीने के अंदर ही गोवा और हैदराबाद आदि के तरफ भी यह वादक अपना जलवा बिखेर चुका है।
रिपोर्ट :आर बी सिंह
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Bahut Badhiya bhushan
वाह भूषणजी