गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप मुक्त करते वक्त पूरे संसार को चेतावनी क्यों दी || Shri Ganesh Stories

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 14 июл 2021
  • गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप मुक्त करते वक्त पूरे संसार को चेतावनी क्यों दी || Shri Ganesh Chandra Dev Story
    एक पौराणिक कथा के अनुसार गणेशजी के गुस्से का शिकार चंद्रमा हुए थे, जिसका असर आज भी हो रहा है। लेकिन इस संदर्भ में धर्म शास्त्रों में एक नहीं बल्कि तीन कथाएं प्रचलित हैं।कहते हैं एक बार कुबेरजी भगवान शिव तथा माता पार्वती के पास एक आमंत्रण लेकर कैलाश पर्वत पहुंचे। वे चाहते थे कि शिव तथा पार्वती उनके महल आकर उनके यहां भोजन करें लेकिन शिवजी कुबेर की मंशा को समझ गए थे। वे जानते थे कि कुबेर केवल अपनी धन-संपत्ति का दिखावा करने के लिए उन्हें महल में आमंत्रित कर रहे हैं। तब शिवजी मुस्कुरा कर बोले कि यदि आपको हमारी सेवा ही करनी है तो आप मेरे पुत्र गणेश को ले जाएं।
    गणेश आपको सेवा का पूर्ण मौका देंगे। शिवजी गणेश की समझदारी को जानते थे इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया था। अंत में कुबेर गणेश को ही ले जाने के लिए राज़ी हो गए। मिठाइयों के शौकीन गणेशजी ने उस रात कुबेर के महल में पेट भरकर भोजन किया। लेकिन इतनी मिठाइयां खाने के बाद भी उनका मन नहीं भरा और वे सोचने लगे कि यहां से निकलते समय वे कुछ मिठाइयां अपने ज्येष्ठ भ्राता कार्तिकेय के लिए ले जाएंगे और कुछ स्वयं भी खा लेंगे। फिर क्या था.. गणेशजी ने ढेर सारी मिठाइयों को अपनी गोद में रखा और निकल पड़े अपने मूषक पर सवार होकर। रात का अंधेरा था, लेकिन चंद्रमा की रोशनी से कैलाश पर्वत चमक रहा था। तभी गणेशजी के मूषक ने मार्ग में एक सर्प देखा और भय से उछल पड़े।
    इस कारण गणेशजी अपना संतुलन खो बैठे और काफी तेजी से नीचे गिर पड़े। परिणामस्वरूप उनकी सारी मिठाइयां भी धरती पर बिखर गईं। वे उठे... इधर-उधर इस नजर से देखा कि कहीं किसी ने उन्हें गिरते हुए देख तो नहीं लिया। जब उन्होंने किसी को भी आसपास नहीं पाया तो वे मन ही मन संतुष्ट हो गए लेकिन वे कहां जानते थे कि दूर आसमान से चंद्रमा उन्हें देख रहा था।
    गणेशजी तब आगे बढ़े और अपनी मिठाइयों को एकत्रित कर ही रहे थे कि उन्हें हंसने की आवाज़ सुनाई दी। उन्होंने नजर दाए-बाएं घुमाई तो उन्हें कोई ना दिखा। लेकिन जैसे ही उनकी आंखें आकाश पर पड़ीं तो उन्होंने चंद्रमा को हंसते हुए देखा।
    यह देख गणेशजी बेहद शर्मिंदा हुए लेकिन दूसरे ही पल उन्हें यह एहसास हुआ कि उनकी मदद करने के स्थान पर चंद्रमा उनका मजाक बना रहा है। वे पल भर में क्रोध से भर गए और चंद्रमा को चेतावनी देते हुए बोले, “घमंडी चंद्रमा! तुम इस प्रकार से मेरी विवशता का मजाक बनाते हो। यह तुम्हे शोभा नहीं देता। मेरी मदद करने की बजाय तुम मुझ पर हंस रहे हो, जाओ मैं तुम्हे श्राप देता हूं कि आज के बाद तुम इस विशाल गगन पर राज नहीं कर सकोगे। कोई भी तुम्हारी रोशनी को आज के बाद महसूस नहीं कर सकेगा। आज के बाद कोई भी तुम्हें देख नहीं सकेगा।“
    अपनी भूल को पहचानने के बाद चंद्रमा बोले, “कृपया आप मुझे माफ कर दीजिए और मुझे अपने इस श्राप से मुक्त कीजिए। यदि मैं अपनी रोशनी इस संसार पर नहीं फैला पाया तो मेरे होने ना होने का अर्थ खत्म हो जाएगा।“ चंद्रमा को यूं लाचार देखकर गणेशजी का गुस्सा कम होने लगा।
    वे मुस्कुराए और उन्होंने चंद्रमा को माफ किया परन्तु बोले, “तुम्हें अपनी गलती का आभास हो गया यह अच्छी बात है। लेकिन मैं अब चाहकर भी अपना श्राप वापस नहीं ले सकता। परन्तु इस श्राप के असर को कम करने के लिए मैं तुम्हे एक वरदान जरूर दे सकता हूं।“
    गणेशजी ने चंद्रमा से कहा कि ऐसा अवश्य होगा कि तुम अपनी रोशनी खो दोगे लेकिन एक माह में ऐसा केवल एक ही बार होगा। इसके बाद तुम फिर से समय के साथ वापस बढ़ते जाओगे और फिर 15 दिनों के अंतराल में अपने सम्पूर्ण वेष में नजर आओगे।
    Video Name - Om Namah Shivay #Episode207
    Copyright - Creative Eye Private Limited
    Licenses By - Dev Films And Marketing Delhi
  • РазвлеченияРазвлечения

Комментарии • 24