एक तो इस पद का भाव इतना अद्भुत है, "भरत भाई कपि से उऋण हम नाहीं" ❤️❤️ कि व्यक्ति पढ़ते-पढ़ते भक्ति से प्लावित हो जाये। उस पर ऐसी सिद्ध आवाज़, जो भक्ति संगीत में तप कर कुंदन बन गयी हो, चमत्कार तो होना ही था। पंडित जी ❤️🙏
Bharat Bhai, Kapi se urin hum naahi Aitho khaaye, achhoot khavavaat, Haath dhovat tak naahi, Sau yojan maryaad Sindhu ki, laangh gayo pal maahi, Lanka jaayi, Siya sodhi laaye Garb nahin man maahi Shakti baan lagyo lachhman ke Shor shor shor bhayo dal maahi Dronagiri parvat le aayo Bhor hone nahin paayi ahi Raavan ki bhuja ukhaadi Baith rahyo Math maahi Ya par Bharat, jo Hanumant na hote, Ko lyaavat jag maahi Tulsidaas Maarutsut mahima Prabhu apne mukh se gaayi After his 14 year long "Vanvaas" (stay in the forest), Lord Rama returns to Ayodhya. He meets his brother Bharat and narrates who all helped him. In this particular verse, Lord Rama talks about how and how much he is indebted to the great ape Lord Hanuman. The one take-away line is "Kapi se urin hum naahi". Translated, the line means, "I am not free of debt from the ape". The humility of Lord Rama as described by Goswami Tulsidas. For all his greatness, Lord Rama never forgets the debt he owes to the ape. A prejudiced being may think of the ape as being insignificant. Never such a sin is committed by Lord Rama.
भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही || एठो खाय अछूत खवावत | हाथ धोवत टक माहि || १ || सौ योजन मर्याद सिंधू की | लांग गयो पल माहि | लंका जाय सिया सोधी लाये | गर्ब नाहि मन माहि || २ || शती बाण लग्यो लछमन के | शोर भयो दल माहि | द्रोणागिरी पर्वत ले आयो | भोर होने नहि पायी || ३ || अहि रावण की भुजा उखाडी | बैठ रह्यो मठ माहि | या पर भरत जो हनुमत ना होते | को ल्यावत जग माहि || ४ || तुलसीदास मारुतसुत महिमा | प्रभु अपने मुख से गायी | भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही || ५ ||
Here is some more additional interpretation to lyrical meaning... at 1:42 it is ऐठो खाय अछूत खवावत, हाथ धोवत तट मांही it describes Hanumanji's simplistic (rather rustic) behavior. He does not have the polish or finesse of washing his hands at designated place but washes them in तट (the very dish in which he ate). यहां तुलसीदासजीने हनुमानजीको एक भोले गँवार जैसे बताकर, बादमें उनकी शक्तिओंके बारेमें रामजीसे कहलवाकर अनूठा contrast खडा किया है। at 3:00 it is लाँघ गयो at 3:45 लंका जाय सिया सुधी लाय, गरव नहि मन मांही at 4:47 शक्ति बाण... powerful and not 100 (Indrajit hurls his Shakti baan and Lakshman falls unconscious) at 6:30 अहिरावण ... In the Ramayana Ahiravan , brother of Ravana, secretly carried away Rama and Lakshmana to the nether-world, consulted his friends and decided to sacrifice the life of the two divine brothers at the altar of his chosen deity, goddess Mahamaya. But Hanuman saved their life by killing Ahiravan and his army. बैठ रह्यो मठ मांही - inspite of such a great velor he humbly confined himself to solitude, not craving for recognition or appreciation. at 8:04 को ल्यावत जग मांहि ... who would have brought us back (alive) on earth (but for Hanuman). a humble attempt to answer your query, hope you would like it. while listening to Pt. Jasraj ji's rendition, enjoy the sonorous effect created by Sitar and Sarod combo. a very scintillating and भक्तिभावपूर्ण रचना जिसमें स्वयं भगवान अपने भक्तकी मुक्तमन सराहना करते हैं। हम भी ऐसी ही भक्तिके अधिकारी बन सकें ऐसी प्रभु चरणॊंमें प्रार्थना । हरि ॐ by......BJ Joshiji....
Joshiji the explanation about Hanumanji s eating habits could be avoided ....it puzzles me why Tulsidas ji would even mention them and why from Ramji ?
महाकवि तुलसी दास के मार्मिक शब्द, प्रभु राम के भावपूर्ण उदगार और रसराज पंडित जसराज जी की भावपूर्ण आवाज ने इस रचना को अत्यंत यादगार और महत्वपूर्ण बना दिया है। सभी साधुवाद के पात्र हैं..... विजय शंकर मिश्र, दिल्ली से..…🙏
और भक्तों को हृदयंगम करने के लिए श्री जसराज जी ने हृदय से ही गाया है हम लोग बहुत भाग्यशाली हैं कि ईश्वर का आशीर्वाद हमारे साथ है जो इस भजन को श्रवण करने के लिए हमें प्रेरित कर रहा है
the song exemplifies the sanctity & sacredness of the great bondage between LORD RAMA & LORD HANUMAAN....... it inspires,enkindle.....the BHAKTI BHAVA of srimad ramayana....
Lyrics 🙏- भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं… कपि से उरिन हम नाहीं… भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं…. हम नाहीं, हम नाहीं, हम नाहीं, कपि से उरिन हम नाहीं…. अधोघायल अछूत खवावत, हाथ धोवत डग माही भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं… सौ योजन, मर्याद समुद्र की ये कूदी गयो छन माहीं… लंका जारी, सिया सुधि लायो पर गर्व नहीं मन माहीं… कपि से उरिन हम नाहीं भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं… शक्तिबाण, लग्यो लछमन के हाहा कार भयो दल माहीं…. धौलागिरी, कर धर ले आयो भोर ना होने पाई… कपि से उरिन हम नाहीं भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं अहिरावन की भुजा उखारी पैठी गयो मठ माहीं. जो भैया, हनुमत नहीं होते मोहे, को लातो जग माहीं. कपि से उरिन हम नाहीं भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं… आज्ञा भंग, कबहुं नहिं कीन्हीं जहाँ पठायु तहाँ जाई. तुलसीदास, पवनसुत महिमा प्रभु निज मुख करत बड़ाई… कपि से उरिन हम नाहीं भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं…. पंडित जसराज की अद्भुत कर्णप्रिय आवाज में साहित्य तक पर सुनिए भगवान श्री राम द्वारा भरत जी से श्री हनुमान की महिमा में कहे गये ये वचन…इस भजन को सुनने से न केवल हनुमान जी के बलशाली स्वरूप का भान होता है, बल्कि आराध्य द्वारा भक्त की महिमा के बारे में भी भान होता है.
भगवान श्रीराम अपनी वनवास कथा भाई भरत को सुना रहे हैं, नेत्रों में अश्रुजल भरे हुए और जब हनुमान का वर्णन करने को उध्दयत हुए तो प्रभु के नेत्र छलक आए और यह वर्णन ........... और पंडित जी की स्वर्णिम आवाज .......जैसे शब्द दृश्यमान हो गए ....... चलचित्र मानिंद घटित सम्मुख प्रकट होने लगा....... सुरों के भगवान् पं.जसराज जी उपर भी भगवान आपको सम्मुख बिठा आपसे भजन सुन रहे होंगे !! है ना , संगीत रसीकों 😭😭😭😭🙏🙏🌹🌹🙏🙏
🪷🪷🪷 ॐ 🪷🪷🪷 🪷 जय श्री गणेशाय नमः 🪷 🪷🌸🌺🌹💐🌷🌻 राम रमेती रामेती, रमै रामये मनोरमे, सहस्त्र नाम ततुल्य, राम नाम वारानने। 🌸🪷🌺🌹💐🌷🌻 ॐ दूं दुर्गाय नमः 🌹🌺🌸💐🌷🌻🪷 ॐ नमः शिवाय 💐🌷🌻🌹🌺🪷🌸 जय श्री राम जय हनुमान 🌻🌷💐🌹🌺🌸🪷 राधे राधे राधे कृष्णा राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे 🪷🌸🌺🌹💐🌷🌻 जय जय नीम करोरी बाबा जी 🪷🌸🌺🌹💐🌷🌻
Can anybody dare to comment about this great poem of Panditji ?He has narrated a whole story of an episode of Ramayana musically ! I respect him all the way and I love this song .
Bhajan Touches The Deepest Realms Of Consciousness. Voice Is So Enchanting That It Takes Us To The Highest Parlance. No Words To Explain Pandit Jasraj's Voice Depth. Simply Par excellence.
Tulsidasji with his lyrics and Pandit Jasraj ji with his voice and excellent background music, creates a vivid picture. What an awesome listening experience
Here below is the lyrics: भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही || एठो खाय अछूत खवावत | हाथ धोवत टक माहि || १ || सौ योजन मर्याद सिंधू की | लांग गयो पल माहि | लंका जाय सिया सोधी लाये | गर्ब नाहि मन माहि || २ || He was able to cross the distance hundred yojana-s of ocean within short time, and reached Lanka and brought the news from thee. But he is not having any pride in it. शती बाण लग्यो लछमन के | शोर भयो दल माहि | द्रोणागिरी पर्वत ले आयो | भोर होने नहि पायी || ३ || Lakshman was hit by hundreds of arrows and there arose calamity in the camp. He brought the Drona mount before the twilight. अहि रावण की भुजा उखाडी | बैठ रह्यो मठ माहि | या पर भरत जो हनुमत ना होते | को ल्यावत जग माहि || ४ || While we stayed in our camp, the arms of Ahiravan was cut down. But if it is were not for Hanuman, who would have brought us back to this world?* This is not a story from popular Ramayana. May be some Adbhutaramayana or Anandaramayana, a Ahiravana is mentioned who was defeated by Hanuman as I remember. तुलसीदास मारुतसुत महिमा | प्रभु अपने मुख से गायी | भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही || ५ || Such is the greatness of Hanuman, and my lord praised it with his own mouth.
What a beautiful creation by Tulsidasji and such a deep great voice by Pt. Jasraj Ji! It touches the soul and showed the love lord Ram has for Hanumanji. In essence, in this bhajan, Lord Ram is telling Bharat who was Ram’s brother as well as his devotee that he would always be in debt to Hanumanji ( Kapi: ape). This was in response to Bharat’s inquiry about Hanumanji once Ram came back to Ayodhya after the exile (vanvaas). Lord Ram described things that Hanumanji did for him and Laxman during their war against Ravana. Love this Bhajan!
श्री तुलसीदास द्वारा रचित अद्भुत भाव आप श्री के स्वर से एकदम जीवन्त लगता है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे अयोध्या के सन्ध्याकाल में श्री राम एवं श्री भरत जी किसी सुंदर उपवन में टहल रहे हो और भैया राम उन्हें श्री हनुमान जी के द्वारा किये गये कार्य समझ रहे हो। मन करता है के यह भाव निरन्तर चलता रहे चलता रहे। क्योकि भक्त की प्रशंसा करते भगवान थकते नही है और अहंकार शून्य भक्त श्री हनुमान जी तो और भी प्रभु के प्रिय है ऐसे भक्त जिसने भगवान पर उपकार किया है। जय श्री राम।🙏🏽
This gives me the DARSHAN of Prabhu Shriram placing his hand on the shoulder of dear Brother Bharath while explaining the glories of Hanuman. It looks Prabhu Shriram in tears. Sant TULASIDAS must have had that DARSHAN. Pandit Jasraj has sung with the same emotion.
एक तो इस पद का भाव इतना अद्भुत है, "भरत भाई कपि से उऋण हम नाहीं" ❤️❤️ कि व्यक्ति पढ़ते-पढ़ते भक्ति से प्लावित हो जाये। उस पर ऐसी सिद्ध आवाज़, जो भक्ति संगीत में तप कर कुंदन बन गयी हो, चमत्कार तो होना ही था। पंडित जी ❤️🙏
Bharat Bhai, Kapi se urin hum naahi
Aitho khaaye, achhoot khavavaat,
Haath dhovat tak naahi,
Sau yojan maryaad Sindhu ki,
laangh gayo pal maahi,
Lanka jaayi, Siya sodhi laaye
Garb nahin man maahi
Shakti baan lagyo lachhman ke
Shor shor shor bhayo dal maahi
Dronagiri parvat le aayo
Bhor hone nahin paayi
ahi Raavan ki bhuja ukhaadi
Baith rahyo Math maahi
Ya par Bharat, jo Hanumant na hote,
Ko lyaavat jag maahi
Tulsidaas Maarutsut mahima
Prabhu apne mukh se gaayi
After his 14 year long "Vanvaas" (stay in the forest), Lord Rama returns to Ayodhya. He meets his brother Bharat and narrates who all helped him. In this particular verse, Lord Rama talks about how and how much he is indebted to the great ape Lord Hanuman.
The one take-away line is "Kapi se urin hum naahi". Translated, the line means, "I am not free of debt from the ape".
The humility of Lord Rama as described by Goswami Tulsidas. For all his greatness, Lord Rama never forgets the debt he owes to the ape. A prejudiced being may think of the ape as being insignificant. Never such a sin is committed by Lord Rama.
Thankyou so much!!
Lord Rama never commit sin. He is the supreme being and the source of creation. Jai Sri Ram.
Thanks
Thank you so much for your wonderful comment
Thankyou so so very much..😇🙏
भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही ||
एठो खाय अछूत खवावत | हाथ धोवत टक माहि || १ ||
सौ योजन मर्याद सिंधू की | लांग गयो पल माहि |
लंका जाय सिया सोधी लाये | गर्ब नाहि मन माहि || २ ||
शती बाण लग्यो लछमन के | शोर भयो दल माहि |
द्रोणागिरी पर्वत ले आयो | भोर होने नहि पायी || ३ ||
अहि रावण की भुजा उखाडी | बैठ रह्यो मठ माहि |
या पर भरत जो हनुमत ना होते | को ल्यावत जग माहि || ४ ||
तुलसीदास मारुतसुत महिमा | प्रभु अपने मुख से गायी |
भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही || ५ ||
❤
Thanku for lyrics
न भूतो.....न भविष्यती....
अद्भुत..पवित्र....आनंद लहरी...
पंडीत जसराजजी..आपण जिथे असाल तिथे......आपणास कोटी कोटी प्रणाम. 🙏🙏
श्री राम 🙏🙏
जय श्री राम, पंडित जी को कोटि कोटि प्रणाम
Adbhut
The Greatest Pandit Jasraj ji the supreme Bhakti Ras just brings tears to my eyes
Here is some more additional interpretation to lyrical meaning...
at 1:42 it is ऐठो खाय अछूत खवावत, हाथ धोवत तट मांही
it describes Hanumanji's simplistic (rather rustic) behavior. He does not have the polish or finesse of washing his hands at designated place but washes them in तट (the very dish in which he ate).
यहां तुलसीदासजीने हनुमानजीको एक भोले गँवार जैसे बताकर, बादमें उनकी शक्तिओंके बारेमें रामजीसे कहलवाकर अनूठा contrast खडा किया है।
at 3:00 it is लाँघ गयो
at 3:45 लंका जाय सिया सुधी लाय, गरव नहि मन मांही
at 4:47 शक्ति बाण... powerful and not 100 (Indrajit hurls his Shakti baan and Lakshman falls unconscious)
at 6:30 अहिरावण ... In the Ramayana Ahiravan , brother of Ravana, secretly carried away Rama and Lakshmana to the nether-world, consulted his friends and decided to sacrifice the life of the two divine brothers at the altar of his chosen deity, goddess Mahamaya. But Hanuman saved their life by killing Ahiravan and his army.
बैठ रह्यो मठ मांही - inspite of such a great velor he humbly confined himself to solitude, not craving for recognition or appreciation.
at 8:04 को ल्यावत जग मांहि ... who would have brought us back (alive) on earth (but for Hanuman).
a humble attempt to answer your query, hope you would like it.
while listening to Pt. Jasraj ji's rendition, enjoy the sonorous effect created by Sitar and Sarod combo.
a very scintillating and भक्तिभावपूर्ण रचना जिसमें स्वयं भगवान अपने भक्तकी मुक्तमन सराहना करते हैं। हम भी ऐसी ही भक्तिके अधिकारी बन सकें ऐसी प्रभु चरणॊंमें प्रार्थना ।
हरि ॐ
by......BJ Joshiji....
Thanks for explaining 🙂
Beautiful 👌👌🙏
Thank you very much i was looking for this explanation from long🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Joshiji the explanation about Hanumanji s eating habits could be avoided ....it puzzles me why Tulsidas ji would even mention them and why from Ramji ?
महाकवि तुलसी दास के मार्मिक शब्द, प्रभु राम के भावपूर्ण उदगार और रसराज पंडित जसराज जी की भावपूर्ण आवाज ने इस रचना को अत्यंत यादगार और महत्वपूर्ण बना दिया है। सभी साधुवाद के पात्र हैं..... विजय शंकर मिश्र, दिल्ली से..…🙏
Goswami Tulsidas left this bhajan for Panditji to sing
और भक्तों को हृदयंगम करने के लिए श्री जसराज जी ने हृदय से ही गाया है हम लोग बहुत भाग्यशाली हैं कि ईश्वर का आशीर्वाद हमारे साथ है जो इस भजन को श्रवण करने के लिए हमें प्रेरित कर रहा है
Truly 😊
Sooooo True.....Very Profound.
लाज़वाब, भक्तों के लिए अमृत वर्षा पण्डित जी का गायन, अप्रतिम।
मन भाव बिभोर हो उठता है...🙏
एठो खाव, अछूत खआवत.... वाह
अति सुंदर , दास्य भक्ति की परिकाष्ठा है श्री हनुमान जी !!👌
Brother ,
एठो खाव , अछूत...........
लाइन का हिन्दी मतलब क्या है ?
कृपया बताएं ।
धन्यवाद ।
Plz meaning???
Ram Ram Ram Ram Ram
पंडित जसराज जी के गुरु चरणों में नमन्!
रघुवीर के चरणों में नमन्!!
श्री हनुमंत के चरणों में नमन्!
the song exemplifies the sanctity & sacredness of the great bondage between LORD RAMA & LORD HANUMAAN....... it inspires,enkindle.....the BHAKTI BHAVA of srimad ramayana....
Jay shree ram bhagt hanuman samet aapka naman
Pandit Jasraj is at its best in this Bhajan - everybody will only love it !
Lyrics 🙏- भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं…
कपि से उरिन हम नाहीं…
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं….
हम नाहीं, हम नाहीं, हम नाहीं,
कपि से उरिन हम नाहीं….
अधोघायल अछूत खवावत, हाथ धोवत डग माही
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं…
सौ योजन, मर्याद समुद्र की
ये कूदी गयो छन माहीं…
लंका जारी, सिया सुधि लायो
पर गर्व नहीं मन माहीं…
कपि से उरिन हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं…
शक्तिबाण, लग्यो लछमन के
हाहा कार भयो दल माहीं….
धौलागिरी, कर धर ले आयो
भोर ना होने पाई…
कपि से उरिन हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं
अहिरावन की भुजा उखारी
पैठी गयो मठ माहीं.
जो भैया, हनुमत नहीं होते
मोहे, को लातो जग माहीं.
कपि से उरिन हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं…
आज्ञा भंग, कबहुं नहिं कीन्हीं
जहाँ पठायु तहाँ जाई.
तुलसीदास, पवनसुत महिमा
प्रभु निज मुख करत बड़ाई…
कपि से उरिन हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं…. पंडित जसराज की अद्भुत कर्णप्रिय आवाज में साहित्य तक पर सुनिए भगवान श्री राम द्वारा भरत जी से श्री हनुमान की महिमा में कहे गये ये वचन…इस भजन को सुनने से न केवल हनुमान जी के बलशाली स्वरूप का भान होता है, बल्कि आराध्य द्वारा भक्त की महिमा के बारे में भी भान होता है.
soo yojan maryad sindhu ki,, laang gayo pal ma hi
kapi se urin hum nahi
great bhajan
great pandit ji
next bharat ratna
भगवान श्रीराम अपनी वनवास कथा भाई भरत को सुना रहे हैं, नेत्रों में अश्रुजल भरे हुए और जब हनुमान का वर्णन करने को उध्दयत हुए तो प्रभु के नेत्र छलक आए और यह वर्णन ........... और पंडित जी की स्वर्णिम आवाज .......जैसे शब्द दृश्यमान हो गए ....... चलचित्र मानिंद घटित सम्मुख प्रकट होने लगा.......
सुरों के भगवान् पं.जसराज जी उपर भी भगवान आपको सम्मुख बिठा आपसे भजन सुन रहे होंगे !! है ना , संगीत रसीकों 😭😭😭😭🙏🙏🌹🌹🙏🙏
Thank you so much 🎉
🪷🪷🪷 ॐ 🪷🪷🪷
🪷 जय श्री गणेशाय नमः 🪷
🪷🌸🌺🌹💐🌷🌻
राम रमेती रामेती,
रमै रामये मनोरमे,
सहस्त्र नाम ततुल्य,
राम नाम वारानने।
🌸🪷🌺🌹💐🌷🌻
ॐ दूं दुर्गाय नमः
🌹🌺🌸💐🌷🌻🪷
ॐ नमः शिवाय
💐🌷🌻🌹🌺🪷🌸
जय श्री राम
जय हनुमान
🌻🌷💐🌹🌺🌸🪷
राधे राधे
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
कृष्णा कृष्णा राधे राधे
🪷🌸🌺🌹💐🌷🌻
जय जय नीम करोरी बाबा जी
🪷🌸🌺🌹💐🌷🌻
Can anybody dare to comment about this great poem of Panditji ?He has narrated a whole story of an episode of Ramayana musically ! I respect him all the way and I love this song .
song ? lol. Bhajan it is !
It's Tulsi isn't it
Bhajan Touches The Deepest Realms Of Consciousness.
Voice Is So Enchanting That It Takes Us To The Highest Parlance.
No Words To Explain Pandit Jasraj's Voice Depth.
Simply Par excellence.
जय श्री राम
अदभुत व अद्वितीय !
आप अपने मधुर व मोहक राग के माध्यम से हमेशा अपने प्रेमियों के दिल मे रहेगे ।
सादर ।
शब्द नहीं हैं पंडित जसराज जी के इस भजन के मधुर गायन के लिए।
Great energy !!!
Several generationms shall be obliged for this great composition
मैं तो इस भजन को बार बार सुनता हूँ ....
Heavenly and so Blissful, Lucky to hear this song!!!
Alokik, adwitiya sangeet sudha 🙏🙏🙏
पंडित जी के श्री चरणों में सत सत नमन🙏 दिव्य !!!! जय गोस्वामी तुलसीदास! जय श्री राम❤️❤️❤️🙏🙏🙏
feels like honey in ears..beautiful pt. ji
बहुत सुंदर।🙏
Tulsidasji with his lyrics and Pandit Jasraj ji with his voice and excellent background music, creates a vivid picture. What an awesome listening experience
Well said indeed
Panditji awesome song 🙏🙏 May your atmaa meet parmatmama vishnu best performance 🙏🙏we remember you sir Panditji🙏🙏🙏🙏
आत्मिक शांतिमय 🙏
भाव विभोर कर दिया
Musicians are gifts to humanity
W21a92222o
Absolutely
Here below is the lyrics:
भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही ||
एठो खाय अछूत खवावत | हाथ धोवत टक माहि || १ ||
सौ योजन मर्याद सिंधू की | लांग गयो पल माहि |
लंका जाय सिया सोधी लाये | गर्ब नाहि मन माहि || २ ||
He was able to cross the distance hundred yojana-s of ocean within short time, and reached Lanka and brought the news from thee. But he is not having any pride in it.
शती बाण लग्यो लछमन के | शोर भयो दल माहि |
द्रोणागिरी पर्वत ले आयो | भोर होने नहि पायी || ३ ||
Lakshman was hit by hundreds of arrows and there arose calamity in the camp. He brought the Drona mount before the twilight.
अहि रावण की भुजा उखाडी | बैठ रह्यो मठ माहि |
या पर भरत जो हनुमत ना होते | को ल्यावत जग माहि || ४ ||
While we stayed in our camp, the arms of Ahiravan was cut down. But if it is were not for Hanuman, who would have brought us back to this world?*
This is not a story from popular Ramayana. May be some Adbhutaramayana or Anandaramayana, a Ahiravana is mentioned who was defeated by Hanuman as I remember.
तुलसीदास मारुतसुत महिमा | प्रभु अपने मुख से गायी |
भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही || ५ ||
Such is the greatness of Hanuman, and my lord praised it with his own mouth.
Great pandit ji great...speechless
Heavenly.Voice of god.Feel so serene
So melodious. You are gift of God sir, for us.
भगवान आपकी आत्मा को उस परम् प्रकाश पुंज में स्थान प्रदान करे जिसके लिए आप सारी उम्र साधना करते रहे।
I wish the same.
Mujhe bhi wahi athan chahie Bhai isake lie kya karna hoga?
Qq111qqqqq111qq1qqqqqqqqqqq11q111qqq1qq1qqqqq11111qqqq1q111qq
आपकी प्रार्थना हृदय को छू गया 🙏
जय हो 🙌🌹
@@rishijaiho1 आभार गुरूजी
Sat Sat Naman Gurudev
Divinity personified
What a beautiful creation by Tulsidasji and such a deep great voice by Pt. Jasraj Ji! It touches the soul and showed the love lord Ram has for Hanumanji. In essence, in this bhajan, Lord Ram is telling Bharat who was Ram’s brother as well as his devotee that he would always be in debt to Hanumanji ( Kapi: ape). This was in response to Bharat’s inquiry about Hanumanji once Ram came back to Ayodhya after the exile (vanvaas). Lord Ram described things that Hanumanji did for him and Laxman during their war against Ravana. Love this Bhajan!
पंडित जसराज जी के भजन में स्वरों की गहराई लय का गांभीर्य अत्यंत कर्णप्रिय स्वरविन्यास आनंद विभोर कर के अंतर तक आंदोलित कर देते हैं।
It's one of my favourite भजन
जय श्रीराम जय हनुमान 🙏❤️🚩
So soothing !! Listening to this eyes closed and sitting comfortably, I am 100% certain, will reduce blood pressure !!
संदिप कांबळे यांचा आपनांस सारख्या वंदनीय गायकानावंदन
Jai Sri ram
Jai shree Ram Jai Hanuman
Jai shree Krishna
Atisundar Divya...
श्री तुलसीदास द्वारा रचित अद्भुत भाव आप श्री के स्वर से एकदम जीवन्त लगता है।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे अयोध्या के सन्ध्याकाल में श्री राम एवं श्री भरत जी किसी सुंदर उपवन में टहल रहे हो और भैया राम उन्हें श्री हनुमान जी के द्वारा किये गये कार्य समझ रहे हो।
मन करता है के यह भाव निरन्तर चलता रहे चलता रहे। क्योकि भक्त की प्रशंसा करते भगवान थकते नही है और अहंकार शून्य भक्त श्री हनुमान जी तो और भी प्रभु के प्रिय है ऐसे भक्त जिसने भगवान पर उपकार किया है।
जय श्री राम।🙏🏽
जय हो, आपका भाव चिंतन अनुपम है .....श्रीहरिदास श्रीहरिदास 🙇🏻
dil ki grhraiyon se naman hai apko itna sunder Bhajan koi Divya atma hi gaa sakti hai
This gives me the DARSHAN of Prabhu Shriram placing his hand on the shoulder of dear Brother Bharath while explaining the glories of Hanuman. It looks Prabhu Shriram in tears. Sant TULASIDAS must have had that DARSHAN.
Pandit Jasraj has sung with the same emotion.
a divine bhajan with ragg desh
jai ho prabhu 🙏
శివాత్మా..... మమ......
जितनी बार सुनो नया ही लगता है
Jai bhole nath
सुर साधना , तपस्या का मधुर प्रसाद । एक भावुक प्रसंग की भक्ति से ओत प्रोत प्रस्तुति
श्री राम जय राम जय जय राम 🕉️🙏🏻🙏🙏🙏🙏🙏
Adbhut! Pranam Panditji!
रामप्रहरी, ही पवित्र वाणी ऐकून मन अगदी तृप्त झालंय ..खरंच 🙏
पंडीतजी,
आपण जिथे असाल तिथे.....🙏
आपणास त्रिवार वंदन....🙏.
अद्भुत, लाज़वाब।
Loss of great soul. Always be remembered in his melodeous bhajan..
Hey Manas putra, aapko sat sat naman. Ye mera bhagya hai ki aapko sunane ka mauka mila.
अदभुत , प्रणाम गुरुदेव
Jay shree raam🙏🙏🙏
Ati sundar
गुरु जी के चरणों मे नमन🙏🙏
I enjoy listening to classical music ....nobody can tell me what i shud DO WITH MY LIFE...
Thank you Ishan Mahesh ji aap ne is Bhajan ko sunwa kar hame tirpat kar diya.thak you pandit ji aap jaha se bhi hame dekh rahe hai 🙏🙏🌹🌹
Jai shree Ram
Pranam Guruji
जय श्रीसीताराम।
Jai shree Ram Chandra ji maharaj 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम।
Kripa karo guru dev ki nai 🙏🙏🙏
Beautiful composition in rag..des
From Tulsi Das ji' Vinay patrika
Real pleasure of divine voice
Jai Baba Mahavir ki
Pranam guru Ji 🙏🙏🙏🙏🙏Jay Shari Sitaram 🙏🙏🙏🙏🙏Jay Shari hanuman ji ki jay ho 🙏🙏🙏🙏🙏🚩👌👌
Ram ji dwara warnit hnuman ji ki mahima
Adbhut ..sat sat naman
🙏🙏Jai Shree Ram Ji, Jai Hanuman Ji🙏🙏
Bahut sundar
Divine presentation
🎉 Pranam
अति सुंदर आवाज आत्मा को शांति मिलती है
Ulttimate devotion
🌺कपि से ऊऋण तो कोई नहीं हो सकता🪔🙏♥️
Beautiful... Speechless...!!
जय श्रीराम 🙏❤️🚩
जब मन करता है इसे सुन लेता हूँ
OMG...seems Shri Ram himself singing 🙏🙏🙏
Anything Panditji touched, turned into gold. Such was the Godgiven talent this superman of art of singing.
Ramesh Chiplonkar London
Beautifully sung by pt jasrajji
🙏🙏Jai Shree Ram..
Jai radha raman ji ki
Only pt. Jasraj can sing this bhajan. Extraordinery.
Super star ⭐️
Tulsidas ji lyrics and pandit jasraaj voice ....jai shri Ram jai jai Shri Ram
पंडित जी दैवीय प्रेरणा हैं।
Beautiful!