जय माता जी हुकुम खम्मा घणी सा आपका वीडियो बहुत अच्छा लगा हम तो मुसलमान हैं इसीलिए आपको करें हैं अल्लाह आपको सलामत रखे लंबी उम्र दे आपको हम भी राजपूत परिवार से बहुत प्यार करते हैं
घणी खम्मा हुक्म आपरी पुरी बात सुणी और नतीजों ओइज आयो । मां स्यांगीयाजी ने हाजरा हजूर समझे ने में ओ बात कहें रह्यो हु में गरवा पंथी क्षत्रीय कुमावत लिम्मो भाटी हु। और आपरे श्री मुख सु मां मरूधरा रे सपूता रो इतिहास सुणे ने घणो आणंद आवे है।
इतिहास कालीराणा का मारवाड़ आगमन : झंवर गाँव जोधपुर जिले की लूनी तहसील में जोधपुर-बाड़मेर मार्ग पर जोधपुर से 35 कि.मी. दूरी पर स्थित है. ठाकुर देशराज ने ' मारवाड़ का जाट इतिहास' में लिखा है कि झंवर गाँव कालीराणा / कालिरामणा गोत्र के जाटों ने बसाया था. गाँव के पश्चिम दिशा में एक कुआं है जिस पर संवत 1810 का लेख है और ब्रह्मा, विष्णु और महेश एवं गणेश कि मूर्तियाँ हैं. यह गाँव 800 वर्ष पहले का बसाया हुआ है. इसको बसाने वाले मालजी नाम के कलीराणा चौधरी थे. कालीराना गोत्र का निकास गढ़ गजनी से है. फिर ये लोग दर्रा बोलन होते हुए, पंजाब होते हुए पाकपत्तन शहर के नजदीक से आकर हिसार के पास सीसवाड़ में आकर बस गए. यहाँ से चल कर ये मारवाड़ आगये. यह गाँव दूदोजी के पुत्र मालजी ने बसाया था. मालजी के वंश में रामोजी, भींवराज जी, पाथोजी, जीवनजी, खेतोजी, सेवजी, पुरखोजी, भैरजी, हरजी, मालजी, चतुरोजी हुए जो वर्तमान में जिन्दा हैं. कालीराणा जाटों को महादेव जी का वरदान था कि जो न्याय बादशाह नहीं कर सकेगा, वो न्याय तुम करोगे. कालीराणा जिस पत्थर की शिला पर बैठ कर न्याय करते थे 'पद्म शिला' कहलाती थी जो आज भी गाँव में बने भव्य 'न्यायेश्वर महादेव' के मंदिर प्रांगण में पड़ी है. मंदिर के आगे एक खेजड़ी है. गाँव वालों ने बताया कि यह वही चंवरे (खेजड़ी की डाली) वाली खेजड़ी है, जिसे गाँव बसाते वक्त रोपा गया था और जिसके आधार पर गाँव का नाम चंवर से झंवर पड़ा. इस खेजड़ी के नीचे बैठ कर चौधरी न्याय करते थे. काली राणा चौधरी जिस पत्थर की शीला पर बैठ कर न्याय करते थे वो पद्म शीला कहलाती थी जो आज भी गाँव में बने महादेव मंदिर के प्रांगन में पड़ी है, वहां खेजड़ी वही है जो टहनी से लगी थी . इन चौधरियों में भींवराजजी का न्याय बड़ा प्रसिद्द था. इनके बारे में कहा जाता है: दुर्गादास जी मान्या, रामाजी मन भावणा । भीवराज न्याय मोटा करे, कर्ण मींड कालीराणा ।। अर्थात-जोधपुर रियासत का राजा दुर्गादास इन्हें मानता है. ये रामाजी के पुत्र हैं. भींवराज एतिहासिक फैसले कर कालीराणा का नाम कर रहे हैं. कहते हैं कि झंवर के चौधरियों को दिल्ली बादशाह ने ताम्र पत्र दिया था. आजादी से पूर्व रियासत क़ी तरफ से इन्हें प्रति वर्ष पाग (सफ़ा) बंधाई जाती थी. इसी वंश के एक पुरखोजी के बारे में कहा जाता था- पुरखो पढ्यो पाटवी, गेण हुई गज बम्ब । न्याय करे नव लाखो, जटियायत रो थम्ब ।। अर्थात - पुरखो चौधरी अपने बाप का सबसे बड़ा पुत्र यानि पाटवी है . यह गजब का बुद्धिशाली है , जोकि नौ लखां (अनुपम) न्याय करता है . यह जाट समाज का स्तम्भ है . झंवर नाम का आधार : झंवर गाँव के बसने के पीछे भी एक रोचक कहानी है. एक समय कालीराणा , सारण आदि जाटों का काफिला चारे-पानी की तलास में हरियाणा से मारवाड़ होते हुए सिंध की तरफ जा रहा था. इन्हें एक साधू ने चंवर (खेजड़ी की टहनी) दिया और कहा कि जहाँ रात्रि विश्राम करो, वहीँ यह रोप देना, जिस स्थान पर यह हरी हो जाये, वहीँ बस जाना. जोधपुर से 35 कि.मी. पश्चिम में गाँव के स्थान पर कालीराणा जाटों का काफिला जहाँ रुका हुआ था वहां यह डाली हरी हो गयी. यहीं पर इन्होने बसने का निर्यण लिया. सारणों के काफिला उस समय तक काफी आगे निकल चूका था. इसी चंवर का अपभ्रंश होकर गाँव का नाम कालांतर में झंवर हो गया. कहते हैं कि वह खेजड़ी का पेड़ आज भी विद्यमान है. _________________________^_^^____ हुक्म हमारे जाट कालीराणा गोत्र के चौधरी करते थे जोधपुर जिले के झँवर गाँव मे चौधरी सहदेव कालीराणा झँवर
@@dr.satyabhansinghrajput2191 हुक्म यह ठाकुर देशराज के शासन काल मे लिखा हुआ है हम पुरे ग्रामवासी चाहते है कि हमारा पुरा यह इतिहास पढ़कर एक विडियो के माध्यम से प्रकाशित करे इस युटुब पेज के आभारी रहेगे
Us choudhary ka name devaram kalirana choudhary thaa abi ham unke vansaj he ab hamne 576year pela bishnoi dhrm ko apna liya thaa or vo choudhary bholenath ki sila par betha kr panchyti krta thaa
Hkm aap re mukh me to sarswati viraje h
वाह सा.... प्रणाम थाने 🙏🙏
हुकुम जय माताजी सा। आपरो विडियो और आपरी वाणी घणों चोखो लाग्यो सा ।
जय माता जी हुकुम खम्मा घणी सा आपका वीडियो बहुत अच्छा लगा हम तो मुसलमान हैं इसीलिए आपको करें हैं अल्लाह आपको सलामत रखे लंबी उम्र दे आपको हम भी राजपूत परिवार से बहुत प्यार करते हैं
डिंगल रसावल शुक्रिया हुकुम
घणी खम्मा हुक्म आपरी पुरी बात सुणी और नतीजों ओइज आयो । मां स्यांगीयाजी ने हाजरा हजूर समझे ने में ओ बात कहें रह्यो हु में गरवा पंथी क्षत्रीय कुमावत लिम्मो भाटी हु। और आपरे श्री मुख सु मां मरूधरा रे सपूता रो इतिहास सुणे ने घणो आणंद आवे है।
वाह हुकुम मां सरस्वती हमेशा आपकी जुबां पर ऐसे ही विराजमान रहे हैं इस नई पीढ़ी के मार्गदर्शक हो जियो काकोसा हजार साल आपरे काटो ही नी भागे पग मै हुकुम
मजेदार और रौचक, खम्मा घणी हुकुम ।
Very nice hukum
इतिहास
कालीराणा का मारवाड़ आगमन : झंवर गाँव जोधपुर जिले की लूनी तहसील में जोधपुर-बाड़मेर मार्ग पर जोधपुर से 35 कि.मी. दूरी पर स्थित है. ठाकुर देशराज ने ' मारवाड़ का जाट इतिहास' में लिखा है कि झंवर गाँव कालीराणा /
कालिरामणा गोत्र के जाटों ने बसाया था. गाँव के पश्चिम दिशा में एक कुआं है जिस पर संवत 1810 का लेख है और ब्रह्मा, विष्णु और महेश एवं गणेश कि मूर्तियाँ हैं. यह गाँव 800 वर्ष पहले का बसाया हुआ है. इसको बसाने वाले मालजी नाम के कलीराणा चौधरी थे. कालीराना गोत्र का निकास गढ़ गजनी से है. फिर ये लोग दर्रा बोलन होते हुए, पंजाब होते हुए
पाकपत्तन शहर के नजदीक से आकर हिसार के पास सीसवाड़ में आकर बस गए. यहाँ से चल कर ये मारवाड़ आगये.
यह गाँव दूदोजी के पुत्र मालजी ने बसाया था. मालजी के वंश में रामोजी, भींवराज जी, पाथोजी, जीवनजी, खेतोजी, सेवजी, पुरखोजी, भैरजी, हरजी, मालजी, चतुरोजी हुए जो वर्तमान में जिन्दा हैं.
कालीराणा जाटों को महादेव जी का वरदान था कि जो न्याय बादशाह नहीं कर सकेगा, वो न्याय तुम करोगे. कालीराणा जिस पत्थर की शिला पर बैठ कर न्याय करते थे 'पद्म शिला' कहलाती थी जो आज भी गाँव में बने भव्य 'न्यायेश्वर महादेव' के मंदिर प्रांगण में पड़ी है. मंदिर के आगे एक खेजड़ी है. गाँव वालों ने बताया कि यह वही चंवरे (खेजड़ी की डाली) वाली खेजड़ी है, जिसे गाँव बसाते वक्त रोपा गया था और जिसके आधार पर गाँव का नाम चंवर से झंवर पड़ा. इस खेजड़ी के नीचे बैठ कर चौधरी न्याय करते थे. काली राणा चौधरी जिस पत्थर की शीला पर बैठ कर न्याय करते थे वो पद्म शीला कहलाती थी जो आज भी गाँव में बने महादेव मंदिर के प्रांगन में पड़ी है, वहां खेजड़ी वही है जो टहनी से लगी थी . इन चौधरियों में भींवराजजी का न्याय बड़ा प्रसिद्द था. इनके बारे में कहा जाता है:
दुर्गादास जी मान्या, रामाजी मन भावणा ।
भीवराज न्याय मोटा करे, कर्ण मींड कालीराणा ।।
अर्थात-जोधपुर रियासत का राजा दुर्गादास इन्हें मानता है. ये रामाजी के पुत्र हैं. भींवराज एतिहासिक फैसले कर कालीराणा का नाम कर रहे हैं.
कहते हैं कि झंवर के चौधरियों को दिल्ली बादशाह ने ताम्र पत्र दिया था. आजादी से पूर्व रियासत क़ी तरफ से इन्हें प्रति वर्ष पाग (सफ़ा) बंधाई जाती थी. इसी वंश के एक पुरखोजी के बारे में कहा जाता था-
पुरखो पढ्यो पाटवी, गेण हुई गज बम्ब ।
न्याय करे नव लाखो, जटियायत रो थम्ब ।।
अर्थात - पुरखो चौधरी अपने बाप का सबसे बड़ा पुत्र यानि पाटवी है . यह गजब का बुद्धिशाली है , जोकि नौ लखां (अनुपम) न्याय करता है . यह जाट समाज का स्तम्भ है .
झंवर नाम का आधार :
झंवर गाँव के बसने के पीछे भी एक रोचक कहानी है. एक समय कालीराणा , सारण आदि जाटों का काफिला चारे-पानी की तलास में हरियाणा से मारवाड़ होते हुए सिंध की तरफ जा रहा था. इन्हें एक साधू ने चंवर (खेजड़ी की टहनी) दिया और कहा कि जहाँ रात्रि विश्राम करो, वहीँ यह रोप देना, जिस स्थान पर यह हरी हो जाये, वहीँ बस जाना. जोधपुर से 35 कि.मी. पश्चिम में गाँव के स्थान पर
कालीराणा जाटों का काफिला जहाँ रुका हुआ था वहां यह डाली हरी हो गयी. यहीं पर इन्होने बसने का निर्यण लिया. सारणों के काफिला उस समय तक काफी आगे निकल चूका था. इसी चंवर का अपभ्रंश होकर गाँव का नाम कालांतर में झंवर हो गया. कहते हैं कि वह खेजड़ी का पेड़ आज भी विद्यमान है.
_________________________^_^^____
हुक्म हमारे जाट कालीराणा गोत्र के चौधरी करते थे जोधपुर जिले के झँवर गाँव मे
चौधरी सहदेव कालीराणा झँवर
Sahdev Jat इतनी पुराणी व महत्वपूर्ण जानकारी के लिये थांनै घणो घणो धनवाद| खम्मा घणी!
@@dr.satyabhansinghrajput2191 हुक्म यह ठाकुर देशराज के शासन काल मे लिखा हुआ है
हम पुरे ग्रामवासी चाहते है कि हमारा पुरा यह इतिहास पढ़कर एक विडियो के माध्यम से प्रकाशित करे
इस युटुब पेज के आभारी रहेगे
डिंगल रसावल से निवेदन है कि यह जो मेने एक टिप्पणी मे इतिहास रखा है इसे पुरा पढकर विडियो के माध्यम से प्रकाशित करे
हुक्म आपके नम्बर भेजना
डिंगल रसावल
bahut acha bhai
Jat Is Jat...jai ho choudhariya ki...
Jaat bhaat 👎👎👎
अतिसुंदर एवं ज्ञान वर्धक
Very very very very very very very very very very very very nice
Nice hukm
बहुत ही बढ़िया कहानी बात बात बहुत मजा की
लखदाद
मायङ भाषा राजस्थानी ❤❤
Khama ganhi
Superb hukum 🙏
सुपर टिम है जी राजेशर जय
घणी हांतरी बात फरमाई सा।
मजो आयगो सा
Very superhit
🙏
गजब
Wa sa gajab
वाह
प्रेरणादायक बातपोश ।।
Sahi nyay kiya
Woob
Wah
Very nice
Lovely video hkm
1Dam ZकाSssssss
Jai ho
Super hkm
खमा घणी हुक्म पाबू जी राठौर की वार्ता फरमाओ सा हुक्म
Super
वाह झंवर वाह
जोरदार हुकुम
जय माताजी री भाटी सा हुक्म पोपो बाई रो राज्य री कहानी पेश करो नी हुकम
Jay jay Kalirana
Us choudhary ka name devaram kalirana choudhary thaa abi ham unke vansaj he ab hamne 576year pela bishnoi dhrm ko apna liya thaa or vo choudhary bholenath ki sila par betha kr panchyti krta thaa
बहुत बहुत धन्यवाद आपका आभार व्यक्त
Hkm jhanwar k jhunjharo aur pokarn thakur Sawaisingh j Champawat k intakam ke ithihas ki baatposh bataiye
👌👌
Super
आवाज गूंज रही हैं ।
Nice
nice
Padam sisodia magalwati issru
Jaat bhaat danger charane wale 2 take k
हुक्म यह एक कहानी ही अर्ज करी के और भी बाकी सब अपडेट की हुई है
आपके नम्बर भेजना
@@dingalrasawal देखा है पर मिल नही रही जो झँवर की कहानी अपलोड करो तब
मुख्य लाइन झँवर के नाम से करो ताकी देखने मे आसानी रहे हुक्म
Awaz gunj rahi hai.
Nice