Baba ji parnam sudhir bhai ram ram Bahut bahut dhanyawad v shubhkamnaye baba ji kah rhe the pandit ji ek bar aur janm le Hamare liye to pandit ji ne baba surjmal ji ke roop me hi janm liya man liya ki pandit ji ki itani gahri baton ka arth udharan ke sath samjha rhe he jisse ki ye jiv bhavsagar se par uatar jayega Jai bhartiy sanshkirati Dada lakhmi Chand amar rhe Baba surjmal ji jindabad Sudhir bhai jindabad
Ase mhanan aatam hamare bahert me huye proud feel krte hai bht kuch sikhne ki jrurt hai humko itna acha Marg drsn hmare ko hamare purwajo ne diya huaa hai
Gyan,siksha jabardasti kisi ke dimaag main thunsa nahin ja sakta, Kyonki bhagwan ne sabko alag alag karte ke liye bheja hai,ek baar 5,th class mein mere teacher ne sunaya tha,2 students thae,unka naam Jeeta ve Santu tha,unko teacher baar padhne ki kahtey woh 5th class mein kai baar fail ho gye thae,unko ragni gaane ka sonk tha,ek din shaniwar ko prayer main Ragni gayi,Kala rang kudrti ho se,chdgey dusra rang nahi, chahe Barman ne Guru bnaley Jeeta Santu padhey nahin,ragni gaa ke basta thake school se chley gye fir kabhi nahi aaye,ham kathputli nachne wala koi aur hai,karan krawan haar tun ,Aarti ki line hai 🎉
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। भावार्थ:- संसार में जिसकी जैसी भावना होती है प्रभु मूरत उनको उसी प्रकार से दिखाई देती है। जुड़ने के लिए आपका आभार। राम राम जी 🙏🙏
किसी पर्व, विवाह, मंगल कार्य, शुभ मांगलिक अवसरों पर अक्सर महिलाएं 16 श्रृंगार करती है। करवा चौथ हरियाली तीज पर भी महिलाएं सजती और संवरती हैं। सौभाग्य के लिए किए यह श्रृंगार किया जाता है। सजने-संवरने के लिए महिलाएं कई तरह के सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग करती हैं। 1. बिंदी : सुहागिन महिलाओं द्वारा कुमकुम की बिंदी को माथे पर लगाना पवित्र माना जाता है। यह गुरु के बल को बढ़ती है। 2. सिंदुर : सिंदुर से मांग भरी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति की आयु वृद्धि होती है। 3. काजल : काजल से आंखों की सुंदरता बढ़ जाती है और इससे मंगलदोष भी दूर होता है। 4. मेहंदी : मेहंदी से हाथों की सुंदरता बढ़ती है। मेहंदी लगाना शुभ होता है। कहते हैं कि इससे पति का प्यार मिलता है। 5. चूड़ियां : चूड़ियां सुहाग का प्रतीक है। लाल रंग खुशी का और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। 6. मंगल सूत्र : मंगल सूत्र भी सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इसके काले मोती बुरी नजर से बचाते हैं। इसके अलावा गले में नौलखा हार या कहें कि स्वर्णमाला भी पहनते हैं। 7. नथ : इसे नथनी भी कहते हैं। नाक में चांदी का तार या लौंग पहना जरूरी होता है। इससे जहां सुंदरता बढ़ती हैं वहं बुध का दोष भी दूर होता है। 8. गजरा : इसे वेणी या चूड़ा मणि भी कहते हैं। यह बालों में सुंदरता और सुगंध के लिए लगाया जाता है। 9. मांग टीका : यह माथे के बीचोबीच पहना जाता है। यह विवाह के बाद शालीनता और सादगी से जीवन बिताने का प्रतीक है। 10. झुमके : इसे कुंडल और बाली भी कहते हैं। कानों में स्वर्ण बाली या झुमके पनहने से राहु और केतु का दोष दूर होता है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना। 11. बाजूबंद : यह सोने या चांदी का सुंदर सा कड़े की आकृति का जेवर रहता है जो बाजू में पहना जाता है। इससे परिवार के धन और समृद्धि की रक्षा होती है। 12. कमरबंद : इसे तगड़ी भी कहते हैं। यह कमर में पहना जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि सुहागिन आप अपने घर की मालकिन है। यह साड़ी को संभालकर भी रखता है। 13. बिछिया : इसे बिछुआ भी कहते हैं। यह पैरों के अंगुली में पहनी जाती है। यह सूर्य और शनि के दोष दूर करती है और यह इस बात का प्रतीक भी है कि सुहागिन अब हर समस्याओं का साहस के साथ सामना करेगी। 14. पायल : इसे पाजेप भी कहते हैं। पायल और बिछिया दोनों ही चांदी की ही पहनते हैं। 15. अंगूठी : विवाह के पूर्व यह मंगनी के दौरान पति अपनी पत्नी को पहनाता है। 16. स्नान : श्रृंगारों का प्रथम चरण है स्नान। कोई भी और श्रृंगार करने से पूर्व नियम पूर्वक स्नान करते हैं। स्नान में शिकाकाई, भृंगराज, आंवला, उबटन और अन्य कई सामग्रियां मिलाते हैं। तब वस्त्र धारण करते हैं। दुल्हन हैं तो लाल रंग का लहंगा पहनती है, जिसमें हरे और पीले रंग का उपयोग भी होता। इसके अलावा आजकल नेलपेंट और लिपस्टिक का भी प्रचलन हो चला है। हालांकि पौराणिक समय में और भी कई तरह के 16 श्रृंगार होते थे जिसमें अधरों और नख का रंगना, तांबूल आदि कई और भी श्रृंगार की सामग्री शामिल थी।
अति सुन्दर व्याख्या पंडित सूरजमल जी व सुधीर जी द्वारा की गई है ❤से धन्यवाद राम राम जी
Dada aapki baat bahut Sundar hai bahut jyada sunte Hain ham aapki baat ko
Baba ji parnam sudhir bhai ram ram
Bahut bahut dhanyawad v shubhkamnaye baba ji kah rhe the pandit ji ek bar aur janm le
Hamare liye to pandit ji ne baba surjmal ji ke roop me hi janm liya man liya ki pandit ji ki itani gahri baton ka arth udharan ke sath samjha rhe he jisse ki ye jiv bhavsagar se par uatar jayega
Jai bhartiy sanshkirati
Dada lakhmi Chand amar rhe
Baba surjmal ji jindabad
Sudhir bhai jindabad
पंडित जी ने, कहा, बिना मोक्ष, मरज्यागी, बावली।लख्मीचंद नै तंग करकै ।घर की वेदना प्रगट की।
Ase mhanan aatam hamare bahert me huye proud feel krte hai bht kuch sikhne ki jrurt hai humko itna acha Marg drsn hmare ko hamare purwajo ne diya huaa hai
Ese mahan baba aanad me rahte he chahe jamane me kuch bhi ho radhe radhe
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏🙏👌👌
दादाजी आपकी वीडियो बहुत अच्छा लगता है🙏🙏
भाई कसूती ज्ञान की बात सुन कर मजा आता है। एक एक शब्द समझ आजा है
जय दादा लख़्मी की
गजब है गजब
Sat sat naman Dada Lakhmichand Ji Ko
जय हो दादा की
🙏🙏
राम राम जी, जुडने हेतु आपको साधुवाद
Bahut badiya
Gyan,siksha jabardasti kisi ke dimaag main thunsa nahin ja sakta, Kyonki bhagwan ne sabko alag alag karte ke liye bheja hai,ek baar 5,th class mein mere teacher ne sunaya tha,2 students thae,unka naam Jeeta ve Santu tha,unko teacher baar padhne ki kahtey woh 5th class mein kai baar fail ho gye thae,unko ragni gaane ka sonk tha,ek din shaniwar ko prayer main Ragni gayi,Kala rang kudrti ho se,chdgey dusra rang nahi, chahe Barman ne Guru bnaley Jeeta Santu padhey nahin,ragni gaa ke basta thake school se chley gye fir kabhi nahi aaye,ham kathputli nachne wala koi aur hai,karan krawan haar tun ,Aarti ki line hai 🎉
Jai Ho
Bahut sundar vyakhya karte h dada g, achha kam kr rhe ho sudhir g❤
Har har Mahadev
Jai shree Ram jai jai shri krishna ji thau ji
Good job brother❤❤❤❤🎉
Jai dada ki🙏🙏🙏🙏🙏❤
❤❤❤❤❤
Vikash pahsoriya ko bhej Diya dada lakhmi Chand ne ji🙏🙏
दादा जी चरणो में कोटि कोटि प्रणाम
❣️🚩🙏
Tau ji sb manghadant bat bta rhe hn 🙏🙏
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
भावार्थ:- संसार में जिसकी जैसी भावना होती है प्रभु मूरत उनको उसी प्रकार से दिखाई देती है।
जुड़ने के लिए आपका आभार।
राम राम जी 🙏🙏
P lakmichand . Ram avttar the
लितर गांठ वाली बात से संतुष्टि नहीं बनी गुरु जी
Sir me Apki sabhi bato se shmat hu. Kayn ki Asa ram or ram rhim mamli many nhi he ye bhi to orate ki vjh se jail me he
Gayan ladega jor padega mushkil gana hoga enka arth bhi batana.
Vivekanand Ji ke lin h ye
आदरणीय श्री वत्स जी से अनुरोध है कि कृपया विस्तार से लिखें किस पंक्ति के विषय में लिखना चाहते हैं?
@@RaagRaginiSangam Swami Vivekanand Ji ke lin h ye mai tumhare jaisa putr chahti hu ye Shikago America ke gtna thi
कली खोल के नहीं बताते।बस दादा की बढाई करते हैं।
नेम नही पंडित जी नियम है ।
Kali number 3 Mal ki jagah falWhisky Bell kahen na dhore jaio fal k
पंडित जी लोगों को भ्रमित ना करें सोलह सिंगार औरत के शरीर में प्राकृतिक होते हैं
श्रृंगार कृत्रिम होते हैं जी और आवरण प्राकृतिक - धन्यवाद 🙏🙏
किसी पर्व, विवाह, मंगल कार्य, शुभ मांगलिक अवसरों पर अक्सर महिलाएं 16 श्रृंगार करती है। करवा चौथ हरियाली तीज पर भी महिलाएं सजती और संवरती हैं। सौभाग्य के लिए किए यह श्रृंगार किया जाता है। सजने-संवरने के लिए महिलाएं कई तरह के सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग करती हैं।
1. बिंदी : सुहागिन महिलाओं द्वारा कुमकुम की बिंदी को माथे पर लगाना पवित्र माना जाता है। यह गुरु के बल को बढ़ती है।
2. सिंदुर : सिंदुर से मांग भरी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति की आयु वृद्धि होती है।
3. काजल : काजल से आंखों की सुंदरता बढ़ जाती है और इससे मंगलदोष भी दूर होता है।
4. मेहंदी : मेहंदी से हाथों की सुंदरता बढ़ती है। मेहंदी लगाना शुभ होता है। कहते हैं कि इससे पति का प्यार मिलता है।
5. चूड़ियां : चूड़ियां सुहाग का प्रतीक है। लाल रंग खुशी का और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है।
6. मंगल सूत्र : मंगल सूत्र भी सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इसके काले मोती बुरी नजर से बचाते हैं। इसके अलावा गले में नौलखा हार या कहें कि स्वर्णमाला भी पहनते हैं।
7. नथ : इसे नथनी भी कहते हैं। नाक में चांदी का तार या लौंग पहना जरूरी होता है। इससे जहां सुंदरता बढ़ती हैं वहं बुध का दोष भी दूर होता है।
8. गजरा : इसे वेणी या चूड़ा मणि भी कहते हैं। यह बालों में सुंदरता और सुगंध के लिए लगाया जाता है।
9. मांग टीका : यह माथे के बीचोबीच पहना जाता है। यह विवाह के बाद शालीनता और सादगी से जीवन बिताने का प्रतीक है।
10. झुमके : इसे कुंडल और बाली भी कहते हैं। कानों में स्वर्ण बाली या झुमके पनहने से राहु और केतु का दोष दूर होता है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना।
11. बाजूबंद : यह सोने या चांदी का सुंदर सा कड़े की आकृति का जेवर रहता है जो बाजू में पहना जाता है। इससे परिवार के धन और समृद्धि की रक्षा होती है।
12. कमरबंद : इसे तगड़ी भी कहते हैं। यह कमर में पहना जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि सुहागिन आप अपने घर की मालकिन है। यह साड़ी को संभालकर भी रखता है।
13. बिछिया : इसे बिछुआ भी कहते हैं। यह पैरों के अंगुली में पहनी जाती है। यह सूर्य और शनि के दोष दूर करती है और यह इस बात का प्रतीक भी है कि सुहागिन अब हर समस्याओं का साहस के साथ सामना करेगी।
14. पायल : इसे पाजेप भी कहते हैं। पायल और बिछिया दोनों ही चांदी की ही पहनते हैं।
15. अंगूठी : विवाह के पूर्व यह मंगनी के दौरान पति अपनी पत्नी को पहनाता है।
16. स्नान : श्रृंगारों का प्रथम चरण है स्नान। कोई भी और श्रृंगार करने से पूर्व नियम पूर्वक स्नान करते हैं। स्नान में शिकाकाई, भृंगराज, आंवला, उबटन और अन्य कई सामग्रियां मिलाते हैं। तब वस्त्र धारण करते हैं। दुल्हन हैं तो लाल रंग का लहंगा पहनती है, जिसमें हरे और पीले रंग का उपयोग भी होता।
इसके अलावा आजकल नेलपेंट और लिपस्टिक का भी प्रचलन हो चला है। हालांकि पौराणिक समय में और भी कई तरह के 16 श्रृंगार होते थे जिसमें अधरों और नख का रंगना, तांबूल आदि कई और भी श्रृंगार की सामग्री शामिल थी।