बहुत सुंदर प्रस्तुति है। प्रतीकात्मक रूप से न्याय की देवी के स्वरूप को बदलने से ज्यादा भारतीय कानून में व्याप्त विसंगतियों में सुधार और उससे भी ज्यादा जजों की चयन प्रक्रिया और उनके व्यवहार में सुधार और बदलाव की आवश्यकता है और वकीलों पर लगाम लगाने की तत्काल जरूरत है जो अपनी मनमर्जी से कानून और कानूनी प्रक्रिया को अपनी सुविधानुसार चला रहे हैं। पहले और आज की न्याय व्यवस्था में कोई ज्यादा अंतर नहीं है, पहले अंग्रेज अपनी लाठी के बल पर तो आज वकील अपने रसूख और जज अपने त्रुटिपूर्ण चयन से आकर चला रहे हैं।
माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय जी को सभी सुप्रीम कोर्ट और सभी अदालतों से आनलाइन सलाह मांगने चाहिए और सलाह लेने के बाद बदलाव किया जाना चाहिए क्योंकि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी के भी अपमान है न्याय की देवी मे बदलाव करने चाहिए
अच्छी समीक्षा के साथ अच्छे सुचना का कलेक्शन सर जी। वैसे देश भर में परिवर्तन की लहर है जो मेरी समझ में पुस्तक के जिल्द बदलने से अधिक नहीं है। मा उच्च तुम न्यायालय ने भी वही किया है। बेहतर हो कि न्याय प्रक्रिया की देरी को दूर किया जाए
अंग्रेज़ों के शासनकाल और वर्तमान दोनों ही समय की न्यायपालिका न निष्पक्ष थी न है। हां कुछ एक न्यायमूर्तियों के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित किये जा सकते हैं जैसे जे एस वर्मा, जगमोहन लाल सिंन्हा आदि अनेक न्यायमूर्ति हैं।
प्रस्तुति के दौरान अतिशय भावुकता के अचानक विस्फोट से बचना चाहिए । वर्तमान न्याय पर समीक्षा के समय उमर खालिद एवं भीमा कोडेगाँव के मुद्दालहुम की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की बेइंसाफ़ी याद आ गयी
बहुत सुंदर प्रस्तुति है। प्रतीकात्मक रूप से न्याय की देवी के स्वरूप को बदलने से ज्यादा भारतीय कानून में व्याप्त विसंगतियों में सुधार और उससे भी ज्यादा जजों की चयन प्रक्रिया और उनके व्यवहार में सुधार और बदलाव की आवश्यकता है और वकीलों पर लगाम लगाने की तत्काल जरूरत है जो अपनी मनमर्जी से कानून और कानूनी प्रक्रिया को अपनी सुविधानुसार चला रहे हैं। पहले और आज की न्याय व्यवस्था में कोई ज्यादा अंतर नहीं है, पहले अंग्रेज अपनी लाठी के बल पर तो आज वकील अपने रसूख और जज अपने त्रुटिपूर्ण चयन से आकर चला रहे हैं।
सही टिप्पणी, कार्यसंस्कृति को बदले बिना प्रतीकों को सिर्फ़ बदलने से फ़र्क़ नहीं आयेगा
माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय जी को सभी सुप्रीम कोर्ट और सभी अदालतों से आनलाइन सलाह मांगने चाहिए और सलाह लेने के बाद बदलाव किया जाना चाहिए क्योंकि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी के भी अपमान है न्याय की देवी मे बदलाव करने चाहिए
न्याय की देवी बिना पक्षपात के फैसले के लिए आंख पर पट्टी बंधी हुई थी
अच्छी समीक्षा के साथ अच्छे सुचना का कलेक्शन सर जी।
वैसे देश भर में परिवर्तन की लहर है जो मेरी समझ में पुस्तक के जिल्द बदलने से अधिक नहीं है। मा उच्च तुम न्यायालय ने भी वही किया है।
बेहतर हो कि न्याय प्रक्रिया की देरी को दूर किया जाए
❤❤❤❤❤
Very correct and just analysis of the matter. It is true that a lot of changes have to be made. It is indeed a good step. ❤
🇮🇳
Nice
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Got to know many more things
Superb information
मूर्ति के हाथ में एक घड़ी भी पहना देनी चाहिए थी ।
कम से कम टाइम से न्याय तो मिल जाए ।
Sir constitution pe lecture series aspirants ke liye RUclips channel pe banaiye covering all articles .
Plz sir 🙏🙏🙏🙏🙏
अंग्रेज़ों के शासनकाल और वर्तमान दोनों ही समय की न्यायपालिका न निष्पक्ष थी न है। हां कुछ एक न्यायमूर्तियों के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित किये जा सकते हैं जैसे जे एस वर्मा, जगमोहन लाल सिंन्हा आदि अनेक न्यायमूर्ति हैं।
टोपी बदलने से खोपड़ी नहीं बदलती
❤❤❤
15
Yes All
❤❤❤
प्रस्तुति के दौरान अतिशय भावुकता के अचानक विस्फोट से बचना चाहिए ।
वर्तमान न्याय पर समीक्षा के समय उमर खालिद एवं भीमा कोडेगाँव के मुद्दालहुम की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की बेइंसाफ़ी याद आ गयी
सही। भावुक नहीं होना चाहिए।
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई
धन्यवाद sir🙏
भाई लेकिन ज्यादातर तलवार की धार बहुत कुंद होती है
15. 89. 45. 16. 71. 91.
.40. 44 . 10. 11. YES
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