पहचान ना पाया मैं तुमको BY Nikita Arya Ji / Vaidik Prachar

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  • Опубликовано: 22 ноя 2024

Комментарии • 12

  • @hariomearya7532
    @hariomearya7532 Год назад +1

    इस भजन के रचयिता कविवर पं.प्रकाशचंद्र कविरत्न और इन गायिका बहन सहित समस्त गायक महानुभावों को मेरी ओर से सादर प्रणाम हो। हरि ओ३म् शास्त्री फरीदाबाद।।

  • @satyabirgirdawar9475
    @satyabirgirdawar9475 2 дня назад

    Wah kya bat.vv nice Nikita.ji

  • @kamumbai
    @kamumbai Год назад +2

    आज समय में आया की विश्वास क्या होता है. 🙏

  • @HaridevSharma-rc1jv
    @HaridevSharma-rc1jv 2 месяца назад

    विदुषी बहिन निकिता आर्य जी अति उत्तम प्रस्तुति। तदर्थ बहुत बहुत धन्यवाद। सादर नमस्ते।।

  • @KaranDhiman-p9d
    @KaranDhiman-p9d Год назад +1

    ढोलक वाले ने माइक के मुँह में लगा रखी ढोलक को... बनते हैं जयादा

  • @satyaveersingh1624
    @satyaveersingh1624 2 месяца назад

    God bless you

  • @satyaveersingh1624
    @satyaveersingh1624 2 месяца назад

    Very good sister

  • @ShamsherSingh-go7db
    @ShamsherSingh-go7db Год назад

    🕉️🙏🕉️

  • @satyaveersingh1624
    @satyaveersingh1624 2 месяца назад

    Good morning everyone

  • @sukantadas3889
    @sukantadas3889 Год назад

    Namaste

  • @user-is1xd6cm7g
    @user-is1xd6cm7g Год назад

    om namste ji 🙏live on kijiye

  • @kumkumkasana2403
    @kumkumkasana2403 2 месяца назад

    आज प्राय: मानव यह कहता है कि अन्न की बड़ी सूक्ष्मता है,इसीलिए दूसरों के गर्भों को निगल जाना चाहिए, मांस इत्यादि का पान करना चाहिये, उससे हमारे उदर की पूर्ति हो जायेगी और वह यह कहता है कि मांस भक्षण करना कोई पाप नहीं है और गर्भ (अंडा) में कोई जीव नहीं होता हैं। मैं यह कहना चाहता कि यदि तुम्हारे मस्तिष्क में से कुछ रक्त लेकर दूसरा प्राणी उसको पान कर लेता है तो कितना कष्ट होता है। अरे! जिनमें जीव है, जिन प्राणियों में जीवात्मा है जिनका तुम रक्त लोगे, रक्त के पिपासी बनोगे उसको उतना ही कष्ट होगा जितना तुम्हें स्वयं कष्ट होता है
    *धर्म उसी को कहते है कि जो वस्तु हमें स्वयं को कष्टमय प्रतीत होती है वह दूसरो के लिए भी इसी प्रकार की है*
    श्रंगिऋषि कृष्णदत्त जी महाराज