चंदा मामा दूर के Chanda Mama Door Ke |

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  • Опубликовано: 19 янв 2025
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    Poem: चंदा मामा दूर के,
    पूए पकाएं बूरे के।
    आप खाएं थाली में,
    मुन्ने को दें प्याली में।
    प्याली गई टूट,
    मुन्ना गया रूठ।
    लाएंगे नई प्यालियाँ,
    बजा बजाके तालियाँ।
    चंदा मामा बोले फिर,
    "चलो चलें हम चाँद नगर।
    वहाँ खिलौनों का बाज़ार,
    झूले झूलें बारंबार।"
    मुन्ना बोला, "झूले पर,
    बैठें हम तारे संग।
    उड़ते जाएं आसमान में,
    गीत सुनाएं चंदा संग।"
    चंदा मामा मुस्कुराए,
    सितारे सारे झिलमिलाए।
    मुन्ने संग सब खेलें,
    बादलों से होड़ लगाए।
    बादल बने रुई के गोले,
    मुन्ना बोला, "चलो हम खोले।"
    छुपा वहाँ एक इंद्रधनुष,
    रंगों की बहार, दिखे अनूठ।
    रंग-बिरंगे तारों संग,
    चाँदनी ने ली अंगड़ाई।
    मुन्ने ने भी आसमान में,
    नए सपनों की दुनिया बसाई।
    चंदा मामा बोले तब,
    "रात हो गई, अब सो जाओ।
    ख्वाबों में तुम तारों संग,
    नई दुनिया की सैर कर आओ।"
    मुन्ना बोला, "धन्यवाद मामा,
    आपने सिखाई नई बातें।
    कल फिर आएंगे हम,
    लेकर और प्यारी मुलाकातें।"

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