[10/1, 17:00] Shalekh Gram Soni: ।।मुक्तक छंद कविता।।बेहदी विदेही सतगुरु ने सारशबद अखण्ड चित्त माहि लखायो, कोई बिरला ही लख पायो। सतगुरु मारग सहज योग लखायो, अगम निगम के उस पार लखायो-मन काहे को भटकायो कोई बिरला ही अखंड सारशबद को पायो।।01।।घट चित्त माहि सतगुरु सारशबद अखण्ड परम प्रगट प्रत्यक्ष अनुभूत करायो। निगुरे मानुष को भी सतगुरु की लीला, अब समझ मे आयो-जब लाखो भिक्षुक राम नाम अखण्ड धन पायो-सतगुरु जी ने सारशबद अखण्ड लखायो।।02।।सारशब्दानंद की जो विधि सुझाई, बावन अक्षर माया की नही भाई। ऐसी सारशब्दानंदी झनकार चित्त मे आठो याम समायो,कोई प्रवल पवित्र आत्मा ही समझ पायो-सतगुरु जी ने सारशबद अखण्ड लखायो।।03।।सारशबद अखण्ड की जो युक्ती सिखाई, उसमे खर्च नही एक पाई। साल बीसम बीसा से विदेही सत कबीर, घर घर जाकर सारशबद अखण्ड लखाई-लाखो के सोये भाग्य जगाई-सतगुरु जी ने सारशबद अखण्ड लखाई।।04।।योगी साधू ढोगी सन्यासी,तो निज अंग लगावे क्षारा। सारशबद अखण्ड जब पाईओ,तबही उतरे भव पारा-जब सत कबीर से पावे शबद झनकारी धारा।।05।।सारशब्दी सतगुरु तो सतधाम निवासी, पूरण पारब्रम्ह अविनाशी। काहे भटके नर नारी मथुरा काबा और काशी-सारशबद अखण्ड चित्त मे धारलो भाई बहनो कट जाये काल की फांसी-सारशब्दानंद सुमिरण अजर अमर अटल पद दिलासी।।06।।,,सारशब्दानंद,,🙏🏻🌹 [10/1, 17:37] Shalekh Gram Soni: ।।कबीर बीजक पुराना।।अथ चौदहवां शब्द।।राम नाम अखण्ड रा संशय ना छूटे। ताते पकरि पकरि यम लूटे।।01।।है मसकीन कुलीन कहावै, तुम योगी सन्यासी। ज्ञानी गुणी शूर कवि दाता, ये मति काहू ना नासी।।02।।स्मृति वेद पुराण पढे सब, अनुभव भाव ना दरशै। लोह हिरण्य होय धौ कैसे जो नहि पारस परशै।।03।।जियत ना तरै मुये का तरिहौ, जियते जो ना तरै। गहि परतीति कीन्ह जिन जासो, सोई तहै मरै।।04।।जो कछु कियो ज्ञान अज्ञाना, सोई समुझि सयाना। कहै कबीर तासो का कहिये, देखत दृष्टि भुलाना।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018-🙏🏻🌹
❤ जयगुरुरुदेव ❤
😊😊
जय गुरुदेव❤❤
Om
Saheb bandage saheb
राधे श्याम राधे राधे, राधे श्याम 🙏 कोटि कोटि नमन 🙏
O9(koi 9th koi 9th
जय गुरुदेव सत्य कबीर सप्रेम साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी ❤❤❤
❤ ब्रह्मानंद जी महाराज❤
सत साहेब बंदगी
जय हो साहिब
Saheb bandagi ji
Saheb bandagi saheb 🙏❤️🙏
Jai shree ram 🙏 🙏 🙏
साहेब बंदगी
Jay ho
Jai sachidanand ji ki guruji
Shaheb bandgi shaheb ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay Ho satguru Maharaj ki koti koti Niranjan mala Ghat mein phire❤🎉🎉
Very nice👍 bhajan Saheb🙏🙏 ji ki
सत साहेब
बहुत ही सुंदर भजन काबिले तारीफ
Jayashosagurudev
जय हो गुरुजी ,
सुन्दर
Jai sat guru dev charanon pranam ji 🙏 ❤🙏
Jayasadguru
saheb bandgi
Koti koti pranaam
Supper bhajan
संत भजन सुन्दर प्रस्तुति
🌼जय सियाराम🌼🌷👏
Sahab bandage sahab g
बहुत बढ़िया गुरू जी भजन की प्रस्तुति
Shaheb bandgi share ji 🙏 🙏 🙏
Good bhajan. Good voice.
अति सुंदर नमस्ते जी
❤❤❤
साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी
Sat nam
🙏🙏
साहेब जी आपकी आवाज हमे बहुत प्रिय है!!!
[10/1, 17:00] Shalekh Gram Soni: ।।मुक्तक छंद कविता।।बेहदी विदेही सतगुरु ने सारशबद अखण्ड चित्त माहि लखायो, कोई बिरला ही लख पायो। सतगुरु मारग सहज योग लखायो, अगम निगम के उस पार लखायो-मन काहे को भटकायो कोई बिरला ही अखंड सारशबद को पायो।।01।।घट चित्त माहि सतगुरु सारशबद अखण्ड परम प्रगट प्रत्यक्ष अनुभूत करायो। निगुरे मानुष को भी सतगुरु की लीला, अब समझ मे आयो-जब लाखो भिक्षुक राम नाम अखण्ड धन पायो-सतगुरु जी ने सारशबद अखण्ड लखायो।।02।।सारशब्दानंद की जो विधि सुझाई, बावन अक्षर माया की नही भाई। ऐसी सारशब्दानंदी झनकार चित्त मे आठो याम समायो,कोई प्रवल पवित्र आत्मा ही समझ पायो-सतगुरु जी ने सारशबद अखण्ड लखायो।।03।।सारशबद अखण्ड की जो युक्ती सिखाई, उसमे खर्च नही एक पाई। साल बीसम बीसा से विदेही सत कबीर, घर घर जाकर सारशबद अखण्ड लखाई-लाखो के सोये भाग्य जगाई-सतगुरु जी ने सारशबद अखण्ड लखाई।।04।।योगी साधू ढोगी सन्यासी,तो निज अंग लगावे क्षारा। सारशबद अखण्ड जब पाईओ,तबही उतरे भव पारा-जब सत कबीर से पावे शबद झनकारी धारा।।05।।सारशब्दी सतगुरु तो सतधाम निवासी, पूरण पारब्रम्ह अविनाशी। काहे भटके नर नारी मथुरा काबा और काशी-सारशबद अखण्ड चित्त मे धारलो भाई बहनो कट जाये काल की फांसी-सारशब्दानंद सुमिरण अजर अमर अटल पद दिलासी।।06।।,,सारशब्दानंद,,🙏🏻🌹
[10/1, 17:37] Shalekh Gram Soni: ।।कबीर बीजक पुराना।।अथ चौदहवां शब्द।।राम नाम अखण्ड रा संशय ना छूटे। ताते पकरि पकरि यम लूटे।।01।।है मसकीन कुलीन कहावै, तुम योगी सन्यासी। ज्ञानी गुणी शूर कवि दाता, ये मति काहू ना नासी।।02।।स्मृति वेद पुराण पढे सब, अनुभव भाव ना दरशै। लोह हिरण्य होय धौ कैसे जो नहि पारस परशै।।03।।जियत ना तरै मुये का तरिहौ, जियते जो ना तरै। गहि परतीति कीन्ह जिन जासो, सोई तहै मरै।।04।।जो कछु कियो ज्ञान अज्ञाना, सोई समुझि सयाना। कहै कबीर तासो का कहिये, देखत दृष्टि भुलाना।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018-🙏🏻🌹
जय गुरुदेव जी।
Great spiritual message
Kabir ko sahi arth me samjhne vaale aap ek maatr hi ho
Satguru saa
🙏 बहुत ही सुन्दर भजन है सतगुरु देव जी को कोटि कोटि प्रणाम करतीं हुं जय हो गुरु देव जी 🙏🙏👌👌💐💐💖💖🌹🌹🙏🙏
Km
बाबा रामदेव जी के 24परमाण चाहिए साहिब
जय श्री जय श्री राम आप का भजन बहुत अच्छा भारतवर्ष के हर इंसान को यह भजन सुनना चाहिए और दिमाग में लेना चाहिए श्रीराम से बढ़कर कोई वस्तु नहीं
😅
Shaheb Bandagi
सानदार,, बाणी, काबिलेतारिफ, गायकी,
बहुत सुंदर है आप अपना न,से सेंड कर दो क्या जय हो सतगुरु देव महाराज की
जय गुरूदेव जी मुझे आप कि मधुर संगीत व सुर के 24परमाण चाहिए साहिब
Jay ho gurudev ji