द्विविधा में दोनों गये माया मिली न राम . दयाशंकर न लीला को पा सका न माधुरी का हो सका . शराफ़त में छिपी प्रेम ' आकर्षण सौंदर्य पर मर मिटे होने का भाव छिपाना कठिन होता है . स्त्रियां सच्चाई पढ़ लेती हैं . लीला और माधुरी i दोनों ने दयाशंकर में छिपे भाव पढ़ लिये . पर भाग्य भी कोई चीज़ होती है . हतभाग हमेशा हतभागी ही रहता है . मानव - मन के हर एक कोने को पढ़ते वाले मुंशी प्रेमचंद की कहानी - वेश्या - गज़ब अंतर्द्वन्द्व की कहानी है . वाह .😊
द्विविधा में दोनों गये
माया मिली न राम .
दयाशंकर न लीला को पा सका न माधुरी का हो सका . शराफ़त में छिपी प्रेम ' आकर्षण सौंदर्य पर मर मिटे होने का भाव छिपाना कठिन होता है . स्त्रियां सच्चाई पढ़ लेती हैं . लीला और माधुरी i दोनों ने दयाशंकर में छिपे भाव पढ़ लिये . पर भाग्य भी कोई चीज़ होती है . हतभाग हमेशा हतभागी ही रहता है .
मानव - मन के हर एक कोने को पढ़ते वाले मुंशी प्रेमचंद की कहानी - वेश्या - गज़ब अंतर्द्वन्द्व की कहानी है . वाह .😊
शिक्षा..त्याग.मनोभाव.परिस्थिती का बहुत ही सुंदर चित्रण सहज व सरल शब्दो में महान् लेखक प्रेमचंद जी ने किया है.हार्दिक श्रद्धााजलि.🎉😂
Shakespeare ke paas bhi emotions aur reality ko expresss karne ka itna achchha tarika nahi hai mere according.
Respect 🙏 for Premchand ji
Very nice