भक्तामर-स्तोत्र (संस्कृत) , BHAKTAMAR STOTRA (SANSKRIT)

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
  • भक्तामर का पाठ अविस्मरणीय है.यहां हर श्लोक को गायन के साथ संस्कृत में अक्षरसह लिखा भी गया है.भक्तामर पाठ की जैन धर्म में क्या महिमा है ये सभी धर्म अनुयायी जानते हैं.भक्तामर स्तोत्र की रचना मानतुंग आचार्य जी ने की थी, इस स्तोत्र का दूसरा नाम आदिनाथ स्रोत्र भी है,यह संस्कृत में लिखा गया है, प्रथम अक्षर भक्तामर होने के कारण ही इस स्तोत्र का नाम भक्तामर स्तोत्र पड़ा है. भक्तामर स्तोत्र में 48 शलोक है , हर शलोक में मंत्र शक्ति निहित है.
    भक्तामर स्तोत्र के पाठ के सन्दर्भ में प्रमाणित है क़ि आचार्य मानतुंग को जब राजा भोज ने जेल में बंद करवा दिया था तब उन्होंने भक्तामर स्तोत्र की रचना की तथा 48 शलोको पर 48 ताले टूट गए!
    भक्तामर स्तोत्र का अब तक लगभग 130 बार अनुवाद हो चुका है. बड़े बड़े धार्मिक गुरु चाहे वो हिन्दू धर्मं के हो वो भी भक्तामर स्तोत्र की शक्ति को मानते है तथा मानते है कि भक्तामर स्तोत्र जैसा कोई स्तोत्र नहीं है! अपने आप में बहुत शक्तिशाली होने के कारण यह स्तोत्र बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुआ! यह स्तोत्र संसार का इकलोता स्तोत्र है जिसका इतनी बार अनुवाद हुआ जो कि इस स्तोत्र की प्रसिद्ध को दर्शाता है !
    मन्त्र थेरेपी में भी इसका उपयोग विदेशों में होता है, इसके भी प्रमाण हैं |
    भक्तामर स्तोत्र को रोज़ पढ़ें या सुनें क्योकि ये भक्ति प्रधान स्तोत्र है जिसमे भगवन की स्तुति है। 48 काव्यों के 48 विशेष् मन्त्र भी हैं। 48 मनोवांछित सिद्धिदायक काव्य भक्तामर स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन सुनकर आप अपने आने वाले संकट को दूर कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख शांति समृद्धि ला सकते हैं।
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