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Kalinjar ka kila|Kalinjar fort history| क्याहै कालिंजर किले काअनदेखा रहस्य|mystery of kalinjar(U.P.)

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  • Опубликовано: 28 апр 2023
  • Kalinjar ka kila | Kalinjar fort history | क्या है कालिंजर किले का अनदेखा रहस्य| mystery of kalinjar fort BANDA (Uttar Pradesh)
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    विमानक्षेत्र जानकारीऊँचाई375 AMSL
    प्राचीन काल में यह दुर्ग जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चन्देल) साम्राज्य के अधीन था। बाद में यह १०(10)वीं शताब्दी तक चन्देल राजपूतों के अधीन और फिर रीवा के सोलंकियों के अधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू आदि ने आक्रमण किए लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। कालिंजर विजय अभियान में ही तोप के गोला लगने से शेरशाह की मृत्यु हो गई थी। मुगल शासनकाल में बादशाह अकबर ने इस पर अधिकार किया। इसके बाद जब छत्रसाल बुन्देला ने मुगलों से बुन्देलखण्ड को आजाद कराया तब से यह किला बुन्देलों के अधीन आ गया व छत्रसाल बुन्देला ने अधिकार कर लिया। बाद में यह अंग्रेज़़ों के नियंत्रण में आ गया। भारत के स्वतंत्रता के पश्चात इसकी पहचान एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर के रूप में की गयी है। वर्तमान में यह दुर्ग भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकार एवं अनुरक्षण में है। यह बहुत ही बेहतरीन तरीके से निर्मित किला है। हालाँकि इसने सिर्फ अपने आस-पास के इलाकों में ही अच्छी छाप छोड़ी है।
    कालिंजर दुर्ग, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित एक दुर्ग है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में विंध्य पर्वत पर स्थित यह दुर्ग विश्व धरोहर स्थल खजुराहो से ९७.७(97.7) कि॰मी॰ दूर है। इसे भारत के सबसे विशाल और अपराजेय दुर्गों में गिना जाता रहा है। इस दुर्ग में कई प्राचीन मन्दिर हैं। इनमें कई मन्दिर तीसरी से पाँचवीं सदी गुप्तकाल के हैं। यहाँ के शिव मन्दिर के बारे में मान्यता है कि सागर-मन्थन से निकले कालकूट विष को पीने के बाद भगवान शिव ने यहीं तपस्या कर उसकी ज्वाला शान्त की थी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला कार्तिक मेला यहाँ का प्रसिद्ध सांस्कृतिक उत्सव है।
    कालिंजर दुर्गबांदा जिला का भागउत्तर प्रदेश, भारत
    निर्देशांक24°59′59″N 80°29′07″E / 24.9997°N 80.4852°Eप्रकारदुर्ग, गुफाएं एवं मन्दिरस्थल जानकारीनियंत्रकउत्तर प्रदेश सरकारजनप्रवेशहाँ, सार्वजनिकदशाध्वस्त किले के अवशेषस्थल इतिहासनिर्मित१०वीं शताब्दीनिर्माताचन्देल शासकप्रयोगाधीन१८५७(1857)सामग्रीग्रेनाइट पाषाणयुद्ध/संग्राममहमूद गज़नवी १०२३(1023)ई॰, शेर शाह सूरी १५४५(1545) ई॰, ब्रिटिश राज १८१२(1812) ई॰ & १८५७(1857)का स्वाधीनता संग्रामदुर्गरक्षक जानकारीपूर्व
    अध्यक्षचन्देल राजवंश के राजपूत एवं रीवा के सोलंकीदुर्गरक्षकब्रिटिश सेना, १९४७(194

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