यहां कुछ लोगों ने कहा की सदगुरु शब्दो से खेल रहे हैं, कुछ ने कहा सदगुरु के पास इसका जवाब नही हैं । मुझे लगता हैं कुछ लोग प्रश्न नही समझ पाए, और कुछ लोग जवाब ही नहीं समझ पाए ये उनका दोष नही हैं जैसी आकलन शक्ती भाई उतनी ही तो समझ होगी। बौद्ध भिक्षु का प्रश्न ये था कि मेरा जनम पिछले जनम का कर्म हैं तो मेरे सबसे पहले जनम का कारण क्या हैं? सदगुरु ने इसे विज्ञान और अध्यात्म का सहारा लेके बड़े ही सटीक तरह से समझाया हैं। जिन्हे विज्ञान और अध्यात्म का ज्ञान ही ना वोह क्या है ही समझेंगे ? जब सृष्टि का निर्माण हुआ Big Bang जैसी घटना से उसी निर्माण प्रक्रिया में जीवन को आवश्यक तत्वों का भी निर्माण हुआ, और हम सभी उसी तत्वों के भाग या घटक हैं। जैसे ताश खेलने के लिए 52 पत्तों की पूर्ति होने के बाद खेल चालू होता हैं कोई जीतता है कोई हारता हैं और कोई आनंद लेता हैं। मगर कोई पत्ता ये नही पूछता के मैं इसके अंदर क्यों हूं? तो इसका भी जवाब यही हैं की भाई तेरा भी निर्माण ऐसे ही पीसने कूटने बाटने हुआ था
Aisa pratit hota hai ki apna gyan ka pradarshan karna chahte ho sadguru ki aadh mei aapko bodhshakti is level ki nhi hei sabhi log samjh pa rahe hei sadguru kya kah rahe hei sirf aapko chhodkr
@@shivkumarkatara910 भाई मेरे दोष दर्शाने के लिए आपके हार्दिक आभार 🙏 कृपा करके आपके बोध के कुछ तुषार हम पर भी छिड़क ने की कोशिश करे ताकी कुछ तुषार पाके हमारी ज्ञान लालसा कम हो और ये हमारा हमने विषय समझ लिया इसका भ्रम खतम हों। 🙏
Apne khud ke anubhav bilkul wrong sterotype hai .....knowledge ke bina kise bhi vastu ka anubhav ho hi nahi sakta... knowledge se anubhuti aur phir anubhav se knowledge aur majboot hoti hai.. Aap anubhav apne thought se he paida karte ho
नमः शिवाय, बहुत ही अच्छी आध्यात्मिक परिचर्चा यहां पर चल रही है। प्रश्न अति उत्तम है, प्रश्न कर्ता का आध्यात्मिक स्तर क्या है ? यहां यह ज्ञात होना भी बहुत आवश्यक है। प्रश्न करता ने जो प्रश्न किया है कि, मेरा यह जन्म पिछले जन्म के कर्म कापरिणाम है तो मेरा पहला जन्म किस कारण से हुआ था? प्रश्न कर्ता से यह प्रश्न अपेक्षित है, कि वह जन्म किसका मान रहा है? सबसे पहले के जन्म की बात अभी छोड़ो, और यह बताओ इस वक्त जो जन्मा है वह क्या है? शरीर है, आत्मा है, ईश्वर है, या कुछ और है? और जिसकी मृत्यु होगी, वह भी शरीर होगा, आत्मा होगी, या कुछ और होगा? जब तक प्रश्न कर्ता को यह स्पष्ट नहीं है, कि वह वर्तमान में क्या है? तब तक सबसे पहले के जन्म की बात करना व्यर्थ है। और यदि उसको यह स्पष्ट हो जाता है, की वर्तमान में वह क्या है? तो इस प्रश्न की आवश्यकता ही नहीं रहतीहै। क्योंकि उसे इस प्रश्न का उत्तर स्वत आत्मबोध द्वारा प्राप्त हो जाएगा। यदि इसके उपरांतभी ऐसा प्रतीत होता है की और तर्क करने की आवश्यकता है, तो आगे परिचर्चा पुनः की जा सकती है। नमः शिवाय
Aapko itne questions karne hi nahi chahiye kyoki aap prashankarta ki yogyata ko to nahi jante na aur in sare questions ka javab to aaj bahut aasani se Diya ja sakta h agar bhagwat geeta padi ho to.aur agar vo is yogya nahi h to bhi 1 acha answer hum sabke Kaam aa sakta tha.Per question ke aadhar per kisi ko nicha dikhana to thik nahi
कोई बौध भिक्षु नहीं था । उसे दिखाना चाहिए।वो एक साधारण बौध धर्म मानने वाला है। बात को गोल गोल घुमा रहे हैं। केवल बकवास है। पुर्जन्म नहीं होता है। वैज्ञानिक ढंग से सोचने की जरूरत है।
आइंस्टाइन जब इस सिद्धांत को ज्यों का त्यों मानता है तो न मानने लोग क्या उससे बड़े वैज्ञानिक हैं ? अल्प ज्ञान से अच्छा है अज्ञानी होना । अध जल गगरी छलकत जाये ।@@funserious4u764
इसका बहुत ही साधारण जवाब है ....ईश्वर ने सृष्टि तरंग रूपी बनाई है और चेतना को ही जन्म दिया ...चेतना शरीर बदलती है सिर्फ फिल्टर होने के लिए ...वापस मनुष्य योनि में जब चेतना आती तो फिर जाल में फांस जाती है... सृष्टि है ही नही ...और है तो सिर्फ चेतना ..
Dhyan se suno usne pucha hai budho se har kar use sadguru se puchna pada. Or jo prasan usne pucha hai uska kisi budh se ya sanatani se koi lena dena nahi hai wo ek kalpana ke adhar pe pucha gaya sawal hai or ye spirituality me ise prashan hi nahi kahte kyunki isse kuch hone wala nahi hai. Kya ye prasan hai ki Anda pahle aya ya murgi? Iska jawab pahle to hai nahi agar mil bhi Gaya to admi use sweekarega nahi or isse uska jeevan badalega nahi to sadguru ne jo kaha hai wo sahi hai ki apni sadhna karo or usse related koi prashn hai to wo pucho nahi to ye prasan bakwas hai.
ब्राह्मणों को जब पता चला कि हिंदू शब्द किसी भी वेद स्मृति पुराण उपनिषद गीता रामायण में नहीं है तो यूटर्न मार लिया अब कहने लगा है कि हमारा धर्म सनातन है हम सनातनी हैं लेकिन सनातन धम्म तो बुद्ध का धम्म है 🔶🔷🔶🔷🔶🔷
सद्गुरु ने सृष्टि और इसके और मानवीय अस्तित्व को सूक्ष्म भाव से आधुनिकता से सामंजस्य बिठा कर बताया... परंतु सनातनी हिंदू धर्म ग्रंथों में सृष्टि के उद्गम के सभी सिद्धांत दिये हुए हैं एक बार संत प्रेमानंद जी महाराज जी से इसी विषय में सटीक प्रवचन सुना था... उनका कर्म और कर्म फल, प्रारब्ध और वास्तविक अस्तित्व और स्थूल सूक्ष्म कारण शरीर के महत्व के साथ जन्म जन्म की प्रक्रिया और पूर्णता को बहुत बारीकी से समझाया था 🙏🙏🙏
जीवन के साथ इच्छा भी जन्म लेती है अर्थात इच्छा ही जीवन है और जीवन ही इच्छा है और जीवन ही ऊर्जा का सक्रिय रूप है। यही कारण सृष्टि की उत्पत्ति का भी है । शिव
आपके इस कथन में एनर्जी क्या है? एनर्जी का ट्रांसफॉर्मेशन क्या है? जो बात आप thermodynamics में आज पढ़ते हैं वही बात गीता में बहुत पहले कहा गया है, वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही" यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता से लिया गया है. इसका अर्थ है कि जिस तरह मनुष्य पुराने कपड़े त्यागकर नए कपड़े पहनता है, उसी तरह आत्मा भी पुराने शरीर को त्यागकर नए शरीर को प्राप्त करती है. इसलिए, ज्ञानी लोग किसी के मरने पर शोक नहीं मनाते. जिसको आप एनर्जी कह रहे हो उसी को गीता में आत्मा कहा गया है, उन्होंने भी कहा है, आत्मा (एनर्जी) कभी नष्ट नहीं हो सकती यह एक शरीर(रूप) से दूसरे शरीर(रूप) में बदलती रहती है। इसका एक शरीर से दूसरे शरीर में पहुंचना ही पुनर्जन्म कहलाता है। पुनर्जन्म से तात्पर्य आत्मा (एनर्जी) के जन्म से नहीं है, इसका मतलब शरीर के बदलने से है। जैसे कोई जनरेटर का उपयोग करके मेकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदले तो यहां पर एनर्जी का पुनर्जन्म हो रहा है इससे पहले वह मेकेनिकल रूप में थी फिर इलेक्ट्रिकल एनर्जी बन गई। इसलिए कह सकते हैं जन्म तो होता है, मृत्यु भी होती है, किन्तु शरीर का। आत्मा का नहीं।
जब पहला जन्म कुछ भी नहीं है तब तो फिर कर्म के अच्छे या बुरे के फल का शास्त्रों का सिद्धांत ही गलत है, क्यों कि अच्छे या बुरे कर्म जो शास्त्रों के अनुसार अगले जन्म का कारण बनते हैं,उसकी शुरुआत कभी हुई ही नहीं।
बिल्कुल सटिक उत्तर है. अध्यात्मिक ज्ञान शब्दों में बांधना असंभव है. आम मिठा है यानी कैसा है ? रंग, रस स्पर्श जैसी साधारण बातें भी प्रत्यक्ष अनुभूति के बिना समझना असंभव है, उसको बताया नहीं जा सकता है.
Adhyatmik bate batne liye jitne saral sabd bole jaye vo sahi h jase sant kabir ke sant guru nanak ke aur Ravidas ke dohe Ye baba ji saf saf n kahakar bato ko uljate h jyada h Jo Gyan dhyani h vo saral aur sahaj hota h
सदगुरुजी आश्चर्य, ईतना सहज सवाल सदा सवाल और आप के पास कोई जवाब नही? सदा से चलि आ रही शृष्टी सब मे सब कुछ अनन्त है, जन्म भी और कर्म भी, ना कभी पहला जन्म हुआ, नाही कभी आखरी जनम होगा। सर्वे मंगल।
@@ShovamohanShaw jo ans aapne diyaa woh information ke taur pe diyaa.... Anubhav se nahi....aur doosri jo ans aapne diyaa ek ka anubhav ho sakta doosre ka nahi.... Doosro ko manyata lagegi
@@ShriKhant-u7x mai hu bhi aur nahi bhi... Mai yaha bhi hu aur sarvatar bhi hu.... Mera aaa janam hua na kabhi maut huyi... Sab sristi ka nirman mujhse hi hota hai... Jab aisa anubhav Aa jaaye toh samjho ho gaya moksh
हमारा पहला जन्म मानव देह का परम तत्व से अलग होकर हुआ तब हमारा कोई इच्छा नही था हम पूर्ण थे हो परमात्मा थे अब हमारा जन्म हो चुका है और हम सिर्फ आत्मा है हमारा लक्ष्य परमात्मा में उसी परम तत्व में जाके मिलना है और ये तभी संभव है जब हम इच्छा से रहित होंगे बिल्कुल सुन्यता में होंगे तब हम भ्रमण करते करते स्वर्ग लोक में जा परमतत्व में मिल कर परमात्मा हो जायेंगे ❤ जय श्री महाकाल 😊
गीता में श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं ही ब्रह्म हूं, और मैंने ही सृष्टि रची पर वे यह भी कहते हैं कि मैं निष्काम कर्म करता हूं,अर्थात अगर सृष्टि की उत्पत्ति किसी इच्छा से हुई होती तो ईश्वर निष्काम कैसे हो सकता था,पर सृष्टि की रचना किसी इच्छा या कामना से नहीं हुई,कृष्ण के लिए कोई कर्म उनका कर्तव्य नहीं बस आनंद भर है। इसीलिए हिंदुओं ने जगत को लीला कहा है क्योंकि खेल बस खेलने के लिए होता है, किसी कामना की पूर्ति के लिए नहीं, खेल का स्वयं ही अपना आनंद है,पर कोई कामना या लक्ष्य नहीं है।जगत उत्पत्ति निष्काम हुई है,किसी कामना से नहीं।
Kya khoob kaha hai 🙏🙏🙏 boudh, Christianity, Jainism, Islam, parsi Jewish, etc sab mazhub hai🙏🙏🙏 ek maseeha aaya aur nirdhesh Diya aur sab follow karne Lage, kuch log nirdhesh me parivartan karne lage🙏
२५ सौ साल पहले दिया गया निर्देश (जो उस समय के परस्पर सामाजिक परिवेश बहुत ही सहज जबकि आज) तुलनात्मक रूप बहुत कठीन है। ..... अतः एक बिग कैनवास पर देखने से .... सदगुरु की जवाब वस्तुत सही है।
यदि अस्तित्व अनंत से है, जिसका कोई प्रारंभ नहीं है, और यह एक निरंतर चक्र में चलता है, तो इसका मतलब है कि हम भी इस अनंत चक्र का हिस्सा हैं। सृष्टि केवल इस ब्रह्मांड तक सीमित नहीं है; अनगिनत ब्रह्मांड निरंतर बनते और नष्ट होते रहते हैं। अस्तित्व का कोई वास्तविक प्रारंभिक बिंदु नहीं है - हम केवल एक विशेष ब्रह्मांड में कई संभावनाओं में से एक का परिणाम हैं। इस महान प्रक्रिया में, हमारे कर्म महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो अगले परिणाम को अनंत संभावनाओं में से निर्धारित करते हैं।
वास्तव में आपका कभी जन्म ही नहीं हुआ ना तो पहला ना ही आखिरी, ये उसी तरह है जिस तरह पुरुष अपने स्वप्न में अपनी जन्म मृत्यु देख रहा है तो उस स्वप्न में आपका जन्म हुआ उसमे कौन से कर्म कारण थे। कोई नही ये सिर्फ लीला विलास है ईश्वर का जो कि अनंत है। जब इस जागृत स्वप्न से जागेंगे तब स्वयं ही पता चल जायेगा । ऐसा हमारे वेद उपनिषद कहते है।
Ise muh band karana nahi kahate.... argument karane par muh band karana padata hai. Us insan ko samaj kar unaka bhram dur Kiya, tatha unhe yogya guidence diya hai. Jai Gurudev!
Sankrcharya band kar gaye the Aor Rajniti Raja ki Satta ke liye ye Majhab me Gulami kar to rahe hai sanatan ko 1..baar lutne vale Pidhiya Luut Rahi hai Aaj bhi 😅😅
Raja ke Nafrati Buddh Atanki Se Kam nahi the Aaj bhi leftistani kamunstani Athisttani Buddh ke bhesh me nafrat Bech Rahe hai dalar chini American dalar Desh se Gaddari Gulami ❤❤❤
मंगल प्रभात । मंगल भवन अमंगल हारी । उमा सहित जेहिं जपत पुरारी ॥ निराकार परम तत्व प्रभु जिनके हम आप और सभी अंश है । प्रभु से उत्पन्न अक्षर से सृष्टि का निर्माण हुआ जो अ है आगे बहुत कुछ बताया समझाया जा सकता है । वर्तमान में अक्षर पर शोध हुए और अन्य भी शोध हुए और हो रहें हैं और होते रहेंगे हैं । भाषा सरल होनी ही मुख्य बात है । स्वयं कि सोच से ही स्वयं और सच्चाई को जाना जाता है । सृष्टि और सृष्टिकर्ता का रहस्य भी स्वयं कि सोच में है । सच्चाई का ज्ञान होते ही विवेक जागृत हो जाने के अमंगल के लिए कुछ बचता नहीं है । स्वयं कि सोच ही स्वयं कि स्वामी है इस सच्चाई का अनुभव हो जाना ही तो रहस्य खोल देता है । सदगुरु का वक्तव्य सही है लेकिन घुमा कर है । अक्षर सुर्य/अग्नि, ग्रह/सुर्य के टुकड़े, हवा, धरती, जल फिर में काई और काई से कीड़े और कीड़े में नर मादा और नर मादा में जलचर नभचर और थलचर में सबसे श्रेष्ठ रचना बंदर फिर बनमानुष फिर मानुष यानी मनुष्य । अब क्या करना है और शरीर कैसे छोड़ना हैं और कहां जाना है स्वयं समझ लें । विपश्यना मतलब स्वयं को विशेष प्रकार को जानना और देखना, समझना और फिर अन्य को भी बताना समझाना । सच्चाई को जानने के बाद स्वयं में जो गुण विशेष रूप से है उससे समाज कि सेवा करना । प्रेषक साभार - श्री राम कथा व शिव कथा सरस गायक व सरल ह्यूमन इंजीनियरिंग विधि आचार्य - हरि सेवक सद्गुरु आमोदानंद संपर्क - 8756746424
जब सृष्टि रची गई तो उसमे रहने की जिम्मेदारी मनुष्य के ऊपर ही आएगी तो मनुष्य को चाहे अनचाहे में भाग लेना ही पड़ेगा l कर्म की लकीर बाद में ही बनेगी। जब खेल शुरू होगा तभी तो उस खेल में भाग लेना होगा। खेल शुरू होने से पहले हम सब अनंत चेतना के रूप में होते है न। इससे भी सरल और क्या कहे।
इस तरह के बहुत सारे प्रश्न हमारे इर्द गिर्द घूम रहे हैँ, जैसे ये सृष्टि यदि ईश्वर का खेल मात्र है तो मेरा प्रश्न है कि ईश्वर को किसने बनाया??? तो इसका उत्तर ये है कि यह प्रश्न इतना बड़ा है कि इसका उत्तर भी यूँही बैठे किसी महफिल में नहीं मिलने वाला, वो कहते है ना जिन खोजा तिन पाइयाँ... ऐसे हर प्रश्न का उत्तर है लेकिन वो सिर्फ और सिर्फ आपके अंदर है! तुलसीदास जी कहते है कि जानहि तुमहि, तुम्हही होइ जाइ.... कक्षा पांच का विद्यार्थी यदि ये प्रश्न हल करेगा तो भटकता ही रहेगा, इस उत्तर के लिए अध्यात्म की पीएचडी आवश्यक है और यही सद्गुरु नें कहा कि बस लगे रहो और कुछ मत सोचो :) और यही गौतम नें किया और कराया 😊😊
अभी प्रष्टा का कर्म ऐसा नहीं था कि उसे कोई उत्तर मिले और सद्गुरु भी शबदप्रपंच से उसे घुमा रहे हैं। वास्तव में केवल प्रश्न कर लेना ही इतना बड़ा कर्म नहीं हो जाता कि आपको उसका उत्तर सीधे तौर पर मिल जाए। भिक्षु को स्वयं जानना चाहिए कि महात्मा बुद्ध भी प्रश्नों के उत्तर के लिए ही वर्षों तक भटके थे। और वे स्वयं सदा 10 प्रश्नों पर मौन रहे। पर इसका अर्थ यह नहीं है कि वे प्रश्न का उत्तर नहीं जानते थे। इस प्रश्न का उत्तर वैसे ही है जैसे कि आपका बैंक का पासवर्ड। क्या किसी के एक बार पूछ लेने मात्र से आप अपनी सब डीटेल उसे दे देंगे। ऐसे ही यह उत्तर नही नितांत निजी अवधारणा है। दर असल जब कर्म नहीं था तब वह पहला जन्म सीधे इस पुरुष रूप में नहीं आया होगा। ऐसा सद्गुरु कह रहे है। क्योंकि यादृच्छिक रूप से जन्म मिले तो यह भेदभाव होगा। भगवान सीधे ही किसी को राजा और रंक क्यों बनाएगा। अतः इसका अर्थ यह है कि हम अपने विकास को भूल गए हैं। क्योंकि यह हमारा पहला जन्म नहीं है। यह तो निश्चित है। इसलिए पहला जन्म हमें सदैव किसी दोयम दर्जे का मिला होगा जैसे कि कोई वाइरस या एक कोशिकीय जीव। फिर तरक्की करते करते यहाँ तक पहुंचे होंगे। तभी तो। क्या किसी ने कभी यह सुना कि कोई अमुक वाइरस था और उसे मोक्ष मिल गया। मोक्ष भी विकसित को ही मिला सदा। इसलिए इस भिक्षु को अभी अपने कर्म के चक्र में ही गति करनी होगी। अभी इनकी विपश्यना अहं से आप्लावित है। एक दिन उत्तर स्वयं मिल ही जाएगा। कि वह उत्तरोत्तर जन्मा है, सीधे अवतरित नहीं हुआ है। और अभी उसके कितनें जन्म बाकी हैं यह भी। सीधे पार्शन करने से उत्तर मिल जाएं तो साधना व तप जैसे शब्द होते ही नहीं। और विडंबना है कि आजकल लोग यू ट्यूब और व्हाट्सअप से ही ज्ञानी बं जाते हैं। जय श्री राम🚩॥
सदगुरु जी ने जो बातें कहा है बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति उदाहरण के साथ कनेक्ट करते हुए कहा है ये जीवों में जीवन प्रक्रिया का होना जो दर्शाता है कि ये जीवित है एक सामान्य या प्राकृतिक घटना है जो सभी जीवों में घटित होती है या आत्मा या परमात्मा, पुनर जन्म ,अगला, पिछला जन्म कुछ नहीं होता ,आप वर्तमान में जो है बस है इस समय आप इस शरीर से सुंदर और उपयोगी कार्य करिए जिससे कर आपके आस पास चारों तरफ रहने वाले सभी जीवों का लाभ हो ,फिर तो इस शरीर को एक समय नस्ट होना ही है। जो सिर्फ प्राकृतिक घटना मात्र है जो हरेक जीवों के साथ होता है।
सद्गुरु ने अगर ईश्वर के साथ समस्वर हुए हैं अर्थात अनुभव किये हैं उनकी शांति, प्रज्ञा, प्रेम को तो आप क्यो नही मानव और ईश्वर मिलन के लिए कोई सरल पद्दति का विकास करते है जिससे सभी मनुष्यों का उद्धार हो और वह अपने परमपिता से एकाकार कर ले।
सत्य अगर शब्दो से ब्यक्त किया जा सकता तो तपस्या संयम नियन आदि साधनाओं कि जरुरत ही नही पडती। भिन्न भिन्न मिठाईयो के स्वाद का अंतर जो जिह्वा अनुभव करती है शब्दो मे ब्यक्त नही कर सकते। स्वामी जी ने जो गूढ बात कही है वो अपने अपने अंदाज से ही लोग समझ पायेंगे।
Basically Question is why does this creation ? No one within the boundaries of creation, or as a part of it, can answer this question. Both the question and the answer are part of creation. To find the real answer, we have to go beyond creation, and from that standpoint, we may understand what this creation is-if the question even remains valid at that point. "All this nature is bound by time, space, and causation; and to understand the ultimate cause of creation, one must transcend these limitations. The question of the 'why' of the universe can only be answered when we go beyond the universe itself, beyond all relativity." Reference: The Complete Works of Swami Vivekananda, Volume 2, The Real and the Apparent Man.
ऊर्जा का स्वभाव बनना और बिगड़ना है... बिना किसी कर्म के भी ये ऊर्जा बनती बिगड़ती रहती है और हम सब एक ऊर्जा ही हैं इसलिए पहले जन्म का कारण ऊर्जा है न कि कर्म...
पुनर्जन्म केवल इच्छा सेही होता है l इस जन्ममे अगर इच्छा पूर्ण हुई,या सत्कर्म से जीवन सफल हूवा तो मुक्ति मिली l बस इतना सरल है l दुर्जन भी फिर से जन्म लेते है,लेकिन योनि अलग होगी,याने कुत्ता,बिल्ली,छोटे जीव जंतु ई... सदगुरु जबाब देते ही है,क्यों की उन्होंने जाहिर किया है की सभी प्रश्नों का उन्हे ज़बाब उन्हे मिला है l ये बात तो तय है की सभी उत्तरोके लिए उन्हे सटीक शब्द मिलते है l बस इतना ही है l
प्रश्न तो जटिल ही है पर हम चातक जानते है किसी भी जटिल प्रश्न का उत्तर सरल होता है व उत्तर ही क्या जो समझ मे ना आये ऐसे जटिल प्रश्न का उत्तर केवल इस सारी ब्रह्मांड मे तथागत भगवान गौतम बुद्ध जी दे सकते है और वो भी एकदम सरलता से और बात यह है की सवाल कर्म पर है क्या कर्म से पुनर्जन्म होता है तो पहिला जन्म के लिए कर्म कहा से करते वंदनीय भिक्षू जी आपका सवाल आपका प्रश्न बिलकुल सही है यदि आपको इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करना है तो हम हमारी तरफ से इस सवाल का उत्तर दे सकते है अगर आपकी जिज्ञासा हो इस सवाल की जवाब की और सद्गुरु जी आप भी इस सवाल का सरल जवाब जान लो 1) सनातन विचारधारा की हिसाब से पहिला जन्म आप किसी भगवान की आशीर्वाद से प्रकट हुए हो और तुम्ही वरदान भी दिया हुआ है की आप मरते हो और फिर से पुनर्जन्म लेते हो 2) सद्गुरु जी की विचारधारा से पुनर्जन्म ले रहे हो ये तुम्हारे कर्म है और जो पहिला जन्म मिला वो आपकी माता पिता की कर्म है 3) अगर जानते हो सबसे पहले उपनिषद कोनसे है तो उस उपनिषद मे इस सवाल का जवाब मिल जायेगा पहिला उपनिषेद ब्राहदारण्यक ओर दुसरा छांदोग्य इस उपनिषद मे ही सवाल का जवाब है वो भी काफी सरल तरह से और अगर ये सबसे पहले उपनिषद है किसके द्वारा लिखी गये है कोनसी भाषा मे लिखे है तो सच क्या है ये आप सभी को पता चल जायेगा
आपका विडियो सुनने के चक्कर में इतना खो गया कि मेरा जनैऊ छूत गया, अब मुझे प्रातः काल में स्नान ध्यान कर बदलने होंगे। क्योंकि ये एक निरंतर चलनेवाली यौगिक क्रियाएं है।
कुछ चीज हम सभी को नहीं पता है और शायद सद्गुरु को भी ना पता हो या फिर जो दूसरे गुरु है उनको भी ना पता हो हमें सर ज्ञान लेना होता है जिससे हमें ज्ञान प्राप्त हो उसे ले लेना चाहिए अपने विवेक पर छोड़ना चाहिए और फिर डिसीजन लेना चाहिए कि यह हमारे लिए उचित है या नहीं है 🙏😇
इसका सहज जवाब भागवत में लिखित है l किसी भी कृष्णभावनामृत व्यक्ति से 5 मिनट में इसका उत्तर मिल जाएगा l सद्गुरु जवाब नहीं दे पाए l यह आश्चर्य है l और छोटे से जवाब के लिए इतना समय व्यतीत कर दिया l
Ab prashn hoga ki graho k banne me kai saal lgte hai environment bnne me tb aatmae kaha jati hai to uska bhi jawab hai aap tb tk bramhand me hi hote ho aur aapka soul awake hota hai..sukshm avastha me ..
कभी कभी लगता है ओशो दोबारा आ गए हैं. सिर्फ मौन हो जाना ही उत्तर है. अगर किसी के पास इस सवाल का कोई स्पष्ट उत्तर हो तो भी क्या फर्क पड़ता है.नया सवाल पैसा ही जायेगा.इस्लाम एक ऐसा धर्म है जहां हर सवाल का सटीक जवाब है और उसकी दुर्गति सब देख रहे हैं
नानक नाम जहाज हैजो चड़े सो उतरे पार नाम वो जो जीवित सतगुरु समाधी लगाकर (जीवित मरकर) ईश्वर तत्व से मिल लेता है उनके द्वारा शिष्य के सर पर हाथ रखकर ईश्वर तत्व का ध्यान लगाकर दिया जाता है उसके प्रभाव से चौरासी लाख योनिओ का जन्म मरण का चक्र समाप्त होने लगता है सतगुरु मधु परमहंस जी
Your comment show you didn't make any picture in your brain that he explained.... Let your brain Travel in different times according to his lecture you will feel exhausted and understand the core of his speech...🙏🙏🙏
यहां कुछ लोगों ने कहा की सदगुरु शब्दो से खेल रहे हैं, कुछ ने कहा सदगुरु के पास इसका जवाब नही हैं ।
मुझे लगता हैं कुछ लोग प्रश्न नही समझ पाए, और कुछ लोग जवाब ही नहीं समझ पाए ये उनका दोष नही हैं जैसी आकलन शक्ती भाई उतनी ही तो समझ होगी।
बौद्ध भिक्षु का प्रश्न ये था कि मेरा जनम पिछले जनम का कर्म हैं तो मेरे सबसे पहले जनम का कारण क्या हैं?
सदगुरु ने इसे विज्ञान और अध्यात्म का सहारा लेके बड़े ही सटीक तरह से समझाया हैं। जिन्हे विज्ञान और अध्यात्म का ज्ञान ही ना वोह क्या है ही समझेंगे ?
जब सृष्टि का निर्माण हुआ Big Bang जैसी घटना से उसी निर्माण प्रक्रिया में जीवन को आवश्यक तत्वों का भी निर्माण हुआ, और हम सभी उसी तत्वों के भाग या घटक हैं।
जैसे ताश खेलने के लिए 52 पत्तों की पूर्ति होने के बाद खेल चालू होता हैं कोई जीतता है कोई हारता हैं और कोई आनंद लेता हैं। मगर कोई पत्ता ये नही पूछता के मैं इसके अंदर क्यों हूं? तो इसका भी जवाब यही हैं की भाई तेरा भी निर्माण ऐसे ही पीसने कूटने बाटने हुआ था
Aisa pratit hota hai ki apna gyan ka pradarshan karna chahte ho sadguru ki aadh mei aapko bodhshakti is level ki nhi hei sabhi log samjh pa rahe hei sadguru kya kah rahe hei sirf aapko chhodkr
❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@@shivkumarkatara910 भाई मेरे दोष दर्शाने के लिए आपके हार्दिक आभार 🙏
कृपा करके आपके बोध के कुछ तुषार हम पर भी छिड़क ने की कोशिश करे ताकी कुछ तुषार पाके हमारी ज्ञान लालसा कम हो और ये हमारा हमने विषय समझ लिया इसका भ्रम खतम हों।
🙏
😊
Ved to bhraman ki proparty he.
Khud ke lie likhe
कितने भी उत्तर मिल जये चाहे वह सही हो या गलत...अपने खुद के अनुभव के बिना...सब व्यर्थ है...🙏
बिल्कुल सही कहा 👍
Apne khud ke anubhav bilkul wrong sterotype hai .....knowledge ke bina kise bhi vastu ka anubhav ho hi nahi sakta... knowledge se anubhuti aur phir anubhav se knowledge aur majboot hoti hai..
Aap anubhav apne thought se he paida karte ho
खुद के अनुभव के लिए भी..पहले ज्ञान की प्राप्ति जरूरी है..
@@singhnaad1008 खुद का अनुभव हो जाना ही ज्ञान है।
@@ajaynandansinha7891
ये..खुद का अनुभव हो जाना "क्या है"..जरा बताओगे?
यह प्रश्न मेरे मन में भी कई बार उठा है।
सृष्टि का भेद सिर्फ परमात्मा ही जानता है,,किसी इंसान के बस की बात नहीं
नमः शिवाय,
बहुत ही अच्छी आध्यात्मिक परिचर्चा यहां पर चल रही है। प्रश्न अति उत्तम है,
प्रश्न कर्ता का आध्यात्मिक स्तर क्या है ?
यहां यह ज्ञात होना भी बहुत आवश्यक है।
प्रश्न करता ने जो प्रश्न किया है कि, मेरा यह जन्म पिछले जन्म के कर्म कापरिणाम है तो मेरा पहला जन्म किस कारण से हुआ था?
प्रश्न कर्ता से यह प्रश्न अपेक्षित है, कि वह जन्म किसका मान रहा है?
सबसे पहले के जन्म की बात अभी छोड़ो, और यह बताओ इस वक्त जो जन्मा है वह क्या है?
शरीर है, आत्मा है, ईश्वर है, या कुछ और है?
और जिसकी मृत्यु होगी, वह भी शरीर होगा, आत्मा होगी, या कुछ और होगा?
जब तक प्रश्न कर्ता को यह स्पष्ट नहीं है, कि वह वर्तमान में क्या है?
तब तक सबसे पहले के जन्म की बात करना व्यर्थ है।
और यदि उसको यह स्पष्ट हो जाता है, की वर्तमान में वह क्या है?
तो इस प्रश्न की आवश्यकता ही नहीं रहतीहै।
क्योंकि उसे इस प्रश्न का उत्तर स्वत आत्मबोध द्वारा प्राप्त हो जाएगा।
यदि इसके उपरांतभी ऐसा प्रतीत होता है की और तर्क करने की आवश्यकता है, तो आगे परिचर्चा पुनः की जा सकती है।
नमः शिवाय
Aapko itne questions karne hi nahi chahiye kyoki aap prashankarta ki yogyata ko to nahi jante na aur in sare questions ka javab to aaj bahut aasani se Diya ja sakta h agar bhagwat geeta padi ho to.aur agar vo is yogya nahi h to bhi 1 acha answer hum sabke Kaam aa sakta tha.Per question ke aadhar per kisi ko nicha dikhana to thik nahi
कोई बौध भिक्षु नहीं था । उसे दिखाना चाहिए।वो एक साधारण बौध धर्म मानने वाला है।
बात को गोल गोल घुमा रहे हैं। केवल बकवास है। पुर्जन्म नहीं होता है। वैज्ञानिक ढंग से सोचने की जरूरत है।
Jao scientific research dekho boht sari ghatna isko sabit krti h..
आइंस्टाइन जब इस सिद्धांत को ज्यों का त्यों मानता है तो न मानने लोग क्या उससे बड़े वैज्ञानिक हैं ? अल्प ज्ञान से अच्छा है अज्ञानी होना । अध जल गगरी छलकत जाये ।@@funserious4u764
इसका बहुत ही साधारण जवाब है ....ईश्वर ने सृष्टि तरंग रूपी बनाई है और चेतना को ही जन्म दिया ...चेतना शरीर बदलती है सिर्फ फिल्टर होने के लिए ...वापस मनुष्य योनि में जब चेतना आती तो फिर जाल में फांस जाती है... सृष्टि है ही नही ...और है तो सिर्फ चेतना ..
बौद्ध का विषय में पढ़ रहे हो तो उसी के टीचर से डाउट का उत्तर लो। 😂 सनातन में इसका उत्तर है।
Dhyan se suno usne pucha hai budho se har kar use sadguru se puchna pada. Or jo prasan usne pucha hai uska kisi budh se ya sanatani se koi lena dena nahi hai wo ek kalpana ke adhar pe pucha gaya sawal hai or ye spirituality me ise prashan hi nahi kahte kyunki isse kuch hone wala nahi hai. Kya ye prasan hai ki Anda pahle aya ya murgi? Iska jawab pahle to hai nahi agar mil bhi Gaya to admi use sweekarega nahi or isse uska jeevan badalega nahi to sadguru ne jo kaha hai wo sahi hai ki apni sadhna karo or usse related koi prashn hai to wo pucho nahi to ye prasan bakwas hai.
ब्राह्मणों को जब पता चला कि हिंदू शब्द किसी भी वेद स्मृति पुराण उपनिषद गीता रामायण में नहीं है
तो
यूटर्न मार लिया अब कहने लगा है कि
हमारा धर्म सनातन है हम सनातनी हैं
लेकिन सनातन धम्म तो बुद्ध का धम्म है
🔶🔷🔶🔷🔶🔷
सद्गुरु ने सृष्टि और इसके और मानवीय अस्तित्व को सूक्ष्म भाव से आधुनिकता से सामंजस्य बिठा कर बताया... परंतु सनातनी हिंदू धर्म ग्रंथों में सृष्टि के उद्गम के सभी सिद्धांत दिये हुए हैं एक बार संत प्रेमानंद जी महाराज जी से इसी विषय में सटीक प्रवचन सुना था... उनका कर्म और कर्म फल, प्रारब्ध और वास्तविक अस्तित्व और स्थूल सूक्ष्म कारण शरीर के महत्व के साथ जन्म जन्म की प्रक्रिया और पूर्णता को बहुत बारीकी से समझाया था 🙏🙏🙏
Wo video ka link send karna
जीवन के साथ इच्छा भी जन्म लेती है अर्थात इच्छा ही जीवन है और जीवन ही इच्छा है और जीवन ही ऊर्जा का सक्रिय रूप है। यही कारण सृष्टि की उत्पत्ति का भी है ।
शिव
Sadguruji science and Bhagwat Geeta ke scholar hai ! सद्गूरू चरणी सादर प्रणाम.
पहला जन्म कुछ नहीं है । अंतिम जन्म भी कुछ नहीं है । because energy can’t be created or destroyed. It is always in change into matter and vice versa.
बहुत सही कहा आपने,
ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्या।
नर्मदे हर।
अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त।।
🎉🎉🎉❤❤❤
आपके इस कथन में एनर्जी क्या है? एनर्जी का ट्रांसफॉर्मेशन क्या है?
जो बात आप thermodynamics में आज पढ़ते हैं वही बात गीता में बहुत पहले कहा गया है, वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही" यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता से लिया गया है. इसका अर्थ है कि जिस तरह मनुष्य पुराने कपड़े त्यागकर नए कपड़े पहनता है, उसी तरह आत्मा भी पुराने शरीर को त्यागकर नए शरीर को प्राप्त करती है. इसलिए, ज्ञानी लोग किसी के मरने पर शोक नहीं मनाते.
जिसको आप एनर्जी कह रहे हो उसी को गीता में आत्मा कहा गया है, उन्होंने भी कहा है, आत्मा (एनर्जी) कभी नष्ट नहीं हो सकती यह एक शरीर(रूप) से दूसरे शरीर(रूप) में बदलती रहती है।
इसका एक शरीर से दूसरे शरीर में पहुंचना ही पुनर्जन्म कहलाता है।
पुनर्जन्म से तात्पर्य आत्मा (एनर्जी) के जन्म से नहीं है, इसका मतलब शरीर के बदलने से है।
जैसे कोई जनरेटर का उपयोग करके मेकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदले तो यहां पर एनर्जी का पुनर्जन्म हो रहा है इससे पहले वह मेकेनिकल रूप में थी फिर इलेक्ट्रिकल एनर्जी बन गई।
इसलिए कह सकते हैं जन्म तो होता है, मृत्यु भी होती है, किन्तु शरीर का। आत्मा का नहीं।
जब पहला जन्म कुछ भी नहीं है तब तो फिर कर्म के अच्छे या बुरे के फल का शास्त्रों का सिद्धांत ही गलत है, क्यों कि अच्छे या बुरे कर्म जो शास्त्रों के अनुसार अगले जन्म का कारण बनते हैं,उसकी शुरुआत कभी हुई ही नहीं।
Fool😂
बहुत सुंदर प्रेरणादायक सन्देश
🙏निर्मल मन जन सोई मोहि पावा,मोहे कपट छल छिद्र न भावा🙏🔱🔱🔱जय श्री राम 😀😀😀
बिल्कुल सटिक उत्तर है. अध्यात्मिक ज्ञान शब्दों में बांधना असंभव है. आम मिठा है यानी कैसा है ? रंग, रस स्पर्श जैसी साधारण बातें भी प्रत्यक्ष अनुभूति के बिना समझना असंभव है, उसको बताया नहीं जा सकता है.
Adhyatmik Gyan ka abhas tb hota h jb use jiwan me utaro
Adhyatmik bate batne liye jitne saral sabd bole jaye vo sahi h jase sant kabir ke sant guru nanak ke aur Ravidas ke dohe
Ye baba ji saf saf n kahakar bato ko uljate h jyada h
Jo Gyan dhyani h vo saral aur sahaj hota h
गलत प्रश्न का जवाब कभी कोई नही दे सकता। बौद्ध एक काल्पनिक कथा है। भिख्खु एक अज्ञानी बालक है।
सदगुरुजी आश्चर्य, ईतना सहज सवाल सदा सवाल और आप के पास कोई जवाब नही? सदा से चलि आ रही शृष्टी सब मे सब कुछ अनन्त है, जन्म भी और कर्म भी, ना कभी पहला जन्म हुआ, नाही कभी आखरी जनम होगा।
सर्वे मंगल।
unhone darvin wala sidhant bola waha se suno samajh aa jayega 😅
तो फिर मोक्स्य क्या है
@@ShovamohanShaw jo ans aapne diyaa woh information ke taur pe diyaa.... Anubhav se nahi....aur doosri jo ans aapne diyaa ek ka anubhav ho sakta doosre ka nahi.... Doosro ko manyata lagegi
@@ShriKhant-u7x mai hu bhi aur nahi bhi... Mai yaha bhi hu aur sarvatar bhi hu.... Mera aaa janam hua na kabhi maut huyi... Sab sristi ka nirman mujhse hi hota hai... Jab aisa anubhav Aa jaaye toh samjho ho gaya moksh
Bhai jawab mil gya hai ... Shiv or Shakti... shareer our pran
Sadguru you are a allrounder divine man .🙏☝️🕉️Jai ho 🙏😊
😂😂😂
नर्मदे हर।
अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त।।
🎉🎉🎉❤❤❤
SADGURU, YE KYA LIKH DIYA
सदगुरु , कुछ भी बोलते हैं पर सटीक उत्तर कभी नहीं देंगे शायद स्कूल नहीं गए इस लिए प्रश्न का सटीक उत्तर देना आता ही नहीं😂😂
Ekdum sahi jawab sadguru aap me Divya Gyan hai bhagwan
इसका जवाब मोन रहने से ही मिलेगा। ये स्पष्ट है
हमारा पहला जन्म मानव देह का परम तत्व से अलग होकर हुआ तब हमारा कोई इच्छा नही था हम पूर्ण थे हो परमात्मा थे अब हमारा जन्म हो चुका है और हम सिर्फ आत्मा है हमारा लक्ष्य परमात्मा में उसी परम तत्व में जाके मिलना है और ये तभी संभव है जब हम इच्छा से रहित होंगे बिल्कुल सुन्यता में होंगे तब हम भ्रमण करते करते स्वर्ग लोक में जा परमतत्व में मिल कर परमात्मा हो जायेंगे ❤ जय श्री महाकाल 😊
आप बस कुछ ही दूर हो परम सत्य से
क्योंकि शिव की कृपा है आप पर ओम् नमः शिवाय
सत्य कहा आपने
गीता में श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं ही ब्रह्म हूं, और मैंने ही सृष्टि रची पर वे यह भी कहते हैं कि मैं निष्काम कर्म करता हूं,अर्थात अगर सृष्टि की उत्पत्ति किसी इच्छा से हुई होती तो ईश्वर निष्काम कैसे हो सकता था,पर सृष्टि की रचना किसी इच्छा या कामना से नहीं हुई,कृष्ण के लिए कोई कर्म उनका कर्तव्य नहीं बस आनंद भर है। इसीलिए हिंदुओं ने जगत को लीला कहा है क्योंकि खेल बस खेलने के लिए होता है, किसी कामना की पूर्ति के लिए नहीं, खेल का स्वयं ही अपना आनंद है,पर कोई कामना या लक्ष्य नहीं है।जगत उत्पत्ति निष्काम हुई है,किसी कामना से नहीं।
❤vidya dhanam sarva dhanam pradhanam esvar ki khoj ❤
Sadguru ne Jo bataya use samajhne ki samajh honi chahie Jay Ho sadguru ki🎉🎉🎉
Kya khoob kaha hai 🙏🙏🙏 boudh, Christianity, Jainism, Islam, parsi Jewish, etc sab mazhub hai🙏🙏🙏 ek maseeha aaya aur nirdhesh Diya aur sab follow karne Lage, kuch log nirdhesh me parivartan karne lage🙏
२५ सौ साल पहले दिया गया निर्देश (जो उस समय के परस्पर सामाजिक परिवेश बहुत ही सहज जबकि आज) तुलनात्मक रूप बहुत कठीन है। ..... अतः एक बिग कैनवास पर देखने से .... सदगुरु की जवाब वस्तुत सही है।
जय श्री राधे ❤❤
मैं की उत्पत्ति ही भव का प्रारंभ है। मैं का विलीन होना ही भव मुक्ति है।
इसी को तथागत ने ज्ञान कहा। बाकी सबको कालबाधित सत्य या जानकारी कहा ।
यदि अस्तित्व अनंत से है, जिसका कोई प्रारंभ नहीं है, और यह एक निरंतर चक्र में चलता है, तो इसका मतलब है कि हम भी इस अनंत चक्र का हिस्सा हैं। सृष्टि केवल इस ब्रह्मांड तक सीमित नहीं है; अनगिनत ब्रह्मांड निरंतर बनते और नष्ट होते रहते हैं। अस्तित्व का कोई वास्तविक प्रारंभिक बिंदु नहीं है - हम केवल एक विशेष ब्रह्मांड में कई संभावनाओं में से एक का परिणाम हैं। इस महान प्रक्रिया में, हमारे कर्म महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो अगले परिणाम को अनंत संभावनाओं में से निर्धारित करते हैं।
Santo ne kaha h anhadh ki bhi hadh hoti h aga jyada jaana h to kabir panth padho ya Radha Swami ke bare m jano
Guru ji saadar Naman.....you have clearly explained. Very dynamic answer 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
he evaded the real question as usual.
वास्तव में आपका कभी जन्म ही नहीं हुआ ना तो पहला ना ही आखिरी, ये उसी तरह है जिस तरह पुरुष अपने स्वप्न में अपनी जन्म मृत्यु देख रहा है तो उस स्वप्न में आपका जन्म हुआ उसमे कौन से कर्म कारण थे। कोई नही ये सिर्फ लीला विलास है ईश्वर का जो कि अनंत है। जब इस जागृत स्वप्न से जागेंगे तब स्वयं ही पता चल जायेगा । ऐसा हमारे वेद उपनिषद कहते है।
Nice utar diya Guruji ne ❤
Ise muh band karana nahi kahate.... argument karane par muh band karana padata hai. Us insan ko samaj kar unaka bhram dur Kiya, tatha unhe yogya guidence diya hai.
Jai Gurudev!
satya kha dost❤
Sankrcharya band kar gaye the Aor Rajniti Raja ki Satta ke liye ye Majhab me Gulami kar to rahe hai sanatan ko 1..baar lutne vale Pidhiya Luut Rahi hai Aaj bhi 😅😅
Raja ke Nafrati Buddh Atanki Se Kam nahi the Aaj bhi leftistani kamunstani Athisttani Buddh ke bhesh me nafrat Bech Rahe hai dalar chini American dalar Desh se Gaddari Gulami ❤❤❤
मंगल प्रभात । मंगल भवन अमंगल हारी । उमा सहित जेहिं जपत पुरारी ॥ निराकार परम तत्व प्रभु जिनके हम आप और सभी अंश है । प्रभु से उत्पन्न अक्षर से सृष्टि का निर्माण हुआ जो अ है आगे बहुत कुछ बताया समझाया जा सकता है । वर्तमान में अक्षर पर शोध हुए और अन्य भी शोध हुए और हो रहें हैं और होते रहेंगे हैं । भाषा सरल होनी ही मुख्य बात है । स्वयं कि सोच से ही स्वयं और सच्चाई को जाना जाता है । सृष्टि और सृष्टिकर्ता का रहस्य भी स्वयं कि सोच में है । सच्चाई का ज्ञान होते ही विवेक जागृत हो जाने के अमंगल के लिए कुछ बचता नहीं है । स्वयं कि सोच ही स्वयं कि स्वामी है इस सच्चाई का अनुभव हो जाना ही तो रहस्य खोल देता है । सदगुरु का वक्तव्य सही है लेकिन घुमा कर है । अक्षर सुर्य/अग्नि, ग्रह/सुर्य के टुकड़े, हवा, धरती, जल फिर में काई और काई से कीड़े और कीड़े में नर मादा और नर मादा में जलचर नभचर और थलचर में सबसे श्रेष्ठ रचना बंदर फिर बनमानुष फिर मानुष यानी मनुष्य । अब क्या करना है और शरीर कैसे छोड़ना हैं और कहां जाना है स्वयं समझ लें । विपश्यना मतलब स्वयं को विशेष प्रकार को जानना और देखना, समझना और फिर अन्य को भी बताना समझाना । सच्चाई को जानने के बाद स्वयं में जो गुण विशेष रूप से है उससे समाज कि सेवा करना । प्रेषक साभार - श्री राम कथा व शिव कथा सरस गायक व सरल ह्यूमन इंजीनियरिंग विधि आचार्य - हरि सेवक सद्गुरु आमोदानंद संपर्क - 8756746424
गुरू ji आपणे बात को घुमा दिया 😅
unhone darvin wala sidhant bola waha se suno samajh aa jayega 😅
Video firse suniye...answer diya hai...."Jatilta hi karm hai"..
Khule dil ka hona hi wastav me satya me hona hai nirvan me hona hai ... Jaise se te real me jina hai 💯🙏
Aap apne channel ke liye sadguru ka istemaal kar rahein hain..wah!
Namaskaram Satguru❤❤❤
इसका उत्तर सरश्री जी ने बोहोत पहले ही दे दिया हैं |
Sadguru is as straight as Jalabi is.
जय गुरु जी
जब सृष्टि रची गई तो उसमे रहने की जिम्मेदारी मनुष्य के ऊपर ही आएगी तो मनुष्य को चाहे अनचाहे में भाग लेना ही पड़ेगा l कर्म की लकीर बाद में ही बनेगी। जब खेल शुरू होगा तभी तो उस खेल में भाग लेना होगा। खेल शुरू होने से पहले हम सब अनंत चेतना के रूप में होते है न। इससे भी सरल और क्या कहे।
इस तरह के बहुत सारे प्रश्न हमारे इर्द गिर्द घूम रहे हैँ, जैसे ये सृष्टि यदि ईश्वर का खेल मात्र है तो मेरा प्रश्न है कि ईश्वर को किसने बनाया???
तो इसका उत्तर ये है कि यह प्रश्न इतना बड़ा है कि इसका उत्तर भी यूँही बैठे किसी महफिल में नहीं मिलने वाला, वो कहते है ना जिन खोजा तिन पाइयाँ... ऐसे हर प्रश्न का उत्तर है लेकिन वो सिर्फ और सिर्फ आपके अंदर है! तुलसीदास जी कहते है कि जानहि तुमहि, तुम्हही होइ जाइ.... कक्षा पांच का विद्यार्थी यदि ये प्रश्न हल करेगा तो भटकता ही रहेगा, इस उत्तर के लिए अध्यात्म की पीएचडी आवश्यक है और यही सद्गुरु नें कहा कि बस लगे रहो और कुछ मत सोचो :) और यही गौतम नें किया और कराया 😊😊
सही है भाई बिल्कुल
Jay ho hmare ATI pyare gurudev bhagvan ji ki
बहुत सुंदर विवेचन
अभी प्रष्टा का कर्म ऐसा नहीं था कि उसे कोई उत्तर मिले और सद्गुरु भी शबदप्रपंच से उसे घुमा रहे हैं। वास्तव में केवल प्रश्न कर लेना ही इतना बड़ा कर्म नहीं हो जाता कि आपको उसका उत्तर सीधे तौर पर मिल जाए। भिक्षु को स्वयं जानना चाहिए कि महात्मा बुद्ध भी प्रश्नों के उत्तर के लिए ही वर्षों तक भटके थे। और वे स्वयं सदा 10 प्रश्नों पर मौन रहे। पर इसका अर्थ यह नहीं है कि वे प्रश्न का उत्तर नहीं जानते थे। इस प्रश्न का उत्तर वैसे ही है जैसे कि आपका बैंक का पासवर्ड। क्या किसी के एक बार पूछ लेने मात्र से आप अपनी सब डीटेल उसे दे देंगे। ऐसे ही यह उत्तर नही नितांत निजी अवधारणा है। दर असल जब कर्म नहीं था तब वह पहला जन्म सीधे इस पुरुष रूप में नहीं आया होगा। ऐसा सद्गुरु कह रहे है। क्योंकि यादृच्छिक रूप से जन्म मिले तो यह भेदभाव होगा। भगवान सीधे ही किसी को राजा और रंक क्यों बनाएगा। अतः इसका अर्थ यह है कि हम अपने विकास को भूल गए हैं। क्योंकि यह हमारा पहला जन्म नहीं है। यह तो निश्चित है। इसलिए पहला जन्म हमें सदैव किसी दोयम दर्जे का मिला होगा जैसे कि कोई वाइरस या एक कोशिकीय जीव। फिर तरक्की करते करते यहाँ तक पहुंचे होंगे। तभी तो। क्या किसी ने कभी यह सुना कि कोई अमुक वाइरस था और उसे मोक्ष मिल गया। मोक्ष भी विकसित को ही मिला सदा। इसलिए इस भिक्षु को अभी अपने कर्म के चक्र में ही गति करनी होगी। अभी इनकी विपश्यना अहं से आप्लावित है। एक दिन उत्तर स्वयं मिल ही जाएगा। कि वह उत्तरोत्तर जन्मा है, सीधे अवतरित नहीं हुआ है। और अभी उसके कितनें जन्म बाकी हैं यह भी। सीधे पार्शन करने से उत्तर मिल जाएं तो साधना व तप जैसे शब्द होते ही नहीं। और विडंबना है कि आजकल लोग यू ट्यूब और व्हाट्सअप से ही ज्ञानी बं जाते हैं। जय श्री राम🚩॥
आपने सही उत्तर दिया है बाकी सभी लोग इतना सटीक उत्तर नहीं दिए
लेकिन वाटशप पर ही आपका ज्ञान सबको समझ आ रहा है तो फिर वाटशप की निंदा क्यूं
इसका मतलब आपने सब कुछ समझ लिए है आपको ये ज्ञान क्या अपने तप से मिला या ऐसे ही शब्दप्रपंचो से साहब
मुझे ऐसा लगता है कि आपके माता पिता ही आपके पूर्व जन्म वाले व्यक्ति है जिनके कर्मो को हम सभी भोगते हैं 😀😀
👍👍👍🙏
@@dushyantsingh5759 k
Likely
इस प्रकार के प्रश्न के लिये इस्से अच्छा उत्तर नही हो सकता
👏👏🙏
हमेशा की तरह वाक् पटुता से सामने वाले का माखौल बनाना ही सद्गुरु की योग्यता है। जिसका प्रदर्शन उन्होने किया।
Sadar Pranam Charnvandna pujya sant ji ke paavan charno me
Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv
सदगुरु जी ने जो बातें कहा है बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति उदाहरण के साथ कनेक्ट करते हुए कहा है ये जीवों में जीवन प्रक्रिया का होना जो दर्शाता है कि ये जीवित है एक सामान्य या प्राकृतिक घटना है जो सभी जीवों में घटित होती है या आत्मा या परमात्मा, पुनर जन्म ,अगला, पिछला जन्म कुछ नहीं होता ,आप वर्तमान में जो है बस है इस समय आप इस शरीर से सुंदर और उपयोगी कार्य करिए जिससे कर आपके आस पास चारों तरफ रहने वाले सभी जीवों का लाभ हो ,फिर तो इस शरीर को एक समय नस्ट होना ही है। जो सिर्फ प्राकृतिक घटना मात्र है जो हरेक जीवों के साथ होता है।
जय श्रीराम जय श्रीकृष्ण जय सद्गुरु जी
सदगुरु खुद कहते है उन्होंने किताबें नहीं पढ़ी, फिर electron proton कैसे पता 🙏
Om Namah sivay.... ❤❤
सद्गुरु ने अगर ईश्वर के साथ समस्वर हुए हैं अर्थात अनुभव किये हैं उनकी शांति, प्रज्ञा, प्रेम को तो
आप क्यो नही मानव और ईश्वर मिलन के लिए कोई सरल पद्दति का विकास करते है जिससे सभी मनुष्यों का उद्धार हो और वह अपने परमपिता से एकाकार कर ले।
You r right sadguru not knowing exact link for ishwar
सत्य अगर शब्दो से ब्यक्त किया जा सकता तो तपस्या संयम नियन आदि साधनाओं कि जरुरत ही नही पडती।
भिन्न भिन्न मिठाईयो के स्वाद का अंतर जो जिह्वा अनुभव करती है शब्दो मे ब्यक्त नही कर सकते। स्वामी जी ने जो गूढ बात कही है वो अपने अपने अंदाज से ही लोग समझ पायेंगे।
SABDOH MEIN PURA BRAHMAAND KO VYAKT KIYA GAYA HAI REF VED AUR PURAN. TUM SWAD PE ATAK GAYE KEWKI JAWAB TUM NAHI JANTE.
Basically Question is why does this creation ?
No one within the boundaries of creation, or as a part of it, can answer this question. Both the question and the answer are part of creation.
To find the real answer, we have to go beyond creation, and from that standpoint, we may understand what this creation is-if the question even remains valid at that point.
"All this nature is bound by time, space, and causation; and to understand the ultimate cause of creation, one must transcend these limitations. The question of the 'why' of the universe can only be answered when we go beyond the universe itself, beyond all relativity."
Reference: The Complete Works of Swami Vivekananda, Volume 2, The Real and the Apparent Man.
Don't go anywhere you can expierience right now or never
नर्मदे हर।
अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त।।
🎉🎉🎉❤❤❤
सबको प्रसिद्धि चाहिए,धन चाहिए,सैकड़ों एकड़ जमीन चाहिए,दाढ़ी मूंछ वाला चोला उसके बाद कहते है साधारण हूं सरल हूं कोई दिखावा नहीं है।वाह
बुद्ध पुनः जन्म, आत्मा परमात्मा को मानतेही नहीं थे.विपश्यनासे सिर्फ अपने आप में चेतना है यह जालना और आनंद में रहता ज्योभी है उसको स्विकार करना
Real God gauttam budhdha
There is no god.......
@@hrdxofficial3393 bro people call him bhagwan gauttam budhdha ok and every person for God their mom and dad ok
ऊर्जा का स्वभाव बनना और बिगड़ना है... बिना किसी कर्म के भी ये ऊर्जा बनती बिगड़ती रहती है और हम सब एक ऊर्जा ही हैं इसलिए पहले जन्म का कारण ऊर्जा है न कि कर्म...
ऊर्जा है तो कर्म होगा ही ,इसी कर्म ने एक कोशिका को जन्म दिया ,और कोशिका के कर्म से आगे निरन्तर विकास हुआ,यह क्रम अभी भी सतत जारी है ।
@santlalmishra652 आप ऊर्जा उसे समझ रहे जो कर्म करके प्रकट की जाए लेकिन ऊर्जा बिना कर्म के भी विद्यमान है...
पुनर्जन्म केवल इच्छा सेही होता है l इस जन्ममे अगर इच्छा पूर्ण हुई,या सत्कर्म से जीवन सफल हूवा तो मुक्ति मिली l बस इतना सरल है l दुर्जन भी फिर से जन्म लेते है,लेकिन योनि अलग होगी,याने कुत्ता,बिल्ली,छोटे जीव जंतु ई...
सदगुरु जबाब देते ही है,क्यों की उन्होंने जाहिर किया है की सभी प्रश्नों का उन्हे ज़बाब उन्हे मिला है l ये बात तो तय है की सभी उत्तरोके लिए उन्हे सटीक शब्द मिलते है l बस इतना ही है l
Guru ji wah insan jivan behtar kaise banega Aisa sawal nahi pucha hai .
Sawal sahi me achha tha par jawab nahi mila
प्रश्न तो जटिल ही है पर हम चातक जानते है किसी भी जटिल प्रश्न का उत्तर सरल होता है व उत्तर ही क्या जो समझ मे ना आये ऐसे जटिल प्रश्न का उत्तर केवल इस सारी ब्रह्मांड मे तथागत भगवान गौतम बुद्ध जी दे सकते है और वो भी एकदम सरलता से और बात यह है की सवाल कर्म पर है क्या कर्म से पुनर्जन्म होता है तो पहिला जन्म के लिए कर्म कहा से करते वंदनीय भिक्षू जी आपका सवाल आपका प्रश्न बिलकुल सही है यदि आपको इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करना है तो हम हमारी तरफ से इस सवाल का उत्तर दे सकते है अगर आपकी जिज्ञासा हो इस सवाल की जवाब की और सद्गुरु जी आप भी इस सवाल का सरल जवाब जान लो
1) सनातन विचारधारा की हिसाब से पहिला जन्म आप किसी भगवान की आशीर्वाद से प्रकट हुए हो और तुम्ही वरदान भी दिया हुआ है की आप मरते हो और फिर से पुनर्जन्म लेते हो
2) सद्गुरु जी की विचारधारा से पुनर्जन्म ले रहे हो ये तुम्हारे कर्म है और जो पहिला जन्म मिला वो आपकी माता पिता की कर्म है
3) अगर जानते हो सबसे पहले उपनिषद कोनसे है तो उस उपनिषद मे इस सवाल का जवाब मिल जायेगा पहिला उपनिषेद ब्राहदारण्यक ओर दुसरा छांदोग्य इस उपनिषद मे ही सवाल का जवाब है वो भी काफी सरल तरह से और अगर ये सबसे पहले उपनिषद है किसके द्वारा लिखी गये है कोनसी भाषा मे लिखे है तो सच क्या है ये आप सभी को पता चल जायेगा
जय गुरुदेव बाबा उमाकांत जी महाराज से मिलिए उज्जैन आश्रम सारे भरम दूर हो जाएंगे
True ❤ ❤ ❤
Excellent.
Sad guru.ne.jo.savi.bate.Kashi..Muga.bahut.pasand.aya
Jy shree sad guru ji❤❤❤❤❤❤❤
आपका विडियो सुनने के चक्कर में इतना खो गया कि मेरा जनैऊ छूत गया, अब मुझे प्रातः काल में स्नान ध्यान कर बदलने होंगे।
क्योंकि ये एक निरंतर चलनेवाली यौगिक क्रियाएं है।
कुछ चीज हम सभी को नहीं पता है और शायद सद्गुरु को भी ना पता हो या फिर जो दूसरे गुरु है उनको भी ना पता हो हमें सर ज्ञान लेना होता है जिससे हमें ज्ञान प्राप्त हो उसे ले लेना चाहिए अपने विवेक पर छोड़ना चाहिए और फिर डिसीजन लेना चाहिए कि यह हमारे लिए उचित है या नहीं है 🙏😇
JAB KISI KO KUCH NAHI PATA TOH YEH SAARE CHOCHLE BAAZI KISLIYE.
Sabas sadguru ji apni beti ki shadi or ki beti ko sanyas badhiya h guru ji
जग्गी वासुदेव के पास कोई उत्तर नहीं, साथ ही बुद्ध के लिए शब्दों का प्रयोग उचित नहीं हैं।
I didn’t understand shadhguru answer. I also have this question in my mind many times.
Hahah Very Clever Man Jaggi Vasudev.
इसका सहज जवाब भागवत में लिखित है l किसी भी कृष्णभावनामृत व्यक्ति से 5 मिनट में इसका उत्तर मिल जाएगा l सद्गुरु जवाब नहीं दे पाए l यह आश्चर्य है l और छोटे से जवाब के लिए इतना समय व्यतीत कर दिया l
भगवद में किस अध्याय में
Very good
Ab prashn hoga ki graho k banne me kai saal lgte hai environment bnne me tb aatmae kaha jati hai to uska bhi jawab hai aap tb tk bramhand me hi hote ho aur aapka soul awake hota hai..sukshm avastha me ..
Sabd marte Nahi he Na Purvjo ke Vahi sabd tumara purv janm ke bole Sabd Jivan dete hai ❤❤
Bahujan jag gaya hai guru ji nmo buddhay Jay bheem
जग्गी बासुदेव के पास कोई सटीक जवाब नहीं है
बस गोल मटोल जवाब देता है
Sahi baat hai 😅
Shyam iska jawab mere pass h. Kyonki pichhle 7 saal se mere mann me bhi yahi sawal chal rha h
Time 7:00 to 10:00 me answer hai ....thik se suniye..
एको अहम बहुस्यामि।
ईश्वर ने सोचा एक हूं असंख्य हो जाऊं। बस ही गया। तब न उसका उस समय पाप था न पुण्य था
Mujhe aisa lagta hai ki no one knows about the existence of this cosmos, it's purpose.
कभी कभी लगता है ओशो दोबारा आ गए हैं. सिर्फ मौन हो जाना ही उत्तर है. अगर किसी के पास इस सवाल का कोई स्पष्ट उत्तर हो तो भी क्या फर्क पड़ता है.नया सवाल पैसा ही जायेगा.इस्लाम एक ऐसा धर्म है जहां हर सवाल का सटीक जवाब है और उसकी दुर्गति सब देख रहे हैं
इस्लाम बकवास है विज्ञान नही।
Satguru ke jawab se main santusht hun
Jai bhole naath ji jai baba ji
Oooooooom Namaha sibaay
Most of public can't understand -question hai k pehle murgi ya anda.People can understand as per their own intellect.
आश्चर्य ! सद्गुरू एक बहुत बड़े प्रश्न पर बस केवल बातें बना रहे हैं. प्रश्न है कि सृष्टि की शुरुआत क्यों हुई जबकि कोई कर्म था नहीं?😅
नानक नाम जहाज हैजो चड़े सो उतरे पार नाम वो जो जीवित सतगुरु समाधी लगाकर (जीवित मरकर) ईश्वर तत्व से मिल लेता है उनके द्वारा शिष्य के सर पर हाथ रखकर ईश्वर तत्व का ध्यान लगाकर दिया जाता है उसके प्रभाव से चौरासी लाख योनिओ का जन्म मरण का चक्र समाप्त होने लगता है सतगुरु मधु परमहंस जी
It's an ordinary answer by the sadguru telling him what darwin said
Your comment show you didn't make any picture in your brain that he explained....
Let your brain Travel in different times according to his lecture you will feel exhausted and understand the core of his speech...🙏🙏🙏
Shuruat khud s hoti h ... Karm khud s bante h.. or isi tarah karm k bandhan m bandhte jate h log.. guru ji yehi kehna chate h .
Boudh bhi hindu dharm ki ek shakha hai hindu hi boudh bane hain❤
एकही जीवन मे पुनर्जन्म होता है
Jawaab sahi hai
इच्छा से हमारा पेहला जन्म हुआ है, भगवान की इच्छा..
Sbse phla janam pramatma k kirpa se mila h jisse suruyaat hue baad m karam bane h jai osho.vistar se jannee k liye osho k bhai k pas jao
Baman bane Balli..Se Jamin 3.pag.me.mangli.Rastrniti.Chenal..par.ganga.Avtaran Vale Vidio dekh Lo
❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤