RAM JI X HANUMAN JI BHAJAN |

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  • Опубликовано: 11 фев 2025
  • RAM JI X HANUMAN JI BHAJAN 🙏🏻
    बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
    तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
    ताहि सों त्रास भयो जग को,
    यह संकट काहु सों जात न टारो ।
    देवन आनि करी बिनती तब,
    छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
    को नहीं जानत है जग में कपि,
    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
    बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
    जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
    चौंकि महामुनि साप दियो तब,
    चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
    कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
    सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
    को नहीं जानत है जग में कपि,
    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
    अंगद के संग लेन गए सिय,
    खोज कपीस यह बैन उचारो ।
    जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
    बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
    हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,
    लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
    को नहीं जानत है जग में कपि,
    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
    रावण त्रास दई सिय को सब,
    राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
    ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
    जाए महा रजनीचर मरो ।
    चाहत सीय असोक सों आगि सु,
    दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
    को नहीं जानत है जग में कपि,
    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
    बान लाग्यो उर लछिमन के तब,
    प्राण तजे सूत रावन मारो ।
    लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
    तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
    आनि सजीवन हाथ दिए तब,
    लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
    को नहीं जानत है जग में कपि,
    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
    रावन जुध अजान कियो तब,
    नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
    श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
    मोह भयो यह संकट भारो I
    आनि खगेस तबै हनुमान जु,
    बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
    को नहीं जानत है जग में कपि,
    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
    बंधू समेत जबै अहिरावन,
    लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
    देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,
    देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
    जाये सहाए भयो तब ही,
    अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
    को नहीं जानत है जग में कपि,
    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
    काज किये बड़ देवन के तुम,
    बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
    कौन सो संकट मोर गरीब को,
    जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
    बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
    जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥
    को नहीं जानत है जग में कपि,
    संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
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