।।निःशब्द मार्ग दर्शन, संत वाणी।।संतो कहाँ गृहस्थ कहाँ त्यागी, जेहि देखूँ तहं बाहर भीतर। घट घट माया लागी, जय निःशब्द अखण्ड अनुरागी।।00।।स्वयं सिध्द निःशब्द सतगुरु प्रदाता,सत स्वयंभू सृष्टी का रचैयता। सत साहेब कबीर सुजान की सतगुरु वाणी, निःशब्द अखण्ड जाने बिन नही होय कल्याणी।।01।।मानुष जीवन का उद्देश्य यही है, परमपिता से नेह सही है। आओ हम सब निःशब्द लख पाये, सहज मे भवसागर तर जाये।।02।।परमपिता के सद्गुण अपनाये, भारत भूमि को विश्व गुरु बनाये। हिन्दू मुसलिम सिक्ख ईसाई किसी से भेद करो ना भाई।।03।।अब भी करलो नेक कमाई, सब सद्ग्रंथो ने यही राह सुझाई। दीनबंधू दीनानाथ साथ रहेगा हमारे, प्राणी मात्र के मूल अधारे।।04।।आत्मा परमात्मा से मेल मिलाप करो, प्राणी मात्र से प्रेम करो। भेदी नांद गुरु साँई अरुण जी महाराज के सतसंग सुन पाओ, विदेही बेहदी सत कबीर सुजान से निःशब्द अखण्ड धुन चित्त मे लख पाओ।।05।।पानी की एक बूंद सा यह मानव जीवन है और सागर सा अहंकार है। इसीलिए इस मानवीय जीवन मे दुख दर्द की भरमार है।।06।।एक पल निःशब्द अखण्ड धुन चित्त समाई, ताकी महिमा वरणी ना जाई। देही नाम तो सब कोई जाने, निःशब्द अखण्ड विदेही विरला पहचाने।।07।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी,,7898158018-🙏🏻🌹
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-पद्य पाठ:-नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झक मार। सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।01।।एक डाल दो पंछी बैठे, कौन गुरु कौन चेला। गुरु की करनी गुरु भरेगा, चेला की करनी चेला।।02।।सारशब्द कड़वा लागे, मीठे लागे दाम। दुविधा में दोनो गये, माया मिली ना सतनाम।।03।।कबीर सब जग निर्धना, धनवन्ता नहिं कोई। धनवन्ता सोई जानिए, जिन सारशब्द सुमिरण धन होई।।04।।जो घट सारशब्द ना सुमरिए, घट में सेवा भाव नाही। ते घट मरघट जानिए, भूत बसे तिन माही।।05।।कौन लगावे भवपार सतगुरु बिन, मन कर देख विचार हो। भवसागर में बहते जाते हो और गीत मन माया के गाते हो।।06।।ज्ञानी के हम गुरु हैं, अज्ञानी के दास। उसने उठाई लाठी, हमने जोड़े हाथ।।07।।:-भावार्थ:-ज्ञानी को तो समझाया जा सकता है लेकिन मूरख को नही, मूरख से बहस करना मतलब कि खुद को महामूर्ख साबित करना है। इसलिए मूर्खो से तो दूर की ही नमस्कार करके चुपचाप आगे बढ़ जाना चाहिए।।07।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
Sir, aapke Isha Kabir Vani se bahut hi Santi or Satay ke apar sat guru ke bare me janne ki giyan mila hai. Mere guru sant ghasidas baba ji ke bhi Amrit Vani me or sant kabir ke Amrit Vani me koi antar nhi hai. Dono ki vani saman hai. Jo aapne Isha vritanga me sant kabir ji ke vani sunai hai, wo hmre purwaj hme sunnte rahe hai. Isha koi do mat nhi hai, ki shrishti ki Utpatti kese huai , or Isha ke janak sat guru satnaam sat pursha se huai hai. Aap ka bahut bahut dhanyawad. Saheb satnaam jai sat naam.
ज्ञान तो सच है पर एक शंका होती है कि क्या काल और माया की बातें परम पुरुष परमात्मा नहीं जानते थे जो इस प्रकार से उन्हेंजीवो को दुखी करने के लिए राज दे दिया ।क्या परम पुरुष जीवो को सुखी करने के लिए सक्षम नहीं है।🙏🙏🙏
सक्षम है , काल पुरूष ने बहुत तप कर वरदान पाया ओर माया के साथ अपनी रचना किया उत्पन्न करें पोषण करे संसार करें ये पुरा जहां किसान की तरह उसका खेतर हे , बीज बोए (उत्पत्ति ) खाद-पानी दे (पोषण ) संसार करें ( पाक तैयार हुआ लणे ओर खावे )
Amulya Gyan Dena ke liye aapke charno me koti koti Saheb Bandagi Sahebji 🌼🌼🌷🌹🌼🌷🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌷🤲🌷🌷🌷🌷🌷🌷 u🤲🤲🤲. Ek prashna he Sahebji yadi esa he to Niranjan satyapurush ka hi ansh he to usme ye Durgun kyo kese aagaye voh Satya purush ki aagya ke viruddh kyo ho gaya. Satya purush use samjha de to ye Sara kal chakra hi mit jayega.
बहुत अच्छा विचार दर्शन कराया , बस थोड़ा धीरे धीरे बोले जिससे सुननेवाले के शीर से उपर न चला जाय मतलब सुननेवाले इतना शुद्ध विचार दर्शन डाइजेस्ट करे फिर मनन कर सकें । धन्यवाद ।
कबीर पंथी काल निरंजन को जीवन का शत्रु मानती है जो कि गलत है जन्म मृत्यु शरीर की होती है आत्मा की नही जो शरीर की मृत्यु से घबराते है वह ज्ञानी नही महा मूर्ख है 84लाख योनियों से सजाकर यह संसार काल निरंजन ने बनाया जो प्रत्यक्ष देख सकते है जन्म मृत्यु और परिवर्तन संसार का नियम है सबको मानना पड़ता है स्वयं कबीर जन्म, बालक,जवान,बुढ़ापा,फिर मृत्यु काल के जाल से कबीर का शरीर नही बचा हम तुम कौन से खेत की मूली है आत्मा को पवित्र ईश्वरीय बनाओ शरीर को नही यही ज्ञान जी ने दिया है
Yaha Manushye shrir ko amar banane ki baat nhi ki ja rhi. Kal niranjan ki vjh se is duniya mai fase hai ye kha ja rha hai Kaal mukti nhi de skta vo chlava kr rha hai Ye btaya ja rha hai
कबीर कहते की काल और प्रेकृति तथा तीन गुणों से निर्मित इस शरीर और उसमे बने अहंकार को न पूजो इसका नाश होता है इससे मुक्ति नहीं मिलती लेकिन कबीर पंथी काल निरंजन को भला बुरा कहते यह उनकी अज्ञानता है
भरपूर धर्म कर्म कर्म करिए तो धर्म और कर्म धर्मवीर कर्मवीर सत्पुरुष के मतलब 84 सत्पुरुष के नाम से भी भक्ति करते हैं 84 में भी जाते हैं मारेगा जिए का 84 में जाएगा क्यों भाई हमें पसंद नहीं है सीधा शर्म दोबारा जन्म
Jis sat purush ki aap sablog baat kar rahe ho asal me esh video ke anusaar wahi sabse bada kal ve maya hai wo esiliye kiyu usi satpurush ne he unhe utpan kiya or unhi ke duara ye sara fasane wala khel ho raha hai toh dekha ye jaraha hai esh video se satpurush bandhno ka karaya karta hai usine maya or joti neeranjan ko utpan kiya hai toh satya purush acha kaha se hogaya hamare liye agar itna he acha or gyani hai hamara bhala karne wala ve sochne wala toh usne aisa khel chalaya he kiyu mafa or joti neeranjan utpan he kiyu hamare liye sabse jada bekar toh satya purush he hai kiyu nahi khatam karta maya or joti neeranjan ko jawab do jeetne bhi fir pagal he bana rahe hai
।।निःशब्द मार्ग दर्शन, संत वाणी।।संतो कहाँ गृहस्थ कहाँ त्यागी, जेहि देखूँ तहं बाहर भीतर। घट घट माया लागी, जय निःशब्द अखण्ड अनुरागी।।00।।स्वयं सिध्द निःशब्द सतगुरु प्रदाता,सत स्वयंभू सृष्टी का रचैयता। सत साहेब कबीर सुजान की सतगुरु वाणी, निःशब्द अखण्ड जाने बिन नही होय कल्याणी।।01।।मानुष जीवन का उद्देश्य यही है, परमपिता से नेह सही है। आओ हम सब निःशब्द लख पाये, सहज मे भवसागर तर जाये।।02।।परमपिता के सद्गुण अपनाये, भारत भूमि को विश्व गुरु बनाये। हिन्दू मुसलिम सिक्ख ईसाई किसी से भेद करो ना भाई।।03।।अब भी करलो नेक कमाई, सब सद्ग्रंथो ने यही राह सुझाई। दीनबंधू दीनानाथ साथ रहेगा हमारे, प्राणी मात्र के मूल अधारे।।04।।आत्मा परमात्मा से मेल मिलाप करो, प्राणी मात्र से प्रेम करो। भेदी नांद गुरु साँई अरुण जी महाराज के सतसंग सुन पाओ, विदेही बेहदी सत कबीर सुजान से निःशब्द अखण्ड धुन चित्त मे लख पाओ।।05।।पानी की एक बूंद सा यह मानव जीवन है और सागर सा अहंकार है। इसीलिए इस मानवीय जीवन मे दुख दर्द की भरमार है।।06।।एक पल निःशब्द अखण्ड धुन चित्त समाई, ताकी महिमा वरणी ना जाई। देही नाम तो सब कोई जाने, निःशब्द अखण्ड विदेही विरला पहचाने।।07।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी,,7898158018-🙏🏻🌹
साहेब बंदगी साहेब आप एसे ही साहेब की वाणी को लोगोंको समझाते रहीये यहसंसार बहुत अधंकारमेंहे इस वाणीसे लोगोंका अधंकार दुरहोगा साहेब बंदगी साहेब
Satpurush KabirDev ki jai ho🙏
Banndgi shahib Kabir stststchrn kamlo main Naman ❤
Sat sat naman kabiar saheb bandagi Saheb bandagi
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-पद्य पाठ:-नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झक मार। सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।01।।एक डाल दो पंछी बैठे, कौन गुरु कौन चेला। गुरु की करनी गुरु भरेगा, चेला की करनी चेला।।02।।सारशब्द कड़वा लागे, मीठे लागे दाम। दुविधा में दोनो गये, माया मिली ना सतनाम।।03।।कबीर सब जग निर्धना, धनवन्ता नहिं कोई। धनवन्ता सोई जानिए, जिन सारशब्द सुमिरण धन होई।।04।।जो घट सारशब्द ना सुमरिए, घट में सेवा भाव नाही। ते घट मरघट जानिए, भूत बसे तिन माही।।05।।कौन लगावे भवपार सतगुरु बिन, मन कर देख विचार हो। भवसागर में बहते जाते हो और गीत मन माया के गाते हो।।06।।ज्ञानी के हम गुरु हैं, अज्ञानी के दास। उसने उठाई लाठी, हमने जोड़े हाथ।।07।।:-भावार्थ:-ज्ञानी को तो समझाया जा सकता है लेकिन मूरख को नही, मूरख से बहस करना मतलब कि खुद को महामूर्ख साबित करना है। इसलिए मूर्खो से तो दूर की ही नमस्कार करके चुपचाप आगे बढ़ जाना चाहिए।।07।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
🌻🌿🪷🌱🌹🙏🏻सप्रेम साहेब बन्दगी साहेब🙏🏻🌹🌱🪷🌿🌻
जय गुरुदेव सप्रेम साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी ❤️❤️❤️
Sat Saheb🙏
बंदगी साहेब।
Sir, aapke Isha Kabir Vani se bahut hi Santi or Satay ke apar sat guru ke bare me janne ki giyan mila hai.
Mere guru sant ghasidas baba ji ke bhi Amrit Vani me or sant kabir ke Amrit Vani me koi antar nhi hai.
Dono ki vani saman hai. Jo aapne Isha vritanga me sant kabir ji ke vani sunai hai, wo hmre purwaj hme sunnte rahe hai.
Isha koi do mat nhi hai, ki shrishti ki
Utpatti kese huai , or Isha ke janak sat guru satnaam sat pursha se huai hai.
Aap ka bahut bahut dhanyawad.
Saheb satnaam jai sat naam.
ज्ञान तो सच है पर एक शंका होती है कि क्या काल और माया की बातें परम पुरुष परमात्मा नहीं जानते थे जो इस प्रकार से उन्हेंजीवो को दुखी करने के लिए राज दे दिया ।क्या परम पुरुष जीवो को सुखी करने के लिए सक्षम नहीं है।🙏🙏🙏
सक्षम है , काल पुरूष ने बहुत तप कर वरदान पाया ओर माया के साथ अपनी रचना किया उत्पन्न करें पोषण करे संसार करें ये पुरा जहां किसान की तरह उसका खेतर हे , बीज बोए (उत्पत्ति ) खाद-पानी दे (पोषण ) संसार करें ( पाक तैयार हुआ लणे ओर खावे )
Satshaheb
Sat sahib
💥सप्रेम साहेब बन्दगी साहेब💥🙏
धन्य है गुरुदेव हमारे गुरुजी से पूरा ज्ञान मेल खाता है सत साहेब
सत्- सत् नमन करूं संत कबीर साहेब बंदगी को कोटि-कोटि (धन्यवाद)🙏🥥🪔🙌💕🕯️🔱🍎🇮🇳🌹🌼👣👌⛪♥️💐❤️🥥🪔🙏
Sare. Muni. Ram. Sare. Utm. Purus. Sare. Anya. Purus. Sare. Anant. Purus. Sare. Tt..sare. st. Sare. Stnam. Sare. Nam. Sare. Sbd. Ram. Kbir. Ke. Hai. Jai. Ram. Ji
Saheb bandhgi saheb kamta sahu Gram Mangata C G
साहिब बंदगी
Jay bandi chhod ki jay nitin saheb ki🙏🙏🙏
कबीर-मूल बीजक उपदेश में सतगुरू कबीर साहेब ने धर्म दास का एक बार भी नाम नहीं लिया है।।
Jay ho
Akch MCB Acmr Mkd Bj ❤
Ram Ram sa all are truth
Sat saheb ji
Jay Jay Sri Sadgurudev Kabir Sahib Ji Bhagwan 🙏🙏🙏🙏💕💕💕💕🌻🌻🌻🌻💮💮💮💮🌷🌷🌷🌷😚😚😚😚😚💌💌💌💌🤗🤗🤗🤗🌸🌸🌸🌸😍😍😍😍🌼🌼🌼🌼☺☺☺☺🌹🌹🌹🌹😊😊😊😊🤩🤩🤩🤩❤❤❤❤😘😘😘😘
साहेब बंदगी साहेब 🙏🌼🙏
Saheb bandgi ji
જય ગુરુદેવ શ્રી
Saheb bandagi saheb ji
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Jai sant kabir das ji 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 ❤❤❤
Amulya Gyan Dena ke liye aapke charno me koti koti Saheb Bandagi Sahebji 🌼🌼🌷🌹🌼🌷🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌷🤲🌷🌷🌷🌷🌷🌷 u🤲🤲🤲. Ek prashna he Sahebji yadi esa he to Niranjan satyapurush ka hi ansh he to usme ye Durgun kyo kese aagaye voh Satya purush ki aagya ke viruddh kyo ho gaya. Satya purush use samjha de to ye Sara kal chakra hi mit jayega.
Saprem Saheb Bandagi Saheb ji
Sat saheb ji ham kal ke logo se kese nikle
ਕਾਲ ਨੂੰ ਪਰਮਾਤਮਾ ਨੇ ਹੀ ਬਣਾਇਆ ਹੈ ਉਹ ਇਕ ਜੱਜ ਦਾ ਰੋਲ ਅਦਾ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ ਜੋ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪਰਮੇਸ਼ਰ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਲਈ ਉਹ ਦੇ ਚਕਰ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਉਹ ਉਸ ਅਗੇ ਸਿਰ ਝੁਕਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਹਰ ਇਨਸਾਨ ਨੂੰ ਮਾਤ ਲੋਕ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਲਈ ਕਾਲ ਦਾ ਨਾਮ ਵੀ ਜਪਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਕਿ ਪੰਜਾ ਖੰਡ ਚਾਰ ਖੰਡ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਸਚਖੰਡ ਹੈ ਹਰ ਖੰਡ ਦਾ ਅਲਗ ਅਲਗ ਬ੍ਰਹਮ ਹੈ ਪਾਂਚ ਬ੍ਰਹਮ ਪਾਂਚੋ ਅੰਡ ਕੀਨੋ।। ਜਦੋਂ ਤੱਕ ਆਤਮਾ ਸੁਰਤ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਪਕੜਦੀ ਮੁਕਤੀ ਦਾ ਸਵਾਲ ਹੀ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਕਾਲ ਦਾ ਖੇਡ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੁਆਰਾ ਹੀ ਰਚਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜੋ ਪ੍ਰਾਣੀ ਪਾਂਚੋ ਕਾ ਨਾਮੁ ਜਪਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਅੰਤਰ ਧਿਆਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹੀ ਮੁਕਤੀ ਮਿਲਣੀ ਹੈ ਕਾਲ ਦੇ ਸੰਤ ਦੁਨੀਆਂ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਮੁਖੀ ਭਗਤੀ ਵਿਚ ਲਗਾ ਕੇ ਭਰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਬਾਹਰ ਮਾਇਆ ਕਾਲ ਦੀ ਰਚਨਾ ਹੈ ਬਾਣੀ ਵਿੱਚ ਦਰਜ ਹੈ।।ਸਭ ਕੁਝ ਘਰ ਮੇਂ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਬਾਹਰ ਢੂੰਡੇ ਸੋ ਭ੍ਰਮ ਭੁਲਾਇ।।
सतलोक Vs काल लोक/पृथ्वी लोक
सतलोक में जन्म व मृत्यु नहीं है।
जबकि पृथ्वी पर कुछ भी स्थाई नहीं है। सब नाश्वान है।
बहुत अच्छा विचार दर्शन कराया , बस थोड़ा धीरे धीरे बोले जिससे सुननेवाले के शीर से उपर न चला जाय मतलब सुननेवाले इतना शुद्ध विचार दर्शन डाइजेस्ट करे फिर मनन कर सकें । धन्यवाद ।
कबीर पंथी काल निरंजन को जीवन का शत्रु मानती है जो कि गलत है
जन्म मृत्यु शरीर की होती है आत्मा की नही
जो शरीर की मृत्यु से घबराते है वह ज्ञानी नही महा मूर्ख है
84लाख योनियों से सजाकर यह संसार काल निरंजन ने बनाया जो प्रत्यक्ष देख सकते है जन्म मृत्यु और परिवर्तन संसार का नियम है सबको मानना पड़ता है
स्वयं कबीर जन्म, बालक,जवान,बुढ़ापा,फिर मृत्यु
काल के जाल से कबीर का शरीर नही बचा
हम तुम कौन से खेत की मूली है
आत्मा को पवित्र ईश्वरीय बनाओ
शरीर को नही
यही ज्ञान जी ने दिया है
Yaha Manushye shrir ko amar banane ki baat nhi ki ja rhi.
Kal niranjan ki vjh se is duniya mai fase hai ye kha ja rha hai
Kaal mukti nhi de skta vo chlava kr rha hai
Ye btaya ja rha hai
Cal ka fanda Kabir Das Ji khatm ho gaya ab Ki Barish Sare Satya nikalegi
Vihangam yog sadguru .purn sadguru h ya nahi sadguru swatantra dev ji .bataye
Chartirthchardhamkoonkoonhaey
Today where we will meet guru,all gurus r buisness guru
Wo rasta kya h satya purush ko paane ka wo batao please
Shahab bandg purad kya haidene kidaya kare
Brahma Vishnu Mahadev ka janm bataiye kaise hua
Sir ji kbeer saheb sat purush hai kya
भैया मतलब यह धर्म कर्म फुल मतलब बहुत जब सतगुरु के शरण में आएगा प्रसार शब्द के कल के मुख्य में क्यों जाएगा
Saheb ji saheb bandgi saheb mujhe aap mobile no chahi
St. Nam. St. Ram. Hi. Hai. Jo. Prmatma. Ne. Btaya. Ki. Ram. Nam. Ka. Mntr. Se. Jap. Nhi. Krte. Nam. Adhar. Hai.
कबीर कहते की काल और प्रेकृति तथा तीन गुणों से निर्मित इस शरीर और उसमे बने अहंकार को न पूजो इसका नाश होता है इससे मुक्ति नहीं मिलती लेकिन कबीर पंथी काल निरंजन को भला बुरा कहते यह उनकी अज्ञानता है
Dhogi baba
भरपूर धर्म कर्म कर्म करिए तो धर्म और कर्म धर्मवीर कर्मवीर सत्पुरुष के मतलब 84 सत्पुरुष के नाम से भी भक्ति करते हैं 84 में भी जाते हैं मारेगा जिए का 84 में जाएगा क्यों भाई हमें पसंद नहीं है सीधा शर्म दोबारा जन्म
Jis sat purush ki aap sablog baat kar rahe ho asal me esh video ke anusaar wahi sabse bada kal ve maya hai wo esiliye kiyu usi satpurush ne he unhe utpan kiya or unhi ke duara ye sara fasane wala khel ho raha hai toh dekha ye jaraha hai esh video se satpurush bandhno ka karaya karta hai usine maya or joti neeranjan ko utpan kiya hai toh satya purush acha kaha se hogaya hamare liye agar itna he acha or gyani hai hamara bhala karne wala ve sochne wala toh usne aisa khel chalaya he kiyu mafa or joti neeranjan utpan he kiyu hamare liye sabse jada bekar toh satya purush he hai kiyu nahi khatam karta maya or joti neeranjan ko jawab do jeetne bhi fir pagal he bana rahe hai
😂😂
Ak locha Ho Gaya agar bhrama ne manush ko peda kiya he toh Hindu sab hona chahiye musalman or dusra dhrm kyon peda hoove
सत साहेब जी
🙏साहेब बंदगी सतनाम🙏
Sat saheb ji
Jai sant kabir das ji 🙏 ❤🙏
Jai sant kabir das ji 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏
Saheb bandagi saheb