Old is Gold मुहम्मद यूसुफ़ ख़ान अभिनय सम्राट Biography In Hindi

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  • Опубликовано: 21 окт 2024
  • Old is Gold मुहम्मद यूसुफ़ ख़ान अभिनय सम्राट Biography In Hindi
    दिलीप कुमार (11 दिसंबर, 1922 - 7 जुलाई, 2021(जन्म का नाम: मुहम्मद यूसुफ़ ख़ान), हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है। दिलीप कुमार को भारत तथा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में गिना जाता है, उन्हें दर्शकों द्वारा 'अभिनय सम्राट' के नाम से पुकारा जाता है, वे आज़ादी से लेकर ६० के दशक तक भारत के सबसे लोकप्रिय अदाकार थे। वे हिंदी सिनेमा के आज तक के सबसे कामयाब अदाकार हैं। उनके फ़िल्मों की कामयाबी दर लगभग अस्सी (८०) फ़ीसदी से ऊपर रही है छह दशकों के कार्यकाल में उन्हें दुनिया में पहली बार परदे पर 'मेथड एक्टिंग' को इजाद करने का श्रेय भी दिया जाता है जिसके कारण वे तमाम पीढ़ियों के अदाकार के प्रेरणाश्रोत रहे दिलीप कुमार को भारत का दूसरा एवं तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण और पद्म
    भूषण प्राप्त है । उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्राप्त है।अभिनेेत्री और निर्माता देविका रानी ने उन्हें फिल्मों में काम दिया और उन्हीं के सुझाव पर उन्होंने अपना स्टेज नाम 'दिलीप कुमार' रखा। इसका एक कारण उस वक्त तक सिनेमा की बदनाम स्थिति थी और पिता का डर भी था जन्म
    मुहम्मद युसुफ खान
    11 दिसम्बर 1922
    पेशावर, ब्रिटिश भारत
    मौत
    7 जुलाई 2021 (उम्र 98)[1]
    हिंदूजा हॉस्पिटल मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
    मौत की वजह
    उम्र संबधी बीमारी
    राष्ट्रीयता
    भारतीय
    पेशा
    अभिनेता
    कार्यकाल
    १९४४-१९९९
    धर्म
    इस्लाम
    जीवनसाथी
    सायरा बानो (वि॰ 1966-2021) (मृत्यु तक)
    असमा रहमान (वि॰ 1981; वि॰वि॰ 1983)
    माता-पिता
    पिता:- लाला गुलाम सरवर (जमींदार और फल विक्रेता)
    मां:- आयशा
    संबंधी
    नासिर ख़ान (अभिनेता) (भाई)
    बेगम पारा (भाभी)
    अयूब खान (अभिनेता) (भतीजा)
    पुरस्कार
    सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार (सर्वोत्तम 8 बार)
    दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (1994)
    अपने करियर के शुरुआती वर्षों में कई सफल त्रासद या दु:खद भूमिकाएं करने के कारण उन्हें मीडिया में 'ट्रेजिडी किंग' भी कहा जाता था। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार उनकी बहुत सी फ़िल्में इसलिए भी कामयाब हुईं क्योंकि जनता सिर्फ़ की है जो आजतक सबसे सफल चलचित्रों में गिनी जातीं हैं जैसे मुग़ल-ए-आज़म (१९६०), गंगा जमना (१९६१), इत्यादि। उन्होंने अपने करियर के दूसरे पड़ाव में भी कई अत्यंत कामयाब फिल्में दीं जब वह वृद्ध किरदार की भूमिका में भी प्रमुख किरदार निभा रहे थे। ऐसा वाक्या भी उनके अतिरिक्त किसी अदाकार के साथ नहीं हुआ है उन्होंने
    फिल्मों में अदाकारी को रंगमंच से अलग किया और उसे नई परिभाषा दी जिसका किया, जो बॉक्स ऑफिस पर उनकी पहली बड़ी हिट बन गई। उनकी अगली प्रमुख हिट 1948 की फ़िल्में शहीद और मेला थीं। जुगनू और शहीद दोनों अपने-अपने रिलीज के वर्ष की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्में थीं।उन्हें 1949 में महबूब खान की अंदाज़ के साथ एक अभिनेता के रूप में भव्य प्रीमियर के साथ पूरे यूरोप में व्यापक रूप से प्रदर्शित किया गया था। आन उस समय घरेलू स्तर पर और विदेशों में सबसे अधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी। आज़ाद (1955) में एक चोर के रूप में और कोहिनूर (1960) में एक शाही राजकुमार के रूप में उन्हें हल्की भूमिकाओं के साथ और भी सफलता मिली। इस समय तक, उन्होंने अपने
    1990 का दशक: निर्देशन की शुरुआत और अंतिम फिल्में
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    1990 में, उन्होंने एक्शन थ्रिलर इज्जतदार में गोविंदा के साथ सह-अभिनय किया। 1991 में, कुमार ने सौदागर में साथी दिग्गज अभिनेता राज कुमार के साथ अभिनय किया, निर्देशक सुभाष घई के साथ उनकी तीसरी और आखिरी फिल्म थी। 1959 में आई पैघम के बाद राज कुमार के साथ यह उनकी दूसरी फिल्म थी। सौदागर कुमार की अंतिम सफल फिल्म थी। 1994 में, उन्होंने फिल्मों में उनके योगदान के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीता 1991 में, निर्माता सुधाकर बोकाडे, जिन्होंने पहले इज्जतदार में कुमार के साथ काम किया था, ने कलिंग नामक एक फिल्म की घोषणा की, जो कुमार के निर्देशन की पहली फिल्म होगी, जब उन्होंने कथित तौर पर गंगा जमुना (1961) और दिल दिया दर्द लिया (1967) का निर्देशन किया था। कुमार को राज बब्बर, राज किरण, अमितोज मान और मीनाक्षी
    शेषाद्री सहित कलाकारों के साथ शीर्षक भूमिका में अभिनय करने के लिए भी तैयार किया गया था। कई वर्षों तक विलंबित रहने के बाद, कलिंग दिलीप कुमार की मुलाकात उनसे एक क्रिकेट मैच के दौरान उनकी बहनों ने कराई थी। वर्ष 2000 से 2006 तक वे राज्य सभा के सदस्य रहे। 1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। 1991 में भारत सरकार ने उन्हें तीसरे सर्वाेच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और 2015 में दूूसरे सर्वाेच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया। 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1998 में उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्रदान किया गया
    किया। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी कुमार और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।पुरस्कार
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    फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
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    1983 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - शक्ति
    1968 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - राम और श्याम
    1965 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - लीडर
    1961 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - कोहिनूर
    1958 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - नया दौर
    1957 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - देवदास
    1956 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आज़ाद
    1954 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दाग
    2014 - किशोर कुमार सम्मान - अभिनय के क्षेत्र में

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