इस भजन का अर्थ शरीर हैं अपने शरीर में सभी तरह के तत्व विद्यमान है तो गुरु कहना चाहता हैं कि चेला तू सही सलामत आ जाना अन्न - पेट में पानी - पेट में मांस - शरीर में लकड़ी - हड्डी
गीत समाप्त होता है लेकिन #रहस्य बना रहता है।आज एक बुजुर्ग से पूछा तो खूब हंसे। कहने लगे--अरे भगवन क्यों मज़ाक करते हो आपको तो सब पता है।मेरी बालकों जैसी मनुहार पर रीझकर धीरे से बताते हैं--*#नारियल**!* देखो पहले बर्तन नहीं रखते थे सन्त सन्यासी,लौकी होती है एक गोल तरह की, तुम्बा कहते हैं उसको।वही पात्र रखते थे पहले तो उसको भरके लाने की कह रहे हैं। अब नारियल को देखो,जल भी है इसमें और कुएं बावड़ी नदी झरने का भी नहीं है,अन्न भी है इसमें--अद्द्यते इति अन्नम--जो खाया जाए वह अन्न है,लेकिन खेत खलिहान गाँव शहर का भी नहीं है, तीसरी चीज लकड़ी भी है ऊपर खोल पर,अंदर गीला भी है, बाहर सूखा भी है और एकदम बंधा हुआ भी है कसकर। अंतिम में कहते हैं मांस भी लाना--यानी कोई #गूदेदार फल।इस मांस शब्द के कारण शास्त्रों के अर्थों के खूब अनर्थ हुए हैं बालबुद्धि लोगों द्वारा।आयुर्वेद में एक जगह प्रसंग है कि फलानी बीमारी में कुमारी का मांस बहुत फायदेमंद है, तीन महीने तक सेवन करें। आज़कल के बुद्धिजीवी यानी #बिनाबुद्धि के लोग कह देंगे कि देखो कैसे कुंवारी लड़कियों के मांस खाने का विधान है शास्त्रों में।जबकि कुमारी से वहां #घृतकुमारी यानी ग्वारपाठा यानी एलोवेरा के गूदे को कहा गया है।हर गूदेदार फल को मांस कहा गया है।यदा कदा तो गुरु भी यही मंगा रहे हैं कोई गूदेदार फल। चेला नारियल लेकर आता है और गुरु का प्रसाद पाता है आशीर्वाद रूप में। कितना रहस्य छुपा हुआ है पुरानी कहावतों एवं लोकगीतों में। #बुजुर्गों के पास बैठकर यह सब सुनना चाहिए इससे पहले की यह अंतिम पवित्र पीढ़ी इस दुनिया को अलविदा कहे। *चेला तुंबी भरके लाना!* 🙏🙏🙏🙏
जय श्री कृष्ण 🙏🌹🙏 *चेला तुम्बी भरके लाना.....तेरे गुरु ने मंगाई,,* चेला भिक्षा लेके आना गुरु ने मंगाई, *पहली भिक्षा **#जल** की लाना--* कुआँ बावड़ी छोड़ के लाना, नदी नाले के पास न जाना-तुंबी भरके लाना। *दूजी भिक्षा **#अन्न** की लाना-* गाँव नगर के पास न जाना, खेत खलिहान को छोड़के लाना, लाना तुंबी भरके, तेरे गुरु ने मंगाई । *तीजी भिक्षा **#लकड़ी** लाना--* डांग-पहाड़ के पास न जाना, गीली सूखी छोड़ के लाना-लाना गठरी बनाके । तेरे गुरु ने मंगाई ! *चौथी भिक्षा **#मांस** की लाना--* जीव जंतु के पास न जाना,, जिंदा मुर्दा छोड़ के लाना--लाना हंडी भरके तेरे गुरु ने मंगाई.....चेला तुंबी भरके लाना,,,, कल यहां गाँव के लोगों से बिल्कुल देशी धुन में एक गीत सुना रात को।गुरु चेले की परीक्षा ले रहे हैं।चार चीजें मंगा रहे हैं:जल, अन्न,लकड़ी, मांस। लेकिन शर्तें भी लगा दी हैं।अब देखना ये है कि चेला लेकर आता है या नहीं,इसी परीक्षा पर उसकी परख होनी है। जल लाना है, लेकिन बारिश का भी न हो, कुएं बावड़ी तालाब का भी न हो।अब तुममें से कोई नल मत कह देना या मटका या आरओ कह बैठो।सीधा मतलब किसी दृष्ट स्त्रोत का जल न हो। अन्न भी ऐसा ही लाना है किसी खेत खलिहान से न लाना,गाँव नगर आदि से भी भिक्षा नहीं मांगनी। लकड़ी भी मंगा रहे हैं तो जंगल पहाड़ को छुड़वा रहे हैं, गीली भी न हो सूखी भी न हो, और बिखरी हुई भी न हो, यानी बन्धी बंधाई कसी कसाई हो! मांस भी मंगा रहे हैं तो जीव जंतु से दूरी बनाने को कह रहे हैं और जिंदा मुर्दा का भी नहीं होना चाहिए। मैं चेला होता तो फेल होता परीक्षा में, लेकिन यह प्राचीन भारत के #गुरुओं द्वारा तपाकर पकाकर तैयार किया गया शिष्य है।आजकल के पढ़े लिखों से लाख बेहतर है। गीत समाप्त होता है लेकिन #रहस्य बना रहता है।आज एक बुजुर्ग से पूछा तो खूब हंसे। कहने लगे--अरे भगवन क्यों मज़ाक करते हो आपको तो सब पता है।मेरी बालकों जैसी मनुहार पर रीझकर धीरे से बताते हैं--*#नारियल**!* देखो पहले बर्तन नहीं रखते थे सन्त सन्यासी,लौकी होती है एक गोल तरह की, तुम्बा कहते हैं उसको।वही पात्र रखते थे पहले तो उसको भरके लाने की कह रहे हैं। अब नारियल को देखो,जल भी है इसमें और कुएं बावड़ी नदी झरने का भी नहीं है,अन्न भी है इसमें--अद्द्यते इति अन्नम--जो खाया जाए वह अन्न है,लेकिन खेत खलिहान गाँव शहर का भी नहीं है, तीसरी चीज लकड़ी भी है ऊपर खोल पर,अंदर गीला भी है, बाहर सूखा भी है और एकदम बंधा हुआ भी है कसकर। अंतिम में कहते हैं मांस भी लाना--यानी कोई #गूदेदार फल।इस मांस शब्द के कारण शास्त्रों के अर्थों के खूब अनर्थ हुए हैं बालबुद्धि लोगों द्वारा।आयुर्वेद में एक जगह प्रसंग है कि फलानी बीमारी में कुमारी का मांस बहुत फायदेमंद है, तीन महीने तक सेवन करें। आज़कल के बुद्धिजीवी यानी #बिनाबुद्धि के लोग कह देंगे कि देखो कैसे कुंवारी लड़कियों के मांस खाने का विधान है शास्त्रों में।जबकि कुमारी से वहां #घृतकुमारी यानी ग्वारपाठा यानी एलोवेरा के गूदे को कहा गया है।हर गूदेदार फल को मांस कहा गया है।यदा कदा तो गुरु भी यही मंगा रहे हैं कोई गूदेदार फल। चेला नारियल लेकर आता है और गुरु का प्रसाद पाता है आशीर्वाद रूप में। कितना रहस्य छुपा हुआ है पुरानी कहावतों एवं लोकगीतों में। #बुजुर्गों के पास बैठकर यह सब सुनना चाहिए इससे पहले की यह अंतिम पवित्र पीढ़ी इस दुनिया को अलविदा कहे। *चेला तुंबी भरके लाना!* 🙏🙏🙏🙏
is bhajan ka arth h 1 viksha aan ki jab koi mar jata h uske jo aan ke pind hote h use lekar aaya tha 2 viksha pani ki fir vo oss bharkar laya tha 3viksha lakdi ki to vo chita ki lakdi lekar aaya 4viksha mass ki to vo bakri ki jel Lekar aaya ..ma sahi hu kya sar
1- जो व्यक्ति मर जाता है उसका पिण दान गांव के बाहर मिलेगा 2- जंगल में औस की बूंदें बहुत मिलेंगी 3- श्मसान घाट में लकड़ी बहुत मिलेंगी 4- श्मसान घाट में मुर्दा बहुत मिलेगा 5- वही मिलेगी
इस भजन का अर्थ शरीर हैं
अपने शरीर में सभी तरह के तत्व विद्यमान है तो गुरु कहना चाहता हैं कि चेला तू सही सलामत आ जाना
अन्न - पेट में
पानी - पेट में
मांस - शरीर में
लकड़ी - हड्डी
Wah Kay bat ha
Thanks
Bhut sundr bhjn hai
बहुत अच्छा गया भैया जी आपने❤❤❤❤❤
नारीयल 🙏🙏
1. Santosh
2. Pram nir
3. Tan ki lakdi
4. Man ka bkra
Lana hai
👍🏻👍🏻
Hmmm
जय श्री राम😊😊❤❤❤
Rajasthani bhajan Samrat Moinuddi manchala meri taraf se 🙏🙏🙏
Jai Ho bhagwan app ki man khush kardiya
Gachh
Jai gurudev ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️
जय हो जय हो मनचला जी जय हो
बहुत बहुत सुंदर 👌
भजन सुनकर दिल को सुकून मिल गया
बहुत बढिया
जोहो
मनचला
जि
jay ho jay ho nice good
बहुत ही खूब सुंदर भजन
Iska arth hai ..nariyal lane ki bol rhe hai 🙏 jo mangai h guruji ne vo sab vastu nariyal me hai 🙏
गीत समाप्त होता है लेकिन #रहस्य बना रहता है।आज एक बुजुर्ग से पूछा तो खूब हंसे। कहने लगे--अरे भगवन क्यों मज़ाक करते हो आपको तो सब पता है।मेरी बालकों जैसी मनुहार पर रीझकर धीरे से बताते हैं--*#नारियल**!*
देखो पहले बर्तन नहीं रखते थे सन्त सन्यासी,लौकी होती है एक गोल तरह की, तुम्बा कहते हैं उसको।वही पात्र रखते थे पहले तो उसको भरके लाने की कह रहे हैं।
अब नारियल को देखो,जल भी है इसमें और कुएं बावड़ी नदी झरने का भी नहीं है,अन्न भी है इसमें--अद्द्यते इति अन्नम--जो खाया जाए वह अन्न है,लेकिन खेत खलिहान गाँव शहर का भी नहीं है,
तीसरी चीज लकड़ी भी है ऊपर खोल पर,अंदर गीला भी है, बाहर सूखा भी है और एकदम बंधा हुआ भी है कसकर।
अंतिम में कहते हैं मांस भी लाना--यानी कोई #गूदेदार फल।इस मांस शब्द के कारण शास्त्रों के अर्थों के खूब अनर्थ हुए हैं बालबुद्धि लोगों द्वारा।आयुर्वेद में एक जगह प्रसंग है कि फलानी बीमारी में कुमारी का मांस बहुत फायदेमंद है, तीन महीने तक सेवन करें।
आज़कल के बुद्धिजीवी यानी #बिनाबुद्धि के लोग कह देंगे कि देखो कैसे कुंवारी लड़कियों के मांस खाने का विधान है शास्त्रों में।जबकि कुमारी से वहां #घृतकुमारी यानी ग्वारपाठा यानी एलोवेरा के गूदे को कहा गया है।हर गूदेदार फल को मांस कहा गया है।यदा कदा तो गुरु भी यही मंगा रहे हैं कोई गूदेदार फल।
चेला नारियल लेकर आता है और गुरु का प्रसाद पाता है आशीर्वाद रूप में। कितना रहस्य छुपा हुआ है पुरानी कहावतों एवं लोकगीतों में। #बुजुर्गों के पास बैठकर यह सब सुनना चाहिए इससे पहले की यह अंतिम पवित्र पीढ़ी इस दुनिया को अलविदा कहे।
*चेला तुंबी भरके लाना!*
🙏🙏🙏🙏
साहेब बंदगी साहेब
जय हो गुरू देव की
Aadesh
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गलत
super nice
👍 ek nambar 👍
जय हो गुरु महाराज आप की
Aadesh
Good bhajan🙏🙏🙏🙏🙏🙏jai guru dav
इस भजन का कोई आर्थ बताओ 🙏🙏
Sunder bhajan
कृपया चेला का उत्तर वाला भजन भी अपलोड करे
Jay ho
Nice
Jai shiya ram 🙏
बहुत ही अच्छी आवाज सभी लोगों के प्रेरणादायक गुरु के रूप में मिले हुए अनमोल रतन अति ज्ञानवर्धक शत शत नमन
Nice
jai mata ki
जय हो गुरु देव की,,,,,इसका मतलब है नारियल
आप का उत्तर गलत है।।
तो इस भजन का क्या अर्थ है कृपा करे,,
@@narayanlalbhoinarayanlalbh8887 nahi galat answer hAi
M bata sakta hu
तत्व ज्ञान से परिपूर्ण भजन है ,मजा आ गया , जय श्री राम ❤🙏
गुरू और चेला के अमर प्रेम का भजन 🚩🚩जय हो मोहनुदीन मनचला जी ओर प्रकाश माली जी को नमन है सा जय श्री राम 🙏🙏
Jay Ho Jay Ho Santa ki Jay Ho
Jay shree Ram
But😂bhaawarthsahit❤batanaji❤
गुरु ने ली चेले की परिकषा क्या क्या सीखा आपने
वाह बोहोत बढिया, गुरु चेले की सुपर आवाज में , प्रकाश जी मोइनुद्दीन जी को प्रणाम, आप दोनों हमारी शान हो
राम,राम
🙏 बहुत ही सुंदर भजन है🙏 मन बहुत ही हर्षित हुआ सुनकर..🙏
वाह क्या मीठी आवाज है
😮❤❤😮😮😊😊😊
सबसे प्रिय भजन मेरा
❤❤
Nariyal 🙏
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🙏🙏
🙏🏼 🔱 आदेश 🔱 🙏🏼
इसका अर्थ किसको पता है.....??? मुझे पता है😊✨
बताओ
विनोद सिंह
गाई की जड
नारियल
Wrong
Very nice song
Beautiful
बहुत ही सुंदर भजन है मेने भी इसे गाया पर इसका अर्थ नहीं पता क्या आप इसका अर्थ बता सकते हो क्या कर्पा होगी जय श्री राम
M bata sakta hu
@@shreeganeshmurtibhandarchi7716 जी बिल्कुल अगर आपको इसका अर्थ मालूम है तो बताइये सरस्वती के भंडार की महिमा ही एसी है
Nariyal नारियल
नारीयल
जय श्री कृष्ण
🙏🌹🙏
*चेला तुम्बी भरके लाना.....तेरे गुरु ने मंगाई,,*
चेला भिक्षा लेके आना गुरु ने मंगाई,
*पहली भिक्षा **#जल** की लाना--* कुआँ बावड़ी छोड़ के लाना,
नदी नाले के पास न जाना-तुंबी भरके लाना।
*दूजी भिक्षा **#अन्न** की लाना-* गाँव नगर के पास न जाना,
खेत खलिहान को छोड़के लाना, लाना तुंबी भरके,
तेरे गुरु ने मंगाई ।
*तीजी भिक्षा **#लकड़ी** लाना--* डांग-पहाड़ के पास न जाना,
गीली सूखी छोड़ के लाना-लाना गठरी बनाके ।
तेरे गुरु ने मंगाई !
*चौथी भिक्षा **#मांस** की लाना--* जीव जंतु के पास न जाना,,
जिंदा मुर्दा छोड़ के लाना--लाना हंडी भरके
तेरे गुरु ने मंगाई.....चेला तुंबी भरके लाना,,,,
कल यहां गाँव के लोगों से बिल्कुल देशी धुन में एक गीत सुना रात को।गुरु चेले की परीक्षा ले रहे हैं।चार चीजें मंगा रहे हैं:जल, अन्न,लकड़ी, मांस।
लेकिन शर्तें भी लगा दी हैं।अब देखना ये है कि चेला लेकर आता है या नहीं,इसी परीक्षा पर उसकी परख होनी है।
जल लाना है, लेकिन बारिश का भी न हो, कुएं बावड़ी तालाब का भी न हो।अब तुममें से कोई नल मत कह देना या मटका या आरओ कह बैठो।सीधा मतलब किसी दृष्ट स्त्रोत का जल न हो।
अन्न भी ऐसा ही लाना है किसी खेत खलिहान से न लाना,गाँव नगर आदि से भी भिक्षा नहीं मांगनी।
लकड़ी भी मंगा रहे हैं तो जंगल पहाड़ को छुड़वा रहे हैं, गीली भी न हो सूखी भी न हो, और बिखरी हुई भी न हो, यानी बन्धी बंधाई कसी कसाई हो!
मांस भी मंगा रहे हैं तो जीव जंतु से दूरी बनाने को कह रहे हैं और जिंदा मुर्दा का भी नहीं होना चाहिए।
मैं चेला होता तो फेल होता परीक्षा में, लेकिन यह प्राचीन भारत के #गुरुओं द्वारा तपाकर पकाकर तैयार किया गया शिष्य है।आजकल के पढ़े लिखों से लाख बेहतर है।
गीत समाप्त होता है लेकिन #रहस्य बना रहता है।आज एक बुजुर्ग से पूछा तो खूब हंसे। कहने लगे--अरे भगवन क्यों मज़ाक करते हो आपको तो सब पता है।मेरी बालकों जैसी मनुहार पर रीझकर धीरे से बताते हैं--*#नारियल**!*
देखो पहले बर्तन नहीं रखते थे सन्त सन्यासी,लौकी होती है एक गोल तरह की, तुम्बा कहते हैं उसको।वही पात्र रखते थे पहले तो उसको भरके लाने की कह रहे हैं।
अब नारियल को देखो,जल भी है इसमें और कुएं बावड़ी नदी झरने का भी नहीं है,अन्न भी है इसमें--अद्द्यते इति अन्नम--जो खाया जाए वह अन्न है,लेकिन खेत खलिहान गाँव शहर का भी नहीं है,
तीसरी चीज लकड़ी भी है ऊपर खोल पर,अंदर गीला भी है, बाहर सूखा भी है और एकदम बंधा हुआ भी है कसकर।
अंतिम में कहते हैं मांस भी लाना--यानी कोई #गूदेदार फल।इस मांस शब्द के कारण शास्त्रों के अर्थों के खूब अनर्थ हुए हैं बालबुद्धि लोगों द्वारा।आयुर्वेद में एक जगह प्रसंग है कि फलानी बीमारी में कुमारी का मांस बहुत फायदेमंद है, तीन महीने तक सेवन करें।
आज़कल के बुद्धिजीवी यानी #बिनाबुद्धि के लोग कह देंगे कि देखो कैसे कुंवारी लड़कियों के मांस खाने का विधान है शास्त्रों में।जबकि कुमारी से वहां #घृतकुमारी यानी ग्वारपाठा यानी एलोवेरा के गूदे को कहा गया है।हर गूदेदार फल को मांस कहा गया है।यदा कदा तो गुरु भी यही मंगा रहे हैं कोई गूदेदार फल।
चेला नारियल लेकर आता है और गुरु का प्रसाद पाता है आशीर्वाद रूप में। कितना रहस्य छुपा हुआ है पुरानी कहावतों एवं लोकगीतों में। #बुजुर्गों के पास बैठकर यह सब सुनना चाहिए इससे पहले की यह अंतिम पवित्र पीढ़ी इस दुनिया को अलविदा कहे।
*चेला तुंबी भरके लाना!*
🙏🙏🙏🙏
Is Bhajan ka answer kya hai koi batayega kya
Naril
Iska Arth like kar bheje
Jai ho baba ki 🌹🙏
इस भजन काकया सार है
इसका अर्थ क्या है कोई विद्वान देवता बता सकते हैं क्या
इस भजन का अर्थ वाला भजन चाहिए
नमस्कार जी इस भजन का अर्थ बताऐ
Sahab yah batao chela yah sab chijen Kahan kahan se laya
Apne aandar se hi
Watermelon
Kamal Tatawat
Hii
इस भजन का मतलब क्या है
is bhajan ka arth h
1 viksha aan ki jab koi mar jata h uske jo aan ke pind hote h use lekar aaya tha
2 viksha pani ki fir vo oss bharkar laya tha
3viksha lakdi ki to vo chita ki lakdi lekar aaya
4viksha mass ki to vo bakri ki jel
Lekar aaya ..ma sahi hu kya sar
Santosh parm tan man
गुरु कृपा करें आप
Nnariyal
Is bhajan Ka utaar kya hai guru jii
नारियल.. : इसका बीज ...अन्न
अंदर .....जल
छीलका.....लकड़ी
और खप्पर में सफेद....मांस
@@ramswarooppatel3340 ga
Iat
1 . Gehun ki bhus
2. OS OS
3. Tan ki haddi Insan marne ke bad mein haddi rah jaati usko lakadi bolatehe
4. Janwar ki jer
ईदर
इसका सही जवाब मुझे पता है
Kya h ji
Sar ji bolo
Kya h bhai btaoo
@@PANKAJVLOGS1003 tujko Kuch nhi pata nhi 😂
Is bhajan ka bhavarth kya hai
गलत है नारियल
Kya h guru ji
Nii
Coconut
आपका उत्तर गलत है।।
Murda kaa pind ,2 oos, 3hadde, 4 jar
@@gulabpandit6819 2shai h or 2 ghalat h
Uhfh
णञ
Nariyl rong he
इसका उत्तर है नारियल
Rlight
Nariyal
Ye bhajan ek baar rajkumar ji swami ji ki awaj me sunna 👌🎤🙏👇
ruclips.net/video/EALZrXjp5QA/видео.html
Best Rajkumar Swami ji
जय श्री राम
जय हो
❤❤❤
बहुत ही सुन्दर भजन गाया मनचला जी आप को दिल से सलाम करता हूँ जय श्री कृष्ण राधे राधे
Very good song
Jai ho Gurudev ji 🙏🙏🌹🌹
इस भजन का अर्थ क्या है
Nath sampraday ka saransh
1. Santosh
2. Pram nir
3. Tan ki lakdi
4. Man ka bkra
Lana hai
हिंदी में जवाब लिखो
नारियल
Jay ho
❤❤❤❤
1. Santosh
2. Pram nir
3. Tan ki lakdi
4. Man ka bkra
Lana hai
नारियल
क्या अर्थ है इसका कृपया बताने की कृपा करें
1- जो व्यक्ति मर जाता है उसका पिण दान गांव के बाहर मिलेगा
2- जंगल में औस की बूंदें बहुत मिलेंगी
3- श्मसान घाट में लकड़ी बहुत मिलेंगी
4- श्मसान घाट में मुर्दा बहुत मिलेगा
5- वही मिलेगी
@@SaritaPratap 1 ghalat h Bhai
इसका अर्थ क्या है कृपया बताएं
Nariyal hai sa