पूस की रात - प्रेमचंद जी की कहानी-प्रस्तुतकर्ता डॉ. शैलजा सक्सेना

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  • Опубликовано: 8 сен 2024
  • पूस की रात कृषक जीवन की करुण कथा कहती है. अभावों में पलने वाला किसान होड़तोड़ मेहनत करने के बाद भी अपनी रोजी रोटी नहीं जुटा पाता. वह तो शोषणग्रस्त जीवन व्यतीत करने को बाध्य हैं.
    ऊपर से प्रकृति की मार उसे हताश कर देती हैं कप कपाती सर्दी उसे इतना उदासीन बना देती है कि खड़ी फसल को जानवरों से नहीं बचा पाता है और सर्दी से बचाव के लिए कुत्ते को ही गले लगाने के लिए विवश हो जाता हैं.

Комментарии • 1

  • @preetiaggarwal4346
    @preetiaggarwal4346 Год назад

    सुंदर कहानी और सुंदर लगी शैलजा जी की मधुर आवाज में!