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ORCHHA KE RAM RAJA SARKAR | ORCHHA FORT HISTORY | CHHATARPUR TO ORCHA JOURNEY| TRAVEL VLOG | NH39|🌍🌐

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  • Опубликовано: 7 июн 2023
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    ओरछा में भगवान राम कैसे आए?
    रानी ने प्रण ले लिया और अपने आराध्य राम को लाने सन् 1573 के आषाढ़ माह में अयोध्या के लिए निकल पड़ीं। श्रीराम की प्रतिमा को लेकर रानी गणेशकुंवरि साधु संतों और महिलाओं के बड़े काफिले के साथ अयोध्या से पांच सौ किमी दूर ओरछा की यात्रा पर निकल पड़ीं। साढ़े आठ माह में प्रण पूरा करके रानी सन् 1574 की रामनवमी को ओरछा
    ओरछा क्यों प्रसिद्ध है?
    अयोध्या के अलावा ओरछा भारत में एकमात्र स्थान है, जहां भगवान राम भी शहर के राजा हैं। इसके पीछे की कहानी इस प्रकार है: 16वीं शताब्दी में ओरछा के राजा मधुकर शाह भगवान कृष्ण के भक्त थे जबकि उनकी पत्नी रानी कुंवर गणेश भगवान राम की भक्त थीं।
    ओरछा की कहानी क्या है?
    कहानी के अनुसार तात्कालीन समय में ओरछा के राजा मधुकर शाह भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे, जबकि उनकी पत्नी गणोशकुंवरी भगवान श्रीराम की उपासना करती थीं। वे हमेशा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने को कहा करते थे, लेकिन रानी तो श्रीराम का ही नाम जपते रहती थीं।
    ओरछा की स्थापना किसने और कब की थी?
    बेतवा नदी के तट पर बसे ऐतिहासिक शहर ओरछा की स्थापना 16 वीं शताब्दी में बुंदेला राजपूत प्रमुख रुद्र प्रताप ने की थी।
    ओरछा किला भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ओरछा नामक स्थान पर बना एक किला है। इसका निर्माण सोलहवीं सदी में राजा रुद्र प्रताप सिंह ने शुरू करवाया था।
    ओरछा किलाओरछा, मध्य प्रदेश, भारत
    किले का दृश्य
    ओरछा किला
    मानचित्र दिखाएँ मध्य प्रदेशमानचित्र दिखाएँ भारतसभी दिखायें
    निर्देशांक25°21′N 78°38′E / 25.35°N 78.64°Eप्रकारकिलास्थल जानकारीजनप्रवेशहाँदशाछोड़ा हुआस्थल इतिहासनिर्मित16-17 वीं सदीसामग्रीपत्थर, ईट और गारा
    स्थानसंपादित करें
    यह मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित है। यह बेतवा नदी और जामनी नदी के संगम से एक छोटा सा द्वीप बना है। इसके पूर्वी भाग में बाजार से शहर में आने के लिए ग्रेनाइट पत्थर से पुल बनाया गया है।[1][2][3][4]
    निवाड़ी नगर से लगभग 27 किलोमीटर दूर ओरछा नगर स्थित है। इस नगर से 15 किलोमीटर दूरी पर झाँसी स्थित है।[4]
    इतिहाससंपादित करें
    इस किले का निर्माण वर्ष 1501 में राजा रुद्र प्रताप सिंह ने कराया था। इस किले के अन्दर भवन और मंदिर भी है। राज महल और राम मंदिर की स्थापना राजा मधुरकर सिंह ने कराई थी, जिसने यहाँ वर्ष 1554 से 1591 तक राज किया था। जहाँगीर महल और सावन भादों महल का निर्माण राजा वीर सिंह जूदेव ने कराया था।

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