क्या तारीफ करूँ लेखक की जिसने शब्दों को सुवर्णमाला की भांति पिरोया है, और कैसे तारीफ करूँ राही जी की जिन्होंने कुशल गायन के माध्यम से उस स्वर्णमाला में सुहागा लगाया है, तथा क्या कहूँ उस चैनल को जिसने उससे हमारे अन्तर्मन को अलंकृत कर दिया है | बदले में क्या दूं? समझ नहीं आता |
जवाब का रसामृत जो कि तुरंत (on spot) तैयार कर हम श्रोताओं को कर्णपुटों के माध्यम से संतृप्त कराने वाली देवी के चरणों में प्रणाम करने के सिवा और हमें कुछ नहीं आता | मैं मूरख अति अधम सुभाऊ |शुभ आचरन कीन्ह नहिं काऊ ||
ये दादा संतोष रही जी का लगभग 10 साल पुराना गाना है जब सुना था सेम वही आवाज़ आज 10 साल बाद भी वही जोस मजा आ गया❤❤❤
क्या तारीफ करूँ लेखक की जिसने शब्दों को सुवर्णमाला की भांति पिरोया है, और कैसे तारीफ करूँ राही जी की जिन्होंने कुशल गायन के माध्यम से उस स्वर्णमाला में सुहागा लगाया है, तथा क्या कहूँ उस चैनल को जिसने उससे हमारे अन्तर्मन को अलंकृत कर दिया है | बदले में क्या दूं? समझ नहीं आता |
Dada aap lajawab aur aapki Rachna bhi lajawab hai
Dada ji ap to lajabab Ar ap ki gayki bhi lajabab h
जवाब का रसामृत जो कि तुरंत (on spot) तैयार कर हम श्रोताओं को कर्णपुटों के माध्यम से संतृप्त कराने वाली देवी के चरणों में प्रणाम करने के सिवा और हमें कुछ नहीं आता |
मैं मूरख अति अधम सुभाऊ |शुभ आचरन कीन्ह नहिं काऊ ||
बहनजी सीतायें,और गीताएँ समझ से परे है,
दीदी प्रसंग गड़बड़ कर दिया आपने
दीदी आप से अच्छा राखी जी ने गाया है
संतोष रही जी क्रांति माला ने जवाब सही नहीं दिया इसका सही जवाब राखी आजाद जी देती हैं
राज कमल गुरु की लाइने हैं जवाब में
Nice 🔥🙏🔥
गीतकार और लेखक तो बढ़िया था कहानी अच्छी थी लेकिन साउंड सर्विस ने दिमाग खराबकर दिया