नई 'Acharya Prashant' App डाउनलोड करें: acharyaprashant.org/app उपनिषद, गीता व सभी प्रमुख ग्रंथों पर ऑनलाइन कोर्स: solutions.acharyaprashant.org संस्था से संपर्क हेतु इस फॉर्म को भरें: acharyaprashant.org/enquiry?formid=209
Sir, ek request hai ki aap apni purani videos ki ek playlist bana dijiye actually purani videos ke subject matter bahut deep meaning full hai, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017, 2018 saal ki videos hamesh dekhti hun, aisa nayi hai ki mai new videos nayi dekhti dekhti hun but jo purane subject matter mujhe jada Deep lagte hai. Ab toh logo ko bas "Shadi" "Relationship" "Friendship" aur "Voh mujhe breakup ke bad bhi yaad karta hai ki nayi" "Sexuality" se upar ki baat hi nayi karni hai logo ko. 2019 se aap se jude hai Jindagi kyu mili hai voh jaan paye hai aur jindagi achhi lagne lagi hai. Thank You Sir,🙏
मेरे आँसु नहीं रुक रहे है आचार्य जी 😭😭😭 किस तरह से महिलाओं का सामाजिकरण किया गया है... खुद महिला भी मानने को तैयार नही है की वो रसाई के अलावे भी और कुछ करने के लिए जन्म लिया है... हमारे इतिहास मै जितने भी समाज सुधारक हुए हैं या जो स्त्री उत्थान में अपना योगदान दिया है आप उनमे से सर्वोतम हो... मै भी अपने आप को इस लायक बनाने के प्रयास में हू की आपके विचार, आपके वीडियो, समाज के निचले स्तर तक की महिलाये तक पहुँचाऊ या पहुँचने में संस्था का सहयोग कर सकु.. 🙏🙏🙏
@@panktislifestyle2354 Because women are enemies with other women. A mother-in-law herself having spent entire life in the kitchen, she'll be like- now I have my daughter-in-law to take some load, and she'll feed my son. Why should she have luxury when I didn't?
आचार्य जी,आपने मेरी आंखें खोल दी🙏 पिछले अनेक वर्षों से मैं सिर्फ़ खुद को साबित करने की कोशिश में रसोई के सारे काम करती रही, college में प्रोफेसर हूं, नौकरी के अलावा सुबह शाम रसोई में ही लगी रहती, खाना बनाने के लिए कुक रखने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि हमारे मन में शुरू से ही यह बिठा दिया गया,कि खाना तो घर की महिला को ही बनाना चाहिए। परिवार में भी उसी महिला का गुणगान होता आया है जो सबसे ज्यादा व्यंजन पका पका कर खिलाती हो। बस मैंने भी बाहर नौकरी करने के बावजूद खाना बनाने के लिए कभी हैल्पर नहीं रखी, खुद ही दोहरे कार्य के बोझ तले दबी रही, ताकि यह सिद्ध कर सकूं कि मैं एक आदर्श महिला हूं,एक आदर्श पत्नी हूं,एक आदर्श मां हूं । आज आपने मेरी आंखें खोल दी ।आज का दिन मेरे जीवन में एक turning point है । जो हुआ,हो हुआ,पर अब और नहीं।कल से मैं भी पढ़ने लिखने के अपने शौक को पूरा समय दूंगी ।इसके लिए मैं आपकी हमेशा आभारी रहूंगी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
थू था हमारे जीवन पे ,अपनी ही मां पर बोझ बने बैठे थे , परंतु अब नही , अब अपना खाना स्वयं 🙏 ,और मां के लिए भी बनाएंगे । धन्य है भारत ,और भारत के वासी जो ऐसा गुरु पाए हुए है 🙏 सत सत नमन। ।
Bahut bahut badhiya video sir ji. Main working lady hu. Mere husband aur main koi bahut zyada khana peena mein believe nahi karte. Hum zyadatar raw food like salad wagaira khate hai. Aur kitchen mein hum kam se kam time bitate hai. Bahut hi simple food khate hai. Hamara objective aur skills seekhna hai. Aap ki video dekhkar mujhe in laws ki baat aur in laws ki harkat yaad aa jati hai. Jinhone khane ko ek bada talent aur bada mudda bana dia hai. Phone bhi karenge to poochhte hai aaj khane mein kya banaya. Hansi aa jati hai. Ab kya hi samjhao unko jinke paas khane ke alawa kuchh hai hi nahi life mein. Main agar unse independence, talent, skills, padhayi, women liberation, job,studies ki baat karu to wo humein arrogant sochte hai.
आचार्यजी आप महान हो। आपने महिलाओं के बारें में जो कहा हैं वह बिलकुल सहीं हैं। मुझें आपने जो बताया की महिलाओ की प्रतिभा घरके कामोंमें ही व्यर्थ जा रहीं हैं। महिलाओं ने भी ऐसें ही काम करना चाहिए जो उनका उथान हो। आप सहीं समझाते हैं लगता हैं महिलायें घर का काम में व्यर्थ समय गवाती हैं । इसकी वज़हसे महिलायें मानसिक रोगी भी बन रहीं हैं। आप जैसे ज्ञानी से ही आँखे खुलती हैं। भारत की महिलायें काम करना लगेगीं तो भारत वर्ष महान कार्य कर सकता हैं। भारत का सहीं विकास हो जाएगा।
आचार्य जी हमेशा women empowerment और महिलाओं को अपना स्थान समाज में लेने के लिए समझाते हैं। मेरी देश की माताएँ और बहनों जागो, तुम में बहुत पोटेंशियल है। अपना कौशल रसोई तक मत सीमित रखो।
बिल्कुल सही कहा आपने इन चक्करों में ही महिला जीवन फीका और संकुचित हो जाती है, रसोई और खाना,नारी उत्थान में आपकी निरंतर जागरण को सैल्यूट गुरूजी, जीवन इसलिए है ताकि हम एक विकसित, सजग व्यक्तित्व बन सकें, खुद को वो स्पेस दे सकें जो हमें सचमुच होना चाहिए 🙏
मुझे घर की लक्ष्मी नहीं होना, ये लोग महिलाओं को सरस्वती क्यों नहीं होने देते, जो ज्ञान में, विद्या में, कला और गुण में कौशल हो सकें, आत्मनिर्भर जीवन जीने में ही असली रौनक होती है।
Aurat ghar ki Laxmi to hoti hi hai but khana banana koi jaroori nahi. Betion ko ghar ki kitchen me na ghoko. Unko self dependent banao. Acharya ji ko dil se naman
आज के समय में केवल आचार्य प्रशांत ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति है जो महिलाओं को आगे बढ़ाना चाहते है, और उन्हें उच्चतम की ओर ले जाना चाहते है। वरना अधिकांश पाखंडी धर्मगुरू तो महिलाओं को आज भी पीछे की ओर ले जाना चाहते हैं।
बहुत ही सरल ओर स्पष्ठ शब्दो मे बहुत गहरी बात आपने बताई आचार्य जी, आधी आबादी को अगर अपने आंतरिक और बाहरी उत्थान पर पहुँचना है तो उन्हे रसोडे से तो निकलना ही होगा, नही तो वो खुद सकुचित् सोच की ही रहेगी जिससे घर स्वर्ग नी नरक ही बनता आया है और बनता रहेगा, पुरुष प्रधान समाज मे पुरषो को भी सही सीख ---- खुद बनाओ खाना, ये उन पुरषो पर कटाक्ष है जो घर की औरतों को रासोई से बाहर नही निकलने देते फिर उस औरत् को कहते है की उनकी अक्ल घुटने मे है, जब आधी आबादी को घर के काम मे लगा कर रखा जायेगा तो वो अपना विकास कैसे कर पायेगी
I used to do this all for 10 years. Four years ago i have started what you have said.Then after one year of that routine, i have started Listening to you.I have got more momentum and confirmation that i am on a right track.
Hamari गलत धारणा और मान्यताओं को बदलने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद स्त्रियों का अधिकांश समय खाना बनाने और रसोई में ही जाता है उनको भी अपने मन और बुद्धि को पूर्ण विकसित करने का अधिकार है धन्यवाद आचार्य जी मार्गदर्शन के लिए
There's so much to learn even in one video. I used to get mad when my mother didn't cook for me and I didn't get to eat a proper meal for days because she had to work. I should have realised that it isn't her duty and I have just turned 18, i can cook for myself too. Food isn't a big deal. Another thing i learnt was that, everyone thinks that they're the master of their own little world, but when they step out and get a better picture of things, they realise how small they actually are. Some feel inferior and go back to their same old little world to feed their egos, and some are wise enough to look at it positively and grow. (When acharya ji was mentioning about the chef and the woman who cooks the same food in her house everyday). The third thing i observed and learned while listening to acharya ji talk about all these things was that, during this session, my mind or my ego was indirectly connecting the words to a totally different topic, that I wanted to hear about, in my favour, even when acharya ji didn't specifically mentioned anything about it. This is when I understood what acharya ji meant by when he said "the ego hears what it wants to hear, it even distorts the truth according to its own comfort"
Ek time tha jb main bhut frustrated ho gyi thi personal life or carrier ko lekr bt jbse Achrya ji ko sun rhi hu sb thik sa feel ho rha . Women's ke sath to or preshani hai carrier , marriage or family pressure . Women ko bhut less support kiya jata hai . Family wale to kbhi kbhi itna jda demotivate kr dete hai . Society me girls ka marriage hi issue rahta hai .itna sb prblm face krna hota hai in sb condition me Achrya ji ka vidio unki baate bhut sahi guide krti hai 🙏👍
Sach kaha aacharya ji... Meri maa, bhabhi, didiyan housewife hain or khana banana hi apna param dharma samjhti h or isse unhe param aanand bhi milta h.. smjh ny aata k unko kaise smjhau k in sbse bahar nikal k gyan arjit kro... sahi kaha aapne k hum hi zimmedar hain unhe ye feel krane me.. Sahi kaha aapne k vaise bhi kam processed or kam cooked khana hi to best h, m sbji khane me bht choosy hu lekin abse sari sbjiyan khaungi, kam cooked ya kam processed ya kachcha jaise fruits... M ab vegan hone ka bhi than liya h aapko sunke or bahut kuchh sikh rahi hu aapko sunke, Humesha margdarshan krte rahiye aacharya ji🙏
It's the most useful video for me..... acharya ji ne jo bhi sb kha same mere sath hota h... I'm just 22 n I don't like to cook food for the whole family daily....n my family taunts me for that..even my own mother....sirf khud k liye bnau to khe hain selfish hain...sirf apna dikhta h...pure ghr ko bna k nhi khilati....aur ek tym p kbhi mjhe khud guilty feel hone lgta h
आचार्य जी प्रणाम 🙏आपकी सारी बातें मुझे अच्छी लगती है आपकी हर बात में गहराई होती है मैं भी यही सोचती हूँ कि हर इंसान अपना काम स्वयं कर सकता है तो ये काम किसने बाँटे कि ये काम स्त्री का है और ये काम पुरुष का है और यही मानसिकता अभी भी चली आ रही है और शायद चलता भी रहेगा क्योंकि अगर सुधार होगा भी तो बहुत समय लगेगा क्योंकि इस बारे में कोई नहीं सोचता है हमारे उत्तरप्रदेश में इतना बुरा हाल है |कि पूछो मत| खास कर महिलाएं | मानसिकता का तो बुरा हाल तो खेर पुरे भारत में है मैंने ऐसी ऐसी महिलाएं देखी है कि अब मैं क्या कहूँ मुझे लगता है कि जितने भी लोग सत्संग में जाते है उन सभी को आपके शिविर में आना चाहिए कुछ तो बुद्धि में घुसेगा उनसबके |🙏🙏
एकदम सही, बल्कि ये जो खास तरह के वेश -भूषा, साज-सज्जा प्रवचन करने के लिए ही कर के बैठते हैं , उनकी बातें बिल्कुत ही निम्न कोटी की होती है मन साफ होने की बजाय और गंदा हो जाता है
आचार्य जी आपने इस संदर्भ में बहुत ही तर्कसंगत, प्रभावशाली और विशुद्ध स्पष्टीकरण किया। ये बिल्कुल शत प्रतिशत सही बात है, की महिलाएं सृजनात्मक कार्य कर सकती है परन्तु रसोड़े में खपने से नहीं अपितु सही ज्ञान और कर्म करने से वो अपने आप को ऊँचाई दे सकती है। मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आचार्य जी। 🤗🙏
प्रशांत जी, हम अपनी मम्मी और बीवी को आज से इस बेकार की अनावश्यक जिम्मेदारी और ग्लानि से मुक्त करते हैं ,मेरी गलत सोच को सही सोच में परिवर्तित करने के लिए धन्यवाद, शायद जाने अंजाने में हम अपने आस पास की नारियों को भावुक कर के उन्हें नियंत्रित करने का ही प्रयास करते हैं।
परन्तु ये बहुत ही दुःख के साथ कहना पड़ रहा है, की महिलाएँ रसोड़े को बिल्कुल आत्मसात् कर ली है, ये कहकर की यही हमारा कर्तव्य है, तो फिर वाकई हम कहाँ तरक्की करेंगे। जब हमारी स्त्रीयों को रसोड़े से फुर्सत नहीं। 🙌🙏
ये सारा झोल ही इसी बात का हैं की आदमी ने हर चीज़ को बस अपने सहूलियत के हिसाब से बना रखा हैं और अगर उसके मन का ना हो तो वही औरत वही हाथ उनके लिए बेकार हो जाता हैं.. This needs Change.. और शुरू अपने घर से करे हर कोई इस बदलाव की🙏 जब देखो बस खाना खाना.. सुबह खाना दोपहर खाना रात खाना और इनके बीच मे भी खाना..or असली खाना जो जरूरी हैं मन का सही विचारों का ज्ञान का जीवन का उससे इनको कोई मतलब नहीं
बहुत ईमानदारी से अपनेआप से पूछा करो कि क्या मैं आज, कल से बेहतर इंसान हूँ? इसके अलावा जीवन का और उद्देश्य ही क्या है? लगातार प्रगति! हम सीखने के लिए पैदा होते हैं, हम बेहतर होने के लिए पैदा होते हैं, सीखने का ही दूसरा नाम 'मुक्ति' है। ~ आचार्य प्रशांत
Maine apne husband ko apka ye video dikhaya to aadhe me hi uthkar chale gye..sach ka darpan pahli bar dekha n unhone..it must be tough to accept the fact for him😊
Sir thankuu so much, I m B. Sc B.ed, but shadi ko 15 saal ho gye, job nhi ki, man bhut tha but nhi ho payi, but three days pehle main teacher job me select ho gyi aur main abj job kr rhi hoon, thankuu si much for motivation, really meri life ka sapna poora hua, maine bhut suna apko bhut himmat mili muje
हमारे घर में सारे भाई खाना बना लेते हैं सब भाई बारी बारी खाना बनाते हैं मां को ज्यादा तकलीफ़ नहीं होती वो बोलती हैं लगता है ये लोग बहू भी नहीं लाने वाले 😀😀
आचार्य जी!ये सच है कि स्त्री का जीवन ज्यादातर रसोई में ही खपत होता है। पर कभी पैसा इतन नही होता ,कभी सहयोगी नहीं मिलते।और गांवों में तो स्त्रीयं रसोइया ही मर जती हैं । पूरब से मजदूर कमाने शहर घले जाते हैं।नमन गुरुदेव !
Dindin aapko Jitna sun raha hoon, Aisa lagta hai aass pass ke saare cheezein bas moh maya hai, Main maasahar bhi tyag chuka hoon, abhi kaafi hadh tak main saada jeevan jeeta hoon. Par isse aage bhi kuch karna chahta hoon, jeevan ka sahi laksh dhoondhne me bada hi asamanjash rehta hai, kya karein? Laksh milega kaise?
Superb aacharya ji I am 68 I couldn’t compromise on this thing that I don’t cook for family Although maid is there I am thankful today you have cleared my mind more important things to do
नमस्कार आचार्य प्रशांत आपको बहुत बहुत धन्यवाद। यह वीडियो सुन कर मेरी रही सही ग्लानि भी जाती रही। सौभाग्य से मेरे माता पिता के परिवार में खाना बनाना केवल महिलाओं का काम नहीं माना जाता था।पर गांव में ससुराल में ऐसा था। मेरे प्राध्यापक के जाब के कारण हम लोग शहर में एकल परिवार में रहे। मिल कर या कुक द्वारा खाना बनता रहा। लेकिन समाज और कालेज के अन्य सहयोगियों के मुख से हमेशा स्त्रियों को रसोई में कैद करने के स्तुति गान सुनने में आते रहे। उसके कारण एक ग्लानि मन में अंदर गहरे धंसी रही कि मैं खाना बनाने में कोई विशेष योगदान नहीं दे पाती हूं। एक अपराध बोध बना रहता था। विशेष कर जब बच्चे कहते थे मम्मी सब की मम्मियां कितना कुछ बनाती हैं।आप क्यों नहीं बनाती? कोरोना काल में मैने बनाया। अच्छा खाना बनाया। पति देव ने मदद की । उन्हें कुकिंग में अपनी रुचि समझ आई। अब वे मेड की मदद और यू ट्यूब पर शेफ के वीडियो देख कर स्वादिष्ट खाना बनाते हैं। मेरी ग्लानि को समूल समाप्त करने के लिए पुन: धन्यवाद।
आचार्य जी को प्रणाम 🙏🙏। आचार्य जी परिवार से लेकर जान पहचान वालो को आपके विषय मे बताया और आपके विडियो दिखाये। करीब 3 साल से विडियो देख भी रहा हूँ व औरो को दिखा भी रहा हूँ। खुद काफी कुछ सीख रहा हूँ। ज्यादातर पुरूष वर्ग ने आपको सराहा। महिलाओं को पंख देने की बात पर महिलाएं खुश बहुत हुयी, पर जैसे ही गीता और उपनिषद की बात हुयी, उनका जवाब यह है कि सब बकवास है। ये बाबा भी। उनका मत है ,पंख देने का मतलब है कि हम अपनी मर्जी से पहने, लव स्टोरी देंखे, गहनो की बात हो, पार्टी में शामिल हों। गीता और उपनिषद की बात सुनना भी नही चाहती। जिन पुरुषों ने आपको सुनना शुरू किया, और उस ओर चलने का प्रयास किया, वहाँ उनकी पत्नियों ने पिछले 2 साल मे कईं बार विवाद खडा कर दिया। 23-24 महिलाओं मे से 2 को छोडकर सभी का व्यवहार खराब हुआ है। आपका चेहरा भी देखना पसंद नही करती। उन्हें आजादी तो चाहिए पर गीता और उपनिषद बिलकुल नहीं चाहिए । इसके उलट लगभग 21-22 पुरुषों में से 12- 13 आपकी काफी बातो से सहमत है। हो सके तो इस पर बोलिये। आपका छोटा सा शिष्य। 🙏🙏🙏🙏👁 👁
Adorable आचार्य देव 🌺🙏🏼🌺 😍😍😍😄😄😄🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 ये बात नहीं संजीवनी बूटी दी आपने. धन्यवाद! आभार!! एक एक शब्द सत्य... रसोई तो लक्ष्मण रेखा हो गई... एक जकड जामा, जिसने जीवन के सभी विशेष मुद्दो को दरकिनार कर दिया। 😞😞😞
Ajj mine ashram 3 dekhi to har ek action par mujhe acharya ji ka bataya hua sachha adhyatm yaad aa rha tha or mujhe bhaut cilyarty hui ki ashali adhyatm kya hota hi wo bhi pata chali thanks dear sir.
प्रणाम आचार्य जी मैं गांव में रहता हूं गांव में लोगों को ना धर्म का ज्ञान है ना ही विज्ञान का आचार्य जी अभी भी गांव में लोग बिच्छू के डंक मारने पर भी इलाज नहीं करवाते बल्कि अभी भी गांव में मंत्र और भभूति से इलाज करवाते हैं और इसके कारण कई लोगों की मौत भी हो चुकी
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आचार्य सादर प्रणाम, सत्य कथन आपका फिर से आभार।
Sir, ek request hai ki aap apni purani videos ki ek playlist bana dijiye actually purani videos ke subject matter bahut deep meaning full hai, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017, 2018 saal ki videos hamesh dekhti hun, aisa nayi hai ki mai new videos nayi dekhti dekhti hun but jo purane subject matter mujhe jada Deep lagte hai. Ab toh logo ko bas "Shadi" "Relationship" "Friendship" aur "Voh mujhe breakup ke bad bhi yaad karta hai ki nayi" "Sexuality" se upar ki baat hi nayi karni hai logo ko. 2019 se aap se jude hai Jindagi kyu mili hai voh jaan paye hai aur jindagi achhi lagne lagi hai.
Thank You Sir,🙏
Good sir pehil baar yaad aaya kii Halwaai bhee mitha Khaana banata hai aur Unka bhee sammaan karna chaayie
Aap jaise mahan mahapurush ko janm dene wali us maa ke charnon mein meri koti- koti pranaam hai 🙏 i love you mom dad ❤❤
Excellent acharya ji
मेरे आँसु नहीं रुक रहे है आचार्य जी 😭😭😭
किस तरह से महिलाओं का सामाजिकरण किया गया है... खुद महिला भी मानने को तैयार नही है की वो रसाई के अलावे भी और कुछ करने के लिए जन्म लिया है... हमारे इतिहास मै जितने भी समाज सुधारक हुए हैं या जो स्त्री उत्थान में अपना योगदान दिया है आप उनमे से सर्वोतम हो... मै भी अपने आप को इस लायक बनाने के प्रयास में हू की आपके विचार, आपके वीडियो, समाज के निचले स्तर तक की महिलाये तक पहुँचाऊ या पहुँचने में संस्था का सहयोग कर सकु.. 🙏🙏🙏
Right👍
इतना तो स्वयं महिलाएं भी अपनी बेहतरी के लिए नहीं सोचती होंगी जितना आप नारी उत्थान पर बोलते हैं गुरुदेव। 🙏🙏🙏🙏
Satya vachan
Right
Bilkul sahi
सत्य कहा आचार्य जी ने महिलाएं खुद आत्म ग्लानि मे रहती हैं की उन्होंने खाना नही बनाया
🙏🙏🙏🙏🙏
The only man who understood the problem of making meals thrice in a family of 7 to 8 members. Every word said is 100% relevant.
He is not telling u to be lazy but use ur efforts in right direction
@@ayeshakawakil845 correct understanding...understanding acharya ji's perspective also needs some wisdom.
Nd members of family never understand her problem how to cook food in summer.even she is working no one helps her
Isme galti females ki hi hai. Why females r not teaching to male child?
@@panktislifestyle2354 Because women are enemies with other women. A mother-in-law herself having spent entire life in the kitchen, she'll be like- now I have my daughter-in-law to take some load, and she'll feed my son. Why should she have luxury when I didn't?
आचार्य जी,आपने मेरी आंखें खोल दी🙏 पिछले अनेक वर्षों से मैं सिर्फ़ खुद को साबित करने की कोशिश में रसोई के सारे काम करती रही, college में प्रोफेसर हूं, नौकरी के अलावा सुबह शाम रसोई में ही लगी रहती, खाना बनाने के लिए कुक रखने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि हमारे मन में शुरू से ही यह बिठा दिया गया,कि खाना तो घर की महिला को ही बनाना चाहिए। परिवार में भी उसी महिला का गुणगान होता आया है जो सबसे ज्यादा व्यंजन पका पका कर खिलाती हो। बस मैंने भी बाहर नौकरी करने के बावजूद खाना बनाने के लिए कभी हैल्पर नहीं रखी, खुद ही दोहरे कार्य के बोझ तले दबी रही, ताकि यह सिद्ध कर सकूं कि मैं एक आदर्श महिला हूं,एक आदर्श पत्नी हूं,एक आदर्श मां हूं । आज आपने मेरी आंखें खोल दी ।आज का दिन मेरे जीवन में एक turning point है । जो हुआ,हो हुआ,पर अब और नहीं।कल से मैं भी पढ़ने लिखने के अपने शौक को पूरा समय दूंगी ।इसके लिए मैं आपकी हमेशा आभारी रहूंगी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Spread more to other womens also 🙏🏼
👏👏👏👏👏👏👏👏👏
थू था हमारे जीवन पे ,अपनी ही मां पर बोझ बने बैठे थे , परंतु अब नही , अब अपना खाना स्वयं 🙏 ,और मां के लिए भी बनाएंगे । धन्य है भारत ,और भारत के वासी जो ऐसा गुरु पाए हुए है 🙏 सत सत नमन। ।
महिलाओं के प्रति आपका नजरिया देख कर नतमस्तक हूं देशवासी आपकी भावनाओं को समझ सके यही प्रार्थना है प्रणाम आचार्य जी
पुरुष अपने लिए खाना खुद बनाएं! खाने के लिए घर की महिलाओं पर निर्भर न रहें।
महिलाएं अपना पैसा खुद कमाएं! पैसे से लिए घर के पुरुषों पर निर्भर न रहें।।
पहले मन को भोजन दो, शरीर को भोजन बाद में देना। सत्य कथन आचार्य जी। 🙏
Guru jee pranam aapne jo bola mai varshon se feel kar rahu hu par bolne aur karne ki himmt nahi thi thanks gurudev
असली नारी सशक्तिकरण कार्यक्रम तो आचार्य जी चला रहे हैं बाकी सब तो एक औपचारिकता पूरी करते हैं| धन्यवाद आचार्य जी|
😇🙏
Bahut bahut badhiya video sir ji. Main working lady hu. Mere husband aur main koi bahut zyada khana peena mein believe nahi karte. Hum zyadatar raw food like salad wagaira khate hai. Aur kitchen mein hum kam se kam time bitate hai. Bahut hi simple food khate hai. Hamara objective aur skills seekhna hai. Aap ki video dekhkar mujhe in laws ki baat aur in laws ki harkat yaad aa jati hai. Jinhone khane ko ek bada talent aur bada mudda bana dia hai. Phone bhi karenge to poochhte hai aaj khane mein kya banaya. Hansi aa jati hai. Ab kya hi samjhao unko jinke paas khane ke alawa kuchh hai hi nahi life mein. Main agar unse independence, talent, skills, padhayi, women liberation, job,studies ki baat karu to wo humein arrogant sochte hai.
आचार्यजी आप महान हो।
आपने महिलाओं के बारें में जो कहा हैं वह बिलकुल सहीं हैं।
मुझें आपने जो बताया की महिलाओ की प्रतिभा घरके कामोंमें ही व्यर्थ जा रहीं हैं।
महिलाओं ने भी ऐसें ही काम करना चाहिए जो उनका उथान हो।
आप सहीं समझाते हैं लगता हैं महिलायें घर का काम में व्यर्थ समय गवाती हैं ।
इसकी वज़हसे महिलायें मानसिक रोगी भी बन रहीं हैं।
आप जैसे ज्ञानी से ही आँखे खुलती हैं।
भारत की महिलायें काम करना लगेगीं तो भारत वर्ष महान कार्य कर सकता हैं।
भारत का सहीं विकास हो जाएगा।
आचार्य जी हमेशा women empowerment और महिलाओं को अपना स्थान समाज में लेने के लिए समझाते हैं। मेरी देश की माताएँ और बहनों जागो, तुम में बहुत पोटेंशियल है। अपना कौशल रसोई तक मत सीमित रखो।
केवल जिह्वा तुष्टि और स्वाद लोलुपता के कारण महिलाओं की सृजनात्मक शक्ति को व्यर्थ किया जाता है। धन्य हो आचार्य जी प्रभावशाली व्याख्यान के लिए 🙏
To bhai rukhi roti khaya kar Naa.
बिल्कुल सही कहा आपने इन चक्करों में ही महिला जीवन फीका और संकुचित हो जाती है, रसोई और खाना,नारी उत्थान में आपकी निरंतर जागरण को सैल्यूट गुरूजी, जीवन इसलिए है ताकि हम एक विकसित, सजग व्यक्तित्व बन सकें, खुद को वो स्पेस दे सकें जो हमें सचमुच होना चाहिए 🙏
मुझे घर की लक्ष्मी नहीं होना, ये लोग महिलाओं को सरस्वती क्यों नहीं होने देते, जो ज्ञान में, विद्या में, कला और गुण में कौशल हो सकें, आत्मनिर्भर जीवन जीने में ही असली रौनक होती है।
Laxmi bhi wahi hai jo paise kamaye
Aurat ghar ki Laxmi to hoti hi hai but khana banana koi jaroori nahi. Betion ko ghar ki kitchen me na ghoko. Unko self dependent banao. Acharya ji ko dil se naman
@@Nandan_pandey_Samvedi sarthak prati uttar👍
@@neelamaggarwal4053 muze to lagata hai khana dono ne milkar banana chahiye
💯
मैं आपको 3 सालो से सुन रही हूं, मेरे जीवन में बदलाव आया है
ज़ायकेदार नहीं है, लेकिन बहुत ही सेहतमंद बात कही है प्रभु।🙏🙏
आज के समय में केवल आचार्य प्रशांत ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति है जो महिलाओं को आगे बढ़ाना चाहते है, और उन्हें उच्चतम की ओर ले जाना चाहते है। वरना अधिकांश पाखंडी धर्मगुरू तो महिलाओं को आज भी पीछे की ओर ले जाना चाहते हैं।
एकदम सही पाखंडी धर्मगुरू कितना मिठा बोल बोल कर पीछे धकेलत हैं , आचार्य श्री कड़वा बोल कर भी आगे की ओर खींचते हैं।
Ha sahi hai 💯💯
मै तो यही कहूंगा... काहे पड़े हो दुसरो के चक्कर मे, कोइ नहीं है प्रशांत आचार्य जी के टककर मे.. 🙏
😅❤
बहुत ही सरल ओर स्पष्ठ शब्दो मे बहुत गहरी बात आपने बताई आचार्य जी, आधी आबादी को अगर अपने आंतरिक और बाहरी उत्थान पर पहुँचना है तो उन्हे रसोडे से तो निकलना ही होगा, नही तो वो खुद सकुचित् सोच की ही रहेगी जिससे घर स्वर्ग नी नरक ही बनता आया है और बनता रहेगा,
पुरुष प्रधान समाज मे पुरषो को भी सही सीख ---- खुद बनाओ खाना,
ये उन पुरषो पर कटाक्ष है जो घर की औरतों को रासोई से बाहर नही निकलने देते फिर उस औरत् को कहते है की उनकी अक्ल घुटने मे है, जब आधी आबादी को घर के काम मे लगा कर रखा जायेगा तो वो अपना विकास कैसे कर पायेगी
I used to do this all for 10 years.
Four years ago i have started what you have said.Then after one year of that routine, i have started Listening to you.I have got more momentum and confirmation that i am on a right track.
आज के वीडियो से बहुतों को धक्का लगा होगा
थोड़ा मुझे भी लगा ,पर फिर भी धन्यवाद आचार्य जी क्यू की आपके चोट में भी प्रेम ही दिखता है🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हर घर में आज का मुद्दा ही सबसे बड़ा यही है कि "आज क्या खाए"
कितनी स्पष्टता से आप किसी भी दुविधा को दूर करते हैं,,दिमाग के जाले साफ हो जाते हैं...🙏
बिल्कुल स्पष्ट है आचार्या जी की बातें
Hamari गलत धारणा और मान्यताओं को बदलने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद स्त्रियों का अधिकांश समय खाना बनाने और रसोई में ही जाता है उनको भी अपने मन और बुद्धि को पूर्ण विकसित करने का अधिकार है धन्यवाद आचार्य जी मार्गदर्शन के लिए
'पहले मन को भोजन दो , शरीर को भोजन बाद में देना' ~आचार्य प्रशांत 🙏🙏🙏
There's so much to learn even in one video. I used to get mad when my mother didn't cook for me and I didn't get to eat a proper meal for days because she had to work. I should have realised that it isn't her duty and I have just turned 18, i can cook for myself too. Food isn't a big deal.
Another thing i learnt was that, everyone thinks that they're the master of their own little world, but when they step out and get a better picture of things, they realise how small they actually are. Some feel inferior and go back to their same old little world to feed their egos, and some are wise enough to look at it positively and grow. (When acharya ji was mentioning about the chef and the woman who cooks the same food in her house everyday).
The third thing i observed and learned while listening to acharya ji talk about all these things was that, during this session, my mind or my ego was indirectly connecting the words to a totally different topic, that I wanted to hear about, in my favour, even when acharya ji didn't specifically mentioned anything about it.
This is when I understood what acharya ji meant by when he said "the ego hears what it wants to hear, it even distorts the truth according to its own comfort"
Ek time tha jb main bhut frustrated ho gyi thi personal life or carrier ko lekr bt jbse Achrya ji ko sun rhi hu sb thik sa feel ho rha . Women's ke sath to or preshani hai carrier , marriage or family pressure . Women ko bhut less support kiya jata hai . Family wale to kbhi kbhi itna jda demotivate kr dete hai . Society me girls ka marriage hi issue rahta hai .itna sb prblm face krna hota hai in sb condition me Achrya ji ka vidio unki baate bhut sahi guide krti hai 🙏👍
Sach kaha aacharya ji...
Meri maa, bhabhi, didiyan housewife hain or khana banana hi apna param dharma samjhti h or isse unhe param aanand bhi milta h.. smjh ny aata k unko kaise smjhau k in sbse bahar nikal k gyan arjit kro... sahi kaha aapne k hum hi zimmedar hain unhe ye feel krane me..
Sahi kaha aapne k vaise bhi kam processed or kam cooked khana hi to best h, m sbji khane me bht choosy hu lekin abse sari sbjiyan khaungi, kam cooked ya kam processed ya kachcha jaise fruits...
M ab vegan hone ka bhi than liya h aapko sunke or bahut kuchh sikh rahi hu aapko sunke, Humesha margdarshan krte rahiye aacharya ji🙏
Wow......kya positive and progressive vichar hai. Hats offf....
हमारे देश का शान आचार्य प्रशांत
जय हिन्द
It's the most useful video for me..... acharya ji ne jo bhi sb kha same mere sath hota h... I'm just 22 n I don't like to cook food for the whole family daily....n my family taunts me for that..even my own mother....sirf khud k liye bnau to khe hain selfish hain...sirf apna dikhta h...pure ghr ko bna k nhi khilati....aur ek tym p kbhi mjhe khud guilty feel hone lgta h
@shivangi exactly
This is called gender irrelevance .... Tremendous speech sir 🙏 how can an orthodox society digest it 😀
Change ayega dhire dhire .men has big role to play aise aadmi se shaadi hi na kare jo haat k khane k liye shaadi kare
आचार्य जी प्रणाम 🙏आपकी सारी बातें मुझे अच्छी लगती है आपकी हर बात में गहराई होती है मैं भी यही सोचती हूँ कि हर इंसान अपना काम स्वयं कर सकता है तो ये काम किसने बाँटे कि ये काम स्त्री का है और ये काम पुरुष का है और यही मानसिकता अभी भी चली आ रही है और शायद चलता भी रहेगा क्योंकि अगर सुधार होगा भी तो बहुत समय लगेगा क्योंकि इस बारे में कोई नहीं सोचता है हमारे उत्तरप्रदेश में इतना बुरा हाल है |कि पूछो मत| खास कर महिलाएं | मानसिकता का तो बुरा हाल तो खेर पुरे भारत में है मैंने ऐसी ऐसी महिलाएं देखी है कि अब मैं क्या कहूँ मुझे लगता है कि जितने भी लोग सत्संग में जाते है उन सभी को आपके शिविर में आना चाहिए कुछ तो बुद्धि में घुसेगा उनसबके |🙏🙏
एकदम सही, बल्कि ये जो खास तरह के
वेश -भूषा, साज-सज्जा प्रवचन करने के लिए ही कर के बैठते हैं , उनकी बातें बिल्कुत ही निम्न कोटी की होती है मन साफ होने की बजाय और गंदा हो जाता है
Thanks
Can't believe someone Like him exists 😃.he is just AMAZING and SUPERB .
Then Osho
Now archaryaji... We r so privileged to have people like them...
आचार्य जी आपने इस संदर्भ में बहुत ही तर्कसंगत, प्रभावशाली और विशुद्ध स्पष्टीकरण किया। ये बिल्कुल शत प्रतिशत सही बात है, की महिलाएं सृजनात्मक कार्य कर सकती है परन्तु रसोड़े में खपने से नहीं अपितु सही ज्ञान और कर्म करने से वो अपने आप को ऊँचाई दे सकती है। मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आचार्य जी। 🤗🙏
प्रणाम आचार्य जी 🙏।आपने तो मेरा सारा घमंड ही चूर चूर कर दिया। 😅
आचार्य जी के सानिध्य में हम लगातार ऊँचाई की ओर बढ़ रहे हैं प्रणाम आचार्य जी।
खाने के लिए नहीं जीना है। जीने के लिए खाना है । धन्यवाद आचार्य जी
सब स्वाद का खेल है आचार्य जी , लोग जीने के लिए नही खाते ,
खाने के लिये जीते है
प्रशांत जी, हम अपनी मम्मी और बीवी को आज से इस बेकार की अनावश्यक जिम्मेदारी और ग्लानि से मुक्त करते हैं ,मेरी गलत सोच को सही सोच में परिवर्तित करने के लिए धन्यवाद, शायद जाने अंजाने में हम अपने आस पास की नारियों को भावुक कर के उन्हें नियंत्रित करने का ही प्रयास करते हैं।
👏❤
Every single person should listen this and execute it in its families and free the women. Hatts off to you sir !!!
शायद अब तक पहली बार इस विषय किसी ni बोला है, आचार्य जी आपको कोटी कोटी प्रणाम🙏🙏🙏🙏🙏🙏
We here in Canada, do all our stuff ourselves.
Let your ladies be free. Thank you all,
🙏🇨🇦
परन्तु ये बहुत ही दुःख के साथ कहना पड़ रहा है, की महिलाएँ रसोड़े को बिल्कुल आत्मसात् कर ली है, ये कहकर की यही हमारा कर्तव्य है, तो फिर वाकई हम कहाँ तरक्की करेंगे। जब हमारी स्त्रीयों को रसोड़े से फुर्सत नहीं। 🙌🙏
ये सारा झोल ही इसी बात का हैं की आदमी ने हर चीज़ को बस अपने सहूलियत के हिसाब से बना रखा हैं और अगर उसके मन का ना हो तो वही औरत वही हाथ उनके लिए बेकार हो जाता हैं.. This needs Change.. और शुरू अपने घर से करे हर कोई इस बदलाव की🙏 जब देखो बस खाना खाना.. सुबह खाना दोपहर खाना रात खाना और इनके बीच मे भी खाना..or असली खाना जो जरूरी हैं मन का सही विचारों का ज्ञान का जीवन का उससे इनको कोई मतलब नहीं
Wish I could show this to my parents n nlaws. My husband contributes equally in house chores with me.
काश सब आपकी तरह सोचते महिलाओं के बारे में आचार्य जी
👃👃👃👃 bahut badia 👌👌👌 CHANTA bahut jor se padi sab ko ,haan
पहली बार किसी ने ऐसे किसी सत्य से लोगों को परिचय कराने की कोशिश की है आपको साधुवाद
आचार्य जी आप को सुन कर मै निशब्द हो जाती हू😢😢😢😢😢
इसलिए आचार्य जी से सभी को परेशानी होती है। इतना सच कोई सुन ही नहीं सकता। ये सब तो हमारे समाज़ मे पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है।
रसोई में समाधी नही लग सकती ... पहले मन को भोजन दो, बाद में शरीर को 👌👌👌🙏🏻🙏🏻🌹
आचार्य जी हमारे समाज मे लड़कियों को यही सिखाया जाता है की खाना बनाना, घर संभलना सिख लो तभी तुमारी महत्व् हैं 🙏🙏🙏
Aap hi iss desh k auraton ka bhavishya aur mardo ki soch badal sakte hai aacharya ji 👏👏❤️
आचार्य जी ने प्रश्न का बहुत ही मार्गदर्शक उत्तर दिया है।
__ प्रणाम आचार्य जी 🙏
खाना बनाना सब कामो में से एक निचले दर्जे का काम हैं
- सत्य वचन आचार्य प्रशांत
नस नाड़ी मुख की ओर अथवा मल की ओर जाति हैं ,,,,,दिल की तरफ़ कहीं से नहीं जाती
- सत्य वचन आचार्य प्रशांत
बहुत ईमानदारी से अपनेआप से पूछा करो कि
क्या मैं आज, कल से बेहतर इंसान हूँ?
इसके अलावा जीवन का और उद्देश्य ही क्या है?
लगातार प्रगति!
हम सीखने के लिए पैदा होते हैं,
हम बेहतर होने के लिए पैदा होते हैं,
सीखने का ही दूसरा नाम 'मुक्ति' है।
~ आचार्य प्रशांत
प्रणाम,
गोवा वेदांत महोत्सव 2022
I was present in this महोत्सव, 👌👌👌👌
Maine apne husband ko apka ye video dikhaya to aadhe me hi uthkar chale gye..sach ka darpan pahli bar dekha n unhone..it must be tough to accept the fact for him😊
हाहाहा आज तो खूब हंसाया आचार्य जी ने 🤣
महत्वपूर्ण वक्तव्य प्रत्येक महिला और पुरुष के लिए 👌
Want these teachings to be dubbed in other languages 🙏
Sir thankuu so much, I m B. Sc B.ed, but shadi ko 15 saal ho gye, job nhi ki, man bhut tha but nhi ho payi, but three days pehle main teacher job me select ho gyi aur main abj job kr rhi hoon, thankuu si much for motivation, really meri life ka sapna poora hua, maine bhut suna apko bhut himmat mili muje
भारत के हर घर को ये सुनना और अपनाना बहुत जरूरी है
शत शत नमन गुरुदेव 🙏🙏
हमारे घर में सारे भाई खाना बना लेते हैं सब भाई बारी बारी खाना बनाते हैं मां को ज्यादा तकलीफ़ नहीं होती वो बोलती हैं लगता है ये लोग बहू भी नहीं लाने वाले 😀😀
और मैं ये वीडियो खाना बनाते समय ही देख रहा हूं 😄😄
वाह भाई ❤️🔥❤️
❤️ Acharya Prashant Mere Desh ki shaan hai 🥰🙏
कोटि कोटि नमन गुरुदेव, 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Outstanding, and eyes opening message for all females of India.
You words made me emotional acharya ji, kaash sb aapki tarah sochte humari country mein 🙏
Love you too acharya jii..you are such a God. Is duniya ko aap jaisa ki hi jarurat hai 🙏🙏🔥
खाने के चक्कर में मां को बरबाद कर दिया है
- सत्य वचन आचार्य प्रशांत
Best video ever...I don't think anyone else,specially men must have spoken about this subject in this way ever....Jai ho 🙏🙏🙏🙏🙌🙌🙌🙌🙌
आज प्रभु मेरे को मिल गए....... प्रशांत सर प्रणाम आप को 🙏
ॐ
आचार्य जी!ये सच है कि स्त्री का जीवन ज्यादातर रसोई में ही खपत होता है। पर कभी पैसा इतन नही होता ,कभी सहयोगी नहीं मिलते।और गांवों में तो स्त्रीयं रसोइया ही मर जती हैं । पूरब से मजदूर कमाने शहर घले जाते हैं।नमन गुरुदेव !
बहुत ही दमदार बात कही है आचार्य जी आपने 🙏🙏
Dindin aapko Jitna sun raha hoon, Aisa lagta hai aass pass ke saare cheezein bas moh maya hai, Main maasahar bhi tyag chuka hoon, abhi kaafi hadh tak main saada jeevan jeeta hoon. Par isse aage bhi kuch karna chahta hoon, jeevan ka sahi laksh dhoondhne me bada hi asamanjash rehta hai, kya karein? Laksh milega kaise?
I am
Really big fan of acharye ji, you are wonderful sir !
Superb aacharya ji I am 68 I couldn’t compromise on this thing that I don’t cook for family Although maid is there I am thankful today you have cleared my mind more important things to do
🙏🙏🙏🙏🙏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏 गुरु जी मध्यम वर्ग को तो यह सब सुनना चाहिये आपके विचार सुन कर लगा जैसे मेरे मन की बात कर रहे हैं
बहुत बेहतरीन स्पष्टिकरण धन्यवाद आचार्य जी 🙏❤️🙂
नमस्कार आचार्य प्रशांत
आपको बहुत बहुत धन्यवाद। यह वीडियो सुन कर मेरी रही सही ग्लानि भी जाती रही। सौभाग्य से मेरे माता पिता के परिवार में खाना बनाना केवल महिलाओं का काम नहीं माना जाता था।पर गांव में ससुराल में ऐसा था।
मेरे प्राध्यापक के जाब के कारण हम लोग शहर में एकल परिवार में रहे। मिल कर या कुक द्वारा खाना बनता रहा।
लेकिन समाज और कालेज के अन्य सहयोगियों के मुख से हमेशा स्त्रियों को रसोई में कैद करने के स्तुति गान सुनने में आते रहे। उसके कारण एक ग्लानि मन में अंदर गहरे धंसी रही कि मैं खाना बनाने में कोई विशेष योगदान नहीं दे पाती हूं। एक अपराध बोध बना रहता था। विशेष कर जब बच्चे कहते थे मम्मी सब की मम्मियां कितना कुछ बनाती हैं।आप क्यों नहीं बनाती?
कोरोना काल में मैने बनाया। अच्छा खाना बनाया। पति देव ने मदद की । उन्हें कुकिंग में अपनी रुचि समझ आई। अब वे मेड की मदद और यू ट्यूब पर शेफ के वीडियो देख कर स्वादिष्ट खाना बनाते हैं।
मेरी ग्लानि को समूल समाप्त करने के लिए पुन: धन्यवाद।
Thanks!
Zitna aap mhilao ko jagruk krte h 🙏🏼🙏🏼🙏🏼koi nhi kr skta😊😊
आचार्य जी को प्रणाम 🙏🙏। आचार्य जी परिवार से लेकर जान पहचान वालो को आपके विषय मे बताया और आपके विडियो दिखाये। करीब 3 साल से विडियो देख भी रहा हूँ व औरो को दिखा भी रहा हूँ। खुद काफी कुछ सीख रहा हूँ। ज्यादातर पुरूष वर्ग ने आपको सराहा। महिलाओं को पंख देने की बात पर महिलाएं खुश बहुत हुयी, पर जैसे ही गीता और उपनिषद की बात हुयी, उनका जवाब यह है कि सब बकवास है। ये बाबा भी। उनका मत है ,पंख देने का मतलब है कि हम अपनी मर्जी से पहने, लव स्टोरी देंखे, गहनो की बात हो, पार्टी में शामिल हों। गीता और उपनिषद की बात सुनना भी नही चाहती। जिन पुरुषों ने आपको सुनना शुरू किया, और उस ओर चलने का प्रयास किया, वहाँ उनकी पत्नियों ने पिछले 2 साल मे कईं बार विवाद खडा कर दिया। 23-24 महिलाओं मे से 2 को छोडकर सभी का व्यवहार खराब हुआ है। आपका चेहरा भी देखना पसंद नही करती। उन्हें आजादी तो चाहिए पर गीता और उपनिषद बिलकुल नहीं चाहिए । इसके उलट लगभग 21-22 पुरुषों में से 12- 13 आपकी काफी बातो से सहमत है। हो सके तो इस पर बोलिये। आपका छोटा सा शिष्य। 🙏🙏🙏🙏👁 👁
Shat Shat naman Acharya ji.🙏🙏 You are the real dharam Guru 🙏🙏
बिल्कुल सही कहा आपने आचार्य जी सादर प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏🙏
श्री राधे
Khub pitaai ki aacharya ji ne dono ki....
Male
Female.....khub dhoye h dono ko...
Adorable आचार्य देव 🌺🙏🏼🌺
😍😍😍😄😄😄🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
ये बात नहीं संजीवनी बूटी दी आपने.
धन्यवाद! आभार!!
एक एक शब्द सत्य...
रसोई तो लक्ष्मण रेखा हो गई...
एक जकड जामा, जिसने जीवन के सभी विशेष मुद्दो को दरकिनार कर दिया।
😞😞😞
एक दम सही बात कही है sir जी
Ajj mine ashram 3 dekhi to har ek action par mujhe acharya ji ka bataya hua sachha adhyatm yaad aa rha tha or mujhe bhaut cilyarty hui ki ashali adhyatm kya hota hi wo bhi pata chali thanks dear sir.
sahi waqt pe aap jaise guru mile mujhe jo ki pehle k logo ko nasib nhi hua.dhanyawad ACHARYAJI 💛💛💛
खुद महिलाओं को इस आत्मग्लानि से बाहर निकलना होगा कि वो महिला है तो पुरषों को खाना खिलाना उनका कर्तव्य है ।🙏
प्रणाम आचार्य जी मैं गांव में रहता हूं गांव में लोगों को ना धर्म का ज्ञान है ना ही विज्ञान का आचार्य जी अभी भी गांव में लोग बिच्छू के डंक मारने पर भी इलाज नहीं करवाते बल्कि अभी भी गांव में मंत्र और भभूति से इलाज करवाते हैं और इसके कारण कई लोगों की मौत भी हो चुकी