कुंती को सूतपुत्र कर्ण से पुत्र प्रेम क्यों महसूस हो रहा है? | Suryaputra Karn | @V2Entertainments
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- Опубликовано: 7 сен 2024
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Episode Title - कुंती को सूतपुत्र कर्ण से पुत्र प्रेम क्यों महसूस हो रहा है?
कहानी महाभारत के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धरों में से एक कर्ण के इर्द-गिर्द घूमती है और कर्ण और पांडवों के जन्म से लेकर स्वर्ग में कर्ण की ताजपोशी तक महाभारत की पूरी कहानी बताती है। यह शो कर्ण के महान योद्धा बनने तक की जीवन यात्रा को कवर करता है।
वह सूर्य और कुंती के पुत्र थे। उनका जन्म पांडु से विवाह से पहले कुंती से हुआ था। इस प्रकार कुंती ने उसे त्याग दिया। तब उसे अधिरथ, जो एक सारथी था, ने बचाया था। कर्ण ने बचपन से ही धनुर्धर बनने का निश्चय कर लिया था। उसने भगवान परशुराम से धनुर्विद्या सीखी और उनसे अपनी ब्राह्मण होने की पहचान के बारे में झूठ बोला। लेकिन जल्द ही उसके झूठ का पता चल गया और परशुराम ने उसे श्राप दे दिया।
उसके बाद दुर्योधन ने उसे अंग देश का राजा बना दिया और उससे मित्रता कर ली। बाद में शकुनि ने पांडवों की पत्नी द्रौपदी का अपमान करने की योजना बनाई। उन्होंने जुए का आयोजन किया जिसमें युधिष्ठिर द्रौपदी सहित अपनी सारी संपत्ति हार गये। दुर्योधन ने दुःशासन से उसे निर्वस्त्र करने के लिए कहा लेकिन असफल रहा क्योंकि भगवान कृष्ण ने उसकी लाज बचा ली। पांडवों और द्रौपदी को 13 वर्ष के वनवास के लिए भेज दिया गया। इससे महाभारत युद्ध का बीजारोपण हुआ।
ब्राह्मण के भेष में इंद्र ने कर्ण के कवच और कुंडल ले लिए। बाद में, उन्हें कुंती और सूर्य के पुत्र की असली पहचान पता चली, लेकिन उन्होंने द्रौपदी के ऋण के लिए युधिष्ठिर को दोषी ठहराते हुए दुर्योधन के लिए लड़ने का फैसला किया। महाभारत युद्ध के परिणामस्वरूप कर्ण, भीष्म, द्रोण और कई कौरवों की मृत्यु हुई। इस प्रकार, पांडवों ने युद्ध जीत लिया। युधिष्ठिर को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया।
गांधारी ने कुरुवंश का नाश करने के लिए कृष्ण को श्राप दिया था। उनके श्राप का परिणाम 36 वर्ष बाद दिखा और कृष्ण का वंश भी नष्ट हो गया। जरा नामक शिकारी ने गलती से कृष्ण को मार डाला। इस प्रकार, पांडवों ने स्वर्ग जाने का फैसला किया जहां उनकी मुलाकात कौरवों और कर्ण से हुई। शो का समापन कृष्णा के सभी को आशीर्वाद देने के साथ हुआ।
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ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਜਵਾਨੀ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਦਾਨਵੀਰ ਕਰਨ ਦਾ ਨਾਮ ਚਾਕੂ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਆਪਣੀ ਬਾਂਹ ਤੇ ਲਿੱਖਿਆ ਸੀ ਮੈ ਦਾਨਵੀਰ ਕਰਨ ਦਾ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਫੈਨ ਸੀ ਤੇ ਅੱਜ ਵੀ ਹਾ ਅਸੀ ਆਪਣੇ ਦਾਦਾ ਜੀ ਤੋਂ ਬਚਪਨ ਵਿੱਚ ਦਾਨਵੀਰ ਕਰਨ ਦੀਆ ਬਹੁਤ ਕਹਾਣੀਆਂ ਸੁਣਦੇ ਸੀ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਕਰਨ ਦੀ ਮਹਾਨਤਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਦਿਖਾਈ ਗਈ ਹੈ ਕਰਨ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨ ਤੇ ਤਿਆਗੀ ਸੀ ਲਵ ਯੂੰ ਦਾਨਵੀਰ ਕਰਨ
🕉❤🙏
राधेय पुत्र कर्ण की सदा ही जय हो ❤❤
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माता कुन्ती कर्ण को ज़ब भी देखती उन्हें अपने रक्त की तीब्र इक्षा जगती थी किन्तु कुछ कह नहीं पाती। कर्ण द्वारा पूछे जाने वाले सवाल इतने असामान्य होते थे कि कुन्ती असहज हो जाती थी। रक्त सम्बन्ध ऐसे ही होते हैं।
Jai Shri Krishna 🙏♥️ Radhe Radhe 🙏♥️
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माता कुंती ने बचपन में इतना प्यार दिया फिर भी पांडवो का दुश्मन बना ये अहेशन खामोश है
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T😢😢😢😢😢6😢😢😢ķ😢6😢eý😢😢
Puri jiwan ke pida yek pal ke me khatam nahi hota koi tumhara jiwan barbad karke fir 2 pal pyar dede aur firvi log tumhe pahle bala hi najar se dekhe aur tane de to kya hi mulya ush pyar ka
Aheshan faramosh nhi bro jis maa ki baat kar rahe ho aap usi maa ke kahene par karn ne apne jivan ko bichhavar kar diya
Vidhi ke Vidhan Ko koi nahin mil Sakta vah Badal sakte hain khud apne aap swayam
Jay shree krishna radhe radhe
Karan 🏹🏹🏹 grate
🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ଜୟ ଜଗନ୍ନାଥ jay jagarnath 🚩🚩🚩👍👍👍
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पर्वत से गिरने के बाद उसके शरीर पर आये कवच कुण्डल की बात कर्ण माता कुन्ती को बताने वाला ही था कि अधीरथ ने उसे आवाज दें दी और बात आई गयी हो गयी यदि बता पाता तो कुन्ती अपने पुत्र की वास्तविकता समझ जाती तब शायद हस्तनापुर की कहानी कुछ और होती।
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Na
❤1000,❤1000
Ami Chand mahala posana 💯💖💯
😅😅😅😅😅🎉🎉🎉🎉🎉🎉😂❤❤
अधिरथ का भि बहुत बडा हाथ है महाभारत युद्ध के लिए अगर सब सच बतादेते तो कभि महाभारत युद्ध होता हि नही कर्ण हस्तिनापुर के सम्राट होते परन्तु अधिरथ के चुप बैठ्ने से य सब हुवा
A, 1 Ami Chand mahala posana 💯💖💯
😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢fight
Karan great yodhdha hai arjun se ussne samanta ki baat ki hai
Es moti ne jeevan khrab kar diya
❤❤❤❤❤❤❤
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