NAKHUSH JINDGI II MONK STORY II INSPIRATIONAL STORY

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  • Опубликовано: 18 окт 2024
  • NAKHUSH JINDGI II MONK STORY II INSPIRATIONAL STORY
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    एक बार भगवान बुद्ध के पास
    एक आदमी आता है।
    आदमी के चेहरे पर उदासी
    साफ साफ नजर आ रही थी।
    बुद्ध ने उसको देखते ही
    उससे पूछा..बताओ तुम्हारे
    दुख का कारण क्या है?
    आदमी बुद्ध के आगे
    हाथ जोड़ता है और कहता है..
    महात्मा जी अपने जीवन से
    बिल्कुल निराश हो चुका हूं।
    मेरे जीवन में कोई भी खुशी
    है ही नहीं। जो सोचता हूं
    वह कभी होता ही नहीं।
    पढ़ाई कर रहा था तब
    सोचता था कि अच्छे से पढ़ाई
    करूंगा तो अच्छी नौकरी मिलेगी
    और ज्यादा पैसे कमा कर
    मां-बाप के लिए एक घोड़ा गाड़ी
    खरीद लूंगा। अपने पत्नी
    और बच्चों को प्रवास कराऊंगा।
    लेकिन अच्छे से पढ़ लिख
    कर भी नौकरी मिली तो सही
    लेकिन इतने पैसे नहीं मिलते
    जिनसे यह सारी इच्छाएं
    पूरी कर सकूं। जैसे तैसे सिर्फ
    खाने-पीने का इंतजाम हो पाता है।
    काम पर जाना और घर आना
    बस यही मेरी जिंदगी बन चुकी है।
    आदमी की बातें सुनकर बुद्ध
    उसको पास के एक बगीचे के
    नजदीक लेकर गए। बुद्ध ने
    उस आदमी से कहा कि मैं
    तुम्हारी सारी समस्याओं का
    हल बता दूंगा लेकिन उसके
    लिए तुम्हें मेरा एक कहा मानना
    होगा। आदमी ने कहा वह
    हर बात मानेगा।
    तथागत उसे एक पास के फूलो
    के बगीचे के पास लेकर गए।
    बुद्ध ने आदमी से कहा कि
    तुम इस बगीचे में जाओ और
    तुम्हें जो सबसे सुंदर फूल
    नजर आए उसे मेरे लिए तोड़
    कर ले आओ। बस एक बात
    ध्यान में रखना कि तुमको
    बिल्कुल सीधे चलते हुए
    फूलों को देखना है और
    जो फूल सुंदर लगे उसे
    चुनकर लाना है। एक बार
    जिस फूल के आगे तुम
    निकल गए उसे तुम पीछे
    मुड़कर नहीं तोड़ सकते।
    आदमी बुद्ध की बात ध्यान
    से समझने के बाद बगीचे
    में गया। आदमी को बगीचे
    में प्रवेश करते ही कई सारे
    सुंदर फूल दिखाई दिए।
    लेकिन आदमी ने उनमें
    से एक भी फूल नहीं तोड़ा
    क्योंकि उसे विचार आया
    कि हो सकता है आगे
    इन से भी ज्यादा सुंदर
    फूल मिले। अधिक सुंदर
    फूल की आशा में आदमी
    बगीचे के अंतिम छोर
    तक पहुंच गया।
    अब हालत यह थी कि
    बगीचे के अंतिम छोर पर
    कुछ फूल तो थे लेकिन
    सारे सूखे हुए थे। आदमी
    को काफी पछतावा हुआ
    की उसने पहले ही कोई
    सुंदर फूल क्यों नहीं तोड़
    लिया? उस आदमी के
    पास अब सूखे हुए फूल
    में से फूल तोड़ने के अलावा
    कोई रास्ता नहीं बचा था।
    उसने 1 सुखा फूल तोड़ा
    और बुद्ध के पास वापस लौटा।
    बुद्ध ने सूखे हुए फूल को
    देखकर उस आदमी से पूछा..
    बगीचे में इतने सारे सुंदर
    फूलो में फिर तुम यह सुखा
    हुआ फूल क्यों तोड़ कर लाए?
    आदमी ने कहा इस विचार
    से की आगे और अधिक
    सुंदर फूल मिलेगा मैंने
    सभी सुंदर फूलो को पीछे
    छोड़ दिया इसलिए मुझे
    अंत में यह सूखा हुआ
    फूल तोड़कर लाना पड़ा।
    महात्मा बुद्ध ने कहा कि
    यही समस्या तुम्हारी भी है।
    यह बगीचा तुम्हारा जीवन
    है और इसमें वह सभी
    तरह के फूल छोटी मोटी
    खुशियां है। तुमने ज्यादा
    बड़ी खुशी के आशा में इन
    सभी छोटी-छोटी खुशियों
    को पीछे छोड़ दिया है।
    घोड़ा गाड़ी पाकर शायद
    तुम्हारे माता-पिता इतने
    खुश ना हो जितना तुम
    उनके पास बैठकर उनसे
    बातें करोगे,उनकी सेवा
    करोगे तब होंगे। किसी
    बड़े पर्यटन स्थल पर
    जाकर तुम्हारे बीवी बच्चे
    खुश हो सकते हैं लेकिन
    उससे भी ज्यादा खुश वो
    तब होंगे जब तुम उनके
    साथ समय बिताओगे,
    उनसे प्यारी बाते करोगे,
    उनके साथ खेलोगे, उनके
    साथ अपने मन की बातें
    साझा करोगे।
    महात्मा बुद्ध की बातें
    उस आदमी को समझ में
    आ गई और उसकी
    विचारधारा बदल गई।
    वह अपने उसी पुराने जीवन
    में खुश रहने लगा जिसमें
    वह पहले दुखी रहा
    करता था। दोस्तों यही
    तो हम भी अपने जीवन
    में करते हैं हमारे पास जो
    है उसका महत्व नहीं
    समझते और फिर कुछ
    और ज्यादा पाने की आस
    में जो है उसका भी आनंद
    या सूख लेना भूल जाते हैं।
    और जब समय बीत जाता
    है तो हमें लगता है कि
    हमारे जीवन में कभी
    सुख या खुशियां आई
    ही नहीं।
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