चलें चलें हम निशिदिन अविरत चलें चलें हम सतत चलें,! कर्म करें हम निरलस पल पल दिनकर सम हम सदां जलें! हमारे ही संघ गीत के प्रथम शुरुआती पंक्तियों पर 3dot लगा कर भगवान सूर्यदेव ने इसे संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रोटोकॉल बना दिया है! धन्य है वह राष्ट्र ऋषि हमारे परम पूजनीय माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर जी जिन्होंने भगवान सूर्यदेव की शक्ति की उपासना करके भगवान सूर्यदेव सहित संपूर्ण सौरमंडल को सनातन जीवन शैली के रक्षण अर्थ और सनातन मूल्यों के अपडेट हेतु इंसान रूप में इस पृथ्वी ग्रह पर जन्म लेने हेतु राजी कर लिया था और आज संपूर्ण सौर मंडल इंसान के रूप में इस पृथ्वी ग्रह पर जन्म लेकर विचरण कर रहा है भ्रमण कर रहा है सनातन सिस्टम सनातन जीवन शैली के वैदिक मैटर फिजिक्स को समझाने के लिए वैदिक गणित समझाने के लिए रसायन शास्त्र समझाने के लिए वैदिक बायोलॉजिकल साइंस समझाने के लिए और यह समझाने के लिए की सारे परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर एक बर्तन में चूरमा चूर कर यदि भोजन करते हैं तो आपस में प्रेम बढ़ता है आपस में लगाव बढ़ता है! एक साथ भोजन करने से और एक दूसरे का जूठा खाने से आपस में एक दूसरे के प्रति आस्था बढ़ती है एक दूसरे को समझने का मनोवैज्ञानिक सिस्टम विकसित होता है हम मनुष्य के मस्तिष्क में आपसी भाईचारा प्रेम स्नेह है कंबीनेशन कोआर्डिनेशन इस प्रकार के भिन्न-भिन्न शब्दों से संबोधित किया जा सकता है इस विषय को यदि एक परिवार के सदस्य या कोई भी बहुत सारे सदस्यआपस मैं एक साथ बैठकर अपने दोनों हाथों से एक बर्तन में चूरमा चूर कर भोजन ग्रहण करते हैं आपस में सभी एक दूसरे को भोजन करवाते हैं तो आपसी विश्वास प्यार स्नेह है कंबीनेशन कोआर्डिनेशन विकसित होता है! वैसे तो दाएं बाएं के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए दोनों हाथों से चूरमा चूरमा चाहिए सभी के सभी सदस्यों को वैसे यदि वैदिक मैटा फिजिक्स भगवान अर्धनारीश्वर के सिस्टम से यदि अर्धनारेश्वर के दूसरे सोपान को समझ कर यदि हम दूसरे स्तर पर जीवन जी रहे हैं तो दाएं और बाएं हाथ का भी फर्क पड़ता हैऔर यदि हम भगवान अर्धनारीश्वर शिव के स्वरूप को समझने के तीसरे स्तर पर पहुंच चुके हैं तो फिर दाएं और बाएं का कोई असर नहीं होता अरे हम दाएं हाथ से भोजन करें चाहे हम बांएं हाथ से भोजन करें और इसी प्रकार एक बर्तन में चूरमा चूरते वक्त भी दाएं बाएं का कोई असर नहीं होता लेकिन भगवान अर्धनारेश्वर के स्वरूप के वैदिक मैटा फिजिक्स के समझने के मनोवैज्ञानिक स्तर क्रमांक एक और क्रमांक 2 में दाएं और बाएं विचार का असर पड़ता है यह सारा का सारा मनोविज्ञान से अधिक कुछ नहीं है भगवान अर्धनारेश्वर हमारे एक भगवान अर्धनारीश्वर संपूर्ण सनातन सिस्टम का विस्तार है यह बात हमें क्रमबद्ध तरीके से समझ आती है जैसे हम आरएसएस की शाखा में कोई भी कार्य भिन्न-भिन्न भागों में क्रमबद्ध श्रेणीयों में बांटकर करते हैं ! जिससे प्रत्येक स्वयंसेवकों को समस्त कार्य अच्छे ढंग से समझ आ जाए, क्योंकि सभी प्रकार के मानसिक बुद्धि लब्धि वाले स्वयंसेवकों होते हैं सामने इसलिए सभी को समझ आने के लिए ऐसा किया जाता है! दूसरा यह अति आवश्यक प्रोटोकॉल भी है! और प्रोटोकॉल एक समग्र विषय है इसे शब्दों में परिभाषित किया ही नहीं जा सकता है ! वंदेमातरम सतश्रीअकाल जयभवानी जयशिवराय जयभारत वसुधैव कुटुंबकम वयं ब्रह्मास्मि प्रिय आर एस एस और अनुषांगिक संगठनों
विश्व गुरु तव अर्चना में विश्व गुरु तव अर्चना में भेंट अर्पण क्या करें जब कि तन-मन-धन तुम्हारे और पूजन क्या करें प्राची की अरुणिम छटा है यज्ञ की आभा विभा है अरुण ज्योतिर्मय ध्वजा है दीप दर्शन क्या करें वेद की पावन ऋचा से आज तक जो राग गून्जे वन्दना के इन स्वरों में तुच्छ वन्दन क्या करें राम से अवतार आये कर्ममय जीवन चढ़ाये अजिर तन तेरा चलाये और अर्चन क्या करें पत्र फल और पुष्प जल से भावना ले हृदय तल से प्राण के पल पल विपल से आज आराधन करें
चलें चलें हम निशिदिन अविरत चलें चलें हम सतत चलें,! कर्म करें हम निरलस पल पल दिनकर सम हम सदां जलें! हमारे ही संघ गीत के प्रथम शुरुआती पंक्तियों पर 3dot लगा कर भगवान सूर्यदेव ने इसे संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रोटोकॉल बना दिया है! धन्य है वह राष्ट्र ऋषि हमारे परम पूजनीय माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर जी जिन्होंने भगवान सूर्यदेव की शक्ति की उपासना करके भगवान सूर्यदेव सहित संपूर्ण सौरमंडल को सनातन जीवन शैली के रक्षण अर्थ और सनातन मूल्यों के अपडेट हेतु इंसान रूप में इस पृथ्वी ग्रह पर जन्म लेने हेतु राजी कर लिया था और आज संपूर्ण सौर मंडल इंसान के रूप में इस पृथ्वी ग्रह पर जन्म लेकर विचरण कर रहा है भ्रमण कर रहा है सनातन सिस्टम सनातन जीवन शैली के वैदिक मैटर फिजिक्स को समझाने के लिए वैदिक गणित समझाने के लिए रसायन शास्त्र समझाने के लिए वैदिक बायोलॉजिकल साइंस समझाने के लिए और यह समझाने के लिए की सारे परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर एक बर्तन में चूरमा चूर कर यदि भोजन करते हैं तो आपस में प्रेम बढ़ता है आपस में लगाव बढ़ता है! एक साथ भोजन करने से और एक दूसरे का जूठा खाने से आपस में एक दूसरे के प्रति आस्था बढ़ती है एक दूसरे को समझने का मनोवैज्ञानिक सिस्टम विकसित होता है हम मनुष्य के मस्तिष्क में आपसी भाईचारा प्रेम स्नेह है कंबीनेशन कोआर्डिनेशन इस प्रकार के भिन्न-भिन्न शब्दों से संबोधित किया जा सकता है इस विषय को यदि एक परिवार के सदस्य या कोई भी बहुत सारे सदस्यआपस मैं एक साथ बैठकर अपने दोनों हाथों से एक बर्तन में चूरमा चूर कर भोजन ग्रहण करते हैं आपस में सभी एक दूसरे को भोजन करवाते हैं तो आपसी विश्वास प्यार स्नेह है कंबीनेशन कोआर्डिनेशन विकसित होता है! वैसे तो दाएं बाएं के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए दोनों हाथों से चूरमा चूरमा चाहिए सभी के सभी सदस्यों को वैसे यदि वैदिक मैटा फिजिक्स भगवान अर्धनारीश्वर के सिस्टम से यदि अर्धनारेश्वर के दूसरे सोपान को समझ कर यदि हम दूसरे स्तर पर जीवन जी रहे हैं तो दाएं और बाएं हाथ का भी फर्क पड़ता हैऔर यदि हम भगवान अर्धनारीश्वर शिव के स्वरूप को समझने के तीसरे स्तर पर पहुंच चुके हैं तो फिर दाएं और बाएं का कोई असर नहीं होता अरे हम दाएं हाथ से भोजन करें चाहे हम बांएं हाथ से भोजन करें और इसी प्रकार एक बर्तन में चूरमा चूरते वक्त भी दाएं बाएं का कोई असर नहीं होता लेकिन भगवान अर्धनारेश्वर के स्वरूप के वैदिक मैटा फिजिक्स के समझने के मनोवैज्ञानिक स्तर क्रमांक एक और क्रमांक 2 में दाएं और बाएं विचार का असर पड़ता है यह सारा का सारा मनोविज्ञान से अधिक कुछ नहीं है भगवान अर्धनारेश्वर हमारे एक भगवान अर्धनारीश्वर संपूर्ण सनातन सिस्टम का विस्तार है यह बात हमें क्रमबद्ध तरीके से समझ आती है जैसे हम आरएसएस की शाखा में कोई भी कार्य भिन्न-भिन्न भागों में क्रमबद्ध श्रेणीयों में बांटकर करते हैं ! जिससे प्रत्येक स्वयंसेवकों को समस्त कार्य अच्छे ढंग से समझ आ जाए, क्योंकि सभी प्रकार के मानसिक बुद्धि लब्धि वाले स्वयंसेवकों होते हैं सामने इसलिए सभी को समझ आने के लिए ऐसा किया जाता है! दूसरा यह अति आवश्यक प्रोटोकॉल भी है! और प्रोटोकॉल एक समग्र विषय है इसे शब्दों में परिभाषित किया ही नहीं जा सकता है ! वंदेमातरम सतश्रीअकाल जयभवानी जयशिवराय जयभारत वसुधैव कुटुंबकम वयं ब्रह्मास्मि प्रिय आर एस एस और अनुषांगिक संगठनों
🙏
मेरी नींद खुल गई 🙏🙏
सुनकर अच्छा लगा जी
Very nice
Ati Sundar
विश्व गुरु तव अर्चना में
विश्व गुरु तव अर्चना में भेंट अर्पण क्या करें
जब कि तन-मन-धन तुम्हारे और पूजन क्या करें
प्राची की अरुणिम छटा है यज्ञ की आभा विभा है
अरुण ज्योतिर्मय ध्वजा है दीप दर्शन क्या करें
वेद की पावन ऋचा से आज तक जो राग गून्जे
वन्दना के इन स्वरों में तुच्छ वन्दन क्या करें
राम से अवतार आये कर्ममय जीवन चढ़ाये
अजिर तन तेरा चलाये और अर्चन क्या करें
पत्र फल और पुष्प जल से भावना ले हृदय तल से
प्राण के पल पल विपल से आज आराधन करें
Super.....
Such a motivational song 😊
😇😇😇😇😇