आदरणीय मनोरंजन की एक परिध का ध्यान रखना चाहिए, मैंने देखा नृत्यांगना के साथ हमारे बन्धुजन भी नृत्य कर रहे थे, ये हम लोगों को शोभा नहीं देता भाई जी क्षमा करें।
जनक जी से विशेष आग्रह है रामलीला त्रेता युग की है उसको उसी स्वर के रूप मै रखे आपकी गायकी तो बेस्ट है पर स्वर भाव वो नहीं मिल पा रहा है जो होना चाहिए आप स्वर्गीय मातादीन जी को सुने या आशीष चतुर्वेदी जी को सुने
नरेशजी का वर्तमान समय में कोई जोड़ नहीं है पुराना लोहा है
Jai shree Ram
Ram leela me nritya bahut kam hona chahiye
बात बिल्कुल सही है
पर कुछ कमेटी ही ऐसी है
कलाकार बेचारे क्या करें
सब जगह एक जैसे लोग नहीं है भाई
पर बिठूर में बहुत कम हुआ ऐसी बहुत सी जगह है जहां बहुत नाच होता है
श्री राम जी की लीला में, ग्राम बैकुंठपुर ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में नृत्य को वरीयता देना, सनातन धर्म को कलंकित करता है।
इतना मनोरंजन तो सब जगह होता है भैय्या क्या करोगे फिर भी बहुत सीमित डान्स हुआ है
आदरणीय मनोरंजन की एक परिध का ध्यान रखना चाहिए, मैंने देखा नृत्यांगना के साथ हमारे बन्धुजन भी नृत्य कर रहे थे, ये हम लोगों को शोभा नहीं देता भाई जी क्षमा करें।
' कनसुरा गा रहा है कहाँ से पकड़ कर लाये हो
जनक जी से विशेष आग्रह है रामलीला त्रेता युग की है उसको उसी स्वर के रूप मै रखे आपकी गायकी तो बेस्ट है पर स्वर भाव वो नहीं मिल पा रहा है जो होना चाहिए आप स्वर्गीय मातादीन जी को सुने या आशीष चतुर्वेदी जी को सुने
Jai shri ram