आज हमारे भारत देश में हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पाप और अधर्म चरम सीमा पर है जो इंसान जैसा कर्म करता है उसका फल उसी को मिलता है जय भारत
खुद गायक गायिका ही अपने चार पांच मिनट के सुंदर प्रेरक गीतों संगीतों के भी बीच बीच में अनावश्यक प्रवचन व्याख्या करके आठ दस मिनट का लंबा ऊबाऊ अलोकप्रिय बना देते हैं। आर्य-श्रोता इतने नासमझ नहीं होते कि गीतों के भावार्थ न समझ सके। आदरणीय गायकों को अपनी इस कमजोरी को दूर करना अत्यावश्यक है!
❤❤❤ओम्
अति सुन्दर प्रस्तुति धन्यवाद। बहिनजी को सादर नमस्ते। ऋषि दयानंद के गुण गाओ सत्य सनातन धर्म बचाओ।।
Naman hai didi ji aap ko
Gyan Dene wali aap mahan h Gyan ki devi
❤❤जय श्री राम🙏 सही कहा माँ❤
पाप विचारों से होते हैं शरीर से नही, गंगा में शरीर धुलता है विचार नहीं ।
अति सुन्दर।
आज हमारे भारत देश में हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पाप और अधर्म चरम सीमा पर है
जो इंसान जैसा कर्म करता है उसका फल उसी को मिलता है
जय भारत
आपने बिल्कुल सच कहा की पाप करके गंगा नहाने से पाप नहीं कटता है बल्कि वापस उसी को मिलता है।
यही भगवान का नियम है।
जय भारत
🕉 नमस्कार जी 🕉 बहुत अच्छे विचार अति उत्तम 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉
Very soulful & mrsningful bhajan.
Anjali guru mataji or shuvaom ch prDano TKS lordzrmji
नमस्ते जी सादर प्रणाम
Very. Good. Apka. Ko. Dhanay bad
भय पाप से उत्पन्न होता है और आपने कहा पाप बारिश बनके व्यक्ति के घर में बरस जाते हैं तो फिर आर्य समाज व्यक्ति को पाप से मुक्त कैसे करा सकता है
ओम् नमस्ते बहन जय सनातन
Bahut sunder parvchan ji
Har har gange 🌹🌹
Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe 👏👏👏
Oum namaste ji
Om om
Jay Jay shree shita Ram
Parama Guru maa
Om
Om namaste
Harharmahadev
❤❤❤❤
Karmo ru srusti purnnya apurnya karmo kharap kale papo srustihuye + patak mishijaye = patak papo kuhajaye yethi payi kaunasi pratikaro nahi kebalo patakpapo nasto hebapayi vagaban naam smarano darakaro tkslordzrmji
Didi ko st st nmn
Om santi om
❤
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😊
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खुद गायक गायिका ही अपने चार पांच मिनट के सुंदर प्रेरक गीतों संगीतों के भी बीच बीच में अनावश्यक प्रवचन व्याख्या करके आठ दस मिनट का लंबा ऊबाऊ अलोकप्रिय बना देते हैं। आर्य-श्रोता इतने नासमझ नहीं होते कि गीतों के भावार्थ न समझ सके। आदरणीय गायकों को अपनी इस कमजोरी को दूर करना अत्यावश्यक है!
दयानंद ने पहला sanskaran लिखा था दयानंद की मृत्यु होने पर दोबारा क्यों लिखा गया गलती छुपाने के लिए कोई ज्ञान नहीं था पढ़ कर देखो
Om