येस ब्रम्हचर्य का पालन करके ही मैनै Diploma ke Sabhi Exam Pass kr diye , pehle fail Ho gaya tha Exam me ...सच बात ये है की आसारामजी बापू के यहा से एक पूस्तक से मै सिखा था । दो साल कीहा है कंट्रोल बय्हचर्य का पालन 🙏
Kis tarike se aapna iska palan kiya hm bhaiyo ko bhi batao jisse hmmko ki bharamcharya ka faaydo ho... Naam batao book orr kese tarike se kiya 2 saalo tak ye batao...
Good video sir ji गृहस्थी जीवन मे ब्रह्मचर्य का जो आपने आपना अनुभव बताया है वो मुझे बहुत अच्छा लगा ।ब्रह्मचर्य को आसान बनाने ओर मन पर नियन्त्रण कैसे करे, इस पर भी एक वीडियो बनाना गुरुजी।
श्रीगुरूजी को कोटि कोटि नमन करते हुए वर्तमान समय में जीवन कैसे जीना चाहिए इस पर प्रकाश डालने की कृपा करें,बड़ी मेहरबानी होगी जय जय सदाशिव गुरु की जय जय हो।
मैंने इस वीडियो में गृहस्थ ब्रह्मचर्य के बारे में बताया है। यदि आपकी पत्नी आपकी बात मानती है तो उसके साथ उसकी सहमती से अपनी इच्छा पूरी करना गृहस्थ ब्रह्मचर्य कहा जाता है। सत्य और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारी के काम करते रहो और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण करना चाहिए तभी जीवन सफल होगा।
श्रीमान जी, सबसे पहले मैं आपका धन्यवाद करता हूं और एक आग्रह करता हूं कि व्यक्ति के क्रोध पर नियंत्रण तथा तन्त्रिका तन्त्र में सुधार से संबंधित कुछ ज्ञान हमें प्रदान करें। अजय
जय गुरुदेव आपके एक एक शब्द वह आपके नही यह तो इशवर देन हे जो हमने सुने है मै बहोत पोथी पुरान पडा और कही संत के सत्संग सुना मै ही चार सालसे अध्यात्म मे लगा हु आपके शबद जो अपणे हिनदु धर्म मे सत्संग करते है ऊनमेसे आप एक दिखायी देते है मै जयादा है करके नही बोल सकता क्योंकि यह मेरा अधिकार नही है वह तो ईश्वर जानता है लेकिन एक बात है अपनेमे सच्चाई छुपी है और दिखावा दिव्य जयोतीही है जय हिन्दुत्व जो सत्य के साथ चलता है
@@harshitjirawala2928 man aur sarir ka gahra rista hota h...sex pahle man me ata h fir body me...aap subah 4 baj udh kr bus dhyan kare 1 hour..jab man control ho jayega...toh sex v control ho jayega apne aap..sarir se bramacharya nhi hota h...man se hota h...man ko target kijiye...
हनुमान जी ईश्वर है लेकिन सभी ईश्वर और सभी जिव सिद्ध हो या कोई भी हो सभी कि एक विशेष लाक्षणिकता characteristics है तो हनुमानजी और पवनपुत्र मैं और वायु तत्व और पवन देव में करता अंतर है ??
चालिसा वगैरा पढना आपकी इच्छा है, जितना चाहे पढ़ो, परन्तु मेरा अनुभव ये है कि भगवान को अपना गुणगान सुनने की आवश्यकता नहीं है। आपको पता होगा कि चालिसा में भगवान के चालीस कारनामों का गुणगान किया जाता है। भगवान को आपकी शुद्ध भावना चाहिए, अपना गुणगान सुनने की उन्हें आवश्यकता नहीं।
मैंने गृहस्थ ब्रह्मचर्य का पालन किया है। इसमें बातें तो बहुत हैं परन्तु एक वीडियो में सब कुछ बता पाना संभव नहीं है। यदि मन में कोई प्रश्न उभरता है तो पूछ सकते हो। गृहस्थ ब्रह्मचर्य में अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी अन्य महिला के साथ शारीरिक संबंध की बात स्वप्न में भी नहीं सोचनी, कोई अश्लील हास्य व्यंग्य भी नहीं करना चाहिए। अश्लील साहित्य, फिल्में, गाने आदि भी नहीं देखना चाहिए। यदि पत्नी भी पति से छल-कपट करे तो उससे भी दूरी बनानी चाहिए। इस पर मैंने एक विडियो बनाया है जिसका शीर्षक है "पत्नी को धर्मपत्नी क्यों कहा जाता है " यदि पत्नी पूरी तरह से अपने पति के प्रति समर्पित हो तो वही पत्नी उत्तम है। इसके अतिरिक्त एक विडियो बनाया है " आजीवन स्वस्थ रहने का उपाय " इसमें सत्य और ब्रह्मचर्य का पालन करने के लाभ बताए हैं।
गुरु जी आप ने कहा सत्यम शिवम् यानी शिव सत्य है। पर सत्य पुरुष , अलख पुरुष, अगम पुरुष , अनामी पुरुष ये लोग कौन है। गुरु जी मेरे देखने से इस संसार में एक ही सत्य है। ओ है आत्मा सत्य उसको कहते है। जो अनन्त से है आज भी है और कल भी रहेगा। दुनिया आज भी जानती है आत्मा है।हमारा शरीर चला रहा है। पर ब्रहामंडीए, बिष्णु, महेश सारे मर गए तो सत्य कैसे हुआ सत्य तो ओ है जब कुछ नही था पर ओ था।फिर ब्रहमांड न रहने पर भी ओ सत्य रहेगा।जब ये ब्रहमांड नही था तो शिव भी नही थे।जिनको अक्षर पुरुष भी कहते है यही ब्रहमांड का सुपर पावर है। ये भी ब्रहमांड खत्म ये भी खत्म तो सत्य कैसे हो गये सत्य तो ओ है जिसका कभी भी अंत न हो जैसे।अपनी आत्मा , परमात्मा। ये कभी भी खत्म नही होगा । हमारी तिन अवस्ता होती है। एक जीव , शिव , और पीव । जीव शिव अवस्था में तो हम मरते जीते रहेगे। लेकिन जब हम पीव अवस्था में पहुच जाते है तो मोक्ष मिल जाती है। यानी आत्मा परमात्मा में बिलय हो गया। कहने का अर्थ आत्मा अडोल ,स्थिर है। यानी आत्मा में सारा ब्रहमांड है। पर हमारी सोच उल्टा है। अपना शरीर एक पूर्ण ब्रहमांड है। आप जो भी स्केच में दिखाए है। ब्रहमांड तक ही है तो हम मानते है शिव में मील जाने पर मोक्ष तो नही हुआ हम लाखो साल के लिए मुक्त हो गए। पर युग बिनास के बाद तो फिर।माँ के पेट में उल्टा लटकना ही है। भले बरे बरे देव बने । पर मोक्ष तो नही हुआ । हम लोग मोक्ष के लिए इतना भटक क्यों रहे है। इसका मूल कारण है । हम लोग आत्म देव का नाम नही जान पा रहे है। माना हम बाजार गए जिस बस्तु का नाम नही जानते उसे कैसे खरीदेगे। बात यही मोक्ष के लिए फस जाती है हर जन्म में जिस दिन हम उस आत्म देव का नाम जान गए जिन्दे जी मोक्ष के अधिकारी हो गए। शिव के भगति तक हम मुक्त हो जाते है । इस संसार का सत्य सिर्फ आत्म देव है बाकी सच है।। सतनाम
शिवजी परम ब्रह्म हैं, उनका ना कभी जन्म होता है और ना ही मृत्यु होती है, इसीलिए उन्हें अजन्मा अविनाशी कहते हैं। वे ही सभी आत्माओं का निवास स्थान है अर्थात् परमात्मा हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश उन्हीं के साकार रूप हैं, उनकी भी कभी मृत्यु नहीं होती, परन्तु ये तीनों साकार रूप सृष्टि के अन्त में पुनः निराकार ब्रह्म में समा जाता हैं। जब भगवान मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, जैसे राम, कृष्ण आदि, तब उन राम, कृष्ण आदि की मृत्यु होती है।
ओम नमः शिवाय जय सनातन धर्म जय हिन्दू राष्ट्र है ब्रह्मचर्य जीवन आनंद सच्चा शिवभक्त हिंदू राष्ट्रवादी हैं और भोगी जीवन दुःख नर्क झूठ मौत हैं ओम नमः शिवाय हम सब सच्चे शिवभक्त हिंदू राष्ट्रवादी ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं ओम नमः शिवाय
दूध और गुङ दोनों ही शाकाहारी हैं, इन्हे लेने में कोई बुराई नहीं है, परन्तु आजकल दूध, गुङ और चीनी आदि शुद्ध नहीं मिलते इसलिए थोड़ा बहुत नुकसान तो करेंगे। यदि अपनी ही गाय या भैंस हो और उन्हें अच्छा चारा डाला गया हो, और दूध निकालने से पहले इन्जेक्शन ना लगाया गया हो तो उत्तम है। चीनी और गुङ बनाने के लिए कैमिकल का प्रोसेस ना किया हो तो वो भी अच्छा है। परन्तु ये तो भुगतना ही होगा, क्योंकि मीठा खाना भी शरीर के लिए आवश्यक होता है।
जिस प्रकार गन्ने का सार उसका रस है उसी प्रकार मनुष्य के शरीर का सार उसका वीर्य होता है वीर्य शरीर में भगवान का अंश है ब्रह्मचर्य पालन करने वाले संसार में महान होते है. ब्रह्मचर्य पालन करने से मनुष्य की बुद्धि और विवेक शक्ति अधिक बढ़ जाती है उनकी सोचने और विचारने की शक्ति अधिक होती है उनकी एकाग्रता शक्ति अधिक होती है उनमें लोक कल्याण की भावना उत्पन्न हो जाती है उनमें नया जोश व उत्साह होता है ब्रह्मचारी व्यक्ति के लिए संसार में कुछ भी असाध्य नहीं होता जो ब्रह्मचारी होता है वह मन के वश में नहीं होता बल्कि मन ही स्वयं उसके वश में हो जाता है जो ब्रह्मचर्य में जीना सीख लेता है वह फिर कुसंगति में नहीं फंसता ,पहले भारत में गुरुकुल हुआ करते थे गुरुकुल में ब्रह्मचर्य आश्रम ,गृहस्थ आश्रम ,वानप्रस्थ आश्रम ,सन्यास आश्रम, ज्ञान विज्ञान शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दी जाती थी तभी भारत संसार में विश्व गुरु कहलाता था, हम भोग नहीं भोगते भोग ही स्वयं हमें भोग लेते हैं हम तप नहीं तपते तप ही स्वयं हमें तप लेता हैं हमें काल नष्ट नहीं करता हम स्वयं ही काल के गाल में समा जाते हैं और तरसना कभी जीर्ण नहीं होती हम स्वयं ही जीर्ण हो जाते हैंअपनी आने वाली पीढ़ी को ब्रह्मचर्य का ज्ञान अवश्य दें ब्रह्मचर्य के ज्ञान से ही हमारी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ बलवान और बुद्धिमान हो सकती है और एक बलवान बुद्धिमान स्वस्थ और शिक्षित व्यक्ति ही परिवार समाज और राष्ट्र के लिए कल्याणकारी हो सकता है
ब्रह्मचर्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है इन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण, और उसके लिए आवश्यक है मन पर नियंत्रण। मन पर नियंत्रण करने में कुछ भोजन रुकावट डालते हैं। इनमें प्रमुख हैं, मांस, मछली, अण्डा, शराब, बीङी, सिगरेट, तंबाकू, कोई भी नशीला पदार्थ, लत लगने वाले पदार्थ जैसे चाय, कॉफी ,चॉकलेट आदि, डिब्बाबंद विदेशी भोजन आदि। इसके अतिरिक्त यदि भोजन पकाने वाला ही कामुक है तो भी वह भोजन मन भटकाएगा। घी, दूध, दही, मिष्ठान आदि से कोई नुकसान नहीं।
नहीं मान्यवर, एक नपुंसक को ब्रह्मचारी नहीं कह सकते, क्योंकि नपुंसक व्यक्ति अपनी इन्द्रियों का दास बनकर ही नपुसंकता के द्वार तक जा पहुंचा है। जबकि ब्रह्मचर्य व्रत में अपनी इन्द्रियों को अपने वश में करना होता है। एक सच्चा ब्रह्मचारी अपने अन्तिम समय पर भी संतान उत्पत्ति में सक्षम होता है, क्योंकि ब्रह्मचारी अपनी इच्छा से शरीर त्याग करता है, भोगियों की तरह सङ-सङकर नहीं मरता।
Thanks guruji aapne bahut achchha gyan diya par grahast vyakti kis taraha se bramhchary kare.mere jankari ke mutabik ekadshi vrat ko dashmishe hi bramhchary palan karna padta hai kya ye sahi hai kyunki mai khud ekadshi vrat karta hun
वैसे तो ब्रह्मचर्य का पालन जीवन भर करना होता है। अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी भी अन्य स्त्री का स्वप्न में भी अश्लील विचार ना करे, परन्तु व्रत के दोरान पहले व्रत से अंतिम व्रत तक पत्नी से भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए।
अभिषेक कुमार, सत्य और ब्रह्मचर्य हमारे जीवन का मूलाधार है। सत्य और ब्रह्मचर्य ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग है, परन्तु आजकल लोग उलट विचार के हो चुके हैं। ब्रह्मचर्य को सिद्ध करना आसान कार्य नहीं है, इसलिए शुरुआत में ईश्वर का ध्यान करके ये प्रयास करना चाहिए कि हम अश्लीलता का कोई कार्य ना करें। जैसे फ़िल्में देखना, अश्लील पत्रिका और नाच गाना आदि से बचना चाहिए। इसी से हमें पता चल जाएगा कि हम किस स्तर के हैं। जब ईश्वर को लगेगा कि हम दृढ़ निश्चयी हैं तो भगवान स्वयं मार्गदर्शन करते हैं। अभी यही प्रयास करो कि कोई भी अश्लील कार्य ना करो। बाद में जब विवाह हो जाए तो अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य के साथ अश्लीलता ना करें। बाकी बातें बाद में समझ आएंगी।
Aj kal koi koi log shadi se pehle hi relationship wagera me pad jate he. Or physical touch me bhi aa jate he. To aise log ye sab chhod kr brahamacharya ka palan kar sakte hen ?
Acha sir main pure veg hu par main martial artist bhi hu to mujhe protein thora jyda chahiye to maine suna h market me jo egg milte h wo bina sambhog wale hote h unfertilised hote to ye to pure veg hua na to kya main ise kha skta hu plzz help me sir...Kyunki dudh bhi yo animal product h wo bhi to pure veg h..
आप मार्शल आर्टिस्ट हैं और मैं कसरत करता हूँ, मुझे भी बहुत ताकत चाहिए होती है, परन्तु मैंने प्रतिज्ञा की हुई है कि मर सकता हूँ परन्तु माँस, अण्डा, शराब, सिगरेट आदि का कभी भी प्रयोग नहीं करूंगा। इसके अतिरिक्त मैं चाय, काफ़ी, चॉकलेट, डिब्बा बन्द भोजन, विदेशी भोजन जैसे पिज्जा, बर्गर, चाउमीन आदि चीज़ों से भी दूर रहता हूँ। मैं 42 वर्ष की आयु तक जिम में कसरत करता था, वहाँ कई युवा लङके भी कसरत करते थे, परन्तु वे मांसाहारी होकर भी मुझसे मुकाबला नहीं कर पाते थे। वे हाथ जोड़कर मुझसे मेरी ताकत का राज पूछते थे तो मैं कहता था कि शाकाहार ही मेरी ताकत है। परन्तु मेरा दुर्भाग्य था कि मेरी पत्नी ने आध्यात्म के मार्ग पर मेरा साथ नहीं दिया जिसके कारण मैं चार बार मृत्यु की चपेट में आ गया और सौभाग्य से चारों ही बार ब्रह्मचर्य की साधना से बच पाया। मैं इतना दुर्बल हो गया कि लोगों ने मुझे पहचाना ही नहीं। जब मेरे विवाह के 25 साल हो गए अर्थात् मेरा गृहस्थ आश्रम समाप्त हो गया तो मैंने पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया ताकि फिर से कसरत करके पहले जैसा शरीर बना लूँ। क्योंकि इस दुनिया में अपना शरीर ही अपना है और कोई अपना नहीं। अब मैं फिर से कसरत कर रहा हूँ, परन्तु अभी घर पर ही करता हूँ। यदि मैं पहले जैसा शरीर बना पाया तो उस पर भी वीडियो बनाऊंगा तकि मैं बता सकूं कि प्रकृति ने हमें वो सब दिया है जिसकी हमें आवश्यकता होती है। अण्डा किसी भी प्रकार से प्राप्त किया हो वह शाकाहारी नहीं है, क्योंकि यदि अण्डे को उचित तापमान पर रखा जाए तो उसमें से चूजा निकलता है परन्तु दूध से कभी कोई चूजा या बच्चा नहीं निकलता। हमारा दुर्भाग्य है कि आज के समय में खाने पीने की शुद्ध चीजें नहीं मिलती, इसलिए मैं सदा ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मेरी रक्षा करें। मैं अपना भोजन भी स्वयं पकाता हूँ। हमारे देश की संस्कृति सबसे उत्तम है, उसे पहचानो और अपनाओ तभी हमारा कल्याण होगा।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm sir main bhi kuch nhi khata ek bhi mirch masala chiz packed food kuch bhi nhi sirf sudh sattvic aahaar hi leta hu..Par sir plzz help me mere mummy papa gussa krtr h ki main sakahari hu aur ye bataya hi main akhand brahmachari hu to pta nhi kya krenge..Aesha kyu sir mujhe inab se fark nhi parta pr aesha kyu hai sir vighn hota hu kbhi kbhi..Aur dir egg jo h wo sirf murgi deti h bina murga ke sth sambhog ke to ye nonveg kaisa h sir..Poultry farm me murga nhi rakhte wo log sirf murgi anda deti ahi aur market me aata h..
मैं अण्डे को शाकाहारी नहीं मानता, भले ही वह किसी भी रूप से प्राप्त किया हो। जब प्रकृति ने हमें वो सब दिया है जिसकी हमें आवश्यकता होती है तो हम उन चीज़ों को क्यों खाएं जो प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करके मनुष्य ने बनाई है। ब्रह्मचर्य को सिद्ध करना आसान कार्य नहीं है, क्योंकि इसमें हमें प्रकृति के नियमों के अनुसार जीवन यापन करना पड़ता है, अन्यथा प्रकृति हमारा साथ नहीं देती और हम काम की चपेट में आ जाते हैं। दूसरी बात यह है कि विवाह करके भी गृहस्थ ब्रह्मचर्य को सिद्ध किया जा सकता है। शिवाजी ने भी विवाह किया, राम और कृष्ण ने भी विवाह किया था। मैंने भी गृहस्थ जीवन ही ब्रह्मचर्य को सिद्ध किया था। यदि जीवन साथी अच्छा हो तो सब अच्छा है नहीं तो ब्रह्मचारी जीवन ही अच्छा है।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm aapka bht bht dhyanvaad sir very much thnk u for helping me main ab sb samajh gya sir main akhand brahmachari hu purn yogi hu sir aur jivan me kuch bhi hojaye ek pal ke liye bhi brahmachari se vimukh nhi hounga..Om hanumate namh..
यदि अखण्ड ब्रह्मचारी बनने का निश्चय कर ही लिया है, तो स्वागत है। परन्तु ये मार्ग आसान नहीं है। उसके कई कारण हैं, पहला तो ये कि हम कलयुग में जी रहे हैं। कलयुग का वातावरण ब्रह्मचारियों के लिए है ही नहीं। दूसरा कारण ज्ञान की कमी। आजकल जितने भी धर्म ग्रंथ हैं उनमें ज्ञान कम अज्ञान अधिक है। ज्ञान के बिना ब्रह्मचारी का जीवन इत का ना उतका होकर रह जाता है। तुम जानते ही होगे कि कितने बाबा सलाखों के पीछे जा चुके हैं। तीसरा कारण है कि जब हम वृद्ध होने लगते हैं तब कोई हमारा ध्यान रखने वाला नहीं होता। उस समय या तो अपना पुत्र या शिष्य होना चाहिए। चौथा कारण ये है कि यदि सभी अच्छे लोग ब्रह्मचारी हो जाएँ और कुकर्मी लोग जनसंख्या बढ़ाएं तो इस सृष्टि का क्या होगा? फिर भी मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगा, यदि तुमने अखण्ड ब्रह्मचर्य का निर्णय ले ही लिया है तो कुछ खेत खरीद कर आश्रम बनाओ और पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाओ। ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित हो जाओ और प्रकृति के नियमों का पालन करो। तभी सफलता मिलेगी। कभी-कभार मुझे भी अपने आश्रम में बुला लेना क्योंकि अब मैं भी ब्रह्मचारी जीवन जी रहा हूँ।
मन को नियंत्रित करना सरल नहीं है। इसकी शुरुआत शुद्ध सात्विक भोजन से होती है। इससे मन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। फिर हर प्रकार की अश्लीलता से बचना चाहिए जैसे फ़िल्में, गाने, पत्रिकाएं आदि। ऐसा लम्बे समय तक करने से अभ्यास बढ़ाता है।
आपका बात पर मैं सहमत हूं यह बात सही है कामदेव को भस्म कर दिया वह न्याय तंत्र आगे बढ़ेगा और अपने मन को बस में कर लिया धान अभिलाषा सबको रहता है एक भोलेनाथ को धन का अभिलाषा नहीं था क्योंकि वह भक्तों के ऊपर इतना पसंद हो जाते हैं कि वह अपना शरीर तक नहीं देखे कि मैं जान दे दूंगा तो हमको क्या होगा वह आगे पीछे कुछ नहीं जानते थे बोला था उसका इंसान मनुष्य उठा लेता है जिसे भस्मासुर उठाया था तो विष्णु बचाए थे उस तरह इंद्रिया है तो यह कलयुग में कभी इंद्रिया के ऊपर कभी मनुष्य के ऊपर का चेहरा प्रॉफिट हो जाता है भोलेनाथ के अंदर कामदेव कभी प्रवेश नहीं कर सकता है कामदेव तो पार्वती के अंदर प्रवेश किया था इसलिए पार्वती ने राम का परीक्षा लेने गए थे राम पहचान गए लक्ष्मी जी जो है सीता है इसलिए भोलेनाथ उनको माता मानते हैं यह बात सत्य है या नहीं आप वीडियो के अंतरित बताइएगा आपका वीडियो सत्य है
सत्य प्रकाश sir, क्या आप शारीरिक रूप से स्वस्थ है? मेरा एक प्रश्न है महाशय की जव भगवान श्री राम सेतु बनाने के लिए समुद्र देव से रास्ता मांगी थी उनसे प्रार्थना की थी तब समुद्र देवने उनकी प्रार्थना की कोई भी उत्तर नहीं दिया और फिर वह खुद क्रोध के वशीभूत होकर समुद्र देवके सारा पानी सुखा देना का निश्चय किया तो मेरा प्रश्न यह है कि भगवान राम तो मन पर नियंत्रण रखते थे और जितेन्द्रीय थे वह कठिन परिस्थितियों में भी सठीक मार्ग पे और सही तरह से आपनी वूद्धि का इस्तेमाल करते हो , तो फिर उन्होंने क्रोध में आकर की समुद्र की सारा पाणी सुखा देने का निश्चय लिया और उन्होंने क्रोध के वशीभूत होकर क्यो नहीं सोचा? कि समुंदर मैं रहने वाली कितने के समुद्री जीव है अगर वह समुद्र का पानी सुखा देगा तो सॉरी समुद्री जीव मारा जाएगा। ऐसा क्यों है क्योंकि भगवान राम को तो सभी धर्मात्मा मानते थे। तो वह केवल माता सीता के उद्धार के लिए आपने कार्य की सिद्धि करने के लिए ऐसे स्वार्थी जैसे काम और ऐसे सोच कि उनके मन मैं कैसे आए? क्योंकि ऐसा आचरण भगवान श्री राम की विपरीत है। जरा इस विषय को स्पष्ट करें Please reply sir.
मेरा स्वास्थ्य अभी ठीक नहीं है। जब स्वास्थ्य हो जाउंगा तभी विडिओ बनाऊंगा और कारण भी बताऊंगा। भगवान भी जब मानव रूप में अवतार लेते हैं तब कई बार विकट परिस्थिति में फंस जाते हैं, तब दूसरा विकल्प नहीं मिलता। ये बात भी सब जानते है कि जब सीधे तरीके से काम नहीं बनता तब टेढा तरीका अपनाना पङता है। ध्यान रहे कि पहले राम ने समुद्र से प्रार्थना की थी, तब तो समुद्र देव पर कोई असर नहीं हुआ, जब राम ने क्रोध किया तब तुरंत प्रकट हो गए।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आप जल्दी से आरोग्य लाभ करें और आप स्वस्थ हो जाए, पता नहीं भगवान की लीला समझ में नहीं आता हे। सर्वशक्तिमान भगवान खुद महाभारत के युद्ध में अस्त्र ना धारण करने का वचन दिया था और फिर खुद ही रथ चक्र का धारण किए पितामह भीष्म को वध करने के लिए खुद रणभूमि में आ गए। ऐसा क्यों है? क्या भगवान पर कोहि नियम लघु नहि होतेहे यवकि वह मनूष्यरूप मे हो ? Please reply sir.
भगवान की लीला कई बार समझ नहीं आती। कृष्ण जी ने अस्त्र शस्त्र ना उठाने की प्रतिज्ञा की थी, रथ का पहिया उठाने को मना नही किया था। रथ का पहिया कोई अस्त्र शस्त्र नही होता। दुर्योधन ने भीष्म पितामह पर विश्वास घात का आरोप लगाया था। तब पितामह ने कहा था कि यदि आज कृष्ण बीच में नही आए तो शाम तक पांडव पक्ष का बहुत सफाया कर दूंगा। इसीलिए कृष्ण जी बीच में आए। ऐसा करने से पितामह की बात भी रह गई, पांडव सेना भी बच गई और कृष्ण जी ने अपनी अस्त्र शस्त्र ना उठाने की प्रतिज्ञा भी नही तोङी।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm परंतु भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि वह युद्ध में अंश नहीं लेंगे और भगवान श्री कृष्ण ने रथ की चक्र को अस्त की तरह ही इस्तेमाल करके पितामह भीष्म की वध करने के लिए ही रणभूमिमे आये। तो फिर वह पांडवों को सहायता करने के लिए युद्धभूमि में पितामह भीष्म को वध करके पांडवों की सहायता करने हैतू रथचक्र हात मे लिये थे। इसलिए मुझे भगवान श्री कृष्ण की वचन और कार्य में स्पष्टता समझ में नहीं आ रहा है। देखिए सत्य प्रकाश महाशय में भगवान पर पूर्ण समर्पित होना चाहता हूं पर जब भी मैं भगवान को खुद को समर्पण करना चाहाता हू तब मेरे मन मे ईसतारा के प्रश्न संसय के रूप मे प्रकट होते हे। Please reply sir.
कृष्ण जी यदि सचमुच पितामह को मारना चाहते तो उनके पास सुदर्शन चक्र था, अन्य अनेक अस्त्र शस्त्र थे, लेकिन वे अर्जुन को उत्तेजित करने के लिए बीच में आए। उन्हें भी पता था कि पितामह की मृत्यु सिखण्डी के कारण ही होगी।
सत्य प्रकाश sir, मुझे एक आपसे जानकारी चाहिए, कि अपने कहां की अखंड ब्रह्मचारी कभी भी शादी नहीं करता,क्योंकि वह सर्वदा ईश्वर की ध्यान में ही अपने जीवन समर्पित करते हे। परंतु मेरे प्रश्न ए है की सभी का अंतिम लक्ष्य निराकार ब्रह्म होता है । तो अगर शिव निराकार ब्रह्म हुआ तो उसकी अर्धांगिनी मां आदिशक्ति हे। तो जब निराकार ब्रह्म की ही अर्धांगिनी है, अर्थात निराकार ब्रह्म खुद शादीशुदा हे। तो फिर ब्रह्मचारी लोग अखंड ब्रह्मचर्य में शादी क्यों नहीं उसका कोई अर्धांगिनी क्यों नहीं होता?
जितना आसानी से ये प्रश्न किया गया है उसका उत्तर समझना उतना आसान नहीं है। मोक्ष की यात्रा में सात पङाव आते हैं। अर्थात् हमें सातों चक्रों को बारी-बारी भेद कर अंतिम सहस्रार चक्र तक पहुंचना होता है, वहाँ से मुक्ति को ही पूर्ण मुक्ति कहा जाता है। हम पहले चक्र के सबसे निचले स्तर पर हैं, अर्थात् कलयुग में जी रहे हैं। इस चक्र में ही हमनें ना जाने कितने जन्म ले लिए, ना जाने कितनी बार विवाह किया और ना जाने कितने बच्चे पैदा किये। परन्तु फिर भी पहला चक्र भी नहीं भेद पा रहे। महाप्रलय के समय पहले तीन चक्र अर्थात् मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र और मणिपूर चक्र भी गिर कर निराकार ब्रह्म में समा जाते हैं। अगली सृष्टि आरम्भ के समय उन चक्रों में पहुँचे हुए तपस्वियों को पुनः शरीर धारण करना पङता है, परन्तु विवाह की बाध्यता उन पर नहीं होती, क्योंकि उन तपस्वियों को तपस्या करके अगले चक्रों तक पहुंचना ही लक्ष्य दिखाई देता है। महाप्रलय के समय समस्त देव शक्तियां, ब्रह्मा, विष्णु और महेश व देवी महाशक्ति भी निराकार ब्रह्म अर्थात् शिव में समा जाते हैं। महाप्रलय के दौरान केवल निराकार ब्रह्म ही होते हैं और कोई नहीं, वो भी अकेले। इसलिए वे परम योगी जो पहले किसी जन्म में विवाह का अनुभव कर चुके हैं और सृष्टि वर्धन में योगदान दे चुके हैं वे अखण्ड ब्रह्मचारी रहकर निराकार ब्रह्म के ध्यान में रहते हैं।
बुरा करने वाले पर हर किसी को क्रोध आएगा चाहे ब्रह्म हों या उनके अवतार। शिवजी को आशुतोष भी कहते हैं अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले। उन्हें भोलेनाथ भी कहते हैं अर्थात् भोले भक्तों के नाथ।
शिव का क्रोध हमारी तरह इन्द्रियों के वशीभूत नहीं ब्लकि दिव्य है व सृष्टि के निर्बाध संचालन के लिये आवश्यक है । सृष्टि के संचालन के लिये रजस, तमस व सत्व तीनों ही गुणों का उचित अनुपात में होना आवश्यक है । किसी दुर्बल व निर्दोष के साथ अन्याय व अत्याचार होता देख यदि क्रोध ना आये तो वह सात्विकता नहीं अपितु नपुसंकता है । मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के भी क्रोधित होने की कई घटनाओं का वर्णन रामायण मे किया गया है परंतु वे इन्द्रियों के वशीभूत नहीं थे अपितु दुष्टोँ के संघार के लिये क्रोध किया था ।
भगवान ने स्त्री को सृष्टि उत्पन्न करने के लिए पुरुष की अर्धांगनी के रूप में पैदा किया, जो ये तथ्य समझ गया वो पार हो गया और जो स्त्री को वासना पूर्ति के लिए ही मानता है वह नर्क की दलदल में धस गया।
➡️🕺बचपन में पढ़ते समय पढ़ाया गया कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना पर कुरान पढ़ने के बाद मेरा विचार सर के बल पलट गये और इसके कारण है कुरान की आयत सुरा आयते :- ➡️2:98 अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है। ➡️3:85 इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं। ➡️8:85 इस्लाम को इनकार करने वालों के दिलों में अल्लाह खौफ भर देगा और मुसलमानों तुम उनकी गर्दन पर वार करके उनका अंग काट दो। ➡️3:118 केवल मुसलमानों को भी अपना मित्र बनाओ। ➡️3:28,9:23 - गैर मुस्लिमों को दोस्त ना बनाओ। ➡️8:39- गैर मुस्लिमों से तब तक युद्ध करो जब तक कि अल्लाह का दिन पूरी तरह कायम ना हो जाए ➡️22:30 - मूर्तियां गंदगी है। ➡️9:5 - मूर्ति पूजको को जहां और जैसे पाओ वहां घात लगा कर मार दो। ➡️33:61- मुनाफिक और मूर्तिपूजक जहां भी पकड़े जाएंगे बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे ➡️3:62 , 2:2:55 , 27:61, और 35:3 - अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है। ➡️21:98 - अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजनीय वाले जहन्नुम का इंधन है। ➡️9:28 - मूर्तिपूजक नपाक है। ➡️4:101 - काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं। ➡️9:123 - काफिरों पर जुल्म करो। ➡️9:29 - काफिरों को अपमानित कर उससे जजिया कर लो। ➡️66:9 - काफिरों और मुनाफ इको से जिहाद (जंग) करो। ➡️8:69 - आयतो को इनकार करने वालों को खाल पकाएंगे । ➡️9:14 - अल्लाह मोमिनो के हाथों काफिरों को यातना देगा। ➡️8:57 - युद्ध बंदियों से नीरिशंसता करो। ➡️32:22 - इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो। हिंदुओं को अगर विश्वास ना हो तो कुरान को डाउनलोड करके रेफरेंस को चेक कर ले और मुसलमानों को इसमें कोई गलती नजर आवे तो मुझे भी बेझिझक बता देवें। Note- हमें माफ कीजिए हमारा उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं हमारा उद्देश्य भविष्य में भारत में दंगा रोकना और इस्लामिक देश सीरिया और पाकिस्तान बनने से रोकना है। हमने 1200 साल का इस्लामिक इतिहास पढ़ा इसी कुरान की आयतों को विश्वास में रखने के कारण मुस्लिम आक्रांता ओं ने करोड़ों गैर-मुसलमानों का कत्ल और धर्म परिवर्तन और हजारों मंदिरों को तोड़ा है और लाखों महिलाओं का बलात्कार किया है क्योंकि मुसलमान भाई कुरान को बोलते हैं अल्लाह का भेजा हुआ आसमानी किताब है लेकिन मुझे इसमें कुछ भी ऐसा नजर नहीं आता है। ➡️ इस्लाम का प्रसार निर्दोषों के खून पर हुआ है ➡️ प्रमाण के तौर पर वर्तमान में अभी भी काफी पुरानी मस्जिदें हैं जो मंदिरों को तोड़कर बनी है उसमें मंदिर के चिन्ह और मूर्तियों के चिन्न देखे जा सकते हैं ➡️सभी हिंदू भाइयों से निवेदन है कि कृपया सनातनी हिंदू बनो सनातन धर्म में पूरे विश्व को परिवार माना गया है वसुदेव कुटुंब और सर्वे भवंतू सुखिनाह सनातन धर्म की विचारधारा है मस्जिद मंदिर मस्जिद के झगड़े से दूर होकर कर्तव्य सत्य अहिंसा न्याय सदाचार के रास्ते पर चलो ➡️ कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता) ➡️धर्म और मजहब और रिलीजन में क्या अंतर है??? धर्म शब्द की उत्पत्ति ही सनातन हिंदू धर्म से है धर्म कोई उपासना या या पूजा नहीं है ⚛कर्म ही धर्म है। (श्रीमद भगवत गीता) धर्म आस्तिक नास्तिक सब पर लागू होती है :🚩मानव धर्म के दस लक्षण बताये हैं:🚩 धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥ (धृति (धैर्य), क्षमा (दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना), दम (अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना), अस्तेय (चोरी न करना), शौच (अन्तरंग और बाह्य शुचिता), इन्द्रिय निग्रहः (इन्द्रियों को वश मे रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन वचन कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना) ; ये दस मानव धर्म के लक्षण हैं।) ⚛अर्थात कर्तव्य अहिंसा न्याय सदाचार सदगुण आदि। ➡️बाकी religion और मजहब शब्द दिन का शब्द मुसलमान और ईसाई का है इसका कोई अर्थ नहीं आता है
इसी शब्द की पालन ठीक से नहीं करने के कारण पूरे विश्व में अशांति हैं भारत में भी हम लोग ख mix हुए हैं रिलीजन मजहब सब mix हुए हैं किसी को ज्ञान ही नहीं है इसीलिए पूरे विश्व में अशांति है इसका ज्ञान पढ़ाई स्कूलों में होना चाहिए लेकिन धर्मनिरपेक्ष भारत में हम क्या उम्मीद कर सकते हैं। हिंदू सनातन वाले जिस दिन धर्म के रास्ते पर चलने लगेंगे उस दिन भारत फिर से सोने के चिड़िया हो जाएगा लेकिन दुर्भाग्यवश मजहब और रिलीजन के मानने वाले लोग हैं उनको पता ही नहीं है कि धर्म क्या है रिलीजन क्या है और मजहब क्या है? ➡️अर्थात कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता) ➡️1200साल का खूनी खेल कारण पूरे भारत देश का धर्म परिवर्तन हो चुका है जिस दिन हम अपने मूल में आ जाएंगे फिर से पूरे भारत में शांति ही शांति होगी।🕉🚩🙏🙏🙏🙏🇮🇳🌷
Jivan Bhagwan ne Bhog ke liye diya hain. Pehle apne naak se bhog, jiva se bhog, aakh se bhog, maane sab indriyo se bhog. Jivan ka maksad Kaliyuga mein shirf Moksha nahin hain. Kahiye aap sirf khaiye aur Moksha karna hi jivan ka makshad hain? Us jivan mein majja hi kya jo sirf Moksha kare?
आपने कहां है गृहस्थ ब्रम्ह चार्य करना चाहिए। मैं आपसे जानना चाहती हूं कि इस ग्रहस्थ ब्रम्ह चार्य करने के लिए सात्त्विक भोजन करना आवश्यक होता है क्या? जिन्होंने मांस मछली खाते हैं। वो लोग ग्रहस्थ ब्रम्ह चार्य व्रत कर सकते हैं या नहीं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm जी आपने उचित कहा। प्रयास करने में कोई बुराई नहीं। मेने अभी तक विवाह नहीं किया। मैंने कहीं बार प्रयास किया है मांस छोड़ने में और सफल भी रहा था।१२ वर्ष मांस ग्रहण नहीं किया। किन्तु घर के अन्य सदस्यों के लिए दिक्कत हो रही है।
आपने पहले कमेन्ट में अपने आप को स्त्री दर्शाया है और अब पुरुष। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा। क्योकि ब्रह्मचर्य का निर्णय पुरुष का होता है स्त्री को तो अपने पति के अनुसार ही आचरण करना चाहिए।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm जी में २८ वर्षीय एक युवक हूं। आपने कहां था अखंड ब्रह्म चर्या एवं ग्रहस्थ ब्रम्ह चार्य पालन कैसे करते हैं।आज के भोतिकता जीवन काल में साधारण मनुष्य के लिए अखंड ब्रह्म चर्या पालन करना अत्यंत कठिन है। इसी लिए मैंने आपसे कहा था ग्रहस्थ ब्रम्ह चार्य करने के लिए सात्त्विक भोजन करना आवश्यक होता है क्या?
भाई मेरे मुझे ये बताओ कि भगवान ने ये दुनिया बनाई ही क्यों? और अगर बनाई तो फिर आखिर सबको मोक्ष क्यों नही दे दिया? आखिर हम सब भगवान का ही अंश है तो फिर भगवान को खुद को ही दुख देकर क्या मजा आता है?
Gurunank Dev ji bhi santan Hindu the, unhne muglo se Hindu dharm k raksha hetu Sikh sagtan banya the jisme har parivar se ek putra ko sarder ban na padta tha. Baad m dhire dhire ye alag panth ban gaya
Apna philosophy bina hath pair ke bina kisi puran ,samhita ke rakh do aur comments disable kr do Very nice way to get attention Jao brahma mein Lina hijao At least ask yourself why did u came in this human form of life just to get merge into brahman or get mukti
Stop your filthy mouth...u stupid don't know anything about Sanatan religion....u r wasting your time on materialistic things....don't teach about mukti....u r just a kid....ok
Jab aapar jaoge toh aapka astitv rahega kya😅. Bhai moksh hi manav jivan ka biggest aim hai . Samast dukhon se mukti pa lena hi moksh ki pratham sidi hai🕉️🕉️🕉️
Maine har level ka akhand brahmcharya ka palan kiya lekin swapndosh ho jata hai . Achhi bat kabhi bhi swapn me koi istri nhi aati. Ye koi pisachini dakini ka Kam hai Jo rat me sone pr veerya ko chori KR let hai. Ab Maine bahut km sone ka decision liya hai. Shi mayne me akhand brahmchari kabhi neend nhi leta letkr. Aur rhi bat Hanuman ki wo mar Chuka hai Maine bhi uska naam liya koi glt vichar khanpan dincharya nhi lekin usne Meri koi mdd nhi ki . Kundalini jagran me kisi devta ki puja nhi ki jaati hai. . usme aham brahmasmi . Mai hi Brahma hu. Aisa kha jata hai. Ha Devi devta brahmcharyi huye hai so unka apman bhi nhi krna chahiye.
आजकल के कलयुगी माहौल में अखण्ड ब्रह्मचर्य को सिद्ध करना आसान कार्य नहीं है। इसके लिये आपको दुनिया का त्याग करके कहीं दूर जाना होगा। ऐसे में जीवन निर्वाह करना कठिन होगा। यदि आपके पास कहीं दूर खेत खलिहान हैं तो उसे आश्रम बनाकर आत्मनिर्भर हो कर रहा जा सकता है, परन्तु ऐसा करने में ज्ञान ध्यान में परिपूर्ण होना आवश्यक है। जहाँ तक स्वप्नदोष की बात है तो इसका कारण मन पर नियंत्रण ना होना भी हो सकता है और भोजन का दोष भी हो सकता है। आजकल खाद्य पदार्थों में खतरनाक रासायन मिलाए जाते हैं, फलों को पकाने के लिए भी कैमिकल प्रयोग होते हैं। ये भी वीर्यपात का कारण हो सकता है।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm aapki bat shi hai. Lekin Maine Soch liya hai aajeeevan avivahit hokar akhand brahmcharya ka palan karuga. Ye shayad duniya ka sbse kathin Kam hoga.lekin iske liye mujhe Ghar SE alag hona padega. Kyuki mere niyam aur unme jameen aasaman ka fark hai. Bahut si parikshaye brahmcharya me Deni pdti hai. . Aap bhi akhand brahmcharya ka palan kre. Aur apni maa jaisi patni ko iski Shakti btaye. Aisa nhi hai wo bura manengi. Gyan hone pr wo aapka sath degi. Phir unhe aap patni ke Roop me nhi dekh skte. Tb wo aapki maa ho jayegi. Maine brahmcharya ka har upay kiya . Lekin jahah glti ho jaati hai nightfall .umra ka veg jyada hai so iss PR Kam KR RHA hu.
Itna kuch karke India 20 sal piche chala gaya. Bidesh 20 sal age hai. Apka besic pura nehi hua thik se app firse pariye or sochiye. Dasarath Jo ramki pita the 350 bibi thi. Rishi muni sab ka 1000 karke bibi thi. Kiya kehete hai app log apka research bataiye kiya behudake bate. App ka umar kotna hai is umar me ake sab to bramvachari banega 19 sal me bramvachari bane kiya?
मनःस्थिति और कर्तव्य में अन्तर होता है। ये जरूरी नहीं कि किसी के मन में कोई बात चल रही हो तो वो उसे करेगा भी। यदि किसी के मन में अपराध की भावना है तो क्या अवसर मिलने पर वह अपराध करेगा या नहीं, ये जानने के लिए परीक्षण की आवश्यकता पड़ती है। यदि आपको ये बात समझ नहीं आती तो अभी और अनुभव की आवश्यकता है।
यदि भविष्य में सब कुछ परमात्मा ने पहले से तय किया हुआ है तो फिर कर्म का क्या महत्व रह गया? क्यों रावण को राक्षस कहा जाए? क्यों किसी को स्वर्ग और किसी को नर्क मिलता है?
@@Secrets_of_Hindu_Dharm महाशय मिथ्या प्रलाप न करें। मैंने भूत भविष्य जानने की बात कही न कि तय करने की। जीव स्वतंत्रता से कार्य करता है। जबरन दूसरे के विचार को गलत व विचार को सही सिद्ध करने के चक्कर में आप तो जाकिर नायक ही बन गए।
किसी का भविष्य तभी जाना जाएगा जब वह तय हो जाएगा और भविष्य हमारे वर्तमान में किए गए कर्मों से तय होता है, और यदि व्यक्ति कर्म करने के लिए स्वतंत्र है तो वह अपने कर्म बदल भी सकता है।
चाहे पत्नी हो या और कोई , कामवासना मनुष्य के लिए निकृष्ट व हेय है , शायद भगवान भी इससे ग्रस्त व त्रस्त हैं । और यह ईश्वर की सबसे बड़ी भूल है। यह बर्बादी का मार्ग भी है व इतना गंदा काम , न जाने प्रजनन के लिए भगवान ने इसे माध्यम क्यों बनाया ? कहीं ईश्वर भी कामी तो नहीं ?
नहीं, ईश्वर काम से ग्रसित नहीं हैं। पुराणों में बहुत सी बातें उट-पटांग लिखी हुई हैं। काम वासना अधिक चलन भी कलयुग में ही हुआ है। पुराने युगों में ऐसा नहीं था। सतयुग व अन्य युगों में चार प्रकार से संतान उत्पत्ति की बात कही गई है। इनमें से चौथे प्रकार में ही स्त्री प्रसंग होता है। जबकि अनेक ऋषियों ने यज्ञ से संतान उत्पन्न की है।
ritwik raj, यदि एक बार ब्रह्मचर्य को सिद्ध कर लिया तो आपका दृष्टिकोण बदल जाएगा। फिर ईश्वर के बनाए नियमों में दोष नहीं दिखेगा। सृष्टि को श्रेष्ठ संतान देना प्रत्येक प्राणी का परम कर्तव्य है। यह नियम ब्रह्माजी ने बनाया है कि एक पुत्र उत्पन्न करने के बाद ही मुक्ति मिलेगी। संतान उत्पन्न करने का बीज तत्व हमारे मूलाधार चक्र में ही बनता है, क्योंकि मूलाधार चक्र में ही सृष्टि उत्पन्न होती है, और वह बीज तत्व स्त्री के मूलाधार चक्र में अर्थात् गर्भ में सकुशल स्थापित करना होता है। इस तथ्य को समझने के लिए मेरा शिवलिंग रहस्य पर बनाया वीडियो अवश्य देखें। ईश्वर ने चार प्रकार से संतान उत्पत्ति के नियम बनाये हैं। सबसे पहले संकल्प शक्ति से, इस शक्ति से केवल ईश्वर ही संतान उत्पन्न कर सकते हैं। जैसे सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माजी ने 10 महर्षियों को उत्पन्न किया था। इसीलिए इन महर्षियों को ब्रह्माजी के मानस पुत्र कहा जाता है, क्योंकि संकल्प मन से लिया जाता है इसलिए मानस पुत्र कहा गया। दूसरे प्रकार की संतान यज्ञ से उत्पन्न की जाती है। यह विद्या ब्रह्माजी ने सभी ऋषियों को सिखाई थी। इस विद्या का प्रयोग ऋषि और देवता करते हैं। सतयुग में अधिकांश सृष्टि इसी विद्या से हुई है। द्वापरयुग में भी द्रष्टद्युम्न और द्रौपदी का जन्म यज्ञ से ही हुआ। तीसरे प्रकार की संतान में स्त्री की आवश्यकता पड़ती है। इससे पहले की दोनों विद्याओं में संतान सीधे किशोर अवस्था में होती थी, परन्तु तीसरे प्रकार की विद्या में नन्हें शिशु के रूप में संतान पैदा होती है। परन्तु इसमें भी शारीरिक सम्बन्ध की आवश्यकता नहीं होती। पांचों पांडवों का जन्म इसी विद्या से हुआ है, राम व उनके तीनों भाई, हनुमान जी का जन्म भी इसी विद्या से हुआ है। चौथे प्रकार में ही स्त्री प्रसंग होता है, परन्तु राम और कृष्ण ने भी संभवतः इसी विद्या से संतान उत्पन्न की, क्योंकि वे सबको समझाना चाहते थे कि अपनी धर्मपत्नी के साथ संबंध बनाने में कुछ भी अनुचित नहीं। धर्मपत्नी किसे कहा जाता है इस पर भी मैंने वीडियो बनाया है। यदि आप स्त्री प्रसंग नहीं करना चाहते तो ब्रह्मचर्य को सिद्ध करके सिद्धियाँ प्राप्त करो फिर इससे ऊपर की दो विद्याओं का प्रयोग करो।
@@Secrets_of_Hindu_Dharmmain isi baat se chintit rehta tha ki iswar ne aesha madhyaam kyu bnanaya par aapne mujhe sab kuch bataya aur ab main samajha bhi...Thnk u thnk u sir mujhe gyaan pradaan krne ke liye main aapka aabhari hu...pranam aapko... Aur main akhand brahmachari bnna chahta hu aur avi se abhyash me hu aur aajivan rhunga aur main apne yog vidya me bhi bht acha hu pranayam asana maharshi patanjali ji ke aatho tatvo ka ache se palan krta hu..Om hanumate namh:
@@ritwikarya7498उसको एक ही जेण्डर से काम चलाना था व यज्ञादि अन्य तरीकों से संतति उत्पन्न करते । स्त्री को बनाया व स्त्रीप्रसंग की रीत बनाई यह उसकी सबसे बड़ी भूल है या शरारत ? ऐसे में उसे भगवान परमात्मा ईश्वर कहने का मन ही नहीं करता।
मेरे मोबाइल में कोई हिंदी फ़ॉन्ट नहीं है इसलिए, मैं ट्रांसलेटिंग एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा हूं अर्थ अलग हो सकता है कृपया अपने ज्ञान का उपयोग करें.. प्रिय मित्र, भगवान की समझ बहुत रहस्यवादी है उदाहरण के लिए उन्होंने मनुष्यों को बनाया है और उन्हें आशीर्वाद के रूप में सेक्स दिया है एक तरफ, वह सेक्स द्वारा दुनिया का विस्तार करना चाहता है लेकिन दूसरी तरफ वह वासना को नियंत्रित करना चाहता है यह भ्रामक है अगर भगवान ने दुनिया बनाई है .. तो अगला सवाल यह उठेगा कि भगवान को किसने बनाया? परम सुख के रास्ते में .. सेक्स मानव को भगवान का एक उपहार है सोचो, वह प्रेम और वासना के बारे में जानता है वह पुरुषों और महिलाओं के शरीर के अंगों के बारे में जानता है वह जानता है कि .. एक आदमी औरत को कैसे प्यार कर सकता है इसलिए हमें उसे धन्यवाद देना चाहिए वह परम सुख है किताबें हमेशा लोगों को भ्रमित कर रही हैं उसने स्वर्ग और नरक क्यों बनाया? अगर वह अच्छी तरह से जानता है .. तो वह लोगों को नरक में क्यों भेजना चाहता है स्वर्ग में क्यों नहीं? इस तरह के कई सवाल हैं केवल भगवान ही इसका उत्तर जानते हैं
पहली बात तो ये है कि ईश्वर को किसी ने नहीं बनाया, वे स्वयंभू है। उन्होंने ही सब कुछ बनाया है। उन्होंने ही मनुष्य के सुख के लिए बहुत सी चीजें बनाई हैं, उन्हीं में से एक है काम सुख अर्थात् ( Sex), परन्तु हर सुख की एक सीमा भी निर्धारित की है। यदि कोई निर्धारित सीमा का उल्लंघन करता है तो परिणाम दुखद ही होता है। जैसे, कोई रोग होने पर डा. दवा देता है और दवा की मात्रा भी निर्धारित करता है। यदि निर्धारित मात्रा में ही दवा ली जाए तो रोग दूर हो जाएगा, परन्तु यदि निर्धारित मात्रा का उल्लंघन किया तो हानि कारक हो सकता है। ठीक इसी प्रकार काम सुख भी यदि सीमा से अधिक और मर्यादा के विरुद्ध हो तो विनाशकारी सिद्ध होता है। मैं केवल किताबें पढ़कर वीडियो नहीं बनाता, बल्कि अपने अनुभव के आधार पर वीडियो बनाता हूँ। मैंने ब्रह्मचर्य का शुभ फल प्राप्त किया है, उसके बाद ही वीडियो बनाया है। यदि किसी को काम सुख में ही आनंद दिखाई देता है तो मैं किसी को बाध्य नहीं करता।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm प्रिय मित्र, मुझे आपका जवाब मिल गया आपके जवाब में .. कुछ गुस्सा हो सकता है जैसा कि आप कहते हैं।, भगवान सर्वशक्तिमान है उसे कोई पैदा नहीं कर सकता यह मुख्य प्रश्न है .. हमें उसका प्यार, स्पर्श महसूस करना है और.. दूसरी बात है .. जापान ने सांस पर कई प्रयोग किए हैं जिसमें .. जब भी वासना हम पर असर कर रही है कृपया मुंह से सांस बाहर फेंकें यह मूलाधार से सेक्स ऊर्जा को खाली कर देगा और ऊर्जा नाभि में कूद जाएगी.. ..के बाद आप पाएंगे कि वासना को खाली कर दिया गया है कई बार दोहराने से .. तुम परम आनंद अनुभव करोगे। यह आनंद सेक्स एजेकेशन के बाद जैसा होगा दूसरा तरीका है .. कृपया अपने मन को तुरंत अन्य विचारों की ओर मोड़ें मैंने इसे कई बार किया था .. लेकिन लंबे समय तक नहीं मैं वासना के बजाय अपनी रुचि के अनुसार स्वतंत्र हूं क्या आपने ऐसा ही किया था जैसा कि आप वीडियो में बता रहे हैं? मुझे आपका विश्लेषण पसंद है .. वे तार्किक हैं अच्छे काम के लिए धन्यवाद मेरा प्यार हमेशा तुम्हारे साथ है
साँसों को बाहर फेंक कर मन पर नियंत्रण करना मेरी समझ से बाहर है। क्योंकि ये मन का विषय है, मन को नियंत्रित करना इतना भी आसान नहीं होता। मन को नियंत्रित करने के लिए मन को किसी अन्य विषय पर स्थिर करना होता है। परन्तु काम विषय इतना प्रबल होता है कि वह किसी अन्य विषय को मन पर ठहरने नहीं देता। यही द्वंद होता है। एक निश्चित समयावधि के अन्दर यदि काम आपको अपने नियंत्रण में नहीं ले पाया तो काम पराजित हो जाता है और आप काम विजयी हो जाते हो। मैंने एक वर्ष के लिए एकादशी के व्रतों में ब्रह्मचर्य का संकल्प लिया। दस महीने तक काम ने कई प्रहार किये, परन्तु वह मुझ पर नियंत्रण नहीं कर पाया। क्योंकि मैं शिवजी के काम देव को भस्म करने के दृश्य पर ध्यान केंद्रित करता रहा, परन्तु काम मुझे ध्यान नहीं लगाने दे रहा था। अंततः मैं ध्यान लगाने में सफल रहा और काम पराजित हो गया। वह अनुभव दिव्य था। उसके बाद से आज तक कई वर्ष बीत गए, परन्तु मेरा शरीर किसी बिमारी को शरीर में रहने नहीं देता अर्थात् किसी दवा की आवश्यकता ही नहीं होती।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm प्रिय, जैसा कि आपने बताया कि आप इक्कादसी पर फोलिविंग करते हैं शेष दिनों के बारे में क्या क्या आपका मतलब है कि अन्य दिनों में .. आप सेक्स कर रहे थे क्योंकि अगर हर महीने में 1 या 2 दिन बिना सेक्स संभव है लेकिन बाकी दिनों में .. यह स्वीकार्य है? मैं अब 37 साल का हूं और जब मैं 29 साल का था .. तो मैंने इसे ( kaam) अपने जीवन में केवल 5 बार किया था 2011 के बाद .. मैंने अभी तक नहीं किया और मैं अब बहुत खुश हूँ कभी-कभी 2 या 3 महीने में, वासना मुझे प्रभावित कर रही है कुछ मिनटों के लिए .. इसके बाद यह चला गया स्वास्थ्य के बारे में भी .. मैं आयुर्वेदिक आहार का पालन कर रहा हूं और पिछले 5 वर्षों से कोई दवा नहीं ली आपके वीडियो अच्छे हैं
मैंने अपने वीडियो में स्पष्ट किया है कि मैने गृहस्थ ब्रह्मचर्य का पालन किया है। गृहस्थ ब्रह्मचर्य में अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी अन्य महिला के साथ स्वप्न में भी अश्लील विचार ना करे। अपने जीवन को सार्थक करने के लिए मैं व्रत उपवास का पालन करता हूँ। जैसे 16 सोमवार के व्रत, 21 मंगलवार के व्रत या एक वर्ष तक एकादशी के व्रत। मैं पहले व्रत की पहली रात से लेकर आखिरी व्रत तक ब्रह्मचर्य का पालन पालन करता हूँ। व्रत पूरे होने के बाद ही अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाए जा सकते हैं।
➡️🕺बचपन में पढ़ते समय पढ़ाया गया कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना पर कुरान पढ़ने के बाद मेरा विचार सर के बल पलट गये और इसके कारण है कुरान की आयत सुरा आयते :- ➡️2:98 अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है। ➡️3:85 इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं। ➡️8:85 इस्लाम को इनकार करने वालों के दिलों में अल्लाह खौफ भर देगा और मुसलमानों तुम उनकी गर्दन पर वार करके उनका अंग काट दो। ➡️3:118 केवल मुसलमानों को भी अपना मित्र बनाओ। ➡️3:28,9:23 - गैर मुस्लिमों को दोस्त ना बनाओ। ➡️8:39- गैर मुस्लिमों से तब तक युद्ध करो जब तक कि अल्लाह का दिन पूरी तरह कायम ना हो जाए ➡️22:30 - मूर्तियां गंदगी है। ➡️9:5 - मूर्ति पूजको को जहां और जैसे पाओ वहां घात लगा कर मार दो। ➡️33:61- मुनाफिक और मूर्तिपूजक जहां भी पकड़े जाएंगे बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे ➡️3:62 , 2:2:55 , 27:61, और 35:3 - अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है। ➡️21:98 - अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजनीय वाले जहन्नुम का इंधन है। ➡️9:28 - मूर्तिपूजक नपाक है। ➡️4:101 - काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं। ➡️9:123 - काफिरों पर जुल्म करो। ➡️9:29 - काफिरों को अपमानित कर उससे जजिया कर लो। ➡️66:9 - काफिरों और मुनाफ इको से जिहाद (जंग) करो। ➡️8:69 - आयतो को इनकार करने वालों को खाल पकाएंगे । ➡️9:14 - अल्लाह मोमिनो के हाथों काफिरों को यातना देगा। ➡️8:57 - युद्ध बंदियों से नीरिशंसता करो। ➡️32:22 - इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो। हिंदुओं को अगर विश्वास ना हो तो कुरान को डाउनलोड करके रेफरेंस को चेक कर ले और मुसलमानों को इसमें कोई गलती नजर आवे तो मुझे भी बेझिझक बता देवें। Note- हमें माफ कीजिए हमारा उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं हमारा उद्देश्य भविष्य में भारत में दंगा रोकना और इस्लामिक देश सीरिया और पाकिस्तान बनने से रोकना है। हमने 1200 साल का इस्लामिक इतिहास पढ़ा इसी कुरान की आयतों को विश्वास में रखने के कारण मुस्लिम आक्रांता ओं ने करोड़ों गैर-मुसलमानों का कत्ल और धर्म परिवर्तन और हजारों मंदिरों को तोड़ा है और लाखों महिलाओं का बलात्कार किया है क्योंकि मुसलमान भाई कुरान को बोलते हैं अल्लाह का भेजा हुआ आसमानी किताब है लेकिन मुझे इसमें कुछ भी ऐसा नजर नहीं आता है। ➡️ इस्लाम का प्रसार निर्दोषों के खून पर हुआ है ➡️ प्रमाण के तौर पर वर्तमान में अभी भी काफी पुरानी मस्जिदें हैं जो मंदिरों को तोड़कर बनी है उसमें मंदिर के चिन्ह और मूर्तियों के चिन्न देखे जा सकते हैं ➡️सभी हिंदू भाइयों से निवेदन है कि कृपया सनातनी हिंदू बनो सनातन धर्म में पूरे विश्व को परिवार माना गया है वसुदेव कुटुंब और सर्वे भवंतू सुखिनाह सनातन धर्म की विचारधारा है मस्जिद मंदिर मस्जिद के झगड़े से दूर होकर कर्तव्य सत्य अहिंसा न्याय सदाचार के रास्ते पर चलो ➡️ कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता) ➡️धर्म और मजहब और रिलीजन में क्या अंतर है??? धर्म शब्द की उत्पत्ति ही सनातन हिंदू धर्म से है धर्म कोई उपासना या या पूजा नहीं है ⚛कर्म ही धर्म है। (श्रीमद भगवत गीता) धर्म आस्तिक नास्तिक सब पर लागू होती है :🚩मानव धर्म के दस लक्षण बताये हैं:🚩 धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥ (धृति (धैर्य), क्षमा (दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना), दम (अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना), अस्तेय (चोरी न करना), शौच (अन्तरंग और बाह्य शुचिता), इन्द्रिय निग्रहः (इन्द्रियों को वश मे रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन वचन कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना) ; ये दस मानव धर्म के लक्षण हैं।) ⚛अर्थात कर्तव्य अहिंसा न्याय सदाचार सदगुण आदि। ➡️बाकी religion और मजहब शब्द दिन का शब्द मुसलमान और ईसाई का है इसका कोई अर्थ नहीं आता है
इसी शब्द की पालन ठीक से नहीं करने के कारण पूरे विश्व में अशांति हैं भारत में भी हम लोग ख mix हुए हैं रिलीजन मजहब सब mix हुए हैं किसी को ज्ञान ही नहीं है इसीलिए पूरे विश्व में अशांति है इसका ज्ञान पढ़ाई स्कूलों में होना चाहिए लेकिन धर्मनिरपेक्ष भारत में हम क्या उम्मीद कर सकते हैं। हिंदू सनातन वाले जिस दिन धर्म के रास्ते पर चलने लगेंगे उस दिन भारत फिर से सोने के चिड़िया हो जाएगा लेकिन दुर्भाग्यवश मजहब और रिलीजन के मानने वाले लोग हैं उनको पता ही नहीं है कि धर्म क्या है रिलीजन क्या है और मजहब क्या है? ➡️अर्थात कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता) ➡️1200साल का खूनी खेल कारण पूरे भारत देश का धर्म परिवर्तन हो चुका है जिस दिन हम अपने मूल में आ जाएंगे फिर से पूरे भारत में शांति ही शांति होगी।🕉🚩🙏🙏🙏🙏🇮🇳🌷
Pujyabar lagta hai ki main bhagwan ke bare mein jo sachchai janna chahta tha.....raasta dikhne laga.
Bohut bohut dhanyabd.
येस ब्रम्हचर्य का पालन करके ही मैनै Diploma ke Sabhi Exam Pass kr diye , pehle fail Ho gaya tha Exam me ...सच बात ये है की आसारामजी बापू के यहा से एक पूस्तक से मै सिखा था । दो साल कीहा है कंट्रोल बय्हचर्य का पालन 🙏
वाह bhai 👌
Asaram khud brahmchari nahi hai agar hota to aise din na dekhne padte. Rapist hai
Congratulations bro you complete 2 year brahmachary
Kis tarike se aapna iska palan kiya hm bhaiyo ko bhi batao jisse hmmko ki bharamcharya ka faaydo ho... Naam batao book orr kese tarike se kiya 2 saalo tak ye batao...
श्री मान जी नमस्कार🙏🏻
जय शिव🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मेरी ओर सेआपके पूरे परिवार को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाये।
Aap jis imandari aur saafgoi se dharm ko samjhate hain wo vandaniya hai 🙏🙏🙏🙏🙏
ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुरवरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
Good video sir ji गृहस्थी जीवन मे ब्रह्मचर्य का जो आपने आपना अनुभव बताया है वो मुझे बहुत अच्छा लगा ।ब्रह्मचर्य को आसान बनाने ओर मन पर नियन्त्रण कैसे करे, इस पर भी एक वीडियो बनाना गुरुजी।
श्रीगुरूजी को कोटि कोटि नमन करते हुए वर्तमान समय में जीवन कैसे जीना चाहिए इस पर प्रकाश डालने की कृपा करें,बड़ी मेहरबानी होगी जय जय सदाशिव गुरु की जय जय हो।
मैंने इस वीडियो में गृहस्थ ब्रह्मचर्य के बारे में बताया है। यदि आपकी पत्नी आपकी बात मानती है तो उसके साथ उसकी सहमती से अपनी इच्छा पूरी करना गृहस्थ ब्रह्मचर्य कहा जाता है। सत्य और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारी के काम करते रहो और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण करना चाहिए तभी जीवन सफल होगा।
Sir Apke video bahot knowledgeable hote hai.
श्रीमान जी, सबसे पहले मैं आपका धन्यवाद करता हूं और एक आग्रह करता हूं कि व्यक्ति के क्रोध पर नियंत्रण तथा तन्त्रिका तन्त्र में सुधार से संबंधित कुछ ज्ञान हमें प्रदान करें।
अजय
श्री स्वामी समर्थ
सर बहुत ही अच्छा समझाते है
🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏
जय गुरुदेव
आपके एक एक शब्द वह आपके नही यह तो इशवर देन हे जो हमने सुने है
मै बहोत पोथी पुरान पडा और कही
संत के सत्संग सुना
मै ही चार सालसे अध्यात्म मे लगा हु
आपके शबद जो अपणे हिनदु धर्म मे
सत्संग करते है ऊनमेसे आप एक दिखायी देते है
मै जयादा है करके नही बोल सकता क्योंकि यह मेरा अधिकार नही है वह तो
ईश्वर जानता है
लेकिन एक बात है अपनेमे सच्चाई छुपी है और दिखावा दिव्य जयोतीही है
जय हिन्दुत्व जो सत्य के साथ चलता है
Satya Prakash shahar kitne dinon se main intezar kar raha hun aap ki naie video kab aayega
Mai bramakumari sastha jata hu..aj 4 month ho gye maine bramacharya ka palan asani se kr pa rha hu...mera avi tak virya iskhalit nhi hua
Kis tarike kiya hmmko bhi batao tarike bhai...
@@harshitjirawala2928 man aur sarir ka gahra rista hota h...sex pahle man me ata h fir body me...aap subah 4 baj udh kr bus dhyan kare 1 hour..jab man control ho jayega...toh sex v control ho jayega apne aap..sarir se bramacharya nhi hota h...man se hota h...man ko target kijiye...
@@kingkumar6432 aap subah dhyan karte ho to apko nind nahi aati?
हनुमान जी ईश्वर है लेकिन सभी ईश्वर और सभी जिव सिद्ध हो या कोई भी हो सभी कि एक विशेष लाक्षणिकता characteristics है तो हनुमानजी और पवनपुत्र मैं और
वायु तत्व और पवन देव में करता अंतर है ??
Aap bohot achchha karya kar rahe hai.
jaya shree ram guruji hanuman chalisa kitna din taka karsakte aro keha keha karna padega..
चालिसा वगैरा पढना आपकी इच्छा है, जितना चाहे पढ़ो, परन्तु मेरा अनुभव ये है कि भगवान को अपना गुणगान सुनने की आवश्यकता नहीं है। आपको पता होगा कि चालिसा में भगवान के चालीस कारनामों का गुणगान किया जाता है। भगवान को आपकी शुद्ध भावना चाहिए, अपना गुणगान सुनने की उन्हें आवश्यकता नहीं।
thnk you so much sir great knowledge i am glad to hear you..
Happy ùpo
ऊं अति सुन्दर, हरि ऊं
गुरुजी ब्रह्मचारी के बारे में एक विस्तार से वीडियो बनाए यह वीडियो मुझे शॉर्टकट मे लगा
मैंने गृहस्थ ब्रह्मचर्य का पालन किया है। इसमें बातें तो बहुत हैं परन्तु एक वीडियो में सब कुछ बता पाना संभव नहीं है। यदि मन में कोई प्रश्न उभरता है तो पूछ सकते हो।
गृहस्थ ब्रह्मचर्य में अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी अन्य महिला के साथ शारीरिक संबंध की बात स्वप्न में भी नहीं सोचनी, कोई अश्लील हास्य व्यंग्य भी नहीं करना चाहिए। अश्लील साहित्य, फिल्में, गाने आदि भी नहीं देखना चाहिए।
यदि पत्नी भी पति से छल-कपट करे तो उससे भी दूरी बनानी चाहिए। इस पर मैंने एक विडियो बनाया है जिसका शीर्षक है "पत्नी को धर्मपत्नी क्यों कहा जाता है " यदि पत्नी पूरी तरह से अपने पति के प्रति समर्पित हो तो वही पत्नी उत्तम है।
इसके अतिरिक्त एक विडियो बनाया है " आजीवन स्वस्थ रहने का उपाय " इसमें सत्य और ब्रह्मचर्य का पालन करने के लाभ बताए हैं।
गुरु जी आप ने कहा सत्यम शिवम् यानी शिव सत्य है। पर सत्य पुरुष , अलख पुरुष, अगम पुरुष , अनामी पुरुष ये लोग कौन है। गुरु जी मेरे देखने से इस संसार में एक ही सत्य है। ओ है आत्मा सत्य उसको कहते है। जो अनन्त से है आज भी है और कल भी रहेगा। दुनिया आज भी जानती है आत्मा है।हमारा शरीर चला रहा है। पर ब्रहामंडीए, बिष्णु, महेश सारे मर गए तो सत्य कैसे हुआ सत्य तो ओ है जब कुछ नही था पर ओ था।फिर ब्रहमांड न रहने पर भी ओ सत्य रहेगा।जब ये ब्रहमांड नही था तो शिव भी नही थे।जिनको अक्षर पुरुष भी कहते है यही ब्रहमांड का सुपर पावर है। ये भी ब्रहमांड खत्म ये भी खत्म तो सत्य कैसे हो गये सत्य तो ओ है जिसका कभी भी अंत न हो जैसे।अपनी आत्मा , परमात्मा। ये कभी भी खत्म नही होगा । हमारी तिन अवस्ता होती है। एक जीव , शिव , और पीव । जीव शिव अवस्था में तो हम मरते जीते रहेगे। लेकिन जब हम पीव अवस्था में पहुच जाते है तो मोक्ष मिल जाती है। यानी आत्मा परमात्मा में बिलय हो गया। कहने का अर्थ आत्मा अडोल ,स्थिर है। यानी आत्मा में सारा ब्रहमांड है। पर हमारी सोच उल्टा है। अपना शरीर एक पूर्ण ब्रहमांड है। आप जो भी स्केच में दिखाए है। ब्रहमांड तक ही है तो हम मानते है शिव में मील जाने पर मोक्ष तो नही हुआ हम लाखो साल के लिए मुक्त हो गए। पर युग बिनास के बाद तो फिर।माँ के पेट में उल्टा लटकना ही है। भले बरे बरे देव बने । पर मोक्ष तो नही हुआ । हम लोग मोक्ष के लिए इतना भटक क्यों रहे है। इसका मूल कारण है । हम लोग आत्म देव का नाम नही जान पा रहे है। माना हम बाजार गए जिस बस्तु का नाम नही जानते उसे कैसे खरीदेगे। बात यही मोक्ष के लिए फस जाती है हर जन्म में जिस दिन हम उस आत्म देव का नाम जान गए जिन्दे जी मोक्ष के अधिकारी हो गए। शिव के भगति तक हम मुक्त हो जाते है । इस संसार का सत्य सिर्फ आत्म देव है बाकी सच है।। सतनाम
शिवजी परम ब्रह्म हैं, उनका ना कभी जन्म होता है और ना ही मृत्यु होती है, इसीलिए उन्हें अजन्मा अविनाशी कहते हैं। वे ही सभी आत्माओं का निवास स्थान है अर्थात् परमात्मा हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश उन्हीं के साकार रूप हैं, उनकी भी कभी मृत्यु नहीं होती, परन्तु ये तीनों साकार रूप सृष्टि के अन्त में पुनः निराकार ब्रह्म में समा जाता हैं। जब भगवान मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, जैसे राम, कृष्ण आदि, तब उन राम, कृष्ण आदि की मृत्यु होती है।
Jai ho spiritual guru ji satya Prakash ji Maharaj
क्या अंतर है? उस पर भी कोई विडियो बनाया जा सकता है ?
Ati uttam
ओम नमः शिवाय जय सनातन धर्म जय हिन्दू राष्ट्र है ब्रह्मचर्य जीवन आनंद सच्चा शिवभक्त हिंदू राष्ट्रवादी हैं और भोगी जीवन दुःख नर्क झूठ मौत हैं ओम नमः शिवाय हम सब सच्चे शिवभक्त हिंदू राष्ट्रवादी ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं ओम नमः शिवाय
Brahmacharya ka Palan Karne Wale doodh mein gud daal ke Pee sakte hain
दूध और गुङ दोनों ही शाकाहारी हैं, इन्हे लेने में कोई बुराई नहीं है, परन्तु आजकल दूध, गुङ और चीनी आदि शुद्ध नहीं मिलते इसलिए थोड़ा बहुत नुकसान तो करेंगे। यदि अपनी ही गाय या भैंस हो और उन्हें अच्छा चारा डाला गया हो, और दूध निकालने से पहले इन्जेक्शन ना लगाया गया हो तो उत्तम है। चीनी और गुङ बनाने के लिए कैमिकल का प्रोसेस ना किया हो तो वो भी अच्छा है। परन्तु ये तो भुगतना ही होगा, क्योंकि मीठा खाना भी शरीर के लिए आवश्यक होता है।
जिस प्रकार गन्ने का सार उसका रस है उसी प्रकार मनुष्य के शरीर का सार उसका वीर्य होता है वीर्य शरीर में भगवान का अंश है ब्रह्मचर्य पालन करने वाले संसार में महान होते है. ब्रह्मचर्य पालन करने से मनुष्य की बुद्धि और विवेक शक्ति अधिक बढ़ जाती है उनकी सोचने और विचारने की शक्ति अधिक होती है उनकी एकाग्रता शक्ति अधिक होती है उनमें लोक कल्याण की भावना उत्पन्न हो जाती है उनमें नया जोश व उत्साह होता है ब्रह्मचारी व्यक्ति के लिए संसार में कुछ भी असाध्य नहीं होता जो ब्रह्मचारी होता है वह मन के वश में नहीं होता बल्कि मन ही स्वयं उसके वश में हो जाता है जो ब्रह्मचर्य में जीना सीख लेता है वह फिर कुसंगति में नहीं फंसता ,पहले भारत में गुरुकुल हुआ करते थे गुरुकुल में ब्रह्मचर्य आश्रम ,गृहस्थ आश्रम ,वानप्रस्थ आश्रम ,सन्यास आश्रम, ज्ञान विज्ञान शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दी जाती थी तभी भारत संसार में विश्व गुरु कहलाता था, हम भोग नहीं भोगते भोग ही स्वयं हमें भोग लेते हैं हम तप नहीं तपते तप ही स्वयं हमें तप लेता हैं हमें काल नष्ट नहीं करता हम स्वयं ही काल के गाल में समा जाते हैं और तरसना कभी जीर्ण नहीं होती हम स्वयं ही जीर्ण हो जाते हैंअपनी आने वाली पीढ़ी को ब्रह्मचर्य का ज्ञान अवश्य दें ब्रह्मचर्य के ज्ञान से ही हमारी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ बलवान और बुद्धिमान हो सकती है और एक बलवान बुद्धिमान स्वस्थ और शिक्षित व्यक्ति ही परिवार समाज और राष्ट्र के लिए कल्याणकारी हो सकता है
kya brahmachari meethai ka sevan kar sakta hai?
Sir aapke vdo knowledge se bhare hote hai
Mast
Ap ko kooti kooti pranam
Thanks u sir
jo cheeze hame brahmacharya me khana mana batai gai hai kya ham unhe kam kar sakte hai?
ब्रह्मचर्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है इन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण, और उसके लिए आवश्यक है मन पर नियंत्रण। मन पर नियंत्रण करने में कुछ भोजन रुकावट डालते हैं। इनमें प्रमुख हैं, मांस, मछली, अण्डा, शराब, बीङी, सिगरेट, तंबाकू, कोई भी नशीला पदार्थ, लत लगने वाले पदार्थ जैसे चाय, कॉफी ,चॉकलेट आदि, डिब्बाबंद विदेशी भोजन आदि। इसके अतिरिक्त यदि भोजन पकाने वाला ही कामुक है तो भी वह भोजन मन भटकाएगा। घी, दूध, दही, मिष्ठान आदि से कोई नुकसान नहीं।
Bahut achha sir
Dhanywaad guru dev
Namaskar Guruji🙏🙏❤
ब्रह्मचर्य का निरंतर पालन करने से डर खतम हो जाता है क्या?
ब्रह्मचर्य पर स्थिर हो जाने से वासना से मुक्ति मिल जाती है और शरीर निरोगी हो जाता है। मैं तीस वर्ष से ऐसा ही अनुभव कर रहा हूँ।
Iske aur upay batayein.
Good
Hari om
यह व्रत सिर्फ़ और सिर्फ़ भगवान की कृपा से ही सफल
हो सकता है। अन्यथा कठिन ही नहीं असंभव है ।
क्या नपुसंक को ब्रह्मचारी नहीं कहा जा सकता है ?
नहीं मान्यवर, एक नपुंसक को ब्रह्मचारी नहीं कह सकते, क्योंकि नपुंसक व्यक्ति अपनी इन्द्रियों का दास बनकर ही नपुसंकता के द्वार तक जा पहुंचा है। जबकि ब्रह्मचर्य व्रत में अपनी इन्द्रियों को अपने वश में करना होता है। एक सच्चा ब्रह्मचारी अपने अन्तिम समय पर भी संतान उत्पत्ति में सक्षम होता है, क्योंकि ब्रह्मचारी अपनी इच्छा से शरीर त्याग करता है, भोगियों की तरह सङ-सङकर नहीं मरता।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm sir aap akhand ब्रम्हचर्य के बारेमें विस्तार से बताने की कृपा करे
nahi....kaha nhi ja skta use bhi sabhi ki tarah sadhana yog sab kuch krna hoga niyam sabhi ke liye samaan hai
सही अभ्यास
Thanks guruji aapne bahut achchha gyan diya par grahast vyakti kis taraha se bramhchary kare.mere jankari ke mutabik ekadshi vrat ko dashmishe hi bramhchary palan karna padta hai kya ye sahi hai kyunki mai khud ekadshi vrat karta hun
वैसे तो ब्रह्मचर्य का पालन जीवन भर करना होता है। अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी भी अन्य स्त्री का स्वप्न में भी अश्लील विचार ना करे, परन्तु व्रत के दोरान पहले व्रत से अंतिम व्रत तक पत्नी से भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए।
ओम जय श्री राम
Mai Abhi 18 saal ka hu kripa kar ke btaye ki Mai bhramchary ko kaise sidh Kru ap ne kya 21 Mangalwar Kiya tha plz help kigye😊😊😊😊😊😊😊
अभिषेक कुमार, सत्य और ब्रह्मचर्य हमारे जीवन का मूलाधार है। सत्य और ब्रह्मचर्य ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग है, परन्तु आजकल लोग उलट विचार के हो चुके हैं।
ब्रह्मचर्य को सिद्ध करना आसान कार्य नहीं है, इसलिए शुरुआत में ईश्वर का ध्यान करके ये प्रयास करना चाहिए कि हम अश्लीलता का कोई कार्य ना करें। जैसे फ़िल्में देखना, अश्लील पत्रिका और नाच गाना आदि से बचना चाहिए। इसी से हमें पता चल जाएगा कि हम किस स्तर के हैं। जब ईश्वर को लगेगा कि हम दृढ़ निश्चयी हैं तो भगवान स्वयं मार्गदर्शन करते हैं। अभी यही प्रयास करो कि कोई भी अश्लील कार्य ना करो। बाद में जब विवाह हो जाए तो अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य के साथ अश्लीलता ना करें। बाकी बातें बाद में समझ आएंगी।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm thanks uncle margdharshan krte rhiyaga
योग मे वर्णित वज्रोली को बताएँ ।।
Jay brahmcharya
Very good lesson.
Nice teaching .
Aj kal koi koi log shadi se pehle hi relationship wagera me pad jate he. Or physical touch me bhi aa jate he. To aise log ye sab chhod kr brahamacharya ka palan kar sakte hen ?
Nice
Acha sir main pure veg hu par main martial artist bhi hu to mujhe protein thora jyda chahiye to maine suna h market me jo egg milte h wo bina sambhog wale hote h unfertilised hote to ye to pure veg hua na to kya main ise kha skta hu plzz help me sir...Kyunki dudh bhi yo animal product h wo bhi to pure veg h..
आप मार्शल आर्टिस्ट हैं और मैं कसरत करता हूँ, मुझे भी बहुत ताकत चाहिए होती है, परन्तु मैंने प्रतिज्ञा की हुई है कि मर सकता हूँ परन्तु माँस, अण्डा, शराब, सिगरेट आदि का कभी भी प्रयोग नहीं करूंगा। इसके अतिरिक्त मैं चाय, काफ़ी, चॉकलेट, डिब्बा बन्द भोजन, विदेशी भोजन जैसे पिज्जा, बर्गर, चाउमीन आदि चीज़ों से भी दूर रहता हूँ।
मैं 42 वर्ष की आयु तक जिम में कसरत करता था, वहाँ कई युवा लङके भी कसरत करते थे, परन्तु वे मांसाहारी होकर भी मुझसे मुकाबला नहीं कर पाते थे। वे हाथ जोड़कर मुझसे मेरी ताकत का राज पूछते थे तो मैं कहता था कि शाकाहार ही मेरी ताकत है। परन्तु मेरा दुर्भाग्य था कि मेरी पत्नी ने आध्यात्म के मार्ग पर मेरा साथ नहीं दिया जिसके कारण मैं चार बार मृत्यु की चपेट में आ गया और सौभाग्य से चारों ही बार ब्रह्मचर्य की साधना से बच पाया। मैं इतना दुर्बल हो गया कि लोगों ने मुझे पहचाना ही नहीं। जब मेरे विवाह के 25 साल हो गए अर्थात् मेरा गृहस्थ आश्रम समाप्त हो गया तो मैंने पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया ताकि फिर से कसरत करके पहले जैसा शरीर बना लूँ। क्योंकि इस दुनिया में अपना शरीर ही अपना है और कोई अपना नहीं। अब मैं फिर से कसरत कर रहा हूँ, परन्तु अभी घर पर ही करता हूँ। यदि मैं पहले जैसा शरीर बना पाया तो उस पर भी वीडियो बनाऊंगा तकि मैं बता सकूं कि प्रकृति ने हमें वो सब दिया है जिसकी हमें आवश्यकता होती है।
अण्डा किसी भी प्रकार से प्राप्त किया हो वह शाकाहारी नहीं है, क्योंकि यदि अण्डे को उचित तापमान पर रखा जाए तो उसमें से चूजा निकलता है परन्तु दूध से कभी कोई चूजा या बच्चा नहीं निकलता।
हमारा दुर्भाग्य है कि आज के समय में खाने पीने की शुद्ध चीजें नहीं मिलती, इसलिए मैं सदा ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मेरी रक्षा करें। मैं अपना भोजन भी स्वयं पकाता हूँ। हमारे देश की संस्कृति सबसे उत्तम है, उसे पहचानो और अपनाओ तभी हमारा कल्याण होगा।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm sir main bhi kuch nhi khata ek bhi mirch masala chiz packed food kuch bhi nhi sirf sudh sattvic aahaar hi leta hu..Par sir plzz help me mere mummy papa gussa krtr h ki main sakahari hu aur ye bataya hi main akhand brahmachari hu to pta nhi kya krenge..Aesha kyu sir mujhe inab se fark nhi parta pr aesha kyu hai sir vighn hota hu kbhi kbhi..Aur dir egg jo h wo sirf murgi deti h bina murga ke sth sambhog ke to ye nonveg kaisa h sir..Poultry farm me murga nhi rakhte wo log sirf murgi anda deti ahi aur market me aata h..
मैं अण्डे को शाकाहारी नहीं मानता, भले ही वह किसी भी रूप से प्राप्त किया हो। जब प्रकृति ने हमें वो सब दिया है जिसकी हमें आवश्यकता होती है तो हम उन चीज़ों को क्यों खाएं जो प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करके मनुष्य ने बनाई है। ब्रह्मचर्य को सिद्ध करना आसान कार्य नहीं है, क्योंकि इसमें हमें प्रकृति के नियमों के अनुसार जीवन यापन करना पड़ता है, अन्यथा प्रकृति हमारा साथ नहीं देती और हम काम की चपेट में आ जाते हैं।
दूसरी बात यह है कि विवाह करके भी गृहस्थ ब्रह्मचर्य को सिद्ध किया जा सकता है। शिवाजी ने भी विवाह किया, राम और कृष्ण ने भी विवाह किया था। मैंने भी गृहस्थ जीवन ही ब्रह्मचर्य को सिद्ध किया था। यदि जीवन साथी अच्छा हो तो सब अच्छा है नहीं तो ब्रह्मचारी जीवन ही अच्छा है।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm aapka bht bht dhyanvaad sir very much thnk u for helping me main ab sb samajh gya sir main akhand brahmachari hu purn yogi hu sir aur jivan me kuch bhi hojaye ek pal ke liye bhi brahmachari se vimukh nhi hounga..Om hanumate namh..
यदि अखण्ड ब्रह्मचारी बनने का निश्चय कर ही लिया है, तो स्वागत है। परन्तु ये मार्ग आसान नहीं है। उसके कई कारण हैं, पहला तो ये कि हम कलयुग में जी रहे हैं। कलयुग का वातावरण ब्रह्मचारियों के लिए है ही नहीं।
दूसरा कारण ज्ञान की कमी। आजकल जितने भी धर्म ग्रंथ हैं उनमें ज्ञान कम अज्ञान अधिक है। ज्ञान के बिना ब्रह्मचारी का जीवन इत का ना उतका होकर रह जाता है। तुम जानते ही होगे कि कितने बाबा सलाखों के पीछे जा चुके हैं।
तीसरा कारण है कि जब हम वृद्ध होने लगते हैं तब कोई हमारा ध्यान रखने वाला नहीं होता। उस समय या तो अपना पुत्र या शिष्य होना चाहिए।
चौथा कारण ये है कि यदि सभी अच्छे लोग ब्रह्मचारी हो जाएँ और कुकर्मी लोग जनसंख्या बढ़ाएं तो इस सृष्टि का क्या होगा?
फिर भी मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगा, यदि तुमने अखण्ड ब्रह्मचर्य का निर्णय ले ही लिया है तो कुछ खेत खरीद कर आश्रम बनाओ और पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाओ। ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित हो जाओ और प्रकृति के नियमों का पालन करो। तभी सफलता मिलेगी। कभी-कभार मुझे भी अपने आश्रम में बुला लेना क्योंकि अब मैं भी ब्रह्मचारी जीवन जी रहा हूँ।
Aapko kia lagta h kon sa dev h or kitana satye h
Thanks guruji
ऊं, हरि ऊं, हरि ऊं, हरि ऊं
Heart touched Roohani
Sir mai Abhi kumar hu aur main apna man Ko bas me karna chahta hu Lekin nahi Ho pata hai esliye ap koi upay bataye ki Ho sake
मन को नियंत्रित करना सरल नहीं है। इसकी शुरुआत शुद्ध सात्विक भोजन से होती है। इससे मन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। फिर हर प्रकार की अश्लीलता से बचना चाहिए जैसे फ़िल्में, गाने, पत्रिकाएं आदि। ऐसा लम्बे समय तक करने से अभ्यास बढ़ाता है।
Thanks sir ji
ऊं श्री गुरुवे नमः
JaiShri.ram
Aap kis state
Thanks
Satsang -satya ke sath sang karna... Sadhan karna brahmachari ka lakshan hai.
Kahaniko nayi drushti mili.
Guru ji aapka koi guru kul hai kya
आपका बात पर मैं सहमत हूं यह बात सही है कामदेव को भस्म कर दिया वह न्याय तंत्र आगे बढ़ेगा और अपने मन को बस में कर लिया धान अभिलाषा सबको रहता है एक भोलेनाथ को धन का अभिलाषा नहीं था क्योंकि वह भक्तों के ऊपर इतना पसंद हो जाते हैं कि वह अपना शरीर तक नहीं देखे कि मैं जान दे दूंगा तो हमको क्या होगा वह आगे पीछे कुछ नहीं जानते थे बोला था उसका इंसान मनुष्य उठा लेता है जिसे भस्मासुर उठाया था तो विष्णु बचाए थे उस तरह इंद्रिया है तो यह कलयुग में कभी इंद्रिया के ऊपर कभी मनुष्य के ऊपर का चेहरा प्रॉफिट हो जाता है भोलेनाथ के अंदर कामदेव कभी प्रवेश नहीं कर सकता है कामदेव तो पार्वती के अंदर प्रवेश किया था इसलिए पार्वती ने राम का परीक्षा लेने गए थे राम पहचान गए लक्ष्मी जी जो है सीता है इसलिए भोलेनाथ उनको माता मानते हैं यह बात सत्य है या नहीं आप वीडियो के अंतरित बताइएगा आपका वीडियो सत्य है
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सत्य प्रकाश sir, क्या आप शारीरिक रूप से स्वस्थ है? मेरा एक प्रश्न है महाशय की जव भगवान श्री राम सेतु बनाने के लिए समुद्र देव से रास्ता मांगी थी उनसे प्रार्थना की थी तब समुद्र देवने उनकी प्रार्थना की कोई भी उत्तर नहीं दिया और फिर वह खुद क्रोध के वशीभूत होकर समुद्र देवके सारा पानी सुखा देना का निश्चय किया तो मेरा प्रश्न यह है कि भगवान राम तो मन पर नियंत्रण रखते थे और जितेन्द्रीय थे वह कठिन परिस्थितियों में भी सठीक मार्ग पे और सही तरह से आपनी वूद्धि का इस्तेमाल करते हो , तो फिर उन्होंने क्रोध में आकर की समुद्र की सारा पाणी सुखा देने का निश्चय लिया और उन्होंने क्रोध के वशीभूत होकर क्यो नहीं सोचा? कि समुंदर मैं रहने वाली कितने के समुद्री जीव है अगर वह समुद्र का पानी सुखा देगा तो सॉरी समुद्री जीव मारा जाएगा। ऐसा क्यों है क्योंकि भगवान राम को तो सभी धर्मात्मा मानते थे। तो वह केवल माता सीता के उद्धार के लिए आपने कार्य की सिद्धि करने के लिए ऐसे स्वार्थी जैसे काम और ऐसे सोच कि उनके मन मैं कैसे आए? क्योंकि ऐसा आचरण भगवान श्री राम की विपरीत है। जरा इस विषय को स्पष्ट करें Please reply sir.
मेरा स्वास्थ्य अभी ठीक नहीं है। जब स्वास्थ्य हो जाउंगा तभी विडिओ बनाऊंगा और कारण भी बताऊंगा।
भगवान भी जब मानव रूप में अवतार लेते हैं तब कई बार विकट परिस्थिति में फंस जाते हैं, तब दूसरा विकल्प नहीं मिलता। ये बात भी सब जानते है कि जब सीधे तरीके से काम नहीं बनता तब टेढा तरीका अपनाना पङता है। ध्यान रहे कि पहले राम ने समुद्र से प्रार्थना की थी, तब तो समुद्र देव पर कोई असर नहीं हुआ, जब राम ने क्रोध किया तब तुरंत प्रकट हो गए।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आप जल्दी से आरोग्य लाभ करें और आप स्वस्थ हो जाए, पता नहीं भगवान की लीला समझ में नहीं आता हे। सर्वशक्तिमान भगवान खुद महाभारत के युद्ध में अस्त्र ना धारण करने का वचन दिया था और फिर खुद ही रथ चक्र का धारण किए पितामह भीष्म को वध करने के लिए खुद रणभूमि में आ गए। ऐसा क्यों है? क्या भगवान पर कोहि नियम लघु नहि होतेहे यवकि वह मनूष्यरूप मे हो ? Please reply sir.
भगवान की लीला कई बार समझ नहीं आती। कृष्ण जी ने अस्त्र शस्त्र ना उठाने की प्रतिज्ञा की थी, रथ का पहिया उठाने को मना नही किया था। रथ का पहिया कोई अस्त्र शस्त्र नही होता।
दुर्योधन ने भीष्म पितामह पर विश्वास घात का आरोप लगाया था। तब पितामह ने कहा था कि यदि आज कृष्ण बीच में नही आए तो शाम तक पांडव पक्ष का बहुत सफाया कर दूंगा। इसीलिए कृष्ण जी बीच में आए। ऐसा करने से पितामह की बात भी रह गई, पांडव सेना भी बच गई और कृष्ण जी ने अपनी अस्त्र शस्त्र ना उठाने की प्रतिज्ञा भी नही तोङी।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm परंतु भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि वह युद्ध में अंश नहीं लेंगे और भगवान श्री कृष्ण ने रथ की चक्र को अस्त की तरह ही इस्तेमाल करके पितामह भीष्म की वध करने के लिए ही रणभूमिमे आये। तो फिर वह पांडवों को सहायता करने के लिए युद्धभूमि में पितामह भीष्म को वध करके पांडवों की सहायता करने हैतू रथचक्र हात मे लिये थे। इसलिए मुझे भगवान श्री कृष्ण की वचन और कार्य में स्पष्टता समझ में नहीं आ रहा है। देखिए सत्य प्रकाश महाशय में भगवान पर पूर्ण समर्पित होना चाहता हूं पर जब भी मैं भगवान को खुद को समर्पण करना चाहाता हू तब मेरे मन मे ईसतारा के प्रश्न संसय के रूप मे प्रकट होते हे। Please reply sir.
कृष्ण जी यदि सचमुच पितामह को मारना चाहते तो उनके पास सुदर्शन चक्र था, अन्य अनेक अस्त्र शस्त्र थे, लेकिन वे अर्जुन को उत्तेजित करने के लिए बीच में आए। उन्हें भी पता था कि पितामह की मृत्यु सिखण्डी के कारण ही होगी।
ऊं नमो नारायणाय नमः
गुरू प्रणाम ....अाप से कुछ निजी जानकारी लेना है....अपना मोबाइल नम्बर दीजीये कृपया.....
आप कृपया अपनी बात मेरे ई-मेल पर कीजिए :- spsatyam34@gmail.com
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सत्य प्रकाश sir, मुझे एक आपसे जानकारी चाहिए, कि अपने कहां की अखंड ब्रह्मचारी कभी भी शादी नहीं करता,क्योंकि वह सर्वदा ईश्वर की ध्यान में ही अपने जीवन समर्पित करते हे। परंतु मेरे प्रश्न ए है की सभी का अंतिम लक्ष्य निराकार ब्रह्म होता है । तो अगर शिव निराकार ब्रह्म हुआ तो उसकी अर्धांगिनी मां आदिशक्ति हे। तो जब निराकार ब्रह्म की ही अर्धांगिनी है, अर्थात निराकार ब्रह्म खुद शादीशुदा हे। तो फिर ब्रह्मचारी लोग अखंड ब्रह्मचर्य में शादी क्यों नहीं उसका कोई अर्धांगिनी क्यों नहीं होता?
जितना आसानी से ये प्रश्न किया गया है उसका उत्तर समझना उतना आसान नहीं है। मोक्ष की यात्रा में सात पङाव आते हैं। अर्थात् हमें सातों चक्रों को बारी-बारी भेद कर अंतिम सहस्रार चक्र तक पहुंचना होता है, वहाँ से मुक्ति को ही पूर्ण मुक्ति कहा जाता है। हम पहले चक्र के सबसे निचले स्तर पर हैं, अर्थात् कलयुग में जी रहे हैं। इस चक्र में ही हमनें ना जाने कितने जन्म ले लिए, ना जाने कितनी बार विवाह किया और ना जाने कितने बच्चे पैदा किये। परन्तु फिर भी पहला चक्र भी नहीं भेद पा रहे। महाप्रलय के समय पहले तीन चक्र अर्थात् मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र और मणिपूर चक्र भी गिर कर निराकार ब्रह्म में समा जाते हैं। अगली सृष्टि आरम्भ के समय उन चक्रों में पहुँचे हुए तपस्वियों को पुनः शरीर धारण करना पङता है, परन्तु विवाह की बाध्यता उन पर नहीं होती, क्योंकि उन तपस्वियों को तपस्या करके अगले चक्रों तक पहुंचना ही लक्ष्य दिखाई देता है।
महाप्रलय के समय समस्त देव शक्तियां, ब्रह्मा, विष्णु और महेश व देवी महाशक्ति भी निराकार ब्रह्म अर्थात् शिव में समा जाते हैं। महाप्रलय के दौरान केवल निराकार ब्रह्म ही होते हैं और कोई नहीं, वो भी अकेले। इसलिए वे परम योगी जो पहले किसी जन्म में विवाह का अनुभव कर चुके हैं और सृष्टि वर्धन में योगदान दे चुके हैं वे अखण्ड ब्रह्मचारी रहकर निराकार ब्रह्म के ध्यान में रहते हैं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm धन्यवाद, सत्य प्रकाश sir
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Aap kahate Hain ki Shiv brahm hai to usha apni krodh per kyon niyantran Nahin Rakh sakta krodh mein aakar samagra sistri ko dhansha se karna Chata tha
बुरा करने वाले पर हर किसी को क्रोध आएगा चाहे ब्रह्म हों या उनके अवतार। शिवजी को आशुतोष भी कहते हैं अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले। उन्हें भोलेनाथ भी कहते हैं अर्थात् भोले भक्तों के नाथ।
शिव का क्रोध हमारी तरह इन्द्रियों के वशीभूत नहीं ब्लकि दिव्य है व सृष्टि के निर्बाध संचालन के लिये आवश्यक है ।
सृष्टि के संचालन के लिये रजस, तमस व सत्व तीनों ही गुणों का उचित अनुपात में होना आवश्यक है ।
किसी दुर्बल व निर्दोष के साथ अन्याय व अत्याचार होता देख यदि क्रोध ना आये तो वह सात्विकता नहीं अपितु नपुसंकता है ।
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के भी क्रोधित होने की कई घटनाओं का वर्णन रामायण मे किया गया है परंतु वे इन्द्रियों के वशीभूत नहीं थे अपितु दुष्टोँ के संघार के लिये क्रोध किया था ।
@@yugi-oh1743 bilkul sahi
भगवान ने स्त्री क्यों बनाया फिर।बहुत सारे कमेंट पढ़कर मुझे दुख हो रहा है।क्या स्त्री सिर्फ वासना के लिए है??
भगवान ने स्त्री को सृष्टि उत्पन्न करने के लिए पुरुष की अर्धांगनी के रूप में पैदा किया, जो ये तथ्य समझ गया वो पार हो गया और जो स्त्री को वासना पूर्ति के लिए ही मानता है वह नर्क की दलदल में धस गया।
Welcome
Grahast brahmacharya me bhi jab bacha paida karna ho tab hi weh kriya karni chahiye.
Indriya sanjam brahmachari ka Swabhab hai.
➡️🕺बचपन में पढ़ते समय पढ़ाया गया कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना पर कुरान पढ़ने के बाद मेरा विचार सर के बल पलट गये और इसके कारण है कुरान की आयत सुरा आयते :-
➡️2:98 अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है।
➡️3:85 इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं।
➡️8:85 इस्लाम को इनकार करने वालों के दिलों में अल्लाह खौफ भर देगा और मुसलमानों तुम उनकी गर्दन पर वार करके उनका अंग काट दो।
➡️3:118 केवल मुसलमानों को भी अपना मित्र बनाओ।
➡️3:28,9:23 - गैर मुस्लिमों को दोस्त ना बनाओ।
➡️8:39- गैर मुस्लिमों से तब तक युद्ध करो जब तक कि अल्लाह का दिन पूरी तरह कायम ना हो जाए
➡️22:30 - मूर्तियां गंदगी है।
➡️9:5 - मूर्ति पूजको को जहां और जैसे पाओ वहां घात लगा कर मार दो।
➡️33:61- मुनाफिक और मूर्तिपूजक जहां भी पकड़े जाएंगे बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे
➡️3:62 , 2:2:55 , 27:61, और 35:3 - अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है।
➡️21:98 - अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजनीय वाले जहन्नुम का इंधन है।
➡️9:28 - मूर्तिपूजक नपाक है।
➡️4:101 - काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।
➡️9:123 - काफिरों पर जुल्म करो।
➡️9:29 - काफिरों को अपमानित कर उससे जजिया कर लो।
➡️66:9 - काफिरों और मुनाफ इको से जिहाद (जंग) करो।
➡️8:69 - आयतो को इनकार करने वालों को खाल पकाएंगे ।
➡️9:14 - अल्लाह मोमिनो के हाथों काफिरों को यातना देगा।
➡️8:57 - युद्ध बंदियों से नीरिशंसता करो।
➡️32:22 - इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो।
हिंदुओं को अगर विश्वास ना हो तो कुरान को डाउनलोड करके रेफरेंस को चेक कर ले और मुसलमानों को इसमें कोई गलती नजर आवे तो मुझे भी बेझिझक बता देवें।
Note- हमें माफ कीजिए हमारा उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं हमारा उद्देश्य भविष्य में भारत में दंगा रोकना और इस्लामिक देश सीरिया और पाकिस्तान बनने से रोकना है।
हमने 1200 साल का इस्लामिक इतिहास पढ़ा इसी कुरान की आयतों को विश्वास में रखने के कारण मुस्लिम आक्रांता ओं ने करोड़ों गैर-मुसलमानों का कत्ल और धर्म परिवर्तन और हजारों मंदिरों को तोड़ा है और लाखों महिलाओं का बलात्कार किया है
क्योंकि मुसलमान भाई कुरान को बोलते हैं अल्लाह का भेजा हुआ आसमानी किताब है लेकिन मुझे इसमें कुछ भी ऐसा नजर नहीं आता है।
➡️ इस्लाम का प्रसार निर्दोषों के खून पर हुआ है
➡️ प्रमाण के तौर पर वर्तमान में अभी भी काफी पुरानी मस्जिदें हैं जो मंदिरों को तोड़कर बनी है उसमें मंदिर के चिन्ह और मूर्तियों के चिन्न देखे जा सकते हैं
➡️सभी हिंदू भाइयों से निवेदन है कि कृपया सनातनी हिंदू बनो सनातन धर्म में पूरे विश्व को परिवार माना गया है वसुदेव कुटुंब और सर्वे भवंतू सुखिनाह सनातन धर्म की विचारधारा है मस्जिद मंदिर मस्जिद के झगड़े से दूर होकर कर्तव्य सत्य अहिंसा न्याय सदाचार के रास्ते पर चलो
➡️ कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता)
➡️धर्म और मजहब और रिलीजन में क्या अंतर है???
धर्म शब्द की उत्पत्ति ही सनातन हिंदू धर्म से है धर्म कोई उपासना या या पूजा नहीं है
⚛कर्म ही धर्म है। (श्रीमद भगवत गीता)
धर्म आस्तिक नास्तिक सब पर लागू होती है
:🚩मानव धर्म के दस लक्षण बताये हैं:🚩
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥
(धृति (धैर्य), क्षमा (दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना), दम (अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना), अस्तेय (चोरी न करना), शौच (अन्तरंग और बाह्य शुचिता), इन्द्रिय निग्रहः (इन्द्रियों को वश मे रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन वचन कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना) ; ये दस मानव धर्म के लक्षण हैं।)
⚛अर्थात कर्तव्य अहिंसा न्याय सदाचार सदगुण आदि।
➡️बाकी religion और मजहब शब्द दिन का शब्द मुसलमान और ईसाई का है इसका कोई अर्थ नहीं आता है
इसी शब्द की पालन ठीक से नहीं करने के कारण पूरे विश्व में अशांति हैं भारत में भी हम लोग ख mix हुए हैं रिलीजन मजहब सब mix हुए हैं किसी को ज्ञान ही नहीं है इसीलिए पूरे विश्व में अशांति है इसका ज्ञान पढ़ाई स्कूलों में होना चाहिए लेकिन धर्मनिरपेक्ष भारत में हम क्या उम्मीद कर सकते हैं।
हिंदू सनातन वाले जिस दिन धर्म के रास्ते पर चलने लगेंगे उस दिन भारत फिर से सोने के चिड़िया हो जाएगा लेकिन दुर्भाग्यवश मजहब और रिलीजन के मानने वाले लोग हैं उनको पता ही नहीं है कि धर्म क्या है रिलीजन क्या है और मजहब क्या है?
➡️अर्थात कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता)
➡️1200साल का खूनी खेल कारण पूरे भारत देश का धर्म परिवर्तन हो चुका है जिस दिन हम अपने मूल में आ जाएंगे फिर से पूरे भारत में शांति ही शांति होगी।🕉🚩🙏🙏🙏🙏🇮🇳🌷
Jivan Bhagwan ne Bhog ke liye diya hain. Pehle apne naak se bhog, jiva se bhog, aakh se bhog, maane sab indriyo se bhog. Jivan ka maksad Kaliyuga mein shirf Moksha nahin hain. Kahiye aap sirf khaiye aur Moksha karna hi jivan ka makshad hain? Us jivan mein majja hi kya jo sirf Moksha kare?
Agar akhand brahmcharya ka palan. KR liya Jaye to insan shiv Vishnu bn skta hai.
unhe hum pa sakte hai hamesha ke liye
@@ritwikarya7498 pa nhi skte unke jaise hi banege. Lekin 99.99 % log aisa krne me fail ho jate hai.
@@Allinone-kj8dk Bhagvaan Bana nhi jata. Vo ajanma hai hai Nitya hai Amar hai.hum toh unke ansh hai
Ha bhai jarur kyu nhi akhand brahmacharya parantu purn yogi hona ati aavasayak hai geeta me bhi likha h...Unke jaisa bn paye kyunki unhe paaye tbhi to unke jaisa bne..
@@Allinone-kj8dk ye to ekdam sahi kaha bhai 99.99% log aesha krne me fail hote hai..Hari om..
आपने कहां है गृहस्थ ब्रम्ह चार्य करना चाहिए। मैं आपसे जानना चाहती हूं कि इस ग्रहस्थ ब्रम्ह चार्य करने के लिए सात्त्विक भोजन करना आवश्यक होता है क्या? जिन्होंने मांस मछली खाते हैं। वो लोग ग्रहस्थ ब्रम्ह चार्य व्रत कर सकते हैं या नहीं।
प्रयास करने में कोई बुराई नहीं, परन्तु मांसाहार करने से इन्द्रियों पर नियंत्रण करना कठिन होता है।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm जी आपने उचित कहा। प्रयास करने में कोई बुराई नहीं। मेने अभी तक विवाह नहीं किया। मैंने कहीं बार प्रयास किया है मांस छोड़ने में और सफल भी रहा था।१२ वर्ष मांस ग्रहण नहीं किया। किन्तु घर के अन्य सदस्यों के लिए दिक्कत हो रही है।
आपने पहले कमेन्ट में अपने आप को स्त्री दर्शाया है और अब पुरुष। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा। क्योकि ब्रह्मचर्य का निर्णय पुरुष का होता है स्त्री को तो अपने पति के अनुसार ही आचरण करना चाहिए।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm जी में २८ वर्षीय एक युवक हूं। आपने कहां था अखंड ब्रह्म चर्या एवं ग्रहस्थ ब्रम्ह चार्य पालन कैसे करते हैं।आज के भोतिकता जीवन काल में साधारण मनुष्य के लिए अखंड ब्रह्म चर्या पालन करना अत्यंत कठिन है। इसी लिए मैंने आपसे कहा था ग्रहस्थ ब्रम्ह चार्य करने के लिए सात्त्विक भोजन करना आवश्यक होता है क्या?
काम वासना व्यक्ति की सबसे बड़ी दुर्बलता है, इसे नियंत्रित करने के लिए मांसाहार व दूषित कैमिकल से बने पदार्थों से बचें।
ईश्वर अपने भक्तों की कभी परीक्षा नहीं लेता है
भाई मेरे मुझे ये बताओ कि भगवान ने ये दुनिया बनाई ही क्यों? और अगर बनाई तो फिर आखिर सबको मोक्ष क्यों नही दे दिया? आखिर हम सब भगवान का ही अंश है तो फिर भगवान को खुद को ही दुख देकर क्या मजा आता है?
ब्रह्म स्त्री और पुरुषों। दो रूप से एक है
किया इन समाज मे बैसनब है अगर है तो कृपया समझाऐं
Hindu and sikh dharam me bada kon hai?
सनातन धर्म
Gurunank Dev ji bhi santan Hindu the, unhne muglo se Hindu dharm k raksha hetu Sikh sagtan banya the jisme har parivar se ek putra ko sarder ban na padta tha. Baad m dhire dhire ye alag panth ban gaya
Apna philosophy bina hath pair ke bina kisi puran ,samhita ke rakh do aur comments disable kr do
Very nice way to get attention
Jao brahma mein Lina hijao
At least ask yourself why did u came in this human form of life just to get merge into brahman or get mukti
Stop your filthy mouth...u stupid don't know anything about Sanatan religion....u r wasting your time on materialistic things....don't teach about mukti....u r just a kid....ok
Yes it is the only destination of souls
Moksh leke kya karoge??
Moksh is hamara Astitva khatam ho jaega?
Jab aapar jaoge toh aapka astitv rahega kya😅. Bhai moksh hi manav jivan ka biggest aim hai . Samast dukhon se mukti pa lena hi moksh ki pratham sidi hai🕉️🕉️🕉️
Neuroplasticity
Maine har level ka akhand brahmcharya ka palan kiya lekin swapndosh ho jata hai . Achhi bat kabhi bhi swapn me koi istri nhi aati. Ye koi pisachini dakini ka Kam hai Jo rat me sone pr veerya ko chori KR let hai. Ab Maine bahut km sone ka decision liya hai. Shi mayne me akhand brahmchari kabhi neend nhi leta letkr. Aur rhi bat Hanuman ki wo mar Chuka hai Maine bhi uska naam liya koi glt vichar khanpan dincharya nhi lekin usne Meri koi mdd nhi ki . Kundalini jagran me kisi devta ki puja nhi ki jaati hai. . usme aham brahmasmi . Mai hi Brahma hu. Aisa kha jata hai. Ha Devi devta brahmcharyi huye hai so unka apman bhi nhi krna chahiye.
आजकल के कलयुगी माहौल में अखण्ड ब्रह्मचर्य को सिद्ध करना आसान कार्य नहीं है। इसके लिये आपको दुनिया का त्याग करके कहीं दूर जाना होगा। ऐसे में जीवन निर्वाह करना कठिन होगा। यदि आपके पास कहीं दूर खेत खलिहान हैं तो उसे आश्रम बनाकर आत्मनिर्भर हो कर रहा जा सकता है, परन्तु ऐसा करने में ज्ञान ध्यान में परिपूर्ण होना आवश्यक है।
जहाँ तक स्वप्नदोष की बात है तो इसका कारण मन पर नियंत्रण ना होना भी हो सकता है और भोजन का दोष भी हो सकता है। आजकल खाद्य पदार्थों में खतरनाक रासायन मिलाए जाते हैं, फलों को पकाने के लिए भी कैमिकल प्रयोग होते हैं। ये भी वीर्यपात का कारण हो सकता है।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm aapki bat shi hai. Lekin Maine Soch liya hai aajeeevan avivahit hokar akhand brahmcharya ka palan karuga. Ye shayad duniya ka sbse kathin Kam hoga.lekin iske liye mujhe Ghar SE alag hona padega. Kyuki mere niyam aur unme jameen aasaman ka fark hai. Bahut si parikshaye brahmcharya me Deni pdti hai. . Aap bhi akhand brahmcharya ka palan kre. Aur apni maa jaisi patni ko iski Shakti btaye. Aisa nhi hai wo bura manengi. Gyan hone pr wo aapka sath degi. Phir unhe aap patni ke Roop me nhi dekh skte. Tb wo aapki maa ho jayegi. Maine brahmcharya ka har upay kiya . Lekin jahah glti ho jaati hai nightfall .umra ka veg jyada hai so iss PR Kam KR RHA hu.
Majak me bhi juth nhi bol sakte kya
Itna kuch karke India 20 sal piche chala gaya.
Bidesh 20 sal age hai.
Apka besic pura nehi hua thik se app firse pariye or sochiye.
Dasarath Jo ramki pita the 350 bibi thi.
Rishi muni sab ka 1000 karke bibi thi.
Kiya kehete hai app log apka research bataiye kiya behudake bate.
App ka umar kotna hai is umar me ake sab to bramvachari banega 19 sal me bramvachari bane kiya?
Dharam ka lia jhut bolna srastkar hai yahi Krishna bhagwan na shikaya hai.
Prashant 08 , सत्य मतलब जो है वैसा बोल देना नहीं होता है |
ईश्वर हमारी हर मनःस्थिति को जानने वाले हैं उन्हें किसी परीक्षण की आवश्यकता नहीं। साधारण देव मानव गण को ऐसी आवश्यकता होती है। ॥ॐ॥
मनःस्थिति और कर्तव्य में अन्तर होता है। ये जरूरी नहीं कि किसी के मन में कोई बात चल रही हो तो वो उसे करेगा भी। यदि किसी के मन में अपराध की भावना है तो क्या अवसर मिलने पर वह अपराध करेगा या नहीं, ये जानने के लिए परीक्षण की आवश्यकता पड़ती है। यदि आपको ये बात समझ नहीं आती तो अभी और अनुभव की आवश्यकता है।
Secrets of Hindu Dharm और भूत भविष्य क्या परमात्मा को ज्ञात नहीं?
यदि भविष्य में सब कुछ परमात्मा ने पहले से तय किया हुआ है तो फिर कर्म का क्या महत्व रह गया? क्यों रावण को राक्षस कहा जाए? क्यों किसी को स्वर्ग और किसी को नर्क मिलता है?
@@Secrets_of_Hindu_Dharm महाशय मिथ्या प्रलाप न करें। मैंने भूत भविष्य जानने की बात कही न कि तय करने की। जीव स्वतंत्रता से कार्य करता है। जबरन दूसरे के विचार को गलत व विचार को सही सिद्ध करने के चक्कर में आप तो जाकिर नायक ही बन गए।
किसी का भविष्य तभी जाना जाएगा जब वह तय हो जाएगा और भविष्य हमारे वर्तमान में किए गए कर्मों से तय होता है, और यदि व्यक्ति कर्म करने के लिए स्वतंत्र है तो वह अपने कर्म बदल भी सकता है।
चाहे पत्नी हो या और कोई , कामवासना मनुष्य के लिए
निकृष्ट व हेय है , शायद भगवान भी इससे ग्रस्त व त्रस्त हैं । और यह ईश्वर की सबसे बड़ी भूल है। यह बर्बादी का मार्ग भी
है व इतना गंदा काम , न जाने प्रजनन के लिए भगवान
ने इसे माध्यम क्यों बनाया ? कहीं ईश्वर भी कामी तो नहीं ?
नहीं, ईश्वर काम से ग्रसित नहीं हैं। पुराणों में बहुत सी बातें उट-पटांग लिखी हुई हैं। काम वासना अधिक चलन भी कलयुग में ही हुआ है। पुराने युगों में ऐसा नहीं था।
सतयुग व अन्य युगों में चार प्रकार से संतान उत्पत्ति की बात कही गई है। इनमें से चौथे प्रकार में ही स्त्री प्रसंग होता है। जबकि अनेक ऋषियों ने यज्ञ से संतान उत्पन्न की है।
Sahi bole bhai mujhe bhi is chiz se gussa aata h ki iswar ke prajnan ke liye is maadhyam ko kyu chuna itna ganda lustful chiii...
ritwik raj, यदि एक बार ब्रह्मचर्य को सिद्ध कर लिया तो आपका दृष्टिकोण बदल जाएगा। फिर ईश्वर के बनाए नियमों में दोष नहीं दिखेगा।
सृष्टि को श्रेष्ठ संतान देना प्रत्येक प्राणी का परम कर्तव्य है। यह नियम ब्रह्माजी ने बनाया है कि एक पुत्र उत्पन्न करने के बाद ही मुक्ति मिलेगी। संतान उत्पन्न करने का बीज तत्व हमारे मूलाधार चक्र में ही बनता है, क्योंकि मूलाधार चक्र में ही सृष्टि उत्पन्न होती है, और वह बीज तत्व स्त्री के मूलाधार चक्र में अर्थात् गर्भ में सकुशल स्थापित करना होता है। इस तथ्य को समझने के लिए मेरा शिवलिंग रहस्य पर बनाया वीडियो अवश्य देखें।
ईश्वर ने चार प्रकार से संतान उत्पत्ति के नियम बनाये हैं। सबसे पहले संकल्प शक्ति से, इस शक्ति से केवल ईश्वर ही संतान उत्पन्न कर सकते हैं। जैसे सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माजी ने 10 महर्षियों को उत्पन्न किया था। इसीलिए इन महर्षियों को ब्रह्माजी के मानस पुत्र कहा जाता है, क्योंकि संकल्प मन से लिया जाता है इसलिए मानस पुत्र कहा गया।
दूसरे प्रकार की संतान यज्ञ से उत्पन्न की जाती है। यह विद्या ब्रह्माजी ने सभी ऋषियों को सिखाई थी। इस विद्या का प्रयोग ऋषि और देवता करते हैं। सतयुग में अधिकांश सृष्टि इसी विद्या से हुई है। द्वापरयुग में भी द्रष्टद्युम्न और द्रौपदी का जन्म यज्ञ से ही हुआ।
तीसरे प्रकार की संतान में स्त्री की आवश्यकता पड़ती है। इससे पहले की दोनों विद्याओं में संतान सीधे किशोर अवस्था में होती थी, परन्तु तीसरे प्रकार की विद्या में नन्हें शिशु के रूप में संतान पैदा होती है। परन्तु इसमें भी शारीरिक सम्बन्ध की आवश्यकता नहीं होती। पांचों पांडवों का जन्म इसी विद्या से हुआ है, राम व उनके तीनों भाई, हनुमान जी का जन्म भी इसी विद्या से हुआ है।
चौथे प्रकार में ही स्त्री प्रसंग होता है, परन्तु राम और कृष्ण ने भी संभवतः इसी विद्या से संतान उत्पन्न की, क्योंकि वे सबको समझाना चाहते थे कि अपनी धर्मपत्नी के साथ संबंध बनाने में कुछ भी अनुचित नहीं। धर्मपत्नी किसे कहा जाता है इस पर भी मैंने वीडियो बनाया है।
यदि आप स्त्री प्रसंग नहीं करना चाहते तो ब्रह्मचर्य को सिद्ध करके सिद्धियाँ प्राप्त करो फिर इससे ऊपर की दो विद्याओं का प्रयोग करो।
@@Secrets_of_Hindu_Dharmmain isi baat se chintit rehta tha ki iswar ne aesha madhyaam kyu bnanaya par aapne mujhe sab kuch bataya aur ab main samajha bhi...Thnk u thnk u sir mujhe gyaan pradaan krne ke liye main aapka aabhari hu...pranam aapko... Aur main akhand brahmachari bnna chahta hu aur avi se abhyash me hu aur aajivan rhunga aur main apne yog vidya me bhi bht acha hu pranayam asana maharshi patanjali ji ke aatho tatvo ka ache se palan krta hu..Om hanumate namh:
@@ritwikarya7498उसको एक ही जेण्डर से काम चलाना
था व यज्ञादि अन्य तरीकों से संतति उत्पन्न करते ।
स्त्री को बनाया व स्त्रीप्रसंग की रीत बनाई यह उसकी
सबसे बड़ी भूल है या शरारत ? ऐसे में उसे भगवान
परमात्मा ईश्वर कहने का मन ही नहीं करता।
मेरे मोबाइल में कोई हिंदी फ़ॉन्ट नहीं है
इसलिए, मैं ट्रांसलेटिंग एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा हूं
अर्थ अलग हो सकता है
कृपया अपने ज्ञान का उपयोग करें..
प्रिय मित्र,
भगवान की समझ बहुत रहस्यवादी है
उदाहरण के लिए
उन्होंने मनुष्यों को बनाया है और उन्हें आशीर्वाद के रूप में सेक्स दिया है
एक तरफ, वह सेक्स द्वारा दुनिया का विस्तार करना चाहता है
लेकिन दूसरी तरफ वह वासना को नियंत्रित करना चाहता है
यह भ्रामक है
अगर भगवान ने दुनिया बनाई है .. तो अगला सवाल यह उठेगा कि भगवान को किसने बनाया?
परम सुख के रास्ते में .. सेक्स मानव को भगवान का एक उपहार है
सोचो, वह प्रेम और वासना के बारे में जानता है
वह पुरुषों और महिलाओं के शरीर के अंगों के बारे में जानता है
वह जानता है कि .. एक आदमी औरत को कैसे प्यार कर सकता है
इसलिए हमें उसे धन्यवाद देना चाहिए
वह परम सुख है
किताबें हमेशा लोगों को भ्रमित कर रही हैं
उसने स्वर्ग और नरक क्यों बनाया?
अगर वह अच्छी तरह से जानता है .. तो वह लोगों को नरक में क्यों भेजना चाहता है
स्वर्ग में क्यों नहीं?
इस तरह के कई सवाल हैं
केवल भगवान ही इसका उत्तर जानते हैं
पहली बात तो ये है कि ईश्वर को किसी ने नहीं बनाया, वे स्वयंभू है। उन्होंने ही सब कुछ बनाया है। उन्होंने ही मनुष्य के सुख के लिए बहुत सी चीजें बनाई हैं, उन्हीं में से एक है काम सुख अर्थात् ( Sex), परन्तु हर सुख की एक सीमा भी निर्धारित की है। यदि कोई निर्धारित सीमा का उल्लंघन करता है तो परिणाम दुखद ही होता है। जैसे, कोई रोग होने पर डा. दवा देता है और दवा की मात्रा भी निर्धारित करता है। यदि निर्धारित मात्रा में ही दवा ली जाए तो रोग दूर हो जाएगा, परन्तु यदि निर्धारित मात्रा का उल्लंघन किया तो हानि कारक हो सकता है। ठीक इसी प्रकार काम सुख भी यदि सीमा से अधिक और मर्यादा के विरुद्ध हो तो विनाशकारी सिद्ध होता है।
मैं केवल किताबें पढ़कर वीडियो नहीं बनाता, बल्कि अपने अनुभव के आधार पर वीडियो बनाता हूँ। मैंने ब्रह्मचर्य का शुभ फल प्राप्त किया है, उसके बाद ही वीडियो बनाया है। यदि किसी को काम सुख में ही आनंद दिखाई देता है तो मैं किसी को बाध्य नहीं करता।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm प्रिय मित्र,
मुझे आपका जवाब मिल गया
आपके जवाब में .. कुछ गुस्सा हो सकता है
जैसा कि आप कहते हैं।, भगवान सर्वशक्तिमान है
उसे कोई पैदा नहीं कर सकता
यह मुख्य प्रश्न है .. हमें उसका प्यार, स्पर्श महसूस करना है
और.. दूसरी बात है ..
जापान ने सांस पर कई प्रयोग किए हैं
जिसमें ..
जब भी वासना हम पर असर कर रही है
कृपया मुंह से सांस बाहर फेंकें
यह मूलाधार से सेक्स ऊर्जा को खाली कर देगा
और ऊर्जा नाभि में कूद जाएगी.. ..के बाद आप पाएंगे कि वासना को खाली कर दिया गया है
कई बार दोहराने से .. तुम परम आनंद अनुभव करोगे।
यह आनंद सेक्स एजेकेशन के बाद जैसा होगा
दूसरा तरीका है ..
कृपया अपने मन को तुरंत अन्य विचारों की ओर मोड़ें
मैंने इसे कई बार किया था .. लेकिन लंबे समय तक नहीं
मैं वासना के बजाय अपनी रुचि के अनुसार स्वतंत्र हूं
क्या आपने ऐसा ही किया था जैसा कि आप वीडियो में बता रहे हैं?
मुझे आपका विश्लेषण पसंद है .. वे तार्किक हैं
अच्छे काम के लिए धन्यवाद
मेरा प्यार हमेशा तुम्हारे साथ है
साँसों को बाहर फेंक कर मन पर नियंत्रण करना मेरी समझ से बाहर है। क्योंकि ये मन का विषय है, मन को नियंत्रित करना इतना भी आसान नहीं होता। मन को नियंत्रित करने के लिए मन को किसी अन्य विषय पर स्थिर करना होता है। परन्तु काम विषय इतना प्रबल होता है कि वह किसी अन्य विषय को मन पर ठहरने नहीं देता। यही द्वंद होता है।
एक निश्चित समयावधि के अन्दर यदि काम आपको अपने नियंत्रण में नहीं ले पाया तो काम पराजित हो जाता है और आप काम विजयी हो जाते हो। मैंने एक वर्ष के लिए एकादशी के व्रतों में ब्रह्मचर्य का संकल्प लिया। दस महीने तक काम ने कई प्रहार किये, परन्तु वह मुझ पर नियंत्रण नहीं कर पाया। क्योंकि मैं शिवजी के काम देव को भस्म करने के दृश्य पर ध्यान केंद्रित करता रहा, परन्तु काम मुझे ध्यान नहीं लगाने दे रहा था। अंततः मैं ध्यान लगाने में सफल रहा और काम पराजित हो गया। वह अनुभव दिव्य था। उसके बाद से आज तक कई वर्ष बीत गए, परन्तु मेरा शरीर किसी बिमारी को शरीर में रहने नहीं देता अर्थात् किसी दवा की आवश्यकता ही नहीं होती।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm प्रिय,
जैसा कि आपने बताया कि आप इक्कादसी पर फोलिविंग करते हैं
शेष दिनों के बारे में क्या
क्या आपका मतलब है कि अन्य दिनों में .. आप सेक्स कर रहे थे
क्योंकि अगर हर महीने में 1 या 2 दिन बिना सेक्स संभव है
लेकिन बाकी दिनों में .. यह स्वीकार्य है?
मैं अब 37 साल का हूं
और जब मैं 29 साल का था .. तो मैंने इसे ( kaam) अपने जीवन में केवल 5 बार किया था
2011 के बाद .. मैंने अभी तक नहीं किया
और मैं अब बहुत खुश हूँ
कभी-कभी 2 या 3 महीने में, वासना मुझे प्रभावित कर रही है
कुछ मिनटों के लिए .. इसके बाद यह चला गया
स्वास्थ्य के बारे में भी .. मैं आयुर्वेदिक आहार का पालन कर रहा हूं
और पिछले 5 वर्षों से कोई दवा नहीं ली
आपके वीडियो अच्छे हैं
मैंने अपने वीडियो में स्पष्ट किया है कि मैने गृहस्थ ब्रह्मचर्य का पालन किया है। गृहस्थ ब्रह्मचर्य में अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी अन्य महिला के साथ स्वप्न में भी अश्लील विचार ना करे। अपने जीवन को सार्थक करने के लिए मैं व्रत उपवास का पालन करता हूँ। जैसे 16 सोमवार के व्रत, 21 मंगलवार के व्रत या एक वर्ष तक एकादशी के व्रत। मैं पहले व्रत की पहली रात से लेकर आखिरी व्रत तक ब्रह्मचर्य का पालन पालन करता हूँ। व्रत पूरे होने के बाद ही अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाए जा सकते हैं।
Ap ko kooti kooti pranam
ऊं श्रीं शिवाय नमः
➡️🕺बचपन में पढ़ते समय पढ़ाया गया कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना पर कुरान पढ़ने के बाद मेरा विचार सर के बल पलट गये और इसके कारण है कुरान की आयत सुरा आयते :-
➡️2:98 अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है।
➡️3:85 इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं।
➡️8:85 इस्लाम को इनकार करने वालों के दिलों में अल्लाह खौफ भर देगा और मुसलमानों तुम उनकी गर्दन पर वार करके उनका अंग काट दो।
➡️3:118 केवल मुसलमानों को भी अपना मित्र बनाओ।
➡️3:28,9:23 - गैर मुस्लिमों को दोस्त ना बनाओ।
➡️8:39- गैर मुस्लिमों से तब तक युद्ध करो जब तक कि अल्लाह का दिन पूरी तरह कायम ना हो जाए
➡️22:30 - मूर्तियां गंदगी है।
➡️9:5 - मूर्ति पूजको को जहां और जैसे पाओ वहां घात लगा कर मार दो।
➡️33:61- मुनाफिक और मूर्तिपूजक जहां भी पकड़े जाएंगे बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे
➡️3:62 , 2:2:55 , 27:61, और 35:3 - अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है।
➡️21:98 - अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजनीय वाले जहन्नुम का इंधन है।
➡️9:28 - मूर्तिपूजक नपाक है।
➡️4:101 - काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।
➡️9:123 - काफिरों पर जुल्म करो।
➡️9:29 - काफिरों को अपमानित कर उससे जजिया कर लो।
➡️66:9 - काफिरों और मुनाफ इको से जिहाद (जंग) करो।
➡️8:69 - आयतो को इनकार करने वालों को खाल पकाएंगे ।
➡️9:14 - अल्लाह मोमिनो के हाथों काफिरों को यातना देगा।
➡️8:57 - युद्ध बंदियों से नीरिशंसता करो।
➡️32:22 - इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो।
हिंदुओं को अगर विश्वास ना हो तो कुरान को डाउनलोड करके रेफरेंस को चेक कर ले और मुसलमानों को इसमें कोई गलती नजर आवे तो मुझे भी बेझिझक बता देवें।
Note- हमें माफ कीजिए हमारा उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं हमारा उद्देश्य भविष्य में भारत में दंगा रोकना और इस्लामिक देश सीरिया और पाकिस्तान बनने से रोकना है।
हमने 1200 साल का इस्लामिक इतिहास पढ़ा इसी कुरान की आयतों को विश्वास में रखने के कारण मुस्लिम आक्रांता ओं ने करोड़ों गैर-मुसलमानों का कत्ल और धर्म परिवर्तन और हजारों मंदिरों को तोड़ा है और लाखों महिलाओं का बलात्कार किया है
क्योंकि मुसलमान भाई कुरान को बोलते हैं अल्लाह का भेजा हुआ आसमानी किताब है लेकिन मुझे इसमें कुछ भी ऐसा नजर नहीं आता है।
➡️ इस्लाम का प्रसार निर्दोषों के खून पर हुआ है
➡️ प्रमाण के तौर पर वर्तमान में अभी भी काफी पुरानी मस्जिदें हैं जो मंदिरों को तोड़कर बनी है उसमें मंदिर के चिन्ह और मूर्तियों के चिन्न देखे जा सकते हैं
➡️सभी हिंदू भाइयों से निवेदन है कि कृपया सनातनी हिंदू बनो सनातन धर्म में पूरे विश्व को परिवार माना गया है वसुदेव कुटुंब और सर्वे भवंतू सुखिनाह सनातन धर्म की विचारधारा है मस्जिद मंदिर मस्जिद के झगड़े से दूर होकर कर्तव्य सत्य अहिंसा न्याय सदाचार के रास्ते पर चलो
➡️ कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता)
➡️धर्म और मजहब और रिलीजन में क्या अंतर है???
धर्म शब्द की उत्पत्ति ही सनातन हिंदू धर्म से है धर्म कोई उपासना या या पूजा नहीं है
⚛कर्म ही धर्म है। (श्रीमद भगवत गीता)
धर्म आस्तिक नास्तिक सब पर लागू होती है
:🚩मानव धर्म के दस लक्षण बताये हैं:🚩
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥
(धृति (धैर्य), क्षमा (दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना), दम (अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना), अस्तेय (चोरी न करना), शौच (अन्तरंग और बाह्य शुचिता), इन्द्रिय निग्रहः (इन्द्रियों को वश मे रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन वचन कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना) ; ये दस मानव धर्म के लक्षण हैं।)
⚛अर्थात कर्तव्य अहिंसा न्याय सदाचार सदगुण आदि।
➡️बाकी religion और मजहब शब्द दिन का शब्द मुसलमान और ईसाई का है इसका कोई अर्थ नहीं आता है
इसी शब्द की पालन ठीक से नहीं करने के कारण पूरे विश्व में अशांति हैं भारत में भी हम लोग ख mix हुए हैं रिलीजन मजहब सब mix हुए हैं किसी को ज्ञान ही नहीं है इसीलिए पूरे विश्व में अशांति है इसका ज्ञान पढ़ाई स्कूलों में होना चाहिए लेकिन धर्मनिरपेक्ष भारत में हम क्या उम्मीद कर सकते हैं।
हिंदू सनातन वाले जिस दिन धर्म के रास्ते पर चलने लगेंगे उस दिन भारत फिर से सोने के चिड़िया हो जाएगा लेकिन दुर्भाग्यवश मजहब और रिलीजन के मानने वाले लोग हैं उनको पता ही नहीं है कि धर्म क्या है रिलीजन क्या है और मजहब क्या है?
➡️अर्थात कर्म ही धर्म है (श्रीमद भगवत गीता)
➡️1200साल का खूनी खेल कारण पूरे भारत देश का धर्म परिवर्तन हो चुका है जिस दिन हम अपने मूल में आ जाएंगे फिर से पूरे भारत में शांति ही शांति होगी।🕉🚩🙏🙏🙏🙏🇮🇳🌷