श्रीमद्देवी भागवत के छठे स्कन्ध, अध्याय 10 पृष्ठ 417 के अनुसार ‘‘तीर्थों के जल में स्नान करने से शरीर का मैल तो धुल जाता है, परंतु मन का मैल नहीं धुलता। उसके लिए तत्त्वदर्शी संत का सत्संग सुनना चाहिए। सत्संग चित्तशुद्धि करता है। इसे चित्तशुद्धि तीर्थ कहा जाता है। इसी का समर्थन गीता अध्याय 4 श्लोक 32 व 34 भी करता है।
Jay guru ji
गुरु जी के चरणों में दास का दंडवत प्रणाम 🙏
संत रामपाल जी महाराज से नाम लेने से सब परेशानी दूर हो जाती 💯 है
❤ram
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज कि जय हो
सतगुरु देव भगवान रामपाल जी महाराज जी को कोटि कोटि दंडवत प्रणाम स्वामी दया करो दाता।
संत रामपाल जी पूर्ण भगवान है पूर्ण गुरु है
जय बंदी छोड़ कबीर साहेब परमात्मा को कोटि कोटि दंडवत प्रणाम स्वामी दया करो दाता है दयालु दाता दया करो।
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श्रीमद्देवी भागवत के छठे स्कन्ध, अध्याय 10 पृष्ठ 417 के अनुसार ‘‘तीर्थों के जल में स्नान करने से शरीर का मैल तो धुल जाता है, परंतु मन का मैल नहीं धुलता। उसके लिए तत्त्वदर्शी संत का सत्संग सुनना चाहिए। सत्संग चित्तशुद्धि करता है। इसे चित्तशुद्धि तीर्थ कहा जाता है। इसी का समर्थन गीता अध्याय 4 श्लोक 32 व 34 भी करता है।