किस रत्न को किस धातु की अंगूठी में धारण करें।

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  • Опубликовано: 23 авг 2024
  • किस रत्न को किस धातु की अंगूठी में धारण करें।
    ऐसा नहीं है की हम कोई भी रत्न किसी भी धातु में धारण कर सकते है, हर रत्न की धातु निर्धारित है, हर धातु की अपनी तासीर रहती है, जैसे की चांदी और प्लैटिनम एक शांत और शीतल धातु है, वही तांबा अत्यंत गर्म धातु , पंचधातु और अष्ठधातु की तासीर कठोर और सोने को एक उच्चतम और मध्यम शीतलता प्रदान करने वाली धातु माना गया है।
    अब रत्नों की बात करें तो मोती, हीरा और पन्ना शीतल प्रवृत्ति के रत्न है, माणिक्य और लाल मूँगा अत्यंत उष्ण रत्न है, पुखराज को आचार्य का दर्जा दिया गया है, नीलम भी एक शांत और मंद रत्न है और गोमेद और लहसुनियां कठोर और राक्षस प्रजाति के रत्न माने जाते है।
    इसलिए यह जरुरी हो जाता है की हर रत्न को उसकी धातु के अनुरूप धारण किया जाए, नहीं तो उसके परिणाम शुभ नहीं मिलेंगे, उद्धारण के तौर पर अगर शांत और शीतल रत्न मोती को तांबे, पंचधातु या अष्ठधातु में धारण किया जायेगा तो मोती उसमें अपनी शीतलता खो देगा या अगर माणिक्य, लाल मूंगा को चांदी में धारण किया जाए तो चांदी की शीतलता उनकी उष्णता को ठंडा कर देगी और नतीजे उलटे मिलने लगेंगे, यही कारण है की हर रत्न को उनकी तासीर के अनुसार ही धातु में धारण किया जाना चाहिए।
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