वाह हुकम आज भी धरती पर ऐसे ऐसे चारण विद्वान विराजमान हैं, कोटि कोटि वंदन रूप दान जी को तथा आपकी मीडिया जगत के सहारे प्रज्वलित इस चैनल रूप मशाल को भी जो समाज को बेहतरीन तरीके से साहित्यिक प्रकाश पुंज बनकर लाभांवित करने में अग्रणी है
हुकुम आपकी वार्तालाप बहुत ही अच्छी लगी। आपने सिंध क्षेत्र के निवासी रुपदान जी बारहठ से तमाम बातें पूछ ली जैसे - आवड़ माता का जन्म, छाछरो गांव, विभिन्न राजस्थानी/सिंधी लोक गीत, रतन राणो, सुजोजी देथा एवं मोतीदान देथा इत्यादि। इतना सब कुछ पूछने के बाद भी आपने देवल माता जी के जन्म के बारे में चर्चा नहीं की। कुछ दिन पहले अपने इस संबंध में फोन पर बात हुई थी तब आपने बताया था कि मैं रुपदान जी से मिलकर इस संबंध में कुछ पुख्ता जानकारी पता करुंगा। लेकिन आपने उस बात के बारे में तो चर्चा ही नहीं की। अतः एक बार आपको पुनः रुपदान जी से मिलना पड़ेगा।
बात में पातो जी चारण (दैथा)अजबदान जी के बेटे और नाथूदानजी के पौते थे ।नाथोथी खारोड़ा छोड़ पहले ओला और फिर आरंग आ बसे।पातो जीऔर उनके बेटे बहुत साहसिक थे।पातोजी की संतति में आज एक ही बेटे का वंश रहा वो मौजूद हैं पातो के बेटे शिवलाल जी।शिवलालजी के बेटे देवीदानजी।देवीदान जी के बेटे नखतदान जी,मूलदानजी। नखतदान की शादी हुई वे और उनके दो बेटे करनीदान हेमदान है।
Bajeesa bhaguji Sangrasi ko kala Pani ki saja Hui thi . Or Rana ji ko angrejo ne fashi par chadaya tha . England se fashi na Dene ka farman aaya lekin inhone farman ko bataya hi nahi tatha Rana ji ko fasi de di .me bhi sangrashi sodha hu . Eske bad Rani bhatiyani ji ne inpar geet gulwaya . .
ये कृषक गीत में अल्ला,, बहुत अलग लग रहा है। कोई और शब्द रहा होगा , जो अब शायद उपलब्ध नहीं है। उस शब्द, उस अक्षर की खोज की जानी चाहिए। परन्तु यह शब्द अल्ला यहां पर बिल्कुल भी सही नहीं लगता। कृपया विचार करें बारहठजी 🙏🏻
साँचवण जोग साँतरी जाणकारी ! विरली बंतल !दोन्यूं विद्वानों नें वंदन अभिनंदन !
Sir bahut bahut dhanyawad girdhar dan sa v aadarneey Roop dan ji sa bahut hi mahan vyaktitav ke dhani
बहुत ही अच्छी ज्ञान वर्धक बाते साझा की श्री मान रूप दान जी सा ने ये बड़ी ही अनमोल बाते हे चारण समाज और घाट और मारवाड़ संस्कृति की
जय मां आवड
वाह हुकम आज भी धरती पर ऐसे ऐसे चारण विद्वान विराजमान हैं, कोटि कोटि वंदन रूप दान जी को तथा आपकी मीडिया जगत के सहारे प्रज्वलित इस चैनल रूप मशाल को भी
जो समाज को बेहतरीन तरीके से साहित्यिक प्रकाश पुंज बनकर लाभांवित करने में अग्रणी है
अति जरूरी और जोरदार हथाई सुनाई सा बहुत बहुत आभार रूप दान जी को जय माता जिरी
वाह वाह गिरधरदान सा।
आपने अर रूपदान सा रो घणो घणो साधुवाद सा।
सादर जय माता जी री सा
जय जय श्री जोगमाया मां रक्षा करीजे भवानी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
वरेण्य व्यक्तित्व आदरणीय रूपदान जी साहब सूं अत्यंत उर्वर वंतळ। साधुवाद।
रूपदान जी शेरूवाला नै प्रणाम अर आपनै लखदाद।
शानदार जानकारी। श्रुति परंपरा के अनुगामी कुछ ही लोग बचे हैं जिनकी बातें सहेजना बहुत बड़ी साहित्य सेवा है। आपको साधुवाद।
आभार सर।
केहै जैङा विद्वान मानुख सूं परिचय कराया हो आप,
धिनवाद है आपने सा,
जय जोगमाया 🙏🏻
धन्य है कविराज रुपदान जी
रुप दान जी से ज्ञान चर्चा कर सिंध व मारवाड़ के श्रुति परंपरा के तथ्यों पर शोधपरक प्राप्त विचार अविस्मरणीय व अतुलनीय है सा।
Excellent knowledge 🙏
बहुत बहुत आपका और रूपदान जी का आभार hukm.
ईसरदास जी झांफली परणायोड़ा हता 🙏
चारणी इतिहास की अनमोल थाती🙏🙏
Bahut hi sandar hkm
हुक्म अगर दूसरा भाग हों तो भी अपलोड करो
वा रूप दान जी वा
Jay shree ........ Hukm
Bahut Sundar vaarta.
Sindh ke geet, bhanat gakar sunaye, bahut achha laga.
Thanks Girdhar Dan Ji
शानदार जानकारी
बहुत बहुत आभार
😊
💐🙏
❤❤
आवङ जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय प्रदान करावे हुकम
Bhagwan inko lambi aayu de
हुकुम आपकी वार्तालाप बहुत ही अच्छी लगी। आपने सिंध क्षेत्र के निवासी रुपदान जी बारहठ से तमाम बातें पूछ ली जैसे - आवड़ माता का जन्म, छाछरो गांव, विभिन्न राजस्थानी/सिंधी लोक गीत, रतन राणो, सुजोजी देथा एवं मोतीदान देथा इत्यादि। इतना सब कुछ पूछने के बाद भी आपने देवल माता जी के जन्म के बारे में चर्चा नहीं की। कुछ दिन पहले अपने इस संबंध में फोन पर बात हुई थी तब आपने बताया था कि मैं रुपदान जी से मिलकर इस संबंध में कुछ पुख्ता जानकारी पता करुंगा। लेकिन आपने उस बात के बारे में तो चर्चा ही नहीं की। अतः एक बार आपको पुनः रुपदान जी से मिलना पड़ेगा।
गिरधारी दान जी हुक्म 8..10 घंटे का इंटरव्यू लो रूप दान जी का
Jai Shri sa girdhar sa Pradeep Singh ASHIYA balau
भाई साहब आप कहां कहां पहुंच जाते हो
बात में पातो जी चारण (दैथा)अजबदान जी के बेटे और नाथूदानजी के पौते थे ।नाथोथी खारोड़ा छोड़ पहले ओला और फिर आरंग आ बसे।पातो जीऔर उनके बेटे बहुत साहसिक थे।पातोजी की संतति में आज एक ही बेटे का वंश रहा वो मौजूद हैं पातो के बेटे शिवलाल जी।शिवलालजी के बेटे देवीदानजी।देवीदान जी के बेटे नखतदान जी,मूलदानजी। नखतदान की शादी हुई वे और उनके दो बेटे करनीदान हेमदान है।
🙏🙏 मैरै काका श्री
धन्य हो कविराज धन्य
वाह, बहुत खूब
Bajeesa bhaguji Sangrasi ko kala Pani ki saja Hui thi . Or Rana ji ko angrejo ne fashi par chadaya tha . England se fashi na Dene ka farman aaya lekin inhone farman ko bataya hi nahi tatha Rana ji ko fasi de di .me bhi sangrashi sodha hu . Eske bad Rani bhatiyani ji ne inpar geet gulwaya . .
Jay mata ji
वाह कविराज
ये कृषक गीत में अल्ला,,
बहुत अलग लग रहा है।
कोई और शब्द रहा होगा , जो अब शायद उपलब्ध नहीं है।
उस शब्द, उस अक्षर की खोज की जानी चाहिए।
परन्तु यह शब्द अल्ला यहां पर बिल्कुल भी सही नहीं लगता।
कृपया विचार करें बारहठजी 🙏🏻