Bihar board class 9th Sanskrit lesson 3 यक्षयुधिष्ठिर संवाद top 50 Objective questions &व्याख्या

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  • Опубликовано: 30 сен 2024
  • Bihar board class 9th Sanskrit lesson 3 यक्षयुधिष्ठिर संवाद top 50 Objective questions &व्याख्या के साथ
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    यक्ष ने कहा-संसार किस वस्तु से ढका हुआ है? किस कारण प्रकाश नहीं पाता है ? किस कारण से आदमी मित्रों को छोड़ देता है? और स्वर्ग किस लिए नहीं ज़ा पाता है ?
    युधिष्ठिर ने कहा- संसार अज्ञान से ढका हुआ है। अँधेरे के कारण प्रकाश नहीं पाता है। लोभ के चलते आदमी मित्रों को छोड़ देता है और सांसारिक आसक्ति के कारण स्वर्ग नहीं जा पाता है।
    युधिष्ठिर ने कहा- परब्रह्मपरमात्मा के सम्बध का बोध ज्ञान है। चित्त की शान्ति मुक्ति है। सबके लिए सुख की इच्छा दया है और समचित्तता सरलता है।
    यक्ष ने कहा- मनुष्यों का अजेय शत्रु कौन है? अनन्त रोग क्या है ? साधु कौन है ? और असाधु कौन है ?
    युधिष्ठिर ने कहा- मनुष्यों का अजेय शत्रु क्रोध है। लोभ कभी अन्त न होनेवाला रोग है। सब प्राणियों के हित में तत्पर साधु है और निर्दय व्यक्ति असाधु है।
    यक्ष बोला- ऋषियों ने स्थिरता. किसे कहा है? धैर्य किसे कहा गया है ? उत्तम स्नान किसे कहते हैं? और दान किसे कहा जाता है?
    युधिष्ठिर ने कहा-अपने धर्म पर दृढ़ रहना स्थिरता है। इन्द्रियों को वश में खना धर्म है। मन का मैल धो लेना अर्थात् मन को पवित्र बना लेना स्नान है और प्राणियों की रक्षा करना दान है।
    यक्ष बोला-किस पुरुष को पंडित मानना चाहिए ? नास्तिक किसे कहा जाता है ? मूर्ख कौन है ? वासना क्या है ? और मत्सर यानी ईर्ष्या-द्वेष या जलन रखनेवाला किसे कहते हैं ?युधिष्ठिर ने कहा-धर्म के जानने वाले को पण्डित समझना चाहिए। मूर्ख नास्तिक होता है। सांसारिक जन्म और मरण का कारण वासना है और दूसरे को देखकर हृदय में जो जलन होती है उसे मत्सर कहते हैं।

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