21. वैराग्य का सही अर्थ क्या है ?
HTML-код
- Опубликовано: 15 окт 2024
- दृष्टानुअविकविषयवितृष्णस्य वशीकारसंज्ञा वैराग्यम् ।।समाधि पाद, सूत्र १५ ।।
शब्दार्थ- (दृष्ट- आनुभविक विषय-वितृष्णस्य) [वर्तमान जीवन में] अनुभव किये हुए और सुने हुए विषयों की तृष्णा से रहित योगी की ( वशीकार-संज्ञा) मन इन्द्रियों पर पूर्ण वशीकरण की अनुभूति (वैराग्यम्) [अपर] वैराग्य है ।
सूत्रार्थं- वर्तमान जीवन में अनुभव किये हुए और सुने हुए विषयों की तृष्णा से रहित योगी की मन, इन्द्रियों पर पूर्ण वशीकरण की अनुभूति 'अपरवैराग्य' है।
व्या० भा०- स्त्रियो ऽन्नपानमैश्वर्यमिति दृष्टविषयवितृष्णस्य स्वर्गवैदेह्यप्रकृतिलपत्यप्राप्तावानु श्रविकविषये वितृष्णस्य दिव्यादिव्यविषयसंप्रयोगेऽपि चित्तस्य विषयदोषदर्शिनः प्रसंख्यानबलादना- भोगात्मिका हेयोपादेयशून्या वशीकारसंज्ञा वैराग्यम् ॥ १५ ॥
व्या० भा०- स्त्री, अन्न, पान, ऐश्वर्यादि 'दृष्टविषय' है। स्वर्ग, विदेह बनने की इच्छा और प्रकृतितपत्व आदि 'आनुश्रविकविषय' है। इन सबमें तृष्णा रहित तथा दिव्यादिव्य विषयों के साथ सम्बन्ध होने पर भी उनमें विषय दोषदर्शी चित्त की प्रसंख्यान के बल से जो अनाभोगात्मक हेयोपादेय से शून्य वशीकार अनुभूति अर्थात् मन- इन्द्रियों को वश में करने का अनुभव 'वैराग्य' कहलाता है ।। १५ ।।
सनातन धर्म के प्रचार में आप अपने सामर्थ्य के अनुसार हमें सहयोग कर सकते हैं।
हमारा खाता विवरण इस प्रकार है-
खाताधारक- अंकित कुमार
बैंक- State Bank of India
A/C no. 33118016323
IFSC- SBIN0007002
UPI- 7240584434@upi
हमारे चैनल की सभी कक्षाओं को सिलसिलेवार देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें
योग दर्शन
• योग दर्शन
अध्यात्म
• अध्यात्म
प्रथम समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (प्रथम...
द्वितीय समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (दूसरा...
तृतीय समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (तीसरा...
चतुर्थ समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (चौथा ...
पंचम समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (पाँचव...
षष्ठ समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (छठा स...
सप्तम समुल्लास
• सत्यार्थ प्रकाश (सातवा...
सत्यार्थ प्रकाश सार
• सत्यार्थ प्रकाश सार
, aapko Mera koti koti pranam hai 🙏🙏🙏🙏🙏✨✨✨✨✨✨✨✨✨
🙏🙏
आचार्य जी आप सही कह रहे हैं ओ३म् शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🚩🙏🏼
धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩
नमस्ते आचार्य जी
सादर प्रणाम आचार्य जी
clear
Sir ji mai aapka student hu nsut se