कबीर साहेब के कोई पत्नी और बच्चे नहीं थे, कबीर साहेब एक ऐसे महापुरुष हुआ जो सम्पूर्ण जगत को सत्य का ज्ञान दिए। और उसे बार बार दास शब्द से सम्बोधित नहीं करना चाहिए ओ एक अलौकिक महापुरुष हुऐ है
बिल्कुल सही साहेब जी ये लोग तो सिर्फ़ धन जोड़ने में लगे हैं करते हैं राम कथा राम ने पूरा जीवन पैदल चले 14साल वनवास में बिताए ये लोग एसी कार में घुमते है और इनको कबीर जी के बारे में जानकारी नही है जानकारी के लिए कबीर सागर और कबीर बीजक पढ़ने की जरूरत है कबीर एक महान संत थे अभी फिलहाल प्रेम नन्द जी महराज है व्रृन्दावन के महान संत हैं
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum Gale Ram ki jevadi, Jit khinche tit jaun Atharth Kabirdas bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai Mera Gale me Ram name ka janjir hai jidhar o le chle udhar mai khincha chla jata hu Ram Ram ratte Kabira, Moksh u hai pai Morti puja se moksh nahi, Ram ki nirgun bhakti pai Atharth Kabirdas bolte hai ki mai Ram Ram ratta hu isliye mai moksh ko prapt honge Aur jo log murti puja karte hai o kabhi moksh ko prapt nahi ho payenge aur moksh keval Ram ki nirgun bhakti se hi mil sakti hai Ram ki morti puja se nahi
Murkh ab Bhagwan ko bhagwan na bolke ab ak fakir ko bhagwan bol rhe ho isliye toh tumlog andhbhakt kahate ho varna vahi muslim ko dekho jo ak baat par tike rahte hai ki Allah ka siwaye koi nahi but tum andhbhakt ko samjhaye kisi ko bhi bhagwan man lete ho 😅😅😅😅
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं "धाणक रूप रहा करतार" राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24 नानक देव जी कहते हैं :- मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum Gale Ram ki jevadi, Jit khinche tit jaun Atharth Kabir das bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai Mera Gale me Ram name ki janjir hai jidhar vah le jaye udhar khincha chla jata hu
कबीरदास जी कोई पत्नी,बच्चे नही थे।वो स्वयम्भू परमात्मा थे। गरीब,न सतगुरु जननी जने,जिनके माँ न बाप। सेवक बनके उतरे,इस पृथ्वी के माही।जीव उद्धरण जगतगुरु,बार बार बलि जाहु।
Ha Bhai yahi sachai hai Kabir sahib ji to parket hua the Kmel ke phool me n ma n baap. Na beta na beti ve to jivo ke udhar k liye aaye the sat sahib ji 🙏 Ji guru ji
इनको कुछ नहीं पता कबीर साहेब के बारे में।कबीर साहेब की कोई पत्नी नहीं थी। कमाल और कमाली उनके द्वारा जीवित किए हुए बच्चे थे। अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार, सतगुरु पुरुष कबीर हैं,कुल के सिरजन हार। अरबों तो ब्रह्मा गये,उन्चास कोटि कन्हैया। सात करोड़ तेरे शम्भू मर गये,मोरी एक नहीं पलैया। कबीर अविनाशी
संत गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में फाल्गुन मास सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में मिले। उन्हें अपने अविनाशी लोक सतलोक को दिखाया जहां सर्व सुख है। तब गरीबदास जी ने बताया कि सृष्टि का रचनहार कबीर परमेश्वर है। अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रती नहीं भार। सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजन हार।।
सतलोक नश्वर है 😲 👇 प्रमाण ब्रह्मवैवर्तपुराण में है👇 सौति कहते हैं- शौनक जी! तब भगवान की आज्ञा के अनुसार तपस्या करके अभीष्ट सिद्धि पाकर ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मधु और कैटभ के मेदे से मेदिनी की सृष्टि की। उन्होंने आठ प्रधान पर्वतों की रचना की। वे सब बड़े मनोहर थे। उनके बनाये हुए छोटे-छोटे पर्वत तो असंख्य हैं, उनके नाम क्या बताऊँ? मुख्य-मुख्य पर्वतों की नामावली सुनिये- सुमेरु, कैलास, मलय, हिमालय, उदयाचल, अस्ताचल, सुवेल और गन्धमादन - ये आठ प्रधान पर्वत हैं। फिर ब्रह्मा जी ने सात समुद्रों, अनेकानेक नदों और कितनी ही नदियों की सृष्टि की। वृक्षों, गाँवों और नगरों का निर्माण किया। समुद्रों के नाम सुनिये- लवण, इक्षुरस, सुरा, घृत, दही, दूध और सुस्वादु जल के वे समुद्र हैं। उनमें से पहले की लंबाई-चौड़ाई एक लाख योजन की है। बाद वाले उत्तरोत्तर दुगुने होते गये हैं। इन समुद्रों से घिरे हुए सात द्वीप हैं। उनके भूमण्डल कमल पत्र की आकृति वाले हैं। उनमें उपद्वीप और मर्यादा पर्वत भी सात-सात ही हैं। ब्रह्मन! अब आप उन द्वीपों के नाम सुनिये, जिनकी पहले ब्रह्मा जी ने रचना की थी। वे हैं-जम्बूद्वीप, शाकद्वीप, कुशद्वीप, प्लक्षद्वीप, क्रौंचद्वीप, न्यग्रोध (अथवा शाल्मलि) द्वीप तथा पुष्करद्वीप। भगवान ब्रह्मा ने मेरु पर्वत के आठ शिखरों पर आठ लोकपालों के विहार के लिये आठ मनोहर पुरियों का निर्माण किया। उस पर्वत के मूलभाग-पाताल लोक में उन्होंने भगवान अनन्त (शेषनाग) की नगरी बनायी। तदनन्तर लोकनाथ ब्रह्मा ने उस पर्वत के ऊपर-ऊपर सात स्वर्गों की सृष्टि की।शौनक जी! उन सबके नाम सुनिये- भूर्लोक, भुवर्लोक, परम मनोहर स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक तथा सत्यलोक। मेरु के सबसे ऊपरी शिखर पर जरा-मृत्यु आदि से रहित ब्रह्मलोक है। उससे भी ऊपर ध्रुवलोक है, जो सब ओर से अत्यन्त मनोहर है। जगदीश्वर ब्रह्मा जी ने उस पर्वत के निम्न भाग में सात पातालों का निर्माण किया। मुने! वे स्वर्ग की अपेक्षा भी अधिक भोग-साधनों से सम्पन्न हैं और क्रमशः एक से दूसरे उत्तरोत्तर नीचे भाग में स्थित हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, पाताल तथा रसातल। सबसे नीचे रसातल ही है। सात द्वीप, सात स्वर्ग तथा सात पाताल- इन लोकों सहित जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है, वह ब्रह्मा जी के ही अधिकार में है। शौनक! ऐसे-ऐसे असंख्य ब्रह्माण्ड हैं और महाविष्णु के रोमांच-विवरों में उनकी स्थिति है। श्रीकृष्ण की माया से प्रत्येक ब्रह्माण्ड में दिक्पाल, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर हैं, देवता, मनुष्य आदि सभी प्राणी स्थित हैं। इन ब्रह्माण्डों की गणना करने में न तो लोकनाथ ब्रह्मा, न शंकर, न धर्म ही समर्थ हैं; फिर और देवता किस गिनती में हैं? विप्रवर! कृत्रिम विश्व तथा उसके भीतर रहने वाली जो वस्तुएँ हैं, वे सब अनित्य तथा स्वप्न के समान नश्वर हैं। 👉वैकुण्ठ, शिवलोक तथा इन दोनों से परे जो गोलोक है, ये सब अविनाशी नित्य-धाम हैं। इन सबकी स्थिति कृत्रिम विश्व से बाहर है। ठीक उसी तरह, जैसे आत्मा, आकाश और दिशाएँ कृत्रिम जगत से बाहर तथा नित्य हैं।👈 ❤️ इससे यह सिध्द होता है कि ब्रम्हांड के अंदर जितने लोक है वे सभी नश्वर है और ब्रम्हांड के बाहर तीन लोक है गोलोक धाम ,वैकुंठ धाम , और शिव लोक यही तीनो अमर (अविनाशी) साश्वत शांति लोक है ❤️ 9 ।। 32।। हे अर्जुन ! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयानि- चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरी शरण होकर परमगति ( परमधाम ) को ही प्राप्त होते हैं ।। ।।9.31।। हे कौन्तेय? वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।। 👉कबीर, दोहा 👈। जोगी जंगम सेवड़ा, सन्यासी दरवेश |बिना प्रेम पहुंचै नहीं, दुर्लभ हरि का देश | कबीर दोहा:- उजल कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाँहि। एके हरि का नाम बिन, बाँधे जमपुरि जाँहि॥ कबीर दोहा 👈। राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥ जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥ संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥ कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥ [ कबीर दास के शिष्य गरीब दास जी जब कबीर दास को भगवान नहीं माना तो फिर हम कैसे माने कबीर दास को भगवान ] सोचने वाली बात है ज्यादा और कुछ किया बोले तीन लोक अमर (अविनाशी) (कभी नहीं नष्ट होने वाला ) है गोलोक धाम, वैकुंठ धाम, शिवलोक बाकि सभी लोक नश्वर स्वपन के समान पानी के बुलबुले विनाशी लोक है जहा जाने से मनुष्य को फिर से पृथ्वी लोक पर आना पड़ता है गीता ज्ञान अध्याय 8 हे अर्जुन ! ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं,, सतलोक भी पुनरावर्ती में है
👉कबीर दास के दोहा से पकड़ा जा सकता है कि कबीर सच्च में भगवान थे 👈 👇आखिर ये राम कौन है 👇 👉कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाउं। गले राम की जेवड़ी, जित खैंचै तित जाउं।।👈 अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूँ अर्थात मैं तो राम का भगत हूँ और मोती मेरा नाम है। मेरे गले में राम नाम की जंजीर है, जिधर वह ले जाते है मैं उधर ही चला जाता हूँ। कबीरदास जी के दोहे में सबसे ज्यादा👉 राम हरि 👈का ही नाम कियू आ रहा है आखिर ये राम हरि भगवान कौन है 👇 (1)तुलसी दास जी के भी दोहा में भी राम नाम आता है 👇 तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक । साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।। अर्थात:- तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में जो चीजें मनुष्य का साथ देती है वे है, ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम। 👇 (2)सूरदास जी के भी दोहे में हरि का नाम आ रहा है 👇 चरण कमल बंदो हरि राय… जाकी कृपा पंगु गिरी लंघे, अंधेरे को सब कच्छू दरसाई… बहिरो सुने… मूक पुनी बोले, रैंक चले सर छात्र धराई… सूरदास स्वामी करुणामय बारंबर नमो सर नई, चरण कमल बंदो हरि राय अर्थ: मैं श्री हरि के चरण कमलों से प्रार्थना करता हूं जिनकी कृपा से लंगड़ा पहाड़ को पार कर जाता है, अंधे सब कुछ देख सकते हैं जो बहरे सुन सकते हैं, गूंगा फिर से बोल सकता है और भिखारी अपने सिर पर शाही छत्र के साथ चलता है सूरदास जी कहते हैं हे दयालु प्रभु मैं बार-बार अपना सिर नीचे करके आपका अभिनन्दन करता हूँ। 👇 मीरा बाई के भी दोहा में हरि का नाम आता है 👇 (3)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई। जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।। मन रे परसी हरी के चरण सुभाग शीतल कमल कोमल त्रिविध ज्वालाहरण जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण 🙂जबकि मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी कबीरदास जी के जीवन काल में थे 🙂 इससे ये सिध्द हुआ कि कबीर दास भगवान नहीं थे बलकि कबीर दास भी राम के परमभक्त (उच्च कोटी ) के थे अगर कबीरदास ही भगवान रहते तो मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी भी कबीरदास को भगवान मानते 👉जब वह सभी कबीरदास को भगवान नहीं माना तो हम फिर कैसे माने 👈 👉जैसे जैसे कलयुग आगे बढते जायेंगे वैसे वैसै पाखंड पाप बढते जायेंगे👈
राष्ट्रपति जी से विनम्र प्रार्थना कबीर साहेब जी के जीवन परिचय में सुधार करवाएं मिथक- कबीर साहेब जी की लोई, रमजानियां, आदि नाम की पत्नी थीं। तथ्य- कबीर साहेब जी आजीवन अविवाहित रहे। संतों की वाणियों में "लोई" शब्द "स्त्री" के लिए प्रयोग हुआ है, जैसे गरीबदास जी की वाणी है- दास गरीब कह नर लोई। योह पद चीन्हे बिरला कोई।। इसी प्रकार संतों की अन्य वाणियों को ठीक से न समझकर भ्रांतियां फैलाई गई हैं।
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum Gale Ram ki jevadi , Jit khinche tit jaun Atharth Kabirdas bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai Mera Gale me Ram name ka janjir hai jidhar o le chle udhar mai khincha chla jata hu
तुलसी दास जी कहते हैं नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।। संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।। संत गरीब दास जी कहते हैं ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️ हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️ संत दादू जी कहते हैं जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️ नानक जी कहते हैं हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️ खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर संत मलूक दास जी कहते हैं- जपो रे मन साहेब नाम कबीर। जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।। 👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji 👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
Supreme God is Kabir परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है) यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
Bhai geeta m bhagwan krisan bata rahe h ki mai hi awinashi parmatma hu wo nirakar roop unka hi h aur unhone ye bhi kaha h ki jo mere nirakar roop ko dhyaan krta h aisa maarg bade kathinaiyo se bit ta h tab bhi in moorkho ko nhi smjh m aata h
Iysa to ravab bhi bolta tha vhagban hu kiyaa hua anth huana aaj kall kabir panthi vagban hu bol te hai jail Mai hai na god ke pass der hai andhera nahi samjhe
कबीर, धर्मदास यह जग बौराना। कोइ न जाने पद निरवाना।। यहि कारन मैं कथा पसारा। जगसे कहियो राम नियारा।। यही ज्ञान जग जीव सुनाओ। सब जीवोंका भरम नशाओ।। अब मैं तुमसे कहों चिताई। त्रायदेवनकी उत्पति भाई।। कुछ संक्षेप कहों गुहराई। सब संशय तुम्हरे मिट जाई।। भरम गये जग वेद पुराना। आदि रामका का भेद न जाना।। राम राम सब जगत बखाने। आदि राम कोइ बिरला जाने।। ज्ञानी सुने सो हिरदै लगाई। मूर्ख सुने सो गम्य ना पाई।। माँ अष्टंगी पिता निरंजन। वे जम दारुण वंशन अंजन।। पहिले कीन्ह निरंजन राई। पीछेसे माया उपजाई।।
हरि रस पीया जानिये, कबहू न जाए खुमार । मैमता घूमत फिरे, नाही तन की सार ॥ अर्थ : जिस व्यक्ति ने परमात्मा के अमृत को चख लिया हो, वह सारा समय उसी नशे में मस्त रहता है। उसे न अपने शरीर कि, न ही रूप और भेष कि चिंता रहती है।
@SHARAD Rawat kis hisab se unko ap supreme God BTA rhey ho ky kiya unhone yh btao vo only 3 lok ke devta h supreme God only one kabir sabeb ji 🙇🏻😭🙏 वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं 🙏
चारों युगो में अगर कबीर दास जी आये है तो सतयुग ,त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग का प्रमाण दो की सतयुग ओर त्रेतायुग, द्वापरयुग में क्या नाम था ओर कोनसे गाँव में जन्म लिया ओर इनके माता पिता का क्या नाम था ओर क्या क्या लीला की कौन कौन इनके शिष्य थे इनका कोनसे शास्त्र में प्रमाण है । हम 500 600 वर्ष पहले वाला शास्त्र नही मानेगे हम सतयुग या त्रेतायुग या दवापुरयुग का शास्त्र मानेगे
@@Miss.Saleena_Queen ✅️चारो युगों में आने का प्रमाण कहे मुनींद्र सुनो हनुमाना तुम डूबे किस रंग में 33 कोटी राम हो जा लिए जीत जीत के जंग में पूर्ण परमात्मा चारों युग में आते हैं ✅️सत युग का प्रमाण ::- ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ सतयुग में सत्सुकृत अवतारा,त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा । द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग में कबीर कह टेरा ।। चारों युग में हम पुकारे, कूक कहा हम हेल रे। हीरे माणिक मोती बर्षें, यह जग चुगता ढेल रे।। सतयुग में मनु समझाया,काल वश रहा मार्ग नहीं पाया। उल्टा दोष मोही पर लगाया, वामदेव मेरा नाम धराया।। ✅️त्रेता युग का प्रमाण ::- ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ त्रेता में नल नील चेताया,लंका में चन्द्र विजय समझाया। सीख मन्दोदरी रानी मानी, समझा नहीं रावण अभिमानी।। विभिषण किन्ही सेव हमारी, तातें हुआ लंका छत्तरधारी। हार गए थे जब त्रिभुवन राया, समुद्र पर सेतु मैं ही बनवाया।। तीन दिवश राम अर्ज लगाई, समुद्र प्रकट्या युक्ति बताई। नल नील की शक्ति बताई, नल नील में मस्ती छाई।। उन नहीं किन्हा याद गुरूदेव, तातें हम शक्ति छीन लेव। नल नील को लगी अंघाई, तातें पत्थर तिरे नहीं भाई।। मैं किन्हें हल्के वे पत्थर भारी, सेतु बांध रघुवर सेना तारी। लीन्हें चरण राम जब मोरे, लक्ष्मण ने दोहों कर जोरे।। दोनों बोले एक बिचार, ऋषिवर तुम्हरी शक्ति अपार। हनुमान नत मस्तक होया, अंगद सुग्रीव ने माना लोहा।। सेतु बन्ध का भेद न जाने भाई, सुकी दीन्हीं राम बड़ाई। रामचन्द्र कह कोई शक्ति न्यारी, जिन्ह यह रचि सृष्टी सारी।। अज्ञानी कहें रामचन्द्र रचनेहारा, जिने दशरथ घर लीन्हा अवतारा। ऐसी भूल पड़ी धर्मदासा, यथार्थ ज्ञान न किस ही पासा।। ✅️द्वापर युग का प्रमाण ::-
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तुलसी दास जी कहते हैं नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।। संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।। संत गरीब दास जी कहते हैं ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️ हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️ संत दादू जी कहते हैं जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️ नानक जी कहते हैं हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️ खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर संत मलूक दास जी कहते हैं- जपो रे मन साहेब नाम कबीर। जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।। 👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji 👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
पवित्र क़ुरआन में भी लिखा है कि अल्लाह ही कबीर देव है ⬇️⬇️पवित्र कुरान में लिखा है कबीर अल्लाह ही पूजा के योग्य हैं। वह सर्व पापों को विनाश करने वाले हैं। उनकी पवित्र महिमा का गुणगान करो - सुरत-फुर्कानि 25:58
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं "धाणक रूप रहा करतार" राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24 नानक देव जी कहते हैं :- मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
पवित्र बाइबल में भगवान का नाम कबीर है - अय्यूब 36:5 अय्यूब 36:5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB) परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है। परमेश्वर कबीर (सामर्थी) है और विवेकपूर्ण है। बाइबल ने भी स्पष्ट किया है की प्रभु का नाम कबीर है।
पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
Ap jaisi murhk ka student se kaya expect kar sakte hai.Shastra ka kohi prove hai?Without shastra knowledge se lagta hai is society ko ap aur ap ka maharaj pura lut lenga? Ulta sidha bolke simple admi se paisa lena lagta hai professional ho gyea. Ap logoka to business poe effect ho raha hai naa?Paisa lutnna
@@gokulkishan9725 Movies to insan ne creat kyea.God ne nehi.Kabir Sagar dakho sob A-z prove hai.Bgagabat Gita,Devi puean,vishnu puran,Ved,Shiv puran,bubel,kiran etc.sob read karke orginal meaning simjho(galat meaning nehi).Sob holy books me 100 percent prove hai.
Kabir sagar ko pakhandio ne likha hai jara puran ved padh kar dekho usse The great saints log likhe hai jinke pas bahut sare chamatkari powers thi usse padho Aur ak fakir ko bhagwan bol rhe ho isliye 😅toh tumlogo ko andhbhakt kaha jata hai 😅😅😅😅😅😅jarur o Rampal pakhandi brainwash kiya hoga tumlogo ko 😅😅😅😅😅😅
@@HariKumar-ie7ko keep crying 😂😂 sant rampal ji maharaj true sant तुलसी दास जी कहते हैं नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।। संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।। संत गरीब दास जी कहते हैं ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️ हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️ संत दादू जी कहते हैं जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️ नानक जी कहते हैं हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️ खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर संत मलूक दास जी कहते हैं- जपो रे मन साहेब नाम कबीर। जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।। 👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji 👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
🛸परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर | अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🕉️ पूर्ण मोक्ष पूर्ण गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति प्राप्त करके ही संभव है जो कि विश्व में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है।
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum Gale Ram ki jevadi , Jit khinche tit jaun Atharth Kabirdas bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai Mera Gale me Ram name ka janjir hai jidhar o le chle udhar mai khincha chla ja ta hu
@@s-o-n10तुलसी दास जी कहते हैं नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।। संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।। संत गरीब दास जी कहते हैं ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️ हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️ संत दादू जी कहते हैं जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️ नानक जी कहते हैं हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️ खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर संत मलूक दास जी कहते हैं- जपो रे मन साहेब नाम कबीर। जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।। 👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji 👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
सत साहेब सतगुरु पुरुष कबीर है चारों युग परमान। झूठे गुरुवा मर गए हो गए भूत मसान। हर धर्म के वेदों में कबीर साहेब हे पूर्ण ब्रह्म परमात्मा है वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।
👉कबीर दास के दोहा से पकड़ा जा सकता है कि कबीर सच्च में भगवान थे 👈 👇आखिर ये राम कौन है 👇 👉कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाउं। गले राम की जेवड़ी, जित खैंचै तित जाउं।।👈 अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूँ अर्थात मैं तो राम का भगत हूँ और मोती मेरा नाम है। मेरे गले में राम नाम की जंजीर है, जिधर वह ले जाते है मैं उधर ही चला जाता हूँ। कबीरदास जी के दोहे में सबसे ज्यादा👉 राम हरि 👈का ही नाम कियू आ रहा है आखिर ये राम हरि भगवान कौन है 👇 (1)तुलसी दास जी के भी दोहा में भी राम नाम आता है 👇 तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक । साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।। अर्थात:- तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में जो चीजें मनुष्य का साथ देती है वे है, ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम। 👇 (2)सूरदास जी के भी दोहे में हरि का नाम आ रहा है 👇 चरण कमल बंदो हरि राय… जाकी कृपा पंगु गिरी लंघे, अंधेरे को सब कच्छू दरसाई… बहिरो सुने… मूक पुनी बोले, रैंक चले सर छात्र धराई… सूरदास स्वामी करुणामय बारंबर नमो सर नई, चरण कमल बंदो हरि राय अर्थ: मैं श्री हरि के चरण कमलों से प्रार्थना करता हूं जिनकी कृपा से लंगड़ा पहाड़ को पार कर जाता है, अंधे सब कुछ देख सकते हैं जो बहरे सुन सकते हैं, गूंगा फिर से बोल सकता है और भिखारी अपने सिर पर शाही छत्र के साथ चलता है सूरदास जी कहते हैं हे दयालु प्रभु मैं बार-बार अपना सिर नीचे करके आपका अभिनन्दन करता हूँ। 👇 मीरा बाई के भी दोहा में हरि का नाम आता है 👇 (3)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई। जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।। मन रे परसी हरी के चरण सुभाग शीतल कमल कोमल त्रिविध ज्वालाहरण जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण 🙂जबकि मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी कबीरदास जी के जीवन काल में थे 🙂 इससे ये सिध्द हुआ कि कबीर दास भगवान नहीं थे बलकि कबीर दास भी राम के परमभक्त (उच्च कोटी ) के थे अगर कबीरदास ही भगवान रहते तो मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी भी कबीरदास को भगवान मानते 👉जब वह सभी कबीरदास को भगवान नहीं माना तो हम फिर कैसे माने 👈 👉जैसे जैसे कलयुग आगे बढते जायेंगे वैसे वैसै पाखंड पाप बढते जायेंगे👈
@@AmritBhargav-l1y kyu bhai, parmatma ki pehchan unke unke kaam ke adhar par hoti hai kya? Parmatma normal insano ka kaam nhi kar sakte? Apki mansikta ke hisaab se to parmatma hamesha Raja bankar Raj kre tabhi wo parmatma ho sakta hai.
कबीरदास जी तो पैदा ही नहीं हुए थे वह सशरीर पृथ्वी पर आए थे और सशरीर भी चले गए थे कमाल और कमाली को तो उन्होंने जीवित किया था वह मर चुके थे बेटा बेटी के रूप में उनके साथ रहने लगे थे नहीं कबीर जी की शादी हुई थी प्रमाण देखिए संत रामपाल जी महाराज का सत्संग
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। - पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
Abhi jo shri krishn bhagwan ka rath mila hai kuch jante ho . search karke dekh lo mai .kitne sal Purna hai vo kuch pata hai . isliye thoda samjhiye kon bhagwan hai kon nahi .jai shri krishn. 🙏
@@vaishnaw5 Rath Milne se kya bhagwan ho jayega koi😅😅 Shree Krishna ji 3 lok k Malik hai तुलसी दास जी कहते हैं नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।। संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।। संत गरीब दास जी कहते हैं ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️ हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️ संत दादू जी कहते हैं जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️ नानक जी कहते हैं हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️ खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर संत मलूक दास जी कहते हैं- जपो रे मन साहेब नाम कबीर। जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।। 👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji 👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
🌷सत साहेब 🌷भगत जी🌷 सतगुरु कबीर साहेब जी 🌷🙏 राम को याद नहीं कर रहे हैं राम का मतलब परमात्मा होता है परमात्मा को हम तुमको लिंक दे रहे हैं कि कि परमात्मा न की मानुष जन्म पाए कर जो नहीं रटे हरि नाम जैसे कुआं जल बिना बनवाया क्या काम कबीर साहेब परमात्मा स्वयं है सत साहेब 🌷🙏
ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
अरे महाराज जी कबीर जी के बारे में आपने कुछ नहीं जाना क्योंकि कबीर जी पूर्ण परमात्मा है हमारे पवित्र ग्रंथ कबीर साहब की महिमा गाते हैं वह चारों युगों में आए हैं
तुलसी दास जी कहते हैं नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।। संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।। संत गरीब दास जी कहते हैं ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️ हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️ संत दादू जी कहते हैं जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️ नानक जी कहते हैं हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️ खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर संत मलूक दास जी कहते हैं- जपो रे मन साहेब नाम कबीर। जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।। 👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji 👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
@@AmritBhargav-l1y please aapse 🙏 jodkar request hai ek bar anurag Sagar book padh lo aapko pta chal jayega ye sansaar kya hai aur iski creation kis prakar hui hai 🙏🙏
👉कबीर दास के दोहा से पकड़ा जा सकता है कि कबीर सच्च में भगवान थे 👈 👇आखिर ये राम कौन है 👇 👉कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाउं। गले राम की जेवड़ी, जित खैंचै तित जाउं।।👈 अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूँ अर्थात मैं तो राम का भगत हूँ और मोती मेरा नाम है। मेरे गले में राम नाम की जंजीर है, जिधर वह ले जाते है मैं उधर ही चला जाता हूँ। कबीरदास जी के दोहे में सबसे ज्यादा👉 राम हरि 👈का ही नाम कियू आ रहा है आखिर ये राम हरि भगवान कौन है 👇 (1)तुलसी दास जी के भी दोहा में भी राम नाम आता है 👇 तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक । साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।। अर्थात:- तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में जो चीजें मनुष्य का साथ देती है वे है, ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम। 👇 (2)सूरदास जी के भी दोहे में हरि का नाम आ रहा है 👇 चरण कमल बंदो हरि राय… जाकी कृपा पंगु गिरी लंघे, अंधेरे को सब कच्छू दरसाई… बहिरो सुने… मूक पुनी बोले, रैंक चले सर छात्र धराई… सूरदास स्वामी करुणामय बारंबर नमो सर नई, चरण कमल बंदो हरि राय अर्थ: मैं श्री हरि के चरण कमलों से प्रार्थना करता हूं जिनकी कृपा से लंगड़ा पहाड़ को पार कर जाता है, अंधे सब कुछ देख सकते हैं जो बहरे सुन सकते हैं, गूंगा फिर से बोल सकता है और भिखारी अपने सिर पर शाही छत्र के साथ चलता है सूरदास जी कहते हैं हे दयालु प्रभु मैं बार-बार अपना सिर नीचे करके आपका अभिनन्दन करता हूँ। 👇 मीरा बाई के भी दोहा में हरि का नाम आता है 👇 (3)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई। जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।। मन रे परसी हरी के चरण सुभाग शीतल कमल कोमल त्रिविध ज्वालाहरण जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण 🙂जबकि मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी कबीरदास जी के जीवन काल में थे 🙂 इससे ये सिध्द हुआ कि कबीर दास भगवान नहीं थे बलकि कबीर दास भी राम के परमभक्त (उच्च कोटी ) के थे अगर कबीरदास ही भगवान रहते तो मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी भी कबीरदास को भगवान मानते 👉जब वह सभी कबीरदास को भगवान नहीं माना तो हम फिर कैसे माने 👈 👉जैसे जैसे कलयुग आगे बढते जायेंगे वैसे वैसै पाखंड पाप बढते जायेंगे👈
सतलोक नश्वर है 😲 👇 प्रमाण ब्रह्मवैवर्तपुराण में है👇 सौति कहते हैं- शौनक जी! तब भगवान की आज्ञा के अनुसार तपस्या करके अभीष्ट सिद्धि पाकर ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मधु और कैटभ के मेदे से मेदिनी की सृष्टि की। उन्होंने आठ प्रधान पर्वतों की रचना की। वे सब बड़े मनोहर थे। उनके बनाये हुए छोटे-छोटे पर्वत तो असंख्य हैं, उनके नाम क्या बताऊँ? मुख्य-मुख्य पर्वतों की नामावली सुनिये- सुमेरु, कैलास, मलय, हिमालय, उदयाचल, अस्ताचल, सुवेल और गन्धमादन - ये आठ प्रधान पर्वत हैं। फिर ब्रह्मा जी ने सात समुद्रों, अनेकानेक नदों और कितनी ही नदियों की सृष्टि की। वृक्षों, गाँवों और नगरों का निर्माण किया। समुद्रों के नाम सुनिये- लवण, इक्षुरस, सुरा, घृत, दही, दूध और सुस्वादु जल के वे समुद्र हैं। उनमें से पहले की लंबाई-चौड़ाई एक लाख योजन की है। बाद वाले उत्तरोत्तर दुगुने होते गये हैं। इन समुद्रों से घिरे हुए सात द्वीप हैं। उनके भूमण्डल कमल पत्र की आकृति वाले हैं। उनमें उपद्वीप और मर्यादा पर्वत भी सात-सात ही हैं। ब्रह्मन! अब आप उन द्वीपों के नाम सुनिये, जिनकी पहले ब्रह्मा जी ने रचना की थी। वे हैं-जम्बूद्वीप, शाकद्वीप, कुशद्वीप, प्लक्षद्वीप, क्रौंचद्वीप, न्यग्रोध (अथवा शाल्मलि) द्वीप तथा पुष्करद्वीप। भगवान ब्रह्मा ने मेरु पर्वत के आठ शिखरों पर आठ लोकपालों के विहार के लिये आठ मनोहर पुरियों का निर्माण किया। उस पर्वत के मूलभाग-पाताल लोक में उन्होंने भगवान अनन्त (शेषनाग) की नगरी बनायी। तदनन्तर लोकनाथ ब्रह्मा ने उस पर्वत के ऊपर-ऊपर सात स्वर्गों की सृष्टि की।शौनक जी! उन सबके नाम सुनिये- भूर्लोक, भुवर्लोक, परम मनोहर स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक तथा सत्यलोक। मेरु के सबसे ऊपरी शिखर पर जरा-मृत्यु आदि से रहित ब्रह्मलोक है। उससे भी ऊपर ध्रुवलोक है, जो सब ओर से अत्यन्त मनोहर है। जगदीश्वर ब्रह्मा जी ने उस पर्वत के निम्न भाग में सात पातालों का निर्माण किया। मुने! वे स्वर्ग की अपेक्षा भी अधिक भोग-साधनों से सम्पन्न हैं और क्रमशः एक से दूसरे उत्तरोत्तर नीचे भाग में स्थित हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, पाताल तथा रसातल। सबसे नीचे रसातल ही है। सात द्वीप, सात स्वर्ग तथा सात पाताल- इन लोकों सहित जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है, वह ब्रह्मा जी के ही अधिकार में है। शौनक! ऐसे-ऐसे असंख्य ब्रह्माण्ड हैं और महाविष्णु के रोमांच-विवरों में उनकी स्थिति है। श्रीकृष्ण की माया से प्रत्येक ब्रह्माण्ड में दिक्पाल, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर हैं, देवता, मनुष्य आदि सभी प्राणी स्थित हैं। इन ब्रह्माण्डों की गणना करने में न तो लोकनाथ ब्रह्मा, न शंकर, न धर्म ही समर्थ हैं; फिर और देवता किस गिनती में हैं? विप्रवर! कृत्रिम विश्व तथा उसके भीतर रहने वाली जो वस्तुएँ हैं, वे सब अनित्य तथा स्वप्न के समान नश्वर हैं। 👉वैकुण्ठ, शिवलोक तथा इन दोनों से परे जो गोलोक है, ये सब अविनाशी नित्य-धाम हैं। इन सबकी स्थिति कृत्रिम विश्व से बाहर है। ठीक उसी तरह, जैसे आत्मा, आकाश और दिशाएँ कृत्रिम जगत से बाहर तथा नित्य हैं।👈 ❤️ इससे यह सिध्द होता है कि ब्रम्हांड के अंदर जितने लोक है वे सभी नश्वर है और ब्रम्हांड के बाहर तीन लोक है गोलोक धाम ,वैकुंठ धाम , और शिव लोक यही तीनो अमर (अविनाशी) साश्वत शांति लोक है ❤️ 9 ।। 32।। हे अर्जुन ! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयानि- चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरी शरण होकर परमगति ( परमधाम ) को ही प्राप्त होते हैं ।। ।।9.31।। हे कौन्तेय? वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।। 👉कबीर, दोहा 👈। जोगी जंगम सेवड़ा, सन्यासी दरवेश |बिना प्रेम पहुंचै नहीं, दुर्लभ हरि का देश | कबीर दोहा:- उजल कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाँहि। एके हरि का नाम बिन, बाँधे जमपुरि जाँहि॥ कबीर दोहा 👈। राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥ जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥ संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥ कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥ [ कबीर दास के शिष्य गरीब दास जी जब कबीर दास को भगवान नहीं माना तो फिर हम कैसे माने कबीर दास को भगवान ] सोचने वाली बात है ज्यादा और कुछ किया बोले तीन लोक अमर (अविनाशी) (कभी नहीं नष्ट होने वाला ) है गोलोक धाम, वैकुंठ धाम, शिवलोक बाकि सभी लोक नश्वर स्वपन के समान पानी के बुलबुले विनाशी लोक है जहा जाने से मनुष्य को फिर से पृथ्वी लोक पर आना पड़ता है गीता ज्ञान अध्याय 8 हे अर्जुन ! ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं,, सतलोक भी पुनरावर्ती में है
ये सब झुट कहानी है कबिर साहेब कहते है अब हम अविगत से चले आये काशी नगर मे लेहर तालाब के उपर कमल के फुल पे तहा जुलाहे ने पाये और कबिर साहेब कहते है ना मेरा गर्भ बसेरा ना मेरे घर. दासी जुलहे का सुत आण कहाया जगत करे मेरी हासी कमाल और कमाली कबिर साहेब ने मुडदे जीवीत कीये थे कबीर जी अवीगत से आये थे उनके कोई पत्नी बच्चे नही थे वो सबके मालिक थे
श्रीमान अनिरुद्ध आचार्य जी कबीर साहिब दास की भूमिका कर रहे थे वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा है वेदों में प्रमाण है दास प्रमाण भेज रहा है मिलान कर देख लीजिएगा गलत - कबीर साहेब जी आम मनुष्य या संत थे । - सही- कबीर साहेब जी स्वयं पूर्ण ब्रह्म परमात्मा हैं । ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कुंवारी गायों का दूध पीते हैं । ये लीला सिर्फ और सिर्फ कबीर परमेश्वर जी ने की है । कबीर साहिब की संपूर्ण जानकारी के लिए अवश्य डाउनलोड करें Official App " Sant Rampal Ji Maharaj "
*सदगुरु की महिमा अनंत,अनंत किया उपकार| लोचन अनंत उघड़िया,अनंत दिखावन हार|* भावार्थ_सदगुरु कबीर की सबको अंत न हो इतना उपकार है,उनकी महिमा को किसी भी लोको से गाया नहीं जा सकता जिसे वो दिखाना चाहते है उसके सब ज्ञान नेत्र को खोलकर संपूर्ण दिखा और बता देते है, वो सबसे बड़ा जोगी है जो खुद जागते है और संसार को जगाने का प्रयास करते है
चारों वेद, छह शास्त्र, अठारह पुराणों का वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अलावा किसी को खक्क भी ज्ञान नहीं है ये मथुरा वाले तिलकधारी जितने भी बाबा हैं ये लोगों को बेवकूफ बनाया है सच्चाई नहीं बताई गीता जी क्या बता रही हैं। अगर लोगो को सच मालूम हुआ तो इनका धंधा चौपट हो जायेगा ।भोली जनता अब भी जाग जाओ अब भी समय है मेरे भाईयो बहनों
🕉️ पवित्र चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका वास्तविक नाम कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है तथा तीन मंत्र (ॐ, तत् सत्) के नाम का जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष होता है। इस नाम को देने अधिकारी केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
📙गीता अध्याय 15 श्लोक 1 गीता का ज्ञान सुनाने वाले प्रभु काल ने कहा कि ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को शाखा वाला अविनाशी विस्त्तारित, पीपल का वृक्ष रूप संसार है जिसके छोटे-छोटे हिस्से या टहनियाँ पत्ते कहे हैं उस संसार रूप वृक्ष को जो सर्वांगों सहित जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी है।
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 एक उल्टा वृक्ष जिसकी जड़ें ऊपर की और तथा तना नीचे की और है जिसके कबीर जी ने अपनी वाणी में कहा है आदि पुरुष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार। तिरदेवा शाखा भये , पात भयो संसार। सबसे पहले इस मोहसागर में आदि नारायण आए तो संकल्प लिया एकोअहम बहुस्याम ( मैं एक से अनेक हो जाऊं ) तब तीन गुन उत्पन्न हुए ब्रह्मा जी , विष्णु जी और शंकर जी और पत्ते के रूप में ये संसार के समस्त जी ये संसार रूपी पेड़ की जड़े परमात्मा हुक्म से आव्याकृत ब्रह्म से बनती हैं जो इस रहष्य को जनता है वही ब्रह्म ज्ञानी है
Dhany h bhagwan sudama charit katha sadguru Kabir Saheb me jod Diya gya.pt.log apni jeb bharne ke liye kuchh bhi kr skte h.yh katha purn trh se kalpanik aur bni banai h. 🙏🙏🙏
श्री श्री 108 श्री स्वामी जी अनिरुद्ध आचार्य जी की जय हो इनसे अच्छा ज्ञान अपने भक्तों को कोई नहीं समझा सकता ऐसा मेरा मानना है मेरा विश्वास है जो व्यक्ति स्वामी अनिरुद्ध आचार्य की निद्रा करेगा वह खुद तो नरक में जाएगा साथ में सुनने वाले भी नरक में जाएंगे
कवि साहब परमात्मा ने एक मृत बच्चे को जिंदा किया था उसका नाम कमाल रखा था और सबके सामने जिंदा किया था और सब को बोलने लगे थे कवि साहब आपने तो कमाल कर दिया इसलिए लड़के का नाम कमाल ही रखा था
@@devdas7962ram ram jgat bakhane adiram birla jane तुलसी दास जी कहते हैं नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।। संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।। संत गरीब दास जी कहते हैं ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️ हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️ संत दादू जी कहते हैं जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️ नानक जी कहते हैं हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️ खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर संत मलूक दास जी कहते हैं- जपो रे मन साहेब नाम कबीर। जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।। 👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji 👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
कबीर साहब शशरीर सत्यलोक से आए थे और शशरीर सत्यलोक चले गये,, कबीर साहब के बारे मे जानने के लिए कबीर सागर पढो महाराज जी कबीर साहब स्वयं परमात्मा है, वेदों में प्रमाण है कबीर साहब भगवान है न हमरे घर माता-पिता है,न हमरे घर दासी,जात जुलाहा भेद न पाया,जगत कराये हांसी
💠गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 में कहा है कि उस तत्वदर्शी संत के मिल जाने के पश्चात् उस परमेश्वर के परम पद की खोज करनी चाहिए अर्थात् उस तत्वदर्शी संत के बताए अनुसार साधना करनी चाहिए जिससे पूर्ण मोक्ष(अनादि मोक्ष) प्राप्त होता है। गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि मैं भी उसी की शरण में हूँ।
कबीरदास जी भक्त नहीं बल्कि भगत थे। जिस समय कबीरदास के समकालीन और उनके आसपास समय के कवि अपने आराध्य देवता का गुणगान अपनी रचनाओं में कर रहे थे तब कबीर समाज में फैली कुरीतियों और पाखंड का अपनी रचनाओं में विरोध कर रहे थे। कबीरदास जी अपनी रचनाओं से लोगो में वैज्ञानिक और तार्किक चेतना पैदा कर रहे थे। कबीरदास जी के जन्म और मृत्यु को चमत्कारिक कहानियों से जोड़कर कबीरदास जी की मूल चेतना को छिपाने की कोशिश की गई है। कबीरदास जी किसी देवता के भक्त नहीं थे।उन्होंने किसी को अपना आराध्य देव मानकर कोई रचना नहीं की। उन्होंने अपनी रचनाओं से पाहन पूजने से लेकर मस्जिद के अजान तक को आड़े हाथों लिया। कबीरदास जी ने कर्म को श्रेष्ठ माना। उन्होंने सामाजिक समानता पर बल दिया।उन्होंने अमरदेशवा की कल्पना की। कबीरदास जी के विद्रोही तेवर को दबाने के लिए उनकी रचनाओं में छेपक रचनाएं घुसा कर उनके मूल उद्देश्य को छुपाने की कोशिश की गई। लेकिन कबीर को किसी भी तरह से कोई भक्ति कवि सिद्ध नहीं कर सकता। कबीरदास जी के रचना में कुरीतियां, तर्क और वैज्ञानिकता है। भक्ति और तर्क एक साथ नहीं चल सकते। कबीरदास जी किसी भी देवता के भक्त नहीं थे वह एक सामाजिक क्रांतिकारी कवि थे। कबीरदास जी पर मनगढ़ंत भक्ति कहानियां बनाकर उनके मूल भाव को मारने की कोशिश करना गलत है।
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः Translation BG 18.66: सभी प्रकार के धर्मों का परित्याग करो और केवल मेरी शरण ग्रहण करो। मैं तुम्हें समस्त पाप कर्मों की प्रतिक्रियाओं से मुक्त कर दूंगा, डरो मत। Jai shree krishna 🙏🙏
पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
💠गीता जी के अध्याय 18 के श्लोक 64 तथा अध्याय 15 के श्लोक 4 में स्पष्ट है कि स्वयं काल ब्रह्म कह रहा है कि हे अर्जुन! मेरा उपास्य देव (इष्ट) भी वही परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) ही है तथा मैं भी उसी की शरण हूँ तथा वही सनातन स्थान (सतलोक) ही मेरा परम धाम है। क्योंकि ब्रह्म भी वहीं (सतलोक) से निष्कासित है।
Kabir shabe sant the lakin purn parmatma nahi sant rampal ji dura bataya gaya shri madbhagwat gita bilkul galat hai 1%bhi Shai nahi hai Jai shri Krishna
📙गीता ज्ञान दाता काल गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म-मरण के चक्र में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ।
•कबीर, मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी (पत्नी)। जुलाहे का सुत आन कहाया, जगत करें मेरी हांसी।। •पानी से पैदा नाही, श्वांसा नाही शरीर। अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर।। •गरीब,अनंत कोटि ब्रह्मांड का एक रत्ती नहीं भार। सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजनहार।।
राष्ट्रपति जी से विनम्र प्रार्थना कबीर साहेब जी के जीवन परिचय में सुधार करवाएं मिथक- कबीर साहेब जी की कमाल, कमाली, आदि संतानें थीं। तथ्य- कबीर साहेब जी आजीवन अविवाहित रहे। किन्हीं कारणों से उन्होंने दो मुर्दा बालकों को जीवित किया था, जिसे देखकर लोगों ने कहा, "कमाल कर दिया"। साहेब ने उनका नाम कमाल-कमाली रखकर अपने पुत्र-पुत्री रूप में पाला। कबीर साहेब जी की वाणी में प्रमाण है- मात-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
Kabir is supreme god. ब्रह्मा, विष्णु, शिव व अन्य देवी देवता ब्रम्हांड के कुछ ही लोकों के स्वामी है। ये हमें हमारे कर्मों का ही फल दे सकते है। ये भी आदरणीय हैं। लेकिन कबीर भगवान के रूप में जो आए थे, वो पूरण परमात्मा है, ब्रम्हांड के समस्त लोकों के स्वामी हैं। जो इनकी मर्यादा में रहकर इनके बताए अनुसार भक्ति करता है। वो उनके पाप कर्मों को भी नष्ट कर सकते हैं। वेदों में भी ये प्रमाण है।
कबीर -
मात-पिता मेरे कछु नाहीं ,ना मेरे घर दासी ।
जुलाहे का सूत आन कहाया जगत करें मेरी हांसी ॥
सत् साहेब ,,,
बंदी छोड़ संत रामपाल जी महाराज की जय हो ।
💐💐💐🙏🙏💐💐💐
Right 👍😊
@ACO1375
Kabir das ji ke vedio dekhne ke liye is I'd ko subscribe करे
Right
Bilkul Right.
कबीर साहेब के कोई पत्नी और बच्चे नहीं थे, कबीर साहेब एक ऐसे महापुरुष हुआ जो सम्पूर्ण जगत को सत्य का ज्ञान दिए। और उसे बार बार दास शब्द से सम्बोधित नहीं करना चाहिए ओ एक अलौकिक महापुरुष हुऐ है
Sat saheb guru mahraj 🙏
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तो फिर जो यह बता रहे हैं क्या वह झूठ है
मैं भी कबीर साहेब का भगवान पर महात्मा मानता हूं लेकिन इन सब की बातें मुझे प्रचलित कर देती है
पानी से पैदा नहीं स्वास ना शरीर, अन्य आहार करता नही , ताक नाम कबीर🙏🏻
Right 🙏
Kbir saheb ke bareme glt bate Mt failo yh bat puri trh se glt hai
Bilkul sahi inko kaha gyan h inko dhakosla pta h saheb Kabir sarvopari h sat saheb
बिल्कुल सही साहेब जी ये लोग तो सिर्फ़ धन जोड़ने में लगे हैं करते हैं राम कथा राम ने पूरा जीवन पैदल चले 14साल वनवास में बिताए ये लोग एसी कार में घुमते है और इनको कबीर जी के बारे में जानकारी नही है जानकारी के लिए कबीर सागर और कबीर बीजक पढ़ने की जरूरत है कबीर एक महान संत थे अभी फिलहाल प्रेम नन्द जी महराज है व्रृन्दावन के महान संत हैं
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum Gale Ram ki jevadi, Jit khinche tit jaun Atharth Kabirdas bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai Mera Gale me Ram name ka janjir hai jidhar o le chle udhar mai khincha chla jata hu
Ram Ram ratte Kabira, Moksh u hai pai Morti puja se moksh nahi, Ram ki nirgun bhakti pai
Atharth Kabirdas bolte hai ki mai Ram Ram ratta hu isliye mai moksh ko prapt honge Aur jo log murti puja karte hai o kabhi moksh ko prapt nahi ho payenge aur moksh keval Ram ki nirgun bhakti se hi mil sakti hai Ram ki morti puja se nahi
ना हम जन्म गर्भ बसेरा न हमारे घर कोई दासी,, कबीर साहेब जी स्वयं प्रमात्मा थे,,,।।
Land parmatma the Rampal ke tatte log ho tum
Kabir saheb purnbarmh parmata hai
Sach bola aapne
😂😂😂😂😂😂😂
Murkh ab Bhagwan ko bhagwan na bolke ab ak fakir ko bhagwan bol rhe ho isliye toh tumlog andhbhakt kahate ho varna vahi muslim ko dekho jo ak baat par tike rahte hai ki Allah ka siwaye koi nahi but tum andhbhakt ko samjhaye kisi ko bhi bhagwan man lete ho 😅😅😅😅
सतगुरु देव कबीर साहेब जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन साहेब बंदगी गुरु साहेब 🙏🙏🙏
Sahib Bandgi ji
Mera doubt hai is video ma
Saheb bandagi 🎉
@@rijjankumar4512G I
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परमात्मा सतगुरु कबीर साहेब की जय🙏
गगन मंडल से उतरे सतगुरु पुरुष कबीर,
जल माही पोढन कीऐ सब दीनन के पीर,
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
Yes, you are Right ❤️🙏
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum
Gale Ram ki jevadi, Jit khinche tit jaun
Atharth
Kabir das bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai
Mera Gale me Ram name ki janjir hai jidhar vah le jaye udhar khincha chla jata hu
कबीरदास जी कोई पत्नी,बच्चे नही थे।वो स्वयम्भू परमात्मा थे।
गरीब,न सतगुरु जननी जने,जिनके माँ न बाप।
सेवक बनके उतरे,इस पृथ्वी के माही।जीव उद्धरण जगतगुरु,बार बार बलि जाहु।
Ha Bhai yahi sachai hai
Kabir sahib ji to parket hua the Kmel ke phool me n ma n baap. Na beta na beti ve to jivo ke udhar k liye aaye the sat sahib ji 🙏 Ji guru ji
Yes, you are Right ❤️🙏
Ha merre saheb ji to praket huwe the
@@goldibhartisahu7531
❤️❤️❤️❤️❤️
Ha aap Sahi bol rhe ho bhaiya
जूठा आदमी झूठी बातें ही करता है, सतगुरू कबीर साहब जी के जीवन चरित्र, ज्ञान से जलती है तुम्हारी।
गरीब ,गगन मंडल से उतरे सतगुरु पुरुष कबीर। जलज माही पोढन किया सब पीरन के पीर।।सत साहेब जी
Stshahe bhagt ji murkh debkinandan shahv ko das khta he
जब इतिहास ना मालुम होपुरा ज्ञान ना हो तो चाचा मोतियों की टिकाऊ चंदन नगर से महात्मा नहीं हो सकती
@@rajnarayansah2649 jan fir uske samne bolna yah khud murkh kitrha bhok rahe ho. 🙏
@@rajnarayansah2649 l
Kabir saheb is supreme god 🙏
ये कथा कहा से लाए माराजी। कबीर साहेब सुपर मन गॉड 🙏🙏
इनको कुछ नहीं पता कबीर साहेब के बारे में।कबीर साहेब की कोई पत्नी नहीं थी। कमाल और कमाली उनके द्वारा जीवित किए हुए बच्चे थे।
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार,
सतगुरु पुरुष कबीर हैं,कुल के सिरजन हार।
अरबों तो ब्रह्मा गये,उन्चास कोटि कन्हैया।
सात करोड़ तेरे शम्भू मर गये,मोरी एक नहीं पलैया।
कबीर अविनाशी
Sahi Kaha ye nakali guru hai inki kaise jaane kitne guru Hain
Kabir sahab kaun the pata bhi hai inko
Ha
यह बाबा ढोंगी है
इनको कबीर साहेब के बारे में क ख घ मालूम नहीं है इसको दृष्टि कोचिंग दिव्य कीर्ति सर के पास जाना पड़ेगा ।
संत गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में फाल्गुन मास सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में मिले। उन्हें अपने अविनाशी लोक सतलोक को दिखाया जहां सर्व सुख है। तब गरीबदास जी ने बताया कि सृष्टि का रचनहार कबीर परमेश्वर है।
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रती नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजन हार।।
Sat saheb ji 🙏
सतलोक नश्वर है 😲 👇 प्रमाण ब्रह्मवैवर्तपुराण में है👇
सौति कहते हैं- शौनक जी! तब भगवान की आज्ञा के अनुसार तपस्या करके अभीष्ट सिद्धि पाकर ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मधु और कैटभ के मेदे से मेदिनी की सृष्टि की। उन्होंने आठ प्रधान पर्वतों की रचना की। वे सब बड़े मनोहर थे। उनके बनाये हुए छोटे-छोटे पर्वत तो असंख्य हैं, उनके नाम क्या बताऊँ? मुख्य-मुख्य पर्वतों की नामावली सुनिये- सुमेरु, कैलास, मलय, हिमालय, उदयाचल, अस्ताचल, सुवेल और गन्धमादन - ये आठ प्रधान पर्वत हैं। फिर ब्रह्मा जी ने सात समुद्रों, अनेकानेक नदों और कितनी ही नदियों की सृष्टि की। वृक्षों, गाँवों और नगरों का निर्माण किया। समुद्रों के नाम सुनिये- लवण, इक्षुरस, सुरा, घृत, दही, दूध और सुस्वादु जल के वे समुद्र हैं। उनमें से पहले की लंबाई-चौड़ाई एक लाख योजन की है। बाद वाले उत्तरोत्तर दुगुने होते गये हैं। इन समुद्रों से घिरे हुए सात द्वीप हैं। उनके भूमण्डल कमल पत्र की आकृति वाले हैं। उनमें उपद्वीप और मर्यादा पर्वत भी सात-सात ही हैं।
ब्रह्मन! अब आप उन द्वीपों के नाम सुनिये, जिनकी पहले ब्रह्मा जी ने रचना की थी। वे हैं-जम्बूद्वीप, शाकद्वीप, कुशद्वीप, प्लक्षद्वीप, क्रौंचद्वीप, न्यग्रोध (अथवा शाल्मलि) द्वीप तथा पुष्करद्वीप। भगवान ब्रह्मा ने मेरु पर्वत के आठ शिखरों पर आठ लोकपालों के विहार के लिये आठ मनोहर पुरियों का निर्माण किया। उस पर्वत के मूलभाग-पाताल लोक में उन्होंने भगवान अनन्त (शेषनाग) की नगरी बनायी। तदनन्तर लोकनाथ ब्रह्मा ने उस पर्वत के ऊपर-ऊपर सात स्वर्गों की सृष्टि की।शौनक जी! उन सबके नाम सुनिये- भूर्लोक, भुवर्लोक, परम मनोहर स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक तथा सत्यलोक।
मेरु के सबसे ऊपरी शिखर पर जरा-मृत्यु आदि से रहित ब्रह्मलोक है। उससे भी ऊपर ध्रुवलोक है, जो सब ओर से अत्यन्त मनोहर है। जगदीश्वर ब्रह्मा जी ने उस पर्वत के निम्न भाग में सात पातालों का निर्माण किया। मुने! वे स्वर्ग की अपेक्षा भी अधिक भोग-साधनों से सम्पन्न हैं और क्रमशः एक से दूसरे उत्तरोत्तर नीचे भाग में स्थित हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, पाताल तथा रसातल। सबसे नीचे रसातल ही है। सात द्वीप, सात स्वर्ग तथा सात पाताल- इन लोकों सहित जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है, वह ब्रह्मा जी के ही अधिकार में है।
शौनक! ऐसे-ऐसे असंख्य ब्रह्माण्ड हैं और महाविष्णु के रोमांच-विवरों में उनकी स्थिति है। श्रीकृष्ण की माया से प्रत्येक ब्रह्माण्ड में दिक्पाल, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर हैं, देवता, मनुष्य आदि सभी प्राणी स्थित हैं। इन ब्रह्माण्डों की गणना करने में न तो लोकनाथ ब्रह्मा, न शंकर, न धर्म ही समर्थ हैं; फिर और देवता किस गिनती में हैं? विप्रवर! कृत्रिम विश्व तथा उसके भीतर रहने वाली जो वस्तुएँ हैं, वे सब अनित्य तथा स्वप्न के समान नश्वर हैं।
👉वैकुण्ठ, शिवलोक तथा इन दोनों से परे जो गोलोक है, ये सब अविनाशी नित्य-धाम हैं। इन सबकी स्थिति कृत्रिम विश्व से बाहर है। ठीक उसी तरह, जैसे आत्मा, आकाश और दिशाएँ कृत्रिम जगत से बाहर तथा नित्य हैं।👈
❤️ इससे यह सिध्द होता है कि ब्रम्हांड के अंदर जितने लोक है वे सभी नश्वर है और ब्रम्हांड के बाहर तीन लोक है गोलोक धाम ,वैकुंठ धाम , और शिव लोक यही तीनो अमर (अविनाशी) साश्वत शांति लोक है ❤️
9 ।। 32।। हे अर्जुन ! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयानि- चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरी शरण होकर परमगति ( परमधाम ) को ही प्राप्त होते हैं ।।
।।9.31।। हे कौन्तेय? वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।।
👉कबीर, दोहा 👈। जोगी जंगम सेवड़ा, सन्यासी दरवेश |बिना प्रेम पहुंचै नहीं, दुर्लभ हरि का देश |
कबीर दोहा:- उजल कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाँहि।
एके हरि का नाम बिन, बाँधे जमपुरि जाँहि॥
कबीर दोहा 👈। राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥
[ कबीर दास के शिष्य गरीब दास जी जब कबीर दास को भगवान नहीं माना तो फिर हम कैसे माने कबीर दास को भगवान ] सोचने वाली बात है
ज्यादा और कुछ किया बोले तीन लोक अमर (अविनाशी) (कभी नहीं नष्ट होने वाला ) है गोलोक धाम, वैकुंठ धाम, शिवलोक
बाकि सभी लोक नश्वर स्वपन के समान पानी के बुलबुले विनाशी लोक है जहा जाने से मनुष्य को फिर से पृथ्वी लोक पर आना पड़ता है
गीता ज्ञान अध्याय 8
हे अर्जुन ! ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं,,
सतलोक भी पुनरावर्ती में है
👉कबीर दास के दोहा से पकड़ा जा सकता है कि कबीर सच्च में भगवान थे 👈 👇आखिर ये राम कौन है 👇
👉कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाउं।
गले राम की जेवड़ी, जित खैंचै तित जाउं।।👈
अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूँ अर्थात मैं तो राम का भगत हूँ और मोती मेरा नाम है। मेरे गले में राम नाम की जंजीर है, जिधर वह ले जाते है मैं उधर ही चला जाता हूँ।
कबीरदास जी के दोहे में सबसे ज्यादा👉 राम हरि 👈का ही नाम कियू आ रहा है आखिर ये राम हरि भगवान कौन है
👇
(1)तुलसी दास जी के भी दोहा में भी राम नाम आता है
👇
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।।
अर्थात:- तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में जो चीजें मनुष्य का साथ देती है वे है, ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम।
👇
(2)सूरदास जी के भी दोहे में हरि का नाम आ रहा है
👇
चरण कमल बंदो हरि राय…
जाकी कृपा पंगु गिरी लंघे, अंधेरे को सब कच्छू दरसाई…
बहिरो सुने… मूक पुनी बोले, रैंक चले सर छात्र धराई…
सूरदास स्वामी करुणामय बारंबर नमो सर नई, चरण कमल बंदो हरि राय
अर्थ: मैं श्री हरि के चरण कमलों से प्रार्थना करता हूं जिनकी कृपा से लंगड़ा पहाड़ को पार कर जाता है, अंधे सब कुछ देख सकते हैं जो बहरे सुन सकते हैं, गूंगा फिर से बोल सकता है और भिखारी अपने सिर पर शाही छत्र के साथ चलता है सूरदास जी कहते हैं हे दयालु प्रभु मैं बार-बार अपना सिर नीचे करके आपका अभिनन्दन करता हूँ।
👇
मीरा बाई के भी दोहा में हरि का नाम आता है
👇
(3)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई।
जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।।
मन रे परसी हरी के चरण
सुभाग शीतल कमल कोमल
त्रिविध ज्वालाहरण
जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण
जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण
🙂जबकि मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी कबीरदास जी के जीवन काल में थे 🙂
इससे ये सिध्द हुआ कि कबीर दास भगवान नहीं थे बलकि कबीर दास भी राम के परमभक्त (उच्च कोटी ) के थे
अगर कबीरदास ही भगवान रहते तो मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी भी कबीरदास को भगवान मानते
👉जब वह सभी कबीरदास को भगवान नहीं माना तो हम फिर कैसे माने 👈
👉जैसे जैसे कलयुग आगे बढते जायेंगे वैसे वैसै पाखंड पाप बढते जायेंगे👈
Toh kabir ko itne years ke baad yis kalyug me o bhi 15vi isvi me aane ko yaad para fir o Iske pahle kaha mra pada tha andhbhakto 😅😅😅
इस सृष्टी मे ही एकही भगवान है... वो परम पिता परत्मा श्री कृष्णजी है... कोई दुसरा नही है..
जय श्री कृष्णा..
जय हो कबीर जी महराज की जय
अनन्त कोटि ब्रह्मांड का एक रति नहीं भार सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सृजनहार
Right 🙏🙏 love you guru ji 🙏🙏 sat sabhji 🙏🙏
Sat sahib ji
@ACO1375
Kabir das ji ke vedio dekhne ke liye is I'd ko subscribe करे
Sarjanhar nhi julaha murkh❤😂😂😂😂
Dhongi Rampal ka brainwash ka natija
राष्ट्रपति जी से विनम्र प्रार्थना
कबीर साहेब जी के जीवन परिचय में सुधार करवाएं
मिथक- कबीर साहेब जी की लोई, रमजानियां, आदि नाम की पत्नी थीं।
तथ्य- कबीर साहेब जी आजीवन अविवाहित रहे। संतों की वाणियों में "लोई" शब्द "स्त्री" के लिए प्रयोग हुआ है, जैसे गरीबदास जी की वाणी है-
दास गरीब कह नर लोई। योह पद चीन्हे बिरला कोई।।
इसी प्रकार संतों की अन्य वाणियों को ठीक से न समझकर भ्रांतियां फैलाई गई हैं।
सत्य वचन ❤️🙇🙇🙇👌🙏🏻
❤
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum
Gale Ram ki jevadi , Jit khinche tit jaun
Atharth Kabirdas bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai Mera Gale me Ram name ka janjir hai jidhar o le chle udhar mai khincha chla jata hu
Inka jivan ja parichay batane wale maharaaj kav bhagwat ko samjhe nhi h
तुलसी दास जी कहते हैं
नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।।
संत गरीब दास जी कहते हैं
ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान
इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान
गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार
गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️
हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️
संत दादू जी कहते हैं
जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️
नानक जी कहते हैं
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️
खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर
संत मलूक दास जी कहते हैं-
जपो रे मन साहेब नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर
चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर
दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।।
👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें
Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel
अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji
👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
सतगुरु पुरुष कबीर है, चारों युग प्रमाण ।
झूठे गुरुवा मर गये, हो गये भूत मशान ॥”
सत्य कबीर जी 🙏🙏🙏
Supreme God is Kabir
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
Ramji ka jaga ko kitne rakhyas chinna chaha china nahina na , Bass dekte jao age kiya hoga
@@gokulkishan9725 जय जय श्री राम
Bhai geeta m bhagwan krisan bata rahe h ki mai hi awinashi parmatma hu wo nirakar roop unka hi h aur unhone ye bhi kaha h ki jo mere nirakar roop ko dhyaan krta h aisa maarg bade kathinaiyo se bit ta h tab bhi in moorkho ko nhi smjh m aata h
Iysa to ravab bhi bolta tha vhagban hu kiyaa hua anth huana aaj kall kabir panthi vagban hu bol te hai jail Mai hai na god ke pass der hai andhera nahi samjhe
Abe ja be Tum log hamare dharm grantho ko thor marod ke kuch bhi bolte ho isliye tum logo ka harampal Jail mein hai
कबीर जी पूर्ण परमात्मा है, सतलोक के मालिक हैं।
😂😂😂😂😂😂😂
Dhongi baba ki teaching
रामपाल के भक्त😂😂😂
Murkh rampal ke gurge😂😂😂
Yah Rampal ne padhaayaa hoga Shayad
कबीर साहेब जी आजीवन अविवाहित रहे।प्रमाण कबीर सागर। कबीर, न मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक हो दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया ।
Right
💯
आपका मानना सही हैं साहेब बंदगी साहेब
You are right
Loi
कबीर, धर्मदास यह जग बौराना। कोइ न जाने पद निरवाना।।
यहि कारन मैं कथा पसारा। जगसे कहियो राम नियारा।।
यही ज्ञान जग जीव सुनाओ। सब जीवोंका भरम नशाओ।।
अब मैं तुमसे कहों चिताई। त्रायदेवनकी उत्पति भाई।।
कुछ संक्षेप कहों गुहराई। सब संशय तुम्हरे मिट जाई।।
भरम गये जग वेद पुराना। आदि रामका का भेद न जाना।।
राम राम सब जगत बखाने। आदि राम कोइ बिरला जाने।।
ज्ञानी सुने सो हिरदै लगाई। मूर्ख सुने सो गम्य ना पाई।।
माँ अष्टंगी पिता निरंजन। वे जम दारुण वंशन अंजन।।
पहिले कीन्ह निरंजन राई। पीछेसे माया उपजाई।।
जय श्री राम ❤😊
हरि रस पीया जानिये, कबहू न जाए खुमार ।
मैमता घूमत फिरे, नाही तन की सार ॥
अर्थ : जिस व्यक्ति ने परमात्मा के अमृत को चख लिया हो, वह सारा समय उसी नशे में मस्त रहता है। उसे न अपने शरीर कि, न ही रूप और भेष कि चिंता रहती है।
Kabir ji bhagwan they
@@devilalgadwal2324 kabir sabeb ji supreme God h they or vhi rhenge
Sahi h
@SHARAD Rawat kha likha h ji। Khi geeta ji ne h khi shiv puran me h kha h ap BTA dijiye to hm bhii man le nhi to ap bhi hmari mane 🙏
@SHARAD Rawat kis hisab se unko ap supreme God BTA rhey ho ky kiya unhone yh btao vo only 3 lok ke devta h supreme God only one kabir sabeb ji 🙇🏻😭🙏
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं 🙏
कबीरअनंत कोटि ब्रह्मांड का एक रत्ती नहीं भार सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजनहार 🌹सत साहेब🌷🙏😥
Ab ham avgti se cle Aay mera bhedh bhram na pay kasi sahar jagal bis dera ta julaha pay agle janam kol kiya thha tab tere gar aay
Nikal
@ACO1375
Kabir das ji ke vedio dekhne ke liye is I'd ko subscribe करे
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है
सही बात है, सत साहेब जी
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान।
झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान।।
Tum was aur prwas me fark bata do...
Sat sahib ki jai ho Kabir prmatma ha duniya may
चारों युगो में अगर कबीर दास जी आये है तो
सतयुग ,त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग का प्रमाण दो की
सतयुग ओर त्रेतायुग, द्वापरयुग में क्या नाम था ओर कोनसे गाँव में जन्म लिया ओर इनके माता पिता का क्या नाम था ओर क्या क्या लीला की कौन कौन इनके शिष्य थे इनका कोनसे शास्त्र में प्रमाण है । हम 500 600 वर्ष पहले वाला शास्त्र नही मानेगे हम सतयुग या त्रेतायुग या दवापुरयुग का शास्त्र मानेगे
कबीर साहेब हरी का सिमरन करते थे । यह हम साबित कर देंगे । हर हर महादेव
@@Miss.Saleena_Queen ✅️चारो युगों में आने का प्रमाण
कहे मुनींद्र सुनो हनुमाना
तुम डूबे किस रंग में
33 कोटी राम हो जा लिए
जीत जीत के जंग में
पूर्ण परमात्मा चारों युग में आते हैं
✅️सत युग का प्रमाण ::-
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सतयुग में सत्सुकृत अवतारा,त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा ।
द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग में कबीर कह टेरा ।।
चारों युग में हम पुकारे, कूक कहा हम हेल रे।
हीरे माणिक मोती बर्षें, यह जग चुगता ढेल रे।।
सतयुग में मनु समझाया,काल वश रहा मार्ग नहीं पाया।
उल्टा दोष मोही पर लगाया, वामदेव मेरा नाम धराया।।
✅️त्रेता युग का प्रमाण ::-
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
त्रेता में नल नील चेताया,लंका में चन्द्र विजय समझाया।
सीख मन्दोदरी रानी मानी, समझा नहीं रावण अभिमानी।।
विभिषण किन्ही सेव हमारी, तातें हुआ लंका छत्तरधारी।
हार गए थे जब त्रिभुवन राया, समुद्र पर सेतु मैं ही बनवाया।।
तीन दिवश राम अर्ज लगाई, समुद्र प्रकट्या युक्ति बताई।
नल नील की शक्ति बताई, नल नील में मस्ती छाई।।
उन नहीं किन्हा याद गुरूदेव, तातें हम शक्ति छीन लेव।
नल नील को लगी अंघाई, तातें पत्थर तिरे नहीं भाई।।
मैं किन्हें हल्के वे पत्थर भारी, सेतु बांध रघुवर सेना तारी।
लीन्हें चरण राम जब मोरे, लक्ष्मण ने दोहों कर जोरे।।
दोनों बोले एक बिचार, ऋषिवर तुम्हरी शक्ति अपार।
हनुमान नत मस्तक होया, अंगद सुग्रीव ने माना लोहा।।
सेतु बन्ध का भेद न जाने भाई, सुकी दीन्हीं राम बड़ाई।
रामचन्द्र कह कोई शक्ति न्यारी, जिन्ह यह रचि सृष्टी सारी।।
अज्ञानी कहें रामचन्द्र रचनेहारा, जिने दशरथ घर लीन्हा अवतारा।
ऐसी भूल पड़ी धर्मदासा, यथार्थ ज्ञान न किस ही पासा।।
✅️द्वापर युग का प्रमाण ::-
शेखतकी की मृत लड़की कब्र में दफना थी। कबीर परमात्मा ने उसे सबके सामने जिंदा कर दिया। सबने बोला कमाल कर दिया। परमात्मा ने उसका नाम कमाली रखा।
👌👌👌100%સાચી વાત છે
Parmatma🤣
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum
Gale Ram ki jevadi, Jit khinche tit jaun
Atharth Kabirdas bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai Mera Gale me Ram name ka janjir hai jidhar o le chle udhar mai khincha chla jata hu
तुलसी दास जी कहते हैं
नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।।
संत गरीब दास जी कहते हैं
ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान
इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान
गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार
गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️
हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️
संत दादू जी कहते हैं
जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️
नानक जी कहते हैं
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️
खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर
संत मलूक दास जी कहते हैं-
जपो रे मन साहेब नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर
चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर
दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।।
👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें
Visit sant rampal ji maharaj (You Tube) channel
अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji
👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆👆
पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर, अन्न आहार करता नहीं,ताका नाम कबीर।। ❤😊
आप कबीर साहेब जी की जो कथा सुना रहे है , वह असल में अलग है , आप लोक वेद के अनुसार सुना रहे है , सूक्ष्म वेद कबीर वाणी सुने जी ,तभी असलियत मालूम होगी ।
sita ram
कबीर तो स्वयं परमात्मा है कबीर निर्गुण भगत थे
Right
L8oò888
Rampal Ji Maharaj ke bhakt ho kya
Yes, you are Right ❤️🙏
@@thakurvishnukushwah5115 to tum bahut hi galat disha me ja raha ho
जय श्री राधे कृष्णा गुरुजी
सत्य गुरु कबीर साहेब जी के चरणों में कोटि कोटि नमन करती हूँ ( सत्य नाम कबीर परमेश्वर की जय) 🌹🌹🤲🤲🌷🌷🙏🙏❤💘💞
Murkh na bane Kabir bhagwan nhi hai unki pooja mat kero aur bolo jai shree krishna 🙏🙏🙏🙏
Radhe radhe
@@arpitmishra9946 hlo kabir sahib ko app na mano jo mante hai unko galat mat bolo ❤️kabir ji only God ❤️
Satya kabir
Satya kabir
Kabir is real supreme GOD
पवित्र क़ुरआन में भी लिखा है कि अल्लाह ही कबीर देव है
⬇️⬇️पवित्र कुरान में लिखा है कबीर अल्लाह ही पूजा के योग्य हैं।
वह सर्व पापों को विनाश करने वाले हैं। उनकी पवित्र महिमा का गुणगान करो - सुरत-फुर्कानि 25:58
Kuran mai hi nhi Kabir Ji ke bare mai Gita mai Orr guru granth sahib mai bhi likha hai .
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
पवित्र बाइबल में भगवान का नाम कबीर है - अय्यूब 36:5
अय्यूब 36:5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB)
परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है। परमेश्वर कबीर (सामर्थी) है और विवेकपूर्ण है।
बाइबल ने भी स्पष्ट किया है की प्रभु का नाम कबीर है।
पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
पवित्र कुरान प्रमाणित करती है अल्लाह कबीर साहेब ही हैं।
सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 52
कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए अडिग रहना।
Kabir is God. कबीर जी का जीवन परिचय आप गलत बता रहे आप शास्त्रों के विरुद्ध बता रहे है। कबीर दास जी ही पूर्ण परमात्मा
Supreme God Kabir
Tumare Jase murk ab bahut hai ,kitna ko or padhana hoga
Ap jaisi murhk ka student se kaya expect kar sakte hai.Shastra ka kohi prove hai?Without shastra knowledge se lagta hai is society ko ap aur ap ka maharaj pura lut lenga?
Ulta sidha bolke simple admi se paisa lena lagta hai professional ho gyea.
Ap logoka to business poe effect ho raha hai naa?Paisa lutnna
Sehi batara hai,tum ko kiya malum tum akal se bachaa ho, ithihaas pad ke dekho pata chalega Sach kiyaa hai
@@RahulDas-nc6xr Kabir moving deklo sab kahani usmai hai
@@gokulkishan9725 Movies to insan ne creat kyea.God ne nehi.Kabir Sagar dakho sob A-z prove hai.Bgagabat Gita,Devi puean,vishnu puran,Ved,Shiv puran,bubel,kiran etc.sob read karke orginal meaning simjho(galat meaning nehi).Sob holy books me 100 percent prove hai.
All gods dady Kabir saheb 🙏❤
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है जी
कबीर सागर पढ़ कर देखो
वेदों में प्रमाण है, कबीर जी सृष्टि के रचनाकार हैं
Kabir sagar ko pakhandio ne likha hai jara puran ved padh kar dekho usse The great saints log likhe hai jinke pas bahut sare chamatkari powers thi usse padho
Aur ak fakir ko bhagwan bol rhe ho isliye 😅toh tumlogo ko andhbhakt kaha jata hai 😅😅😅😅😅😅jarur o Rampal pakhandi brainwash kiya hoga tumlogo ko 😅😅😅😅😅😅
Bus kavi ko kabir batane wale rampal to jail me gya tum 😂
@@HariKumar-ie7ko keep crying 😂😂 sant rampal ji maharaj true sant
तुलसी दास जी कहते हैं
नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।।
संत गरीब दास जी कहते हैं
ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान
इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान
गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार
गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️
हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️
संत दादू जी कहते हैं
जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️
नानक जी कहते हैं
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️
खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर
संत मलूक दास जी कहते हैं-
जपो रे मन साहेब नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर
चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर
दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।।
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@@anterrajpoot8108 kabir bhi to kahte hai mai ram ka kutta hu usko bhi mano
🛸परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
गुरु अचार्य जी से हम हाथ जोड़कर प्रार्थना करना चाहते हैं गरीब कबीर जी के सही जानकारी
🤗जय भोलेनाथ 🤗 जय राधे कृष्णा 🤗 जय गुरुदेव महाराज 🤗
No 😂😂😂
🕉️ पूर्ण मोक्ष पूर्ण गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति प्राप्त करके ही संभव है जो कि विश्व में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है।
सतगुरु कबीर परमेश्वर की जय हो कबीर परमेश्वर के चरणो में नमन करता हूं
कबीर परमात्मा कहते हैं,
दुनिया अजब दिवानी, मोरी कहि एक न मानी।
तीरथ मूरत पूजत डोले, कंकड़ पत्थर पानी।।
भाई क्या यह सच है
Kabir kutta Ram ki, Mutiya mera naum
Gale Ram ki jevadi , Jit khinche tit jaun Atharth
Kabirdas bolte hai ki mai Ram ka kutta hu matlab Ram ka bhakt hu aur Moti mera name hai Mera Gale me Ram name ka janjir hai jidhar o le chle udhar mai khincha chla ja ta hu
@@s-o-n10Are bhai kabir ak fakir tha but chamaro ne kabir ko bhagwan man baithe hai
@@s-o-n10तुलसी दास जी कहते हैं
नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।।
संत गरीब दास जी कहते हैं
ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान
इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान
गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार
गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️
हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️
संत दादू जी कहते हैं
जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️
नानक जी कहते हैं
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️
खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर
संत मलूक दास जी कहते हैं-
जपो रे मन साहेब नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर
चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर
दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।।
👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें
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अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji
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सत साहेब
सतगुरु पुरुष कबीर है चारों युग परमान।
झूठे गुरुवा मर गए हो गए भूत मसान।
हर धर्म के वेदों में कबीर साहेब हे पूर्ण ब्रह्म परमात्मा है वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान हैं।
बिल्कुल सही बात कही है गुरु जी गुरु वर आप को दंडवत प्रणाम
कबीर, सतगुरु पुरुष कबीर है चारों युग परवान
झूठे गुरुवा मर गए हो गए भूत मसान
पानी से पैदा नहीं. स्वास ना शरीर , अन्य आहार करता नहीं, ताक नाम कबीर 🙏
To fir julahe ka kaam kun kiya tha ....
👉कबीर दास के दोहा से पकड़ा जा सकता है कि कबीर सच्च में भगवान थे 👈 👇आखिर ये राम कौन है 👇
👉कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाउं।
गले राम की जेवड़ी, जित खैंचै तित जाउं।।👈
अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूँ अर्थात मैं तो राम का भगत हूँ और मोती मेरा नाम है। मेरे गले में राम नाम की जंजीर है, जिधर वह ले जाते है मैं उधर ही चला जाता हूँ।
कबीरदास जी के दोहे में सबसे ज्यादा👉 राम हरि 👈का ही नाम कियू आ रहा है आखिर ये राम हरि भगवान कौन है
👇
(1)तुलसी दास जी के भी दोहा में भी राम नाम आता है
👇
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।।
अर्थात:- तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में जो चीजें मनुष्य का साथ देती है वे है, ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम।
👇
(2)सूरदास जी के भी दोहे में हरि का नाम आ रहा है
👇
चरण कमल बंदो हरि राय…
जाकी कृपा पंगु गिरी लंघे, अंधेरे को सब कच्छू दरसाई…
बहिरो सुने… मूक पुनी बोले, रैंक चले सर छात्र धराई…
सूरदास स्वामी करुणामय बारंबर नमो सर नई, चरण कमल बंदो हरि राय
अर्थ: मैं श्री हरि के चरण कमलों से प्रार्थना करता हूं जिनकी कृपा से लंगड़ा पहाड़ को पार कर जाता है, अंधे सब कुछ देख सकते हैं जो बहरे सुन सकते हैं, गूंगा फिर से बोल सकता है और भिखारी अपने सिर पर शाही छत्र के साथ चलता है सूरदास जी कहते हैं हे दयालु प्रभु मैं बार-बार अपना सिर नीचे करके आपका अभिनन्दन करता हूँ।
👇
मीरा बाई के भी दोहा में हरि का नाम आता है
👇
(3)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई।
जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।।
मन रे परसी हरी के चरण
सुभाग शीतल कमल कोमल
त्रिविध ज्वालाहरण
जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण
जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण
🙂जबकि मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी कबीरदास जी के जीवन काल में थे 🙂
इससे ये सिध्द हुआ कि कबीर दास भगवान नहीं थे बलकि कबीर दास भी राम के परमभक्त (उच्च कोटी ) के थे
अगर कबीरदास ही भगवान रहते तो मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी भी कबीरदास को भगवान मानते
👉जब वह सभी कबीरदास को भगवान नहीं माना तो हम फिर कैसे माने 👈
👉जैसे जैसे कलयुग आगे बढते जायेंगे वैसे वैसै पाखंड पाप बढते जायेंगे👈
@@AmritBhargav-l1y kyu bhai, parmatma ki pehchan unke unke kaam ke adhar par hoti hai kya? Parmatma normal insano ka kaam nhi kar sakte? Apki mansikta ke hisaab se to parmatma hamesha Raja bankar Raj kre tabhi wo parmatma ho sakta hai.
@@Wow...666 पर कबीर संत है भगवान नही
कबीरदास जी तो पैदा ही नहीं हुए थे वह सशरीर पृथ्वी पर आए थे और सशरीर भी चले गए थे कमाल और कमाली को तो उन्होंने जीवित किया था वह मर चुके थे बेटा बेटी के रूप में उनके साथ रहने लगे थे नहीं कबीर जी की शादी हुई थी प्रमाण देखिए संत रामपाल जी महाराज का सत्संग
साहेब बंदगी साहेब
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
Abhi jo shri krishn bhagwan ka rath mila hai kuch jante ho . search karke dekh lo mai .kitne sal Purna hai vo kuch pata hai . isliye thoda samjhiye kon bhagwan hai kon nahi .jai shri krishn. 🙏
@@vaishnaw5 Rath Milne se kya bhagwan ho jayega koi😅😅
Shree Krishna ji 3 lok k Malik hai
तुलसी दास जी कहते हैं
नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।।
संत गरीब दास जी कहते हैं
ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान
इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान
गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार
गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️
हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️
संत दादू जी कहते हैं
जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️
नानक जी कहते हैं
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️
खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर
संत मलूक दास जी कहते हैं-
जपो रे मन साहेब नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर
चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर
दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।।
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🌷सत साहेब 🌷भगत जी🌷 सतगुरु कबीर साहेब जी 🌷🙏 राम को याद नहीं कर रहे हैं राम का मतलब परमात्मा होता है परमात्मा को हम तुमको लिंक दे रहे हैं कि कि परमात्मा न की मानुष जन्म पाए कर जो नहीं रटे हरि नाम जैसे कुआं जल बिना बनवाया क्या काम कबीर साहेब परमात्मा स्वयं है सत साहेब 🌷🙏
Kabir ji is Supreme God 🙏🙏🙏
😂😂😂😂😂😂
Sri krishna hi param satya hai
Asli bhgavvat guta par ho
Dhongi baba ki nhi
Tere sapne kabir supreme God hai andhbhakt 😅😅😅😅
पानी से पैदा नहीं, स्वासा ना ही शरीर।
अन्न आहार करता नहीं, ता का नाम कबीर।।
Jee sahev bangi gurudev
गुरू विन ज्ञान न ऊपजै गुरू मिले न भेव ।गुरू बिन सनसय न मिटै ,जय जय गुरू देव ।। गुरू जी वहुत अच्छी कथा सुनाई , धन्यवाद ।
Kabir harami tha bidva ayrat ne janam dekar patta mai rak diya thaa , sachayi ko koi vi mita nahi sakta , sari duniya ko pata hai kabir ek kabi thaa
Wo Puri jiwan buuke rahe the kaa... Kise baklol bana raha.. Sant jo bhi hoye wo sirf prmeswar ka sewak hoye prmeswar na hoye...
आप सही बोल रहे हैं 🙏🙏🙏🙏
कबीरा खड़ा बाज़ार में मांगे सबकी खैर।
ना काउ से दोस्ती ना काहू से बैर।।
Sat saheb ji 🙏
ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
अरे महाराज जी कबीर जी के बारे में आपने कुछ नहीं जाना क्योंकि कबीर जी पूर्ण परमात्मा है हमारे पवित्र ग्रंथ कबीर साहब की महिमा गाते हैं वह चारों युगों में आए हैं
Ye Kya Jane ga ye to Sala kudh dhongi h
😂😂😂🤣🤦♂️
तुलसी दास जी कहते हैं
नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।।
संत गरीब दास जी कहते हैं
ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान
इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान
गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार
गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️
हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️
संत दादू जी कहते हैं
जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️
नानक जी कहते हैं
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️
खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर
संत मलूक दास जी कहते हैं-
जपो रे मन साहेब नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर
चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर
दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।।
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अध्यात्म का सही मार्ग दिखा रहे हैं sant rampal ji maharaj ji
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Raadhe radhe krishna raadhe❤
कबीर साहिब जी मन मथुरा दिल द्वारिका काया काशी जान इस दस द्वारे के महल में परमात्मा की ज्योत पहचान 🌷सत साहेब 🌷😥❤️🌷🙏
कबीर साहेब तो स्वयं पूर्ण परमात्मा hai
Parmatama tak jane ka rasta kabir ho sakte hin purn parmatama nahi...
@@AmritBhargav-l1y please aapse 🙏 jodkar request hai ek bar anurag Sagar book padh lo aapko pta chal jayega ye sansaar kya hai aur iski creation kis prakar hui hai 🙏🙏
यह बाबा ढोंगी है
👉कबीर दास के दोहा से पकड़ा जा सकता है कि कबीर सच्च में भगवान थे 👈 👇आखिर ये राम कौन है 👇
👉कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाउं।
गले राम की जेवड़ी, जित खैंचै तित जाउं।।👈
अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूँ अर्थात मैं तो राम का भगत हूँ और मोती मेरा नाम है। मेरे गले में राम नाम की जंजीर है, जिधर वह ले जाते है मैं उधर ही चला जाता हूँ।
कबीरदास जी के दोहे में सबसे ज्यादा👉 राम हरि 👈का ही नाम कियू आ रहा है आखिर ये राम हरि भगवान कौन है
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(1)तुलसी दास जी के भी दोहा में भी राम नाम आता है
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तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ।।
अर्थात:- तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में जो चीजें मनुष्य का साथ देती है वे है, ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम।
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(2)सूरदास जी के भी दोहे में हरि का नाम आ रहा है
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चरण कमल बंदो हरि राय…
जाकी कृपा पंगु गिरी लंघे, अंधेरे को सब कच्छू दरसाई…
बहिरो सुने… मूक पुनी बोले, रैंक चले सर छात्र धराई…
सूरदास स्वामी करुणामय बारंबर नमो सर नई, चरण कमल बंदो हरि राय
अर्थ: मैं श्री हरि के चरण कमलों से प्रार्थना करता हूं जिनकी कृपा से लंगड़ा पहाड़ को पार कर जाता है, अंधे सब कुछ देख सकते हैं जो बहरे सुन सकते हैं, गूंगा फिर से बोल सकता है और भिखारी अपने सिर पर शाही छत्र के साथ चलता है सूरदास जी कहते हैं हे दयालु प्रभु मैं बार-बार अपना सिर नीचे करके आपका अभिनन्दन करता हूँ।
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मीरा बाई के भी दोहा में हरि का नाम आता है
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(3)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई।
जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।।
मन रे परसी हरी के चरण
सुभाग शीतल कमल कोमल
त्रिविध ज्वालाहरण
जिन चरण ध्रुव अटल किन्ही रख अपनी शरण
जिन चरण ब्रह्माण भेद्यो नख शिखा सिर धरण
🙂जबकि मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी कबीरदास जी के जीवन काल में थे 🙂
इससे ये सिध्द हुआ कि कबीर दास भगवान नहीं थे बलकि कबीर दास भी राम के परमभक्त (उच्च कोटी ) के थे
अगर कबीरदास ही भगवान रहते तो मीरा बाई ,तुलसीदास ,सूरदास जी भी कबीरदास को भगवान मानते
👉जब वह सभी कबीरदास को भगवान नहीं माना तो हम फिर कैसे माने 👈
👉जैसे जैसे कलयुग आगे बढते जायेंगे वैसे वैसै पाखंड पाप बढते जायेंगे👈
सतलोक नश्वर है 😲 👇 प्रमाण ब्रह्मवैवर्तपुराण में है👇
सौति कहते हैं- शौनक जी! तब भगवान की आज्ञा के अनुसार तपस्या करके अभीष्ट सिद्धि पाकर ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मधु और कैटभ के मेदे से मेदिनी की सृष्टि की। उन्होंने आठ प्रधान पर्वतों की रचना की। वे सब बड़े मनोहर थे। उनके बनाये हुए छोटे-छोटे पर्वत तो असंख्य हैं, उनके नाम क्या बताऊँ? मुख्य-मुख्य पर्वतों की नामावली सुनिये- सुमेरु, कैलास, मलय, हिमालय, उदयाचल, अस्ताचल, सुवेल और गन्धमादन - ये आठ प्रधान पर्वत हैं। फिर ब्रह्मा जी ने सात समुद्रों, अनेकानेक नदों और कितनी ही नदियों की सृष्टि की। वृक्षों, गाँवों और नगरों का निर्माण किया। समुद्रों के नाम सुनिये- लवण, इक्षुरस, सुरा, घृत, दही, दूध और सुस्वादु जल के वे समुद्र हैं। उनमें से पहले की लंबाई-चौड़ाई एक लाख योजन की है। बाद वाले उत्तरोत्तर दुगुने होते गये हैं। इन समुद्रों से घिरे हुए सात द्वीप हैं। उनके भूमण्डल कमल पत्र की आकृति वाले हैं। उनमें उपद्वीप और मर्यादा पर्वत भी सात-सात ही हैं।
ब्रह्मन! अब आप उन द्वीपों के नाम सुनिये, जिनकी पहले ब्रह्मा जी ने रचना की थी। वे हैं-जम्बूद्वीप, शाकद्वीप, कुशद्वीप, प्लक्षद्वीप, क्रौंचद्वीप, न्यग्रोध (अथवा शाल्मलि) द्वीप तथा पुष्करद्वीप। भगवान ब्रह्मा ने मेरु पर्वत के आठ शिखरों पर आठ लोकपालों के विहार के लिये आठ मनोहर पुरियों का निर्माण किया। उस पर्वत के मूलभाग-पाताल लोक में उन्होंने भगवान अनन्त (शेषनाग) की नगरी बनायी। तदनन्तर लोकनाथ ब्रह्मा ने उस पर्वत के ऊपर-ऊपर सात स्वर्गों की सृष्टि की।शौनक जी! उन सबके नाम सुनिये- भूर्लोक, भुवर्लोक, परम मनोहर स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक तथा सत्यलोक।
मेरु के सबसे ऊपरी शिखर पर जरा-मृत्यु आदि से रहित ब्रह्मलोक है। उससे भी ऊपर ध्रुवलोक है, जो सब ओर से अत्यन्त मनोहर है। जगदीश्वर ब्रह्मा जी ने उस पर्वत के निम्न भाग में सात पातालों का निर्माण किया। मुने! वे स्वर्ग की अपेक्षा भी अधिक भोग-साधनों से सम्पन्न हैं और क्रमशः एक से दूसरे उत्तरोत्तर नीचे भाग में स्थित हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, पाताल तथा रसातल। सबसे नीचे रसातल ही है। सात द्वीप, सात स्वर्ग तथा सात पाताल- इन लोकों सहित जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है, वह ब्रह्मा जी के ही अधिकार में है।
शौनक! ऐसे-ऐसे असंख्य ब्रह्माण्ड हैं और महाविष्णु के रोमांच-विवरों में उनकी स्थिति है। श्रीकृष्ण की माया से प्रत्येक ब्रह्माण्ड में दिक्पाल, ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर हैं, देवता, मनुष्य आदि सभी प्राणी स्थित हैं। इन ब्रह्माण्डों की गणना करने में न तो लोकनाथ ब्रह्मा, न शंकर, न धर्म ही समर्थ हैं; फिर और देवता किस गिनती में हैं? विप्रवर! कृत्रिम विश्व तथा उसके भीतर रहने वाली जो वस्तुएँ हैं, वे सब अनित्य तथा स्वप्न के समान नश्वर हैं।
👉वैकुण्ठ, शिवलोक तथा इन दोनों से परे जो गोलोक है, ये सब अविनाशी नित्य-धाम हैं। इन सबकी स्थिति कृत्रिम विश्व से बाहर है। ठीक उसी तरह, जैसे आत्मा, आकाश और दिशाएँ कृत्रिम जगत से बाहर तथा नित्य हैं।👈
❤️ इससे यह सिध्द होता है कि ब्रम्हांड के अंदर जितने लोक है वे सभी नश्वर है और ब्रम्हांड के बाहर तीन लोक है गोलोक धाम ,वैकुंठ धाम , और शिव लोक यही तीनो अमर (अविनाशी) साश्वत शांति लोक है ❤️
9 ।। 32।। हे अर्जुन ! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयानि- चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरी शरण होकर परमगति ( परमधाम ) को ही प्राप्त होते हैं ।।
।।9.31।। हे कौन्तेय? वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता।।
👉कबीर, दोहा 👈। जोगी जंगम सेवड़ा, सन्यासी दरवेश |बिना प्रेम पहुंचै नहीं, दुर्लभ हरि का देश |
कबीर दोहा:- उजल कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाँहि।
एके हरि का नाम बिन, बाँधे जमपुरि जाँहि॥
कबीर दोहा 👈। राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥
[ कबीर दास के शिष्य गरीब दास जी जब कबीर दास को भगवान नहीं माना तो फिर हम कैसे माने कबीर दास को भगवान ] सोचने वाली बात है
ज्यादा और कुछ किया बोले तीन लोक अमर (अविनाशी) (कभी नहीं नष्ट होने वाला ) है गोलोक धाम, वैकुंठ धाम, शिवलोक
बाकि सभी लोक नश्वर स्वपन के समान पानी के बुलबुले विनाशी लोक है जहा जाने से मनुष्य को फिर से पृथ्वी लोक पर आना पड़ता है
गीता ज्ञान अध्याय 8
हे अर्जुन ! ब्रह्मलोक पर्यन्त सब लोक पुनरावर्ती हैं,,
सतलोक भी पुनरावर्ती में है
अनिरुद्धयाचार्य जी को सत्य भक्ति के बारे मे क ख ग भी नहीं पता है सभी को सुनी सुनाई बात बता रहे है । प्रमाण है आपके पास की आप जो कह रहे हो वो सही है
कबीर परमात्मा आजनम आविवाहित थे और वो स्वयं परमात्मा थे
Great jai ho kavirdev bhagwaan ki jai🙏🙏🙏
ये सब झुट कहानी है कबिर साहेब कहते है अब हम अविगत से चले आये काशी नगर मे लेहर तालाब के उपर कमल के फुल पे तहा जुलाहे ने पाये और कबिर साहेब कहते है ना मेरा गर्भ बसेरा ना मेरे घर. दासी जुलहे का सुत आण कहाया जगत करे मेरी हासी कमाल और कमाली कबिर साहेब ने मुडदे जीवीत कीये थे कबीर जी अवीगत से आये थे उनके कोई पत्नी बच्चे नही थे वो सबके मालिक थे
सतगुरु कबीर साहेब के चरण कमल मे सप्रेम कोटि कोटि साहेब बदगी साहेब,,
कबी र साहेब जी पूर्ण ब्रह्म अवतार थे ना उनकी साड़ी हुई ना उनके बेटे थे कमाली कमाल उनके चेले थे
perfect Baat Kahi aapane
सच्चा मालिक कबीर साहेब है जिसे बाइबिल में यहोवा कुरान शरीफ में आला हू अकबर और वेदों में कबीर 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सत साहेब
Tere bato se tu to Muslim lg rha hai
@@kirtansahu5906 no bro me Hindu hi hu
अनन्त कोटि ब्रह्मांड, का एक रति नहीं भार।
सतपुरूष कबीर हैं , कुल के सिरजनहार।।
गरीब दासजी,,,
@ACO1375
Kabir das ji ke vedio dekhne ke liye is I'd ko subscribe करे
श्रीमान अनिरुद्ध आचार्य जी कबीर साहिब दास की भूमिका कर रहे थे वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा है वेदों में प्रमाण है दास प्रमाण भेज रहा है मिलान कर देख लीजिएगा
गलत - कबीर साहेब जी आम मनुष्य या संत थे । - सही- कबीर साहेब जी स्वयं पूर्ण ब्रह्म परमात्मा हैं । ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कुंवारी गायों का दूध पीते हैं । ये लीला सिर्फ और सिर्फ कबीर परमेश्वर जी ने की है । कबीर साहिब की संपूर्ण जानकारी के लिए अवश्य डाउनलोड करें Official App
" Sant Rampal Ji Maharaj "
*सदगुरु की महिमा अनंत,अनंत किया उपकार| लोचन अनंत उघड़िया,अनंत दिखावन हार|*
भावार्थ_सदगुरु कबीर की सबको अंत न हो इतना उपकार है,उनकी महिमा को किसी भी लोको से गाया नहीं जा सकता जिसे वो दिखाना चाहते है उसके सब ज्ञान नेत्र को खोलकर संपूर्ण दिखा और बता देते है, वो सबसे बड़ा जोगी है जो खुद जागते है और संसार को जगाने का प्रयास करते है
सत कबीर नाम कर्ता का, कलप करै दिल देवा..!!
सुमिरन करे सुरती से लापै,पावे हरि पद भेवा ...!!
कबीर_परमेश्वर
वैसे पंडित जी के द्वारा बताई गई कहानी मैंने किसी पुस्तक में पड़ी नहीं है
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं जो कि चारों वेदों में श्रीमद् भगवत गीता जी में वर्णित है
Pagal
Ji han Vedo me parman h
Kabir Sahab bhagwan hn.
😁🤣😍
Geeta ka rampal ne Galt uncharan kiya hai..bhagbhat puran dekho pado usko smaj jaoge
चारों वेद, छह शास्त्र, अठारह पुराणों का वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अलावा किसी को खक्क भी ज्ञान नहीं है ये मथुरा वाले तिलकधारी जितने भी बाबा हैं ये लोगों को बेवकूफ बनाया है सच्चाई नहीं बताई गीता जी क्या बता रही हैं। अगर लोगो को सच मालूम हुआ तो इनका धंधा चौपट हो जायेगा ।भोली जनता अब भी जाग जाओ अब भी समय है मेरे भाईयो बहनों
🕉️ पवित्र चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका वास्तविक नाम कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है
तथा तीन मंत्र (ॐ, तत् सत्) के नाम का जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष होता है। इस नाम को देने अधिकारी केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं।
Jai satguru kabee bhagwan ki jai 🙏
Kabir जी खुद ईश्वर है राम क्या देगा उसे
हर जगह राम राम खुद सीता के लिए रोता रहा
📙गीता अध्याय 15 श्लोक 1
गीता का ज्ञान सुनाने वाले प्रभु काल ने कहा कि ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को शाखा वाला अविनाशी विस्त्तारित, पीपल का वृक्ष रूप संसार है जिसके
छोटे-छोटे हिस्से या टहनियाँ पत्ते कहे हैं उस संसार रूप वृक्ष को जो सर्वांगों सहित जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी है।
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 एक उल्टा वृक्ष जिसकी जड़ें ऊपर की और तथा तना नीचे की और है
जिसके कबीर जी ने अपनी वाणी में कहा है
आदि पुरुष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार।
तिरदेवा शाखा भये , पात भयो संसार।
सबसे पहले इस मोहसागर में आदि नारायण आए तो संकल्प लिया एकोअहम बहुस्याम ( मैं एक से अनेक हो जाऊं ) तब तीन गुन उत्पन्न हुए ब्रह्मा जी , विष्णु जी और शंकर जी
और पत्ते के रूप में ये संसार के समस्त जी
ये संसार रूपी पेड़ की जड़े परमात्मा हुक्म से आव्याकृत ब्रह्म से बनती हैं
जो इस रहष्य को जनता है वही ब्रह्म ज्ञानी है
Dhany h bhagwan sudama charit katha sadguru Kabir Saheb me jod Diya gya.pt.log apni jeb bharne ke liye kuchh bhi kr skte h.yh katha purn trh se kalpanik aur bni banai h. 🙏🙏🙏
श्री श्री 108 श्री स्वामी जी अनिरुद्ध आचार्य जी की जय हो इनसे अच्छा ज्ञान अपने भक्तों को कोई नहीं समझा सकता ऐसा मेरा मानना है मेरा विश्वास है जो व्यक्ति स्वामी अनिरुद्ध आचार्य की निद्रा करेगा वह खुद तो नरक में जाएगा साथ में सुनने वाले भी नरक में जाएंगे
अनुरुद्ध जी आपके जो भगवान है कबीर साहेब उनके पिता है पूर्ण परमेश्वर है
😂😂
कबीर जी भगवान् श्री राम के भक्त थे
राम मोरे पिउ मै राम की बहुरिया
Kabir is real god
कवि साहब परमात्मा ने एक मृत बच्चे को जिंदा किया था उसका नाम कमाल रखा था और सबके सामने जिंदा किया था और सब को बोलने लगे थे कवि साहब आपने तो कमाल कर दिया इसलिए लड़के का नाम कमाल ही रखा था
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा भगवान है
वेद पुराण कुरान गुरुग्रंथ साहिब बाइबल में प्रमाण है कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा भगवान है
कबीर ही भगवान है जय हो बंदी छोड़ की सत साहिब जी
सद्गुरु कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है। दया गरीबी बंदगी समता शील उपकार इतने लक्षण साधु के कहे कबीर विचार।
To ram ka Naam Kyu h dohe me
Sadguru kabir saheb ki to patani to nahi hai
Lu** mera
@@devdas7962ram ram jgat bakhane adiram birla jane
तुलसी दास जी कहते हैं
नेति नेति जेहि बेद निरूपा। निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
संभु बिरंचि बिष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।।
संत गरीब दास जी कहते हैं
ब्रह्मा विष्णु महेश रटत हैं,शेष सहंस मुख ध्यान
इन्द्र कुबेर वरूण धर्मराया,गावें तुम्हारा ज्ञान
गरीब, बंदी छोड कबीर हैं, सकल सिरोमणि सार। अगह अगम अगाध के, पाये हम दीदार
गरीब, झिलमिल जोती जगमगै, नैंन बैंन विलास ।सतपुरुष सिर चौर हैं, तखत कबीर खवासा
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सत्पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार ❤️
हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद नहीं पाया काशी माहे कबीर हुआ ❤️
संत दादू जी कहते हैं
जिन मोकू निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सृजन हार ❤️
नानक जी कहते हैं
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार ❤️
खालक आदम सृजिया आलम बड़ा कबीर
संत मलूक दास जी कहते हैं-
जपो रे मन साहेब नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर
चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो-अमर शरीर
दास मलूक सलूक कहत है, खोजो खसम कबीर।।
👉संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य देखें
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कबीर साहब शशरीर सत्यलोक से आए थे और शशरीर सत्यलोक चले गये,, कबीर साहब के बारे मे जानने के लिए कबीर सागर पढो महाराज जी कबीर साहब स्वयं परमात्मा है, वेदों में प्रमाण है कबीर साहब भगवान है
न हमरे घर माता-पिता है,न हमरे घर दासी,जात जुलाहा भेद न पाया,जगत कराये हांसी
💠गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 में कहा है कि उस तत्वदर्शी संत के मिल जाने के पश्चात् उस परमेश्वर के परम पद की खोज करनी चाहिए अर्थात् उस तत्वदर्शी संत के बताए अनुसार साधना करनी चाहिए जिससे पूर्ण मोक्ष(अनादि मोक्ष) प्राप्त होता है। गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि मैं भी उसी की शरण में हूँ।
Esa to kuchh nhi likha h.ji phle pdo kisi ne kuchh bola or sun liya vo sach nhi hot h.phle pdo to shi
किस ग्रंथ में लिखा है की कबीरजी का परिवार था
कबीर परमेश्वर अविनाशी है वेदो में प्रमाण है 🎉
”सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद। चार वेद षट शास्त्रा, कहै अठारा बोध।।“
कबीर परमात्मा खुद थे राम जी नही
परमात्मा की जय हो 🙏🙏🙏🙏
बंदी छोर संत रामपाल जी महराज की जय🙏
कबीरदास जी भक्त नहीं बल्कि भगत थे।
जिस समय कबीरदास के समकालीन और उनके आसपास समय के कवि अपने आराध्य देवता का गुणगान अपनी रचनाओं में कर रहे थे तब कबीर समाज में फैली कुरीतियों और पाखंड का अपनी रचनाओं में विरोध कर रहे थे।
कबीरदास जी अपनी रचनाओं से लोगो में वैज्ञानिक और तार्किक चेतना पैदा कर रहे थे। कबीरदास जी के जन्म और मृत्यु को चमत्कारिक कहानियों से जोड़कर कबीरदास जी की मूल चेतना को छिपाने की कोशिश की गई है।
कबीरदास जी किसी देवता के भक्त नहीं थे।उन्होंने किसी को अपना आराध्य देव मानकर कोई रचना नहीं की।
उन्होंने अपनी रचनाओं से पाहन पूजने से लेकर मस्जिद के अजान तक को आड़े हाथों लिया।
कबीरदास जी ने कर्म को श्रेष्ठ माना। उन्होंने सामाजिक समानता पर बल दिया।उन्होंने अमरदेशवा की कल्पना की।
कबीरदास जी के विद्रोही तेवर को दबाने के लिए उनकी रचनाओं में छेपक रचनाएं घुसा कर उनके मूल उद्देश्य को छुपाने की कोशिश की गई। लेकिन कबीर को किसी भी तरह से कोई भक्ति कवि सिद्ध नहीं कर सकता।
कबीरदास जी के रचना में कुरीतियां, तर्क और वैज्ञानिकता है।
भक्ति और तर्क एक साथ नहीं चल सकते।
कबीरदास जी किसी भी देवता के भक्त नहीं थे वह एक सामाजिक क्रांतिकारी कवि थे।
कबीरदास जी पर मनगढ़ंत भक्ति कहानियां बनाकर उनके मूल भाव को मारने की कोशिश करना गलत है।
📙गीता जी के अध्याय 18 के श्लोक 66 में गीता ज्ञान दाता काल ने अपने से अन्य परम अक्षर ब्रह्म की शरण में जाने को कहा है।
Owl
तुम सब मूर्ख हो👍
इसका मतलब आप गीता को भी नही मान रहे हो
Aksh brahmbh that means Parbrahma Narayan
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः
Translation
BG 18.66: सभी प्रकार के धर्मों का परित्याग करो और केवल मेरी शरण ग्रहण करो। मैं तुम्हें समस्त पाप कर्मों की प्रतिक्रियाओं से मुक्त कर दूंगा, डरो मत।
Jai shree krishna 🙏🙏
Jai sadguru Kabeer bhagwan ki jai 🙏
पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
💠गीता जी के अध्याय 18 के श्लोक 64 तथा अध्याय 15 के श्लोक 4 में स्पष्ट है कि स्वयं काल ब्रह्म कह रहा है कि हे अर्जुन! मेरा उपास्य देव (इष्ट) भी वही परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) ही है तथा मैं भी उसी की शरण हूँ तथा वही सनातन स्थान (सतलोक) ही मेरा परम धाम है। क्योंकि ब्रह्म भी वहीं (सतलोक) से निष्कासित है।
Kabir shabe sant the lakin purn parmatma nahi sant rampal ji dura bataya gaya shri madbhagwat gita bilkul galat hai 1%bhi Shai nahi hai Jai shri Krishna
जय हो कबीर दास जी आपके चरण कमलों में कोटि कोटि प्रणाम जय हो गुरू जी कोटी कोटी प्रणाम 🙏🙏🙏🙏
📙गीता ज्ञान दाता काल गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म-मरण के चक्र में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ।
Or ek baar plzzz sab andh bhagto acarya vikas mashi ki video dekho you tube pe vo bataya ga rig ved me kya liya h
आपको पता नहीं है कबीर साहेब कोन थे परमेश्वर थे
Tujhe Kya pata h
Kabir ak fakir tha bas
•कबीर, मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी (पत्नी)।
जुलाहे का सुत आन कहाया, जगत करें मेरी हांसी।।
•पानी से पैदा नाही, श्वांसा नाही शरीर।
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर।।
•गरीब,अनंत कोटि ब्रह्मांड का एक रत्ती नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजनहार।।
कबीर दास पूर्ण परमात्मा है सत साहेब बंदी छोड़ सत गुरु रामपाल महराज की जय पुन परमात्मा कबीर देव जी के चनर में दंतवत प्रणाम
wo ek sant the baba o ne unhe Paisa kamane ka jariya bana liya hai
Bhai ek bat bato rampal ji se jude log to dan nhi dete na hi kisi bhagwan ko mante to ye kya sahi h
राष्ट्रपति जी से विनम्र प्रार्थना
कबीर साहेब जी के जीवन परिचय में सुधार करवाएं
मिथक- कबीर साहेब जी की कमाल, कमाली, आदि संतानें थीं।
तथ्य- कबीर साहेब जी आजीवन अविवाहित रहे। किन्हीं कारणों से उन्होंने दो मुर्दा बालकों को जीवित किया था, जिसे देखकर लोगों ने कहा, "कमाल कर दिया"। साहेब ने उनका नाम कमाल-कमाली रखकर अपने पुत्र-पुत्री रूप में पाला। कबीर साहेब जी की वाणी में प्रमाण है-
मात-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
Kabir is supreme god.
ब्रह्मा, विष्णु, शिव व अन्य देवी देवता ब्रम्हांड के कुछ ही लोकों के स्वामी है। ये हमें हमारे कर्मों का ही फल दे सकते है। ये भी आदरणीय हैं।
लेकिन कबीर भगवान के रूप में जो आए थे, वो पूरण परमात्मा है, ब्रम्हांड के समस्त लोकों के स्वामी हैं। जो इनकी मर्यादा में रहकर इनके बताए अनुसार भक्ति करता है।
वो उनके पाप कर्मों को भी नष्ट कर सकते हैं। वेदों में भी ये प्रमाण है।
Jay Shree Ram Ram Guruji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️