अश्वगंधा की खेती। अश्वगंधा की खेती कैसे करें। अश्वगंधा की खेती की जानकारी। ashwagandha ki kheti।

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  • Опубликовано: 7 фев 2025
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    1:00 अवश्वंगधा की खेती (Ashwagandha Farming) का सही तरीका और इसके लाभ
    अश्वगंधा की खेती तीन गुना फायदा देने वाली फसल है। इसका उत्पादन करके किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा कर मालामाल हो सकते हैं। यदि सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो बेहतर उत्पादन प्राप्त कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। इसकी बाजार मांग हर मौसम में बनी रहती है। बड़ी-बड़ी आर्युवेर्दिक दवा निर्माता कंपनियां इसका अपनी दवाओं में इस्तेमाल करती है।
    1:35 क्या है अश्वगंधा
    अश्वगंधा एक औषधि है। इसे बलवर्धक, स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक, तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। आयुवेर्दिक दवाओं में इसका उपयोग होता है। सभी जड़ी बूटियों में से अश्वगंधा सबसे अधिक प्रसिद्ध जड़ी बूटी मानी जाती है।
    2:10 कैसा होता है अश्वगंधा का पौधा
    अश्वगंधा एक द्विबीज पत्रीय पौधा है। । इस जाति के पौधे सीधे, अत्यंत शाखित, सदाबहार तथा झाड़ीनुमा 1.25 मीटर लंबे पौधे होते हैं। पत्तियां रोमयुक्त, अंडाकार होती हैं। फूल हरे, पीले तथा छोटे एंव पांच के समूह में लगे हुए होते हैं। इसका फल बेरी जो कि मटर के समान दूध युक्त होता है। जो
    3:00 भारत में कहां-कहां होती है अश्वगंधा की वैज्ञानिक खेती
    भारत में इसकी खेती 1500 मीटर की ऊंचाई तक के सभी क्षेत्रों में की जा रही है। भारत के पश्चिमोत्तर भाग राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश आदि प्रदेशों में अश्वगंधा की खेती की जाती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में अश्वगंधा की खेती बड़े स्तर पर की जाती है।
    4:00 अश्वगंंधा की खेती के लिए जलवायु
    अश्वगंधा को खरीफ (गर्मी) के मौसम में वर्षा शुरू होने के समय लगाया जाता है। अच्छी फसल के लिए जमीन में अच्छी नमी व मौसम शुष्क होना चाहिए। फसल सिंचित व असिंचित दोनों दशाओं में की जा सकती है।
    5:00 अश्वगंंधा की खेती के लिए मिट्टी
    इसकी खेती सभी प्रकार की जमीन में की जा सकती है। लेकिन अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट अथवा हल्की लाल मृदा जिसका पी. एच. मान 7.5-8.0 हो व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त होती है।
    6:00 अश्वगंधा की उन्नत किस्में
    भारत में अश्वगंधा की पाई जाने वाली उन्नत किस्मों में पोशिता, जवाहर असगंध-20, डब्यलू एस.-20 व डब्यलू एस.-134 किस्में अच्छी मानी जाती है।
    7:00 अश्वगंधा की खेती कब और कैसे करें
    7:20 अश्वगंधा की खेती के लिए खेत और नर्सरी तैयार करना
    अगस्त और सितंबर माह में जब वर्षा हो जाऐ उसके बाद जुताई करनी चाहिए। दो बार कल्टीवेटर से जुताई करने के बाद पाटा लगा देना चाहिए। वहीं नर्सरी तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नर्सरी को सतह से 5-6 इंच ऊपर उठाकर बनाई जाए ताकि नर्सरी में जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो। नर्सरी में गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। इससे बीजों का अंकुरण अच्छा होता है।
    8:00 अश्वगंधा के बीज की मात्रा व बीजोपचार
    नर्सरी के लिए प्रति हेक्टेअर पांच किलोग्राम व छिडक़ाव विधि के लिए प्रति हेक्टेअर 10 से 15 किलो अश्वगंधा का बीज की जरूरत पड़ती है।
    9:00 अश्वगंधा की नर्सरी में बीजों की बुवाई
    नर्सरी में इसके बीजों की बुवाई पक्तियों में करनी चाहिए। इसके बीजों को गहराई में 1-1.25 सेमी की गहराई में डालना चाहिए।
    10:00 Ashwagandha Cultivation : रोपण की विधि
    नर्सरी में जब पौधा 6 सप्ताह का हो जाये तब इसे खेत में रोपित कर देना चाहिए। रोपाई के समय दो पौधों के बीच 8 से 10 सेमी की दूरी हो और पंक्तियों के बीच 20 से 25 सेमी की दूरी होनी चाहिए।
    11:00 अश्वगंधा की खेती में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग
    अश्वगंधा के बीजों की बुवाई से एक माह पूर्व प्रति हेक्टेअर पांच ट्रॉली गोबर की खाद या कंपोस्ट की खाद खेत में मिला देना चाहिए।
    12:00 अश्वगंधा में सिंचाई क्रियाएंं
    अश्वगंधा में नियमित समय से वर्षा होने पर फसल की सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन आवश्यकता पडऩे पर इसकी सिंचाई की जा सकती है।
    13:00 अश्वगंधा के फसल की छंटाई व निराई-गुड़ाई
    बुवाई फसल को 25 से 30 दिन बाद हाथ से छांट देना चाहिए।
    14:00 अश्वगंधा की कटाई
    फसल बोआई के 150 से 170 दिन में तैयार हो जाती है।
    15:00 अश्वगंधा की प्राप्त उपज व लाभ
    15:10 अश्वगंधा की कीमत
    15:30 अश्वगंधा की खेती के लिए बीज कहां से प्राप्त करें
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