मोदी विरोध एक वृहद राजनीतिक रणनीति का अंग है। यह मानो भारतीय हिंदुओं को चेतावनी देती रहती है कि दुनिया में किसी भी अन्य समुदाय के हित और अधिकार हैं, किंतु हिंदू हित जैसी बातों के लिए शायद यहां कोई जगह नहीं है। इसलिए उसके अधिकार तो क्या सामान्य अभिव्यक्ति भी सांप्रदायिकता और दूसरों के अधिकारों का हनन है। मोदी को कदम-कदम पर अपमानित करना यही बताने का प्रयास है कि चोट खाने पर भी हिंदू भावनाओं की अभिव्यक्ति मना है। हिंदू को केवल अपमानित होने और अन्य सभ्यताओं के समक्ष जी-हुजूरी की इजाजत है। वह सम्मान के साथ स्वयं को हिंदू भी नहीं कह सकता। इसीलिए मूल गोधरा कांड जिसने प्रतिहिंसा पैदा की, कभी नाराजगी या न्याय का विषय नहीं बना, किंतु उसके बाद हुई प्रतिक्रिया अंतहीन दोषारोपण का विषय बन गई। मोदी के विरुद्ध अभियान किसी भी तरह उचित नहीं, किंतु एलीट सेक्युलरिस्टों ने मोदी के बहाने हिंदू भावना को जानबूझकर कुचलने की नीति अपनाई है। मगर इसके लिए वास्तविक दोषी स्वयं हिंदू समाज है, जो राजनीति का पहला सूत्र भूल गया है कि जो समुदाय अपने लिए बोलने में समर्थ नहीं उसकी नाराजगी का कोई मूल्य नहीं होता। यदि हम हिंदू होकर भी दुनिया के सामने खुलकर हिंदुओं की चिंता रखने से बचते हैं तो निर्बलता स्पष्ट है।
wah
nice sir
मोदी विरोध एक वृहद राजनीतिक रणनीति का अंग है। यह मानो भारतीय हिंदुओं को चेतावनी देती रहती है कि दुनिया में किसी भी अन्य समुदाय के हित और अधिकार हैं, किंतु हिंदू हित जैसी बातों के लिए शायद यहां कोई जगह नहीं है। इसलिए उसके अधिकार तो क्या सामान्य अभिव्यक्ति भी सांप्रदायिकता और दूसरों के अधिकारों का हनन है। मोदी को कदम-कदम पर अपमानित करना यही बताने का प्रयास है कि चोट खाने पर भी हिंदू भावनाओं की अभिव्यक्ति मना है। हिंदू को केवल अपमानित होने और अन्य सभ्यताओं के समक्ष जी-हुजूरी की इजाजत है। वह सम्मान के साथ स्वयं को हिंदू भी नहीं कह सकता। इसीलिए मूल गोधरा कांड जिसने प्रतिहिंसा पैदा की, कभी नाराजगी या न्याय का विषय नहीं बना, किंतु उसके बाद हुई प्रतिक्रिया अंतहीन दोषारोपण का विषय बन गई। मोदी के विरुद्ध अभियान किसी भी तरह उचित नहीं, किंतु एलीट सेक्युलरिस्टों ने मोदी के बहाने हिंदू भावना को जानबूझकर कुचलने की नीति अपनाई है। मगर इसके लिए वास्तविक दोषी स्वयं हिंदू समाज है, जो राजनीति का पहला सूत्र भूल गया है कि जो समुदाय अपने लिए बोलने में समर्थ नहीं उसकी नाराजगी का कोई मूल्य नहीं होता। यदि हम हिंदू होकर भी दुनिया के सामने खुलकर हिंदुओं की चिंता रखने से बचते हैं तो निर्बलता स्पष्ट है।
10 minute hogaye sunte hue.... kuch bhi clear nahi kah pa raha hai