हमें किसी के लिए पूछा नहीं आता हमें तो सही सलामत के लिए सोचना आता है सबके लिएहमें गुस्सा तब आता है सही सलामत जनता नजर नहीं आती है सुख साफ नजर नहीं आती है जब हम
इंसान की मर्यादा होती है एक ही पेड़ से चलाना पूरी लकड़ी एक पैर छूकर का उसी पेड़ से पूरा इंसान चलाना उसको बोलते ही इंसान को फल फूल तो मिलना ही चाहिए फल तो खाना हमेशा के लिए मिलना
Saheb bandagi 🌹🙏🌹 Satnam 🌹🙏🌹 Jay sat guru Kabir saheb 🌹🙏🌹❤❤
Waah mere mallik waah 🌹🙏🌹
Saheb bandgi satnam saheb
सत्य कबीर सप्रेम साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी ❤️❤️❤️
❤️🙏 जय सतनाम
Sahib bandagi Satnam
Saheb bandagi 🙏✴ SATNAAM✴🙏
❤️🙏 जय सतनाम
बंदी छोड़ साहिब नितिन जी गुरु जी को दास सत्यवान का कोटि-कोटि प्रणाम सत नाम साहिब 🙏🙏🌹🌹
🙏🌹साहेब बंदगी सतनाम
सतनाम साहिब बंदगी बंदी चोर सतगुरु नितिन साहिब जी के चरणों में अनंत कोटि कोटि नमस्कार साहिब कृपा बनाए रखें सतनाम साहिब बंदगी
🙏🌹❤️ साहेब बंदगी सतनाम
सतनाम साहिब बंदगी जी
दौलत की माया किसके लिए होती है यस बॉस करने के लिए होती है खाने पीने के लिए नहीं होती है खाने पीने से गद्दारी नहीं होती
जिंदगी याद करी करो मर्यादा की याद भूल जाओ तो भूल जाओ हिंदुस्तान की धरती पर
हिंदुस्तान की जनता सही सलामत क्या खाना चाहिए सही सलामत क्या खाकर जीनी चाहिए माचिस की जरूरत नहीं पड़ती है
हमें किसी के लिए पूछा नहीं आता हमें तो सही सलामत के लिए सोचना आता है सबके लिएहमें गुस्सा तब आता है सही सलामत जनता नजर नहीं आती है सुख साफ नजर नहीं आती है जब हम
माला कौन बनता है गले की फांसी होती वह माला लगती है
खाने के फल नहीं मिलता है इतनी तो नशे के फल मिलते
हिंदुस्तान की धरती पर जनता से ही सलामत नजर नहीं आ रही है इसलिए कुछ चाहता है हमने बाकी ऐसे गुस्सा नहीं आता है
मकानों के लिए लड़ना यह क्या गद्दारी नहीं है
फर्जी पानी के लिए तरसते हरजीत खाने के लिए तरसते तो इंसान का तरसेंगे
हरजी पानी के लिए तरसता है हरजीत रहने के लिए तरसता है हर जीव खाने के लिए तरसता है तो इंसान क्या खाएगा इंसान कैसे रहेगा
इंसान के खाना-पीना लगा सकता है पेड़ पौधे लगा सकता है इंसान खाना बना सकता है तो वह सब्जी खा सकती इंसान ने बनाएगा कौन खाएगा
सब गुरु ही तो अपना-अपना करते फिर सामने हाथ फैलाते प्रिंस के गुरु होते हो
🙏🌹❤️ साहेब बंदगी शतनाम
ओ मर्यादा की याद भूल जाओ
माया से ही तो गद्दार बन गए हैं इंसान को जिंदगी में क्या चाहिए खाना पीना ही चाहिए उसकी जिंदगी कैसी सफर हो
माया तो इंसान के लिए जुड़ी हुई है माया तो ऐसी पक्षों के लिए जोड़ कर रखो तब
इंसान की मर्यादा होती है एक ही पेड़ से चलाना पूरी लकड़ी एक पैर छूकर का उसी पेड़ से पूरा इंसान चलाना उसको बोलते ही इंसान को फल फूल तो मिलना ही चाहिए फल तो खाना हमेशा के लिए मिलना
Malik se ardas karate hai mera bhi bacha aayu aap me deden aur aap ayse hi gyan ko bantate rahen
एक दूसरे का गुस्सा निकालना एक दूसरे की कोनी करना एक दूसरे की बातें करना एक दूसरे की चुगली करना क्या यह गलतफहमी नहीं है
हिंदुस्तान की मृत्यु कौन लेकर आया साथ में अपने-अपने मिट्टी करते
हिंदुस्तान की पृथ्वी पर जितनी मर गए इनको नाम निशान भूल जाओ इनका नाम भूल जाओ उनको मर्यादा भूल जाओ तो सब कुछ सही हो
हमारे हिंदुस्तान की मार्केट में नाश्ता कब का पैकेट आता है कि कितना डुप्लीकेट चलता है फल कितने महंगे मिलते हैं वह पैसे से गद्दारी हो गई
जो होगा देखा जाएगा,,, तुमको ही मुबारक हो मोक्ष🙏राम 🙏
पेड़ को फल तोड़ता है तो पेड़ बोलता है मेरे को पैसे दो
लेकिन साफ सूती इंसान को खाना नहीं मिलता है