नवग्रह के पेड़ पौधों की पहचान | Navagraha Vatika | Navagraha Plants name | नवग्रह के पौधे और उनका फल

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  • Опубликовано: 14 окт 2024
  • #नवग्रह #नवग्रहवाटिका #Navagrahaplants स्वागत है दोस्तों आज के वीडियो मे मैं आपको नवग्रह वाटिका के 9 पोधों की पहचान, उनके औषधीय गुणों एवं चमत्कारी फायदों की जानकारी देने जा रहा हू
    भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को अपने अनुकूल बनाने के लिए वनस्पति की भूमिका को अग्रणी बताया गया है। उसके अनुसार पेड़ व पौधों लगाने और इनके पूजन से कई समस्याएं दूर होती हैं।ऐसा कहा कि सभी ग्रहों के प्रसन्न रहने पर व्यक्ति को किसी भी मुसीबत से सामना करने में कठिनाई नहीं होती है।
    गरुण पुराण के अनुसार
    अर्थात अर्क (मदार), पलाश, खदिर (खैर), अपामार्ग (लटजीरा), पीपल, ओड़म्बर (गूलर), शमी, दूर्वा और कुश क्रमश: नवग्रहों की समिधायें हैं।
    नवग्रह वाटिका में पौधे को लगाते समय दिशाओं एवं कोणों का वास्तुशास्त्र अनुसार विशेष ध्यान रखना चाहिए
    (1) नवग्रह वाटिका में सबसे सेन्टल में अर्क जिसे मदार भी कहा जाता है को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम कैलोट्रोपिस प्रोसेरा है पूजन कार्यक्रम में इसका उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद ग्रन्थों में चरक संहिता में अर्क क्षीर को वामक और विरेचक औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 1, 10, 19, 28 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 1 हो उन्हें सूर्य ग्रह की शान्ति हेतु अर्क के पौधे की पूजा करनी चाहिए।
    (2) नवग्रह वाटिका में पूर्व दिशा में उदुम्बर यानि गूलर को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम फाइकस ग्लोमेरेटा है इसकी लकड़ी का उपयोग शुक्र ग्रह की पूजा में किया जाता है। आयुर्वेद ग्रन्थों में गूलर को मुख रोग, रक्तसा्व, औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 6, 15, 24 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 6 हो उन्हें शुक्र ग्रह की शान्ति हेतु गूलर के पौधे की पूजा करनी चाहिए।
    (3) नवग्रह वाटिका में ईशान कोण में अपामार्ग यानि लटजीरा जिसे चिरचिटा भी कहा जाता है को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम अकाइरेन्थस एस्पेरा है हवन में इसकी लकड़ी का उपयोग बुध ग्रह की शांति के लिए किया जाता है। आयुर्वेद ग्रन्थों में अपार्माग को यकृत और शिरोरोगों में प्रभावी औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 5, 14, 23 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 5 हो उन्हें बुध ग्रह की शान्ति हेतु अपामार्ग के पौधे की पूजा करनी चाहिए।
    (4) नवग्रह वाटिका में उत्तर दिशा में पीपल जिसे बोधिवृक्ष भी कहा जाता है को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम फाइकस रिलीजिओसा है हिन्दू धर्म मान्यताओं में पीपल परम पूज्यनीय वृक्ष है। इसकी लकड़ी का उपयोग गुरू ग्रह की शांति के लिए किया जाता है। आयुर्वेद ग्रन्थों में चरक संहिता में बोधिवृक्ष कषाय को वातरक्त यानि गठिया रोग की प्रभावी औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 3, 21, 30 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 3 हो उन्हें गुरू ग्रह की शान्ति हेतु पीपल के पेड की पूजा करनी चाहिए।
    (5) नवग्रह वाटिका में वायव्य कोण में दिशा में कुशा जिसे दर्भ भी कहा जाता है को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम डेस्मोस्टेचिया बाईपिन्नेटा है इस पौधे से बने छल्ले को हवन.पूजन के दौरान ऊंगली में पहना जाता है। कुश के आसन का प्रयोग भी होता है। आयुर्वेद ग्रन्थों कुशा को मूत्र रोगों की प्रभावी औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 7, 16, 25 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 7 हो उन्हें केतुग्रह की शान्ति हेतु कुशा के पोधे की पूजा करनी चाहिए।
    (6) नवग्रह वाटिका में पश्चिम दिशा में शमी के पोधे को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम प्रोपापिस सिनरेरिया है हिन्दू धर्म मान्यताओं में शमी परम पूज्यनीय वृक्ष है। शमी वृक्ष पर जल चढ़ाने से शनि ग्रह की शांति होती है। इसकी पत्तियों भगवान शिव पर भी चढ़ाया जाता है। आयुर्वेद ग्रन्थों में शमी को कृमिरोग और अतिसार रोग की प्रभावी औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 8, 17, 26 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 8 हो उन्हें शनि ग्रह की शान्ति हेतु शमी के पेड की पूजा करनी चाहिए।
    (7) नवग्रह वाटिका में नै़ऋत्य कोण में दूर्वा घास को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम साइनोडान डेक्टाइलान है दूर्वा का उपयोग प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। आयुर्वेद ग्रन्थों दूर्वा स्वरस को नासागत रक्तसा्रव की प्रभावी औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 4, 13, 23 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 4 हो उन्हें राहु ग्रह की शान्ति हेतु दूर्वा के पोधे की पूजा करनी चाहिए।
    (8) नवग्रह वाटिका में दक्षिण दिशा में खदिर यानि खैर के पोधे को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम अकेसिया कटेचू है इस पौधे को आराध्य माना जाता है। इसकी छाल को घिसकर बनाए गए लेप को पूजन में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग मंगल ग्रह की शांति के लिए किया जाता है।आयुर्वेद ग्रन्थों में चरक संहिता में खदिर को मुखरोग और चर्मरोगों की प्रभावी औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 9, 18, 27 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 9 हो उन्हें मंगल ग्रह की शान्ति हेतु खैर के पेड की पूजा करनी चाहिए।
    (9) नवग्रह वाटिका में आग्नेय दिशा में पलाश यानि ढाक के पोधे को लगाया जाता है। इसका लेटिन नाम ब्यूटिया मोनोस्र्पमा है इस पौधे को ब्रहमवृक्ष कहा जाता है। हवन और अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में इसके पत्तों और लकड़ी का उपयोग होता है। इसका उपयोग चन्द्र ग्रह की शांति के लिए किया जाता है। आयुर्वेद ग्रन्थों में पलाश को कृमि रोगों की प्रभावी औषधि बताया गया है। जिन जातकों का जन्म 2, 11, 20, 29 तारीख को हुआ हो अर्थात् जिनका जन्म मूलांक 2 हो उन्हें चन्द्र ग्रह की शान्ति हेतु पलाश के पेड की पूजा करनी चाहिए। नवग्रह के पेड़ पौधों की पहचान, नवग्रह वाटिका, Navagraha Plants name, नवग्रह के पौधे और उनका फल, नवग्रह के पेड़, नवग्रह के 9 पेड़, navgrah plant, Navagraha plants, Navagraha plants name in Hindi, Navagraha vatika plants

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