Guru Paduka Stotram written by Adi Shankara Bhagawat pada with five verses. In the Hindu tradition the Guru is always the first one to be worshiped even before God. In this beautiful hymn Adishankaracharya salutes the Guru’s feet. This Guru Paduka Stotram, also known as Guru Paadukabhyam. Guru Paduka Stotram is a very powerful rendition of a well-known chant that glorifies the ‘sandals of the Guru. We have given this chant in Tamil and English with meaning. If you like this post please post the feedback after the end of this page. Guru Paduka Stotram in Tamil அனன்தஸம்ஸார ஸமுத்ரதார னௌகாயிதாப்யாம் குருபக்திதாப்யாம் வைராக்ய ஸாம்ராஜ்யத பூஜனாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம். கவித்வவாராஷி நிஷாகராப்யாம் தௌர்பாக்யதாவாம் புதமாலிகாப்யாம் தூரிக்றுதானம்ர விபத்ததிப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம். நதா யயோ ஸ்ரீ பதிதாம் ஸமீயு: கதாசிதப்யாஷ்ர தரித்ரவர்யா: மூகார்ஷ வாசஸ்பதிதாம் ஹி தாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம். நாலீகனீகாஷ பதாஹ்றுதாப்யாம் நானாவிமோ ஹாதி நிவாரிகாப்யாம் நமஜ்ஜ நாபீஷ்ட ததிப்ரதாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம். ந்றுபாலி மௌலி வ்ரஜரத்னகான்தி ஸரித்விராஜத் ஜஷகன்ய காப்யாம் ந்றுபத்வ தாப்யாம் னதலோக பங்கதே: நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம். பாபான்தகாரார்க பரம்பராப்யாம் தாபத்ரயா ஹீன்த்ர கஹேஷ்ர் வராப்யாம் ஜாட்யாப்தி ஸம்ஷோஷண வாடவாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம். ஸமாதிஷட்க ப்ரதவைபவாப்யாம் ஸமாதிதான வ்ரததீக்ஷிதாப்யாம் ரமாத வான்த்ரிஸ்திர பக்திதாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம். ஸ்வார்சா பராணாம் அகிலேஷ்ட தாப்யாம் ஸ்வாஹாஸ ஹாயாக்ஷ துரன்தராப்யாம் ஸ்வான்தாச்ச பாவப்ரதபூஜனாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம். காமாதிஸர்ப வ்ரஜகாருடாப்யாம் விவேகவைராக்ய நிதிப்ரதாப்யாம் போதப்ரதாப்யாம் த்றுதமோக்ஷ தாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
अनंत-संसार समुद्र-तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम्। वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।1। जिसका कहीं अंत नहीं है, ऐसे इस संसार सागर से जो तारने वाली नौका के समान हैं, जो गुरु की भक्ति प्रदान करती हैं, जिनके पूजन से वैराग्य रूपी आधिपत्य प्राप्त होता है, [मेरे] उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है। कवित्व वाराशिनिशाकराभ्यां दौर्भाग्यदावांबुदमालिकाभ्याम्। दूरिकृतानम्र विपत्ततिभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।2। अज्ञान के अंधकार में जो पूर्ण चन्द्र के समान उज्जवल हैं, दुर्भाग्य की अग्नि के लिए जो वर्षा करने वाले मेघ के समान हैं (अर्थात जो दुर्भाग्य रुपी अग्नि को बुझा देती हैं) जो सभी विपत्तियों को दूर कर देती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है। नता ययोः श्रीपतितां समीयुः कदाचिद-प्याशु दरिद्रवर्याः। मूकाश्च वाचस्पतितां हि ताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।3। जिनके आगे नतमस्तक होने से श्री (धन आदि समृद्धि) की प्राप्ति होती है, दरिद्रता के कीचड़ में डूबा हुआ व्यक्ति भी समृद्ध हो जाता है, जो मूक (अज्ञानी, बिना सोचे समझे बोलने वाला) व्यक्ति को भी कुशल वक्ता बना देती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है। नालीकनीकाश पदाहृताभ्यां नानाविमोहादि-निवारिकाभ्यां। नमज्जनाभीष्टततिप्रदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।4। श्री गुरदेव के आकर्षक चरण कमल इस संसार से उत्पन्न हुए मोह और लोभ का नाश करते हैं, जो लोग इनके सम्मुख झुकते हैं उन्हें अभीष्ट (मनचाहा) फल की प्राप्ति होती है, [मैं] श्री गुरुदेव की इन पादुकाओं को नमस्कार है। नृपालि मौलिव्रजरत्नकांति सरिद्विराजत् झषकन्यकाभ्यां। नृपत्वदाभ्यां नतलोक पंक्ते: नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।5। एक राजा के मुकुट की मणि के समान जिनकी चमक होती है, मगरमच्छों से भरी नदी के समीप मनभावन कन्या के समान (अभय का सौन्दर्य प्रकट करते हुए) जो उपस्थित होती हैं, जो इनके सामने झुकते वाले लोगों को नृपत्व (राजा की भांति सम्मान) प्रदान करती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को मेरा नमस्कार है। पापांधकारार्क परंपराभ्यां तापत्रयाहींद्र खगेश्र्वराभ्यां। जाड्याब्धि संशोषण वाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।6। जो पाप के असीम अन्धकार को नष्ट करने वाले सूर्य के समान है, जो संसार के तीनों ताप (दैहिक, दैविक और भौतिक ये तीन प्रकार के कष्ट होते हैं) रुपी सर्पोंको नष्ट करने वाले पक्षीराज गरुड़ के समान हैं, जो अज्ञान रुपी महासागर को सोखने वाली अग्नि रूप हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है। शमादिषट्क प्रदवैभवाभ्यां समाधिदान व्रतदीक्षिताभ्यां। रमाधवांध्रिस्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।7। जो मन के नियंत्रण से प्राप्त होने वाले छः प्रकार के वैभवों को प्रदान करती हैं, जिनकी कृपा से समाधि व्रत के मार्ग की ओर अग्रसर होते हैं, जो मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं और भक्ति रस प्रदान करती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है। स्वार्चापराणां अखिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्षधुरंधराभ्यां। स्वांताच्छभावप्रदपूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।8। जो पुण्यात्मा लोग स्वयं को दूसरों की सहायता के लिए अर्पण कर देते हैं ये उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं, सच्चे भाव से पूजन करने पर जो मन को स्वछन्द कर देती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है। कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां विवेकवैराग्य निधिप्रदाभ्यां । बोधप्रदाभ्यां दृतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।9। काम आदि दुर्गुण रुपी सर्पों के लिए ये गरुड़ के समान हैं, ये विवेक और वैराग्य की निधि प्रदान करती हैं, बुद्धि प्रदान करती हैं और तुरंत मोक्ष देती हैं, श्री गुरुदेव की इन चरण पादुकाओं को मेरा नमस्कार है। ।इति श्रीगुरुपादुकास्तोत्रं संपूर्णम्।
कान्ति के समान द्युतिमान रहतीं हैं। मगरमच्छों से आक्रान्त विशाल नदी में ये मनभावन नवयौवना के समान (अभय के सौन्दर्य का आनन्द प्रदान करते हुए) उपस्थित रहतीं हैं। जो लोग इनके प्रति नतमस्तक होते हैं उन्हें ये सम्राट के समान सम्प्रभुता प्रदान करतीं हैं। इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।५।। पापान्धकारार्क परम्पराभ्यां तापत्रयाहीन्द्र खगेश्र्वराभ्यां | जाड्याब्धि संशोषण वाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ‖ ६ ‖ ये अन्तहीन पापान्धकार को नष्ट करने वाले सूर्य के समान हैं। ये त्रिस्तरीय कष्ट (दैहिक, दैविक/प्राकृतिक, भौतिक) रूपी सर्प के विनाशक पक्षीराज गरुण के समान हैं। ये अज्ञान के महासागर को सुखाने वाली अग्निदाह के समान हैं। इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।६।। शमादिषट्क प्रदवैभवाभ्यां समाधिदान व्रतदीक्षिताभ्यां | रमाधवान्ध्रिस्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ‖ ७ ‖ ये मन के नियन्त्रण से प्रारम्भ होने वाले षष्ठ वैभव (षट् सम्पत्ति) को प्रदान करते हैं जो परोपकार एवं निःस्वार्थपरता से आबद्ध होकर संकल्पित समाधि की ओर अग्रसर करातीं हैं। ये पादुकाएँ मोक्ष हेतु हैं और स्थिर भक्ति प्रदान करतीं हैं। इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।७।। स्वार्चापराणां अखिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्षधुरन्धराभ्यां | स्वान्ताच्छभावप्रदपूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ‖ ८ ‖ ये उन लोगों की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करतीं है जो परोपकार में लिप्त रहते हैं और लोगों की आवश्यकता के अनुरूप सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं। पूजा-अर्चना करने पर ये हृदय का शुद्धीकरण करतीं हैं। इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।८।। कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां विवेकवैराग्य निधिप्रदाभ्यां | बोधप्रदाभ्यां दृतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ‖ ९ ‖ कामादि षट् दुर्गुणों के सर्पों के लिए ये पादुकाएँ गरुड़ के समान हैं, ये वैराग्य एवं विवेक की निधि प्रदान करतीं हैं। ये ज्ञान प्रदान करके तुरन्त मोक्ष प्रदान करतीं हैं। इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।९।।
I get drawn into this chant from Viragya. I also get pulled towards "Gurur Bramha, Gurur Vishanu..." I don't know Sanskrit, but I know Tamil and English. I made it a point to learn these chants As Is, because Sadhguru said: Chants are more about arrangements of sounds than its meaning. Whenever I recite "Gurur Bhramha Gurur Vishnu...." Tears are flowing through, I don't know why, 🙏🏾
Really, it is a great stotram... Thanks for providing the lyrics as well as meaning of the stotram...it is very much helpful to me and also for others as I think.... Thank you 🙏🏻
too devotional to verbalize gratitude heart filled with compassion and love over the sharing of these wonderful verses. ill definitely be back to write these down. sukriya
- GURU PADUKA STOTRAM- LYRICS WITH MEANING रचना |Author: ādi śaṅkarācārya संगीत |Music : Sound of isha Anantha samsara samudhra thara naukayithabhyam guru bhakthithabhyam, Vairagya samrajyadha poojanabhyam, namo nama sri guru padukabhyam. ||१|| 1. My prostration to holy sandals of mu Guru, which serve as the boat to cross this endless ocean of Samsara, which endow me with devotion to Guru, and which grace with the valuable dominion of renunciation. Kavithva varahsini sagarabhyam, dourbhagya davambudha malikabhyam, Dhoorikrutha namra vipathithabhyam, namo nama sri guru padukabhyam. ||२|| 2. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which serve as the down pour of water to put out the fire of misfortunes, which remove the groups of distresses of those who prostrate to them. Natha yayo sripatitam samiyu kadachidapyashu daridra varya, Mookascha vachaspathitham hi thabhyam, namo nama sri guru padukabhyam. ||३|| 3. My prostrations to the holy sandals of my Guru, adoring which the worst poverty stricken, have turned out to be great possesors of wealth, and even the mutes have turned out to be great masters of speech. Naleeka neekasa pada hrithabhyam, nana vimohadhi nivarikabyam, Nama janabheeshtathathi pradhabhyam namo nama sri guru padukabhyam.||४|| 4. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which remove all kinds of ignorant desires, and which fulfill in plenty, the desire of those who bow down to them. Nrupali mouleebraja rathna kanthi saridvi raja jjashakanyakabhyam, Nrupadvadhabhyam nathaloka pankhthe, namo nama sri guru padukabhyam.||५|| 5. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which shine like the precious stones that adorn the crown of kings, by bowing to which one drowned in worldliness will be lifted up to the great rank of sovereignty Papandhakara arka paramparabhyam, thapathryaheendra khageswarabhyam, Jadyabdhi samsoshana vadawabhyam namo nama sri guru padukabhyam.||६|| 6. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which serve as the Sun smashing all the illusions of sins, which are like garuda birds in front of the serpents of the three pains of Samsara; and which are like the terrific fire that dries away the ocean of jadata or insentience. Shamadhi shatka pradha vaibhavabhyam, Samadhi dhana vratha deeksithabhyam, Ramadhavangri sthira bhakthidabhyam, namo nama sri guru padukabhyam.||७|| 7. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which endows one with six attributes which can bless with permanent devotion at the feet of the Lord Rama and which is initiated with the vow of charity and selfsettledness. Swarchaparana makhileshtathabhyam, swaha sahayaksha durndarabhyam, Swanthacha bhava pradha poojanabhyam, namo nama sri guru padukabhyam.||८|| 8. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which bestows all the wishes of those who are absorbed in the Self, and which grace with one’s own hidden real nature. Kaamadhi sarpa vraja garudabhyam, viveka vairagya nidhi pradhabhyam, Bhodha pradhabhyam drutha mokshathabhyam, namo nama sri guru padukabhyam.||९|| 9. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which are like garudas to all the serpents of desire, and which bless with the valuable treasure of discrimination and renumciation, and which enlighten with bodha- the true knowledge, and bless with instant liberation from the shackles of the world.
Lyrics tamil la kidaikuma.. pls..
Guru Paduka Stotram written by Adi Shankara Bhagawat pada with five verses. In the Hindu tradition the Guru is always the first one to be worshiped even before God. In this beautiful hymn Adishankaracharya salutes the Guru’s feet. This Guru Paduka Stotram, also known as Guru Paadukabhyam. Guru Paduka Stotram is a very powerful rendition of a well-known chant that glorifies the ‘sandals of the Guru. We have given this chant in Tamil and English with meaning. If you like this post please post the feedback after the end of this page.
Guru Paduka Stotram in Tamil
அனன்தஸம்ஸார ஸமுத்ரதார னௌகாயிதாப்யாம் குருபக்திதாப்யாம்
வைராக்ய ஸாம்ராஜ்யத பூஜனாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
கவித்வவாராஷி நிஷாகராப்யாம் தௌர்பாக்யதாவாம் புதமாலிகாப்யாம்
தூரிக்றுதானம்ர விபத்ததிப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
நதா யயோ ஸ்ரீ பதிதாம் ஸமீயு: கதாசிதப்யாஷ்ர தரித்ரவர்யா:
மூகார்ஷ வாசஸ்பதிதாம் ஹி தாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
நாலீகனீகாஷ பதாஹ்றுதாப்யாம் நானாவிமோ ஹாதி நிவாரிகாப்யாம்
நமஜ்ஜ நாபீஷ்ட ததிப்ரதாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
ந்றுபாலி மௌலி வ்ரஜரத்னகான்தி ஸரித்விராஜத் ஜஷகன்ய காப்யாம்
ந்றுபத்வ தாப்யாம் னதலோக பங்கதே: நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
பாபான்தகாரார்க பரம்பராப்யாம் தாபத்ரயா ஹீன்த்ர கஹேஷ்ர் வராப்யாம்
ஜாட்யாப்தி ஸம்ஷோஷண வாடவாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
ஸமாதிஷட்க ப்ரதவைபவாப்யாம் ஸமாதிதான வ்ரததீக்ஷிதாப்யாம்
ரமாத வான்த்ரிஸ்திர பக்திதாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
ஸ்வார்சா பராணாம் அகிலேஷ்ட தாப்யாம் ஸ்வாஹாஸ ஹாயாக்ஷ துரன்தராப்யாம்
ஸ்வான்தாச்ச பாவப்ரதபூஜனாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
காமாதிஸர்ப வ்ரஜகாருடாப்யாம் விவேகவைராக்ய நிதிப்ரதாப்யாம்
போதப்ரதாப்யாம் த்றுதமோக்ஷ தாப்யாம். நமோ நமஹ, ஸ்ரீ குரு பாதுகாப்யாம்.
lyrics in tamil
thank you for sharing this info ☺️🙏
@@MysticsandMission 🙏
Q
अनंत-संसार समुद्र-तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम्।
वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।1।
जिसका कहीं अंत नहीं है, ऐसे इस संसार सागर से जो तारने वाली नौका के समान हैं, जो गुरु की भक्ति प्रदान करती हैं, जिनके पूजन से वैराग्य रूपी आधिपत्य प्राप्त होता है, [मेरे] उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है।
कवित्व वाराशिनिशाकराभ्यां दौर्भाग्यदावांबुदमालिकाभ्याम्।
दूरिकृतानम्र विपत्ततिभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।2।
अज्ञान के अंधकार में जो पूर्ण चन्द्र के समान उज्जवल हैं, दुर्भाग्य की अग्नि के लिए जो वर्षा करने वाले मेघ के समान हैं (अर्थात जो दुर्भाग्य रुपी अग्नि को बुझा देती हैं) जो सभी विपत्तियों को दूर कर देती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है।
नता ययोः श्रीपतितां समीयुः कदाचिद-प्याशु दरिद्रवर्याः।
मूकाश्च वाचस्पतितां हि ताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।3।
जिनके आगे नतमस्तक होने से श्री (धन आदि समृद्धि) की प्राप्ति होती है, दरिद्रता के कीचड़ में डूबा हुआ व्यक्ति भी समृद्ध हो जाता है, जो मूक (अज्ञानी, बिना सोचे समझे बोलने वाला) व्यक्ति को भी कुशल वक्ता बना देती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है।
नालीकनीकाश पदाहृताभ्यां नानाविमोहादि-निवारिकाभ्यां।
नमज्जनाभीष्टततिप्रदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।4।
श्री गुरदेव के आकर्षक चरण कमल इस संसार से उत्पन्न हुए मोह और लोभ का नाश करते हैं, जो लोग इनके सम्मुख झुकते हैं उन्हें अभीष्ट (मनचाहा) फल की प्राप्ति होती है, [मैं] श्री गुरुदेव की इन पादुकाओं को नमस्कार है।
नृपालि मौलिव्रजरत्नकांति सरिद्विराजत् झषकन्यकाभ्यां।
नृपत्वदाभ्यां नतलोक पंक्ते: नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।5।
एक राजा के मुकुट की मणि के समान जिनकी चमक होती है, मगरमच्छों से भरी नदी के समीप मनभावन कन्या के समान (अभय का सौन्दर्य प्रकट करते हुए) जो उपस्थित होती हैं, जो इनके सामने झुकते वाले लोगों को नृपत्व (राजा की भांति सम्मान) प्रदान करती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को मेरा नमस्कार है।
पापांधकारार्क परंपराभ्यां तापत्रयाहींद्र खगेश्र्वराभ्यां।
जाड्याब्धि संशोषण वाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।6।
जो पाप के असीम अन्धकार को नष्ट करने वाले सूर्य के समान है, जो संसार के तीनों ताप (दैहिक, दैविक और भौतिक ये तीन प्रकार के कष्ट होते हैं) रुपी सर्पोंको नष्ट करने वाले पक्षीराज गरुड़ के समान हैं, जो अज्ञान रुपी महासागर को सोखने वाली अग्नि रूप हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है।
शमादिषट्क प्रदवैभवाभ्यां समाधिदान व्रतदीक्षिताभ्यां।
रमाधवांध्रिस्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।7।
जो मन के नियंत्रण से प्राप्त होने वाले छः प्रकार के वैभवों को प्रदान करती हैं, जिनकी कृपा से समाधि व्रत के मार्ग की ओर अग्रसर होते हैं, जो मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं और भक्ति रस प्रदान करती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है।
स्वार्चापराणां अखिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्षधुरंधराभ्यां।
स्वांताच्छभावप्रदपूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।8।
जो पुण्यात्मा लोग स्वयं को दूसरों की सहायता के लिए अर्पण कर देते हैं ये उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं, सच्चे भाव से पूजन करने पर जो मन को स्वछन्द कर देती हैं, उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है।
कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां विवेकवैराग्य निधिप्रदाभ्यां ।
बोधप्रदाभ्यां दृतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।9।
काम आदि दुर्गुण रुपी सर्पों के लिए ये गरुड़ के समान हैं, ये विवेक और वैराग्य की निधि प्रदान करती हैं, बुद्धि प्रदान करती हैं और तुरंत मोक्ष देती हैं, श्री गुरुदेव की इन चरण पादुकाओं को मेरा नमस्कार है।
।इति श्रीगुरुपादुकास्तोत्रं संपूर्णम्।
It's very helpful to understand the meaning of lyrics
@@madhavijoshi9585 Thank you dear!
Have you read the full meaning of this psalm?
what else can I do for you?
अनुवाद के लिए धन्यवाद 🙏🙏🚩🚩
Thanks a lot
कान्ति के समान द्युतिमान रहतीं हैं। मगरमच्छों से आक्रान्त विशाल नदी में ये मनभावन नवयौवना के समान (अभय के सौन्दर्य का आनन्द प्रदान करते हुए) उपस्थित रहतीं हैं।
जो लोग इनके प्रति नतमस्तक होते हैं उन्हें ये सम्राट के समान सम्प्रभुता प्रदान करतीं हैं।
इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।५।।
पापान्धकारार्क परम्पराभ्यां तापत्रयाहीन्द्र खगेश्र्वराभ्यां |
जाड्याब्धि संशोषण वाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ‖ ६ ‖
ये अन्तहीन पापान्धकार को नष्ट करने वाले सूर्य के समान हैं। ये त्रिस्तरीय कष्ट (दैहिक, दैविक/प्राकृतिक, भौतिक) रूपी सर्प के विनाशक पक्षीराज गरुण के समान हैं।
ये अज्ञान के महासागर को सुखाने वाली अग्निदाह के समान हैं।
इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।६।।
शमादिषट्क प्रदवैभवाभ्यां समाधिदान व्रतदीक्षिताभ्यां |
रमाधवान्ध्रिस्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ‖ ७ ‖
ये मन के नियन्त्रण से प्रारम्भ होने वाले षष्ठ वैभव (षट् सम्पत्ति) को प्रदान करते हैं जो परोपकार एवं निःस्वार्थपरता से आबद्ध होकर संकल्पित समाधि की ओर अग्रसर करातीं हैं।
ये पादुकाएँ मोक्ष हेतु हैं और स्थिर भक्ति प्रदान करतीं हैं। इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।७।।
स्वार्चापराणां अखिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्षधुरन्धराभ्यां |
स्वान्ताच्छभावप्रदपूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ‖ ८ ‖
ये उन लोगों की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करतीं है जो परोपकार में लिप्त रहते हैं और लोगों की आवश्यकता के अनुरूप सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।
पूजा-अर्चना करने पर ये हृदय का शुद्धीकरण करतीं हैं। इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।८।।
कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां विवेकवैराग्य निधिप्रदाभ्यां |
बोधप्रदाभ्यां दृतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ‖ ९ ‖
कामादि षट् दुर्गुणों के सर्पों के लिए ये पादुकाएँ गरुड़ के समान हैं, ये वैराग्य एवं विवेक की निधि प्रदान करतीं हैं।
ये ज्ञान प्रदान करके तुरन्त मोक्ष प्रदान करतीं हैं। इन श्री (समृद्धि वर्धक) गुरु की पादुकाओं को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।।९।।
I get drawn into this chant from Viragya. I also get pulled towards "Gurur Bramha, Gurur Vishanu..."
I don't know Sanskrit, but I know Tamil and English.
I made it a point to learn these chants As Is, because Sadhguru said: Chants are more about arrangements of sounds than its meaning.
Whenever I recite "Gurur Bhramha Gurur Vishnu...." Tears are flowing through, I don't know why, 🙏🏾
Nice 👍👍👍👍👍
Thank you Anna, so helpful to learn the shlokas and recite along.
Really, it is a great stotram...
Thanks for providing the lyrics as well as meaning of the stotram...it is very much helpful to me and also for others as I think....
Thank you 🙏🏻
जय गुरुदेव
Namo namaha Sri Gurupadukabhyam JI namaste dvd 😔 👣 thanks yours
🎉🎉
Thanks guruvar 🙏🙏🙏💐💐
i love this tune i use it to sing Gayatri Mantra and Mahamrityunjaya Mantra. ill have to memorize this mantra i am inspired
that's wonderful
Highly intense heart touching ❤
Love the music really feel incredible like Shri Shiv ji is before of us during listening this
too devotional to verbalize gratitude heart filled with compassion and love over the sharing of these wonderful verses. ill definitely be back to write these down. sukriya
🌼 sure
Practising my #GuruPadukaStotram for #GuruPooja/ #SadhguruSannidhi 🙏🏾 ☺ ❤️
5:30 AM ✨
Thank you for Shri Shiv Vandana .Jai Shri Guru Bholenath
Thank sadhguru🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Thank you
Thank u so much Anna /Akka 🙏🙏🙏
Thanks a lot
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🙏🙏
very beautiful song 😍😍😍😍😍😍😍
Hope you do more with lyrics 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
I hope this chant does more for you! 🙏🏾
You can suggest me idea anna 🙏 i will do it
Extremely blessed.
Thank you!
Shambo
shiv shamboo
Shambo 🔱 🙏🏾
Plz can you make the transition in description appear in vedio
Guru pooja annd guru padukabhayam strotram are same?
Adi Shankaracharya is great
Thanks 🩵🔱🙏🏻⚡️
- GURU PADUKA STOTRAM-
LYRICS WITH MEANING
रचना |Author: ādi śaṅkarācārya
संगीत |Music : Sound of isha
Anantha samsara samudhra thara naukayithabhyam guru bhakthithabhyam,
Vairagya samrajyadha poojanabhyam, namo nama sri guru padukabhyam. ||१||
1. My prostration to holy sandals of mu Guru, which serve as the boat to cross this endless ocean of Samsara,
which endow me with devotion to Guru, and which grace with the valuable dominion of renunciation.
Kavithva varahsini sagarabhyam, dourbhagya davambudha malikabhyam,
Dhoorikrutha namra vipathithabhyam, namo nama sri guru padukabhyam. ||२||
2. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which serve as the down pour of water to put out the fire of
misfortunes, which remove the groups of distresses of those who prostrate to them.
Natha yayo sripatitam samiyu kadachidapyashu daridra varya,
Mookascha vachaspathitham hi thabhyam, namo nama sri guru padukabhyam. ||३||
3. My prostrations to the holy sandals of my Guru, adoring which the worst poverty stricken, have turned out
to be great possesors of wealth, and even the mutes have turned out to be great masters of speech.
Naleeka neekasa pada hrithabhyam, nana vimohadhi nivarikabyam,
Nama janabheeshtathathi pradhabhyam namo nama sri guru padukabhyam.||४||
4. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which remove all kinds of ignorant desires, and which
fulfill in plenty, the desire of those who bow down to them.
Nrupali mouleebraja rathna kanthi saridvi raja jjashakanyakabhyam,
Nrupadvadhabhyam nathaloka pankhthe, namo nama sri guru padukabhyam.||५||
5. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which shine like the precious stones that adorn the crown
of kings, by bowing to which one drowned in worldliness will be lifted up to the great rank of sovereignty
Papandhakara arka paramparabhyam, thapathryaheendra khageswarabhyam,
Jadyabdhi samsoshana vadawabhyam namo nama sri guru padukabhyam.||६||
6. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which serve as the Sun smashing all the illusions of sins,
which are like garuda birds in front of the serpents of the three pains of Samsara; and which are like the
terrific fire that dries away the ocean of jadata or insentience.
Shamadhi shatka pradha vaibhavabhyam, Samadhi dhana vratha deeksithabhyam,
Ramadhavangri sthira bhakthidabhyam, namo nama sri guru padukabhyam.||७||
7. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which endows one with six attributes which can bless with
permanent devotion at the feet of the Lord Rama and which is initiated with the vow of charity and selfsettledness.
Swarchaparana makhileshtathabhyam, swaha sahayaksha durndarabhyam,
Swanthacha bhava pradha poojanabhyam, namo nama sri guru padukabhyam.||८||
8. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which bestows all the wishes of those who are absorbed in
the Self, and which grace with one’s own hidden real nature.
Kaamadhi sarpa vraja garudabhyam, viveka vairagya nidhi pradhabhyam,
Bhodha pradhabhyam drutha mokshathabhyam, namo nama sri guru padukabhyam.||९||
9. My prostrations to the holy sandals of my Guru, which are like garudas to all the serpents of desire, and
which bless with the valuable treasure of discrimination and renumciation, and which enlighten with
bodha- the true knowledge, and bless with instant liberation from the shackles of the world.
Thank you Darshan anna: I'm practising my #GuruPadukaStotram for #GuruPooja/ #SadhguruSannidhi 🙏🏾 ☺ ❤️
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Hindi me meaning dena tha na bhai....kahi bhi nahi h hindi me meaning..kmaal h hindu k sanskrit stotram ka hindi me arth kahi bhi nahi h ...
hindi me bhi banuga bhai ek version 😇🙏
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